व्यापार
मार्च में ईएसआई योजना के तहत 16.33 लाख नए कर्मचारी जुड़े

नई दिल्ली, 24 मई। कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) के प्रोविजनल पेरोल डेटा के अनुसार, इस साल मार्च के दौरान कुल 16.33 लाख नए कर्मचारियों के जुड़ने की जानकारी प्राप्त हुई है।
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, मार्च महीने में 31,514 नए प्रतिष्ठानों को ईएसआई योजना के सामाजिक सुरक्षा दायरे में लाया गया है, जिससे अधिक से अधिक श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित हुई है।
आंकड़ों के अनुसार, मार्च महीने में जुड़ने वाले 16.33 लाख नए कर्मचारियों में से 7.96 लाख कर्मचारी 25 वर्ष तक की आयु वर्ग के हैं, जो कि कुल जीकरण का लगभग 49 प्रतिशत हैं।
मंत्रालय के अनुसार, पेरोल डेटा के जेंडर-वाइज विश्लेषण से पता चलता है कि मार्च में महिला सदस्यों का नेट एनरोलमेंट 3.61 लाख रहा है।
इसके अलावा, कुल 100 ट्रांसजेंडर कर्मचारियों ने भी ईएसआई योजना के तहत पंजीकरण करवाया है, जो समाज के हर वर्ग को इसका लाभ पहुंचाने के लिए ईएसआईसी की प्रतिबद्धता को प्रमाणित करता है।
पेरोल डेटा प्रोविजनल है क्योंकि डेटा जनरेशन एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है।
इस बीच, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने मार्च महीने में 14.58 लाख नेट मेंबर्स जोड़े और मार्च 2024 की तुलना में नेट पेरोल एडिशन में 1.15 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की।
ईपीएफओ ने मार्च 2025 में लगभग 7.54 लाख नए ग्राहक नामांकित किए, जो फरवरी की तुलना में 2.03 प्रतिशत और बीते वर्ष मार्च 2024 में सालाना आधार पर 0.98 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
आंकड़ों का एक ध्यान देने योग्य पहलू 18-25 आयु वर्ग का प्रभुत्व है, क्योंकि 18-25 आयु वर्ग में 4.45 लाख नए ग्राहक जोड़े गए, जो मार्च 2025 में जोड़े गए कुल नए ग्राहकों का 58.94 प्रतिशत है।
मंत्रालय के अनुसार, लगभग 13.23 लाख सदस्य, जो पहले बाहर हो गए थे, मार्च में ईपीएफओ में फिर से शामिल हो गए।
अंतरराष्ट्रीय
हार्वर्ड ने अंतर्राष्ट्रीय छात्रों पर प्रतिबंध को लेकर ट्रंप प्रशासन पर दायर किया मुकदमा

वाशिंगटन, 24 मई। हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन पर दूसरी बार मुकदमा दायर किया है। यह मुकदमा ऐसे समय में किया गया है जब एक दिन पहले ही गृह सुरक्षा विभाग ने कहा था कि वह प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय को अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के नामांकन से रोक देगा।
हार्वर्ड विश्वविद्यालय के अध्यक्ष एलन गार्बर ने शुक्रवार को हार्वर्ड समुदाय के सदस्यों को लिखे एक पत्र में कहा, ‘यह निरस्तीकरण हार्वर्ड के खिलाफ हमारे द्वारा अपनी अकादमिक स्वतंत्रता को त्यागने से इनकार करने तथा हमारे पाठ्यक्रम, हमारे संकाय और हमारे छात्र निकाय पर संघीय सरकार के अवैध नियंत्रण के आगे झुकने के लिए सरकार की जवाबी कार्रवाई की श्रृंखला को आगे बढ़ाता है।”
गार्बर ने कहा, “हम इस गैरकानूनी और अनुचित कार्रवाई की निंदा करते हैं। यह हार्वर्ड के हजारों छात्रों और विद्वानों के भविष्य को खतरे में डालता है और देश भर के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले उन अनगिनत लोगों के लिए चेतावनी है जो अपनी शिक्षा प्राप्त करने और अपने सपने पूरे करने के लिए अमेरिका आए हैं।”
