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Wednesday,30-July-2025
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भारत के हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में 2024 में हुई 25 डील, 42,000 नए कमरे जुड़े

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मुंबई, 14 अप्रैल। वर्ष 2024 भारत के हॉस्पिटैलिटी सेक्टर के लिए शानदार रहा। इस दौरान करीब 42,071 नए कमरे जोड़े गए। यह जानकारी एक रिपोर्ट में सोमवार को दी गई।

मीडिया के अनुसार, हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में वर्ष 2024 में लगभग 25 डील हुई। इसमें बिजनेस और अवकाश स्थल दोनों प्रकार की डील शामिल थीं।

मीडिया के मुताबिक, हाई-नेट-वर्थ व्यक्तियों, फैमिली ऑफिस और प्राइवेट होटल व्यवसायियों ने इस सेक्टर का नेतृत्व किया और कुल लेनदेन वॉल्यूम में इनका योगदान 51 प्रतिशत का था।

वहीं, लिस्टेड होटल कंपनियों का 34 प्रतिशत, मालिक-संचालकों और रियल एस्टेट डेवलपर्स ने क्रमशः 8 प्रतिशत और 7 प्रतिशत का छोटा लेकिन महत्वपूर्ण योगदान दिया।

रिपोर्ट में कहा गया कि बड़ी बात यह है कि टियर 2 और 3 शहरों की ओर बड़ा बदलाव हुआ है और सभी होटल लेनदेन में इन शहरों की हिस्सेदारी करीब 50 प्रतिशत हो गई है।

इस ट्रेड से उद्योग की पहुंच बढ़ी है और अमृतसर, मथुरा, बीकानेर और कई अन्य जैसे पहले से उपेक्षित बाजारों में गुणवत्तापूर्ण होटल की उपलब्धता बढ़ी है।

जेएलएल के होटल और हॉस्पिटैलिटी समूह में भारत के प्रबंध निदेशक जयदीप डांग ने कहा कि 2025 की पहली तिमाही में होटल लेनदेन बाजार में मजबूती देखने को मिली है, जिसमें जेएलएल ने चेन्नई और गोवा में दो सौदे किए हैं। परिचालन परिसंपत्तियों और भूमि पार्सल दोनों के लिए निवेशकों का उत्साह इस क्षेत्र के आकर्षण को दिखाता है, जो अनुकूल आर्थिक स्थितियों, वाणिज्यिक बाजारों के विस्तार और पर्यटन के लिए सरकार के हालिया बजट प्रोत्साहन से प्रेरित है।

डांग ने कहा कि 2024 होटल निवेश, उद्घाटन और हस्ताक्षर में रिकॉर्ड तोड़ने वाला वर्ष रहा है और 2025 की शुरुआत मजबूत हुई है और इस गति को आगे भी बनाए रखने की उम्मीद है।

इन समझौतों में मैनेजमेंट कॉन्ट्रैक्ट का प्रभुत्व रहा, जो साइन किए गए कुल एग्रीमेंट का 81 प्रतिशत था, जबकि फ्रेंचाइजी और लीज/आय हिस्सेदारी समझौते क्रमशः 14 प्रतिशत और 5 प्रतिशत थे।

रिपोर्ट में कहा गया कि 2024 में ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट्स की संख्या (28,281) पूरे वर्ष 2023 (13,600) को पार कर गई है, जो इस क्षेत्र के दीर्घकालिक विकास में होटल डेवलपर्स के स्थायी विश्वास को दर्शाता है।

व्यापार

भारत में टियर 2 शहरों में तेजी से बढ़ रहा चार्जिंग नेटवर्क, ईवी स्टेशन की संख्या 4,600 के पार

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नई दिल्ली, 30 जुलाई। भारत में टियर 2 शहरों में ऑपरेशनल ईवी चार्जिंग स्टेशनों की संख्या एक अप्रैल, 2025 तक बढ़कर 4,625 हो गई है। यह जानकारी सरकार की ओर से दी गई।

लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में इस्पात एवं भारी उद्योग राज्य मंत्री भूपतिराजू श्रीनिवास वर्मा ने कहा कि पीएम इलेक्ट्रिक ड्राइव रिवोल्यूशन इन इनोवेटिव व्हीकल एन्हांसमेंट (पीएम ई-ड्राइव) योजना के तहत टियर 2 शहरों सहित पूरे भारत में सार्वजनिक स्थानों पर इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशनों को स्थापित करने के लिए सरकार ने 2,000 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं।

इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को अपनाने में तेजी लाने के लिए सरकार ने अक्टूबर 2024 को पीएम ई-ड्राइव स्कीम को लॉन्च किया था। इस योजना के तहत सरकार चार्जिंग स्टेशनों को बढ़ाने के साथ-साथ ईवी को अपनाने के दर में तेजी लाने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों पर सब्सिडी भी दे रही है, जिसके लिए 10,900 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं।

केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा, “इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन स्थापित करना एक गैर-लाइसेंस गतिविधि है और निजी उद्यमी भी चार्जिंग स्टेशन स्थापित कर सकते हैं। ईवी चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना मांग आधारित गतिविधि है और इसका कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं किया जा सकता क्योंकि स्थापना ईवी की पहुंच सहित कई कारकों पर निर्भर करती है।”

उन्होंने आगे कहा कि केंद्र ने फेम-II योजना के तहत तीन तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) आईओसीएल, बीपीसीएल और एचपीसीएल द्वारा 8,932 ईवी चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना के लिए 873.50 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं।

सरकार ने बताया कि पिछले तीन वर्षों में, देश में सार्वजनिक ईवी चार्जिंग स्टेशनों की संख्या 5,151 से बढ़कर 26,000 हो गई है।

इस महीने की शुरुआत में, सरकार ने पीएम ई-ड्राइव पहल के तहत इलेक्ट्रिक ट्रकों (ई-ट्रकों) के लिए वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए एक नई योजना शुरू की, जिसमें अधिकतम प्रोत्साहन राशि प्रति वाहन 9.6 लाख रुपए निर्धारित की गई है।

इस योजना से देश भर में लगभग 5,600 ई-ट्रकों की बिक्री को समर्थन मिलने की उम्मीद है।

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व्यापार

भारतीय कंपनियों का सीएसआर खर्च वित्त वर्ष 22 से वित्त वर्ष 24 के बीच 29 प्रतिशत बढ़ा : रिपोर्ट

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नई दिल्ली, 29 जुलाई। भारतीय कंपनियों के वार्षिक कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) खर्च में वित्त वर्ष 22 से वित्त वर्ष 24 के बीच में 29 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यह जानकारी मंगलवार को जारी हुई एक रिपोर्ट में दी गई।

रिपोर्ट में कहा गया कि उसके सैंपल सेट में मौजूद कंपनियों ने संयुक्त रूप में मार्च 2024 तक 12,897 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। औसत सीएसआर खर्च प्रति कंपनी 129 करोड़ रुपए रहा है।

रिपोर्ट में कहा गया कि वित्त वर्ष 22 से वित्त वर्ष 24 के बीच औसत शुद्ध मुनाफे में 37 प्रतिशत का इजाफा हुआ है, जबकि सीएसआर खर्च में 29 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

इसी अवधि के दौरान मुनाफे में गिरावट के बावजूद, 100 में से 16 कंपनियों ने अपने सीएसआर खर्च में वृद्धि की, जो अनुपालन से परे सामाजिक उत्तरदायित्व के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। वहीं, 48 प्रतिशत कंपनियों ने मुनाफे में गिरावट के बावजूद अनिवार्य सीएसआर बजट को पार कर लिया है।

आईसीआरए ईएसजी रेटिंग्स की मुख्य रेटिंग अधिकारी शीतल शरद ने कहा, “संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के साथ बढ़ता तालमेल और सक्रिय सीएसआर खर्च समावेशी विकास के प्रति एक परिपक्व दृष्टिकोण को दर्शाता है। ये प्रयास न केवल पक्षकारों के मूल्य को बढ़ा रहे हैं, बल्कि भारत के व्यापक जलवायु और सामाजिक लक्ष्यों में भी सार्थक योगदान दे रहे हैं।”

रिपोर्ट में बताया गया कि महाराष्ट्र और गुजरात को कॉर्पोरेट्स द्वारा सबसे अधिक सीएसआर फंड्स के आवंटन प्राप्त हुआ, जबकि ओडिशा में सीएसआर खर्च में 85 प्रतिशत की अधिक वृद्धि दर्ज की गई, इसके बाद आंध्र प्रदेश में सीएसआर व्यय में 70 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जो उच्च विकास आवश्यकताओं वाले अविकसित क्षेत्रों पर कॉर्पोरेट फोकस में वृद्धि को दर्शाता है।

सीएसआर पर सबसे अधिक खर्च तेल और गैस रिफाइनरी, निजी क्षेत्र के बैंक, लोहा और इस्पात और सॉफ्टवेयर कंपनियों की ओर से किया गया।