हार्वर्ड के अध्यक्ष ने कहा कि विश्वविद्यालय ने अभी शिकायत दर्ज की है और एक अस्थायी निरोधक आदेश के लिए प्रस्ताव भी दायर किया जाएगा। उन्होंने कहा, “जब हम कानूनी उपायों की तलाश करेंगे, तो हम अपने छात्रों और विद्वानों का समर्थन करने के लिए अपनी पूरी शक्ति से काम करेंगे।”
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार अमेरिकी गृह सुरक्षा सचिव क्रिस्टी नोएम ने गुरुवार को इस निर्णय की घोषणा की।
नोएम ने एक बयान में कहा, “इसे देश भर के सभी विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों के लिए एक चेतावनी के रूप में लिया जाना चाहिए। अंतर्राष्ट्रीय छात्रों को नामांकित करना एक विशेषाधिकार है अधिकार नहीं और हार्वर्ड द्वारा संघीय कानून का पालन करने में बार-बार विफल रहने के कारण यह विशेषाधिकार रद्द कर दिया गया है।”
सचिव ने कहा कि भावी अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के नामांकन पर रोक लगाने के अलावा, “मौजूदा विदेशी छात्रों को स्थानांतरित होना होगा, अन्यथा उन्हें अपना कानूनी दर्जा खोना होगा।”
11 अप्रैल को ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों ने हार्वर्ड को एक पत्र भेजा, जिसमें मांग की गई कि विश्वविद्यालय सार्थक प्रशासनिक सुधार और पुनर्गठन करे।
प्रशासन की मुख्य मांगों में परिसर में यहूदी विरोधी भावना को समाप्त करना तथा कुछ अल्पसंख्यक समूहों को लाभ पहुंचाने वाली विविधता पहलों को समाप्त करना शामिल है।
14 अप्रैल को हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने अपने प्रशासन, नियुक्ति और प्रवेश प्रक्रियाओं में व्यापक परिवर्तन करने की ट्रंप प्रशासन की मांग को अस्वीकार कर दिया।
इसके कुछ ही घंटों बाद, ट्रंप प्रशासन ने विश्वविद्यालय को दिए जाने वाले 2.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर के बहु-वर्षीय अनुदान और 60 मिलियन अमेरिकी डॉलर के बहु-वर्षीय अनुबंध मूल्य पर रोक लगाने की घोषणा की।
16 अप्रैल को नोएम ने मांग की कि हार्वर्ड विश्वविद्यालय 30 अप्रैल तक विदेशी छात्र वीजा धारकों की अवैध और हिंसक गतिविधियों के बारे में जानकारी साझा करे, अन्यथा उसे अंतर्राष्ट्रीय छात्रों को दाखिला देने का अधिकार खोने का जोखिम उठाना पड़ेगा।
21 अप्रैल को हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने कहा कि उसने ट्रंप प्रशासन के वित्त पोषण पर रोक के खिलाफ संघीय मुकदमा दायर किया है, तथा इस कार्रवाई को गैरकानूनी और सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर बताया है।
राष्ट्रीय
समर्थ योजना की मदद से अब तक 3.20 लाख लाभार्थियों को मिला रोजगार

नई दिल्ली, 24 मई। कपड़ा मंत्रालय के अनुसार ‘समर्थ योजना’ के तहत अब तक 4.32 लाख लाभार्थियों को ट्रेनिंग दी गई है और 3.20 लाख लोगों को रोजगार मिला है, जिसमें महिलाओं की भागीदारी 88 प्रतिशत से अधिक दर्ज की गई है।
कपड़ा उत्पादन, शिल्प कौशल और इनोवेशन में महिलाओं को सशक्त बनाकर, यह योजना लैंगिक-समावेशी विकास (जेंडर-इंक्लूसिव डेवलपमेंट) को बढ़ावा दे रही है।
इस योजना का लाभ भारत भर में लिया जा रहा है, जिससे जम्मू-कश्मीर से लेकर अंडमान और निकोबार द्वीप समूह तक कौशल विकास सुलभ हो गया है।
सरकार का ध्यान कपड़ा निर्माण बढ़ाने, इंफ्रास्ट्रक्चर के आधुनिकीकरण, कुशल लोगों के माध्यम से इनोवेशन को बढ़ावा देने और टेक्नोलॉजी को एडवांस करने पर है, जिससे वैश्विक कपड़ा केंद्र के रूप में भारत की स्थिति मजबूत होगी।
केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह ने ‘समर्थ योजना’ के तहत उद्योग भागीदारों और लाभार्थियों के साथ बातचीत की और समर्थ योजना के तहत हथकरघा, हस्तशिल्प, जूट और रेशम सहित विभिन्न क्षेत्रों के लाभार्थियों से मुलाकात की।