रिपोर्ट में बताया गया कि आकांक्षी जिलों में सीएसआर खर्च वित्त वर्ष 2021 से वित्त वर्ष 2023 तक 115 प्रतिशत बढ़ा।

हालांकि, कुछ कंपनियों ने अपने सीएसआर बजट का आधा हिस्सा आकांक्षी जिलों के लिए निर्देशित किया है, लेकिन अधिकांश कंपनियों ने 5 प्रतिशत से भी कम आवंटन जारी रखा है, जो आकांक्षी जिलों में अधिक रणनीतिक फोकस और संसाधन आवंटन की आवश्यकता को दर्शाता है।

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राष्ट्रीय समाचार

बीएसएनएल की रिव्यू मीटिंग में बोले सिंधिया, परिचालन रणनीति में सेवा की गुणवत्ता और ग्राहक अनुभव को दें प्राथमिकता

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नई दिल्ली, 28 जुलाई। भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) की रिव्यू मीटिंग में सोमवार को केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य एम.सिंधिया ने सोमवार को कहा कि कंपनी की परिचालन रणनीति में सेवा की गुणवत्ता (क्यूओएस) और ग्राहक अनुभव को प्राथमिकता मिलनी चाहिए।

मीटिंग के दौरान केंद्रीय ने कहा, “सेवा की गुणवत्ता और ग्राहक संबंध प्रबंधन में सुधार बीएसएनएल की परिचालन रणनीति का केंद्र बिंदु बने रहना चाहिए। अगर आप सेवा की गुणवत्ता में सुधार करते हैं, तो ग्राहक भी आपके पास आएंगे। प्रत्येक रणनीतिक योजना सेवा की गुणवत्ता में मापनीय सुधार और उपभोक्ता विश्वास को मजबूत करने पर आधारित होनी चाहिए।”

इस बैठक में राज्य मंत्री पेम्मासानी चन्द्र शेखर के साथ पूरे देश के 32 सर्किल में मौजूद सभी चीफ जनरल मैनेजर्स (सीजीएम) शामिल हुए।

सरकार की ओर से बताया गया कि इस उच्च-स्तरीय बैठक में बीएसएनएल की परिचालन प्रगति की समीक्षा की गई, क्षेत्रीय चुनौतियों का समाधान किया गया और कंपनी के नेटवर्क एवं सेवा वितरण के लिए आगे की रणनीति की रूपरेखा तैयार की गई। इस बैठक में संचार राज्य मंत्री पेम्मासानी चंद्रशेखर और दूरसंचार विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे।

बैठक में रिव्यू के दौरान बीएसएनएल की विकास रणनीति, नेटवर्क प्रदर्शन में सुधार, ग्राहक सेवा वितरण और संगठनात्मक आधुनिकीकरण पर व्यापक चर्चा हुई।

बयान में आगे कहा गया कि इस व्यापक चर्चा ने बीएसएनएल की एक उपभोक्ता-केंद्रित दूरसंचार सेवा प्रदाता के रूप में स्थिति को और मजबूत किया, जिसका स्पष्ट लक्ष्य सभी व्यावसायिक इकाइयों में “रेवेन्यू फर्स्ट” है।

बीएसएनएल अपने सभी सर्किलों, व्यावसायिक क्षेत्रों और इकाइयों में सेवाओं में बड़े बदलाव के दौर से गुजर रहा है। अपने “ग्राहक सर्वप्रथम” सिद्धांत को आगे रखने के लिए बीएसएनएल सक्रिय ग्राहक जुड़ाव, बेहतर सेवा जवाबदेही और त्वरित शिकायत निवारण पर जोर दे रहा है।

बैठक में बीएसएनएल के सर्किल प्रमुखों को ग्राहक तक पहुंच और सेवा गुणवत्ता बढ़ाने के लिए कई प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के बारे में जानकारी दी गई, जिसमें ग्रामीण, शहरी, उद्यम और खुदरा क्षेत्रों में ग्राहकों के साथ फिर से जुड़ना, मोबाइल नेटवर्क और फाइबर-टू-द-होम (एफटीटीएच) में सेवा की गुणवत्ता (क्यूओएस) में सुधार, बिलिंग और नेटवर्क अपटाइम में ग्राहकों की शिकायतों का समाधान करना, प्रत्येक परिचालन स्तर पर “रेवेन्यू फर्स्ट” लक्ष्यों के साथ जवाबदेही को बढ़ावा देना, कनेक्टिविटी, वीपीएन समाधान, लीज्ड लाइन सेवाएं और अन्य नए व्यावसायिक अवसरों जैसी उद्यम सेवाओं का विस्तार करना शामिल हैं।

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