लाभार्थियों ने उन्हें दिए गए लाभों पर अपने अनुभव साझा किए और बताया कि उनकी आजीविका मजबूत हो रही है।
बातचीत के दौरान, लाभार्थियों और उद्योग भागीदारों ने केंद्रीय मंत्री को योजना के प्रभाव और सफलता की कहानियां साझा कीं।
केंद्रीय मंत्री ने भारत में कपड़ा क्षेत्र के महत्व को सबसे बड़े रोजगार सृजन क्षेत्रों में से एक के रूप में उजागर किया और ‘समर्थ योजना’ सहित कपड़ा मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से उन्हें प्रदान किए गए लाभों पर प्रकाश डाला।
बातचीत के दौरान, उद्योग प्रतिनिधियों ने समर्थ योजना की वर्तमान स्थिति पर अपने विचार रखे, जिसमें चुनौतियों का समाधान, विकास की संभावनाएं और भारत को कपड़ा का वैश्विक केंद्र बनाने के लिए स्किल्ड मैनपावर के लिए उपलब्ध अवसर शामिल हैं।
समर्थ वर्कफोर्स सशक्तीकरण विकसित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
समर्थ का उद्देश्य संगठित कपड़ा और संबंधित क्षेत्रों में रोजगार सृजन में उद्योग के प्रयासों को प्रोत्साहित करना और पूरक बनाना है, जिसमें कताई और बुनाई को छोड़कर कपड़ा की पूरी वैल्यू चेन शामिल है।
इस बीच, केंद्र के उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) द्वारा प्रत्येक वर्ष कपड़ा क्षेत्र में स्टार्टअप के रूप में मान्यता प्राप्त नई संस्थाओं की संख्या पिछले पांच वर्षों में लगातार बढ़ रही है।
वर्ष 2020 में यह संख्या 204 से बढ़कर वर्ष 2023 में 703 और वर्ष 2024 में 765 हो गई है।
व्यापार
वेस्ट कोस्ट पेपर मिल्स के चौथी तिमाही के शुद्ध लाभ में 64 प्रतिशत से अधिक की गिरावट

मुंबई, 23 मई। वेस्ट कोस्ट पेपर मिल्स लिमिटेड ने शुक्रवार को जानकारी दी कि कंपनी का शुद्ध लाभ पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में 130.42 करोड़ रुपए की तुलना में सालाना आधार पर 64.63 प्रतिशत घटकर 46.14 करोड़ रुपए रह गया।
कंपनी की स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में बताया गया है कि शुद्ध लाभ तिमाही आधार पर 31.55 प्रतिशत कम हुआ, जो कि पिछली तिमाही में 67.41 करोड़ रुपए था।
तिमाही के लिए राजस्व में 3 प्रतिशत की मामूली गिरावट आई, जो एक साल पहले की अवधि में 1,070 करोड़ रुपए से घटकर 1,041 करोड़ रुपए रह गया।
इसी तरह, इसी अवधि के दौरान कंपनी की कुल आय लगभग 3.76 प्रतिशत घटकर 1,086.12 करोड़ रुपए रह गई, जबकि एक साल पहले यह 1,128.61 करोड़ रुपए था।
इसके अलावा, कुल व्यय लगभग 7.85 प्रतिशत बढ़कर वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में 1,030 करोड़ रुपए हो गया, जो एक साल पहले की समान अवधि में 955.03 करोड़ रुपए था।
इस व्यय वृद्धि में एक प्रमुख योगदान उपभोग की गई सामग्री की लागत का था, जो वित्त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही के 521.9 करोड़ रुपए से 26 प्रतिशत बढ़कर 657.99 करोड़ रुपए हो गई।
हालांकि, एम्प्लॉई बेनेफिट्स एक्सपेंस में लगभग 8.23 प्रतिशत की गिरावट देखी गई, जो पिछले वर्ष की तिमाही में 102.28 करोड़ रुपए से घटकर 93.87 करोड़ रुपए हो गया।
इस बीच, वित्त लागत दोगुनी से भी अधिक हो गई, जो कि वित्त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही में 5.57 करोड़ रुपए की तुलना में 131.42 प्रतिशत बढ़कर 12.89 करोड़ रुपए हो गई।
कंपनी के ईबीआईटीडीए में भी गिरावट दर्ज की गई, जो कि पिछले वित्त वर्ष के 169.6 करोड़ रुपए से 52.4 प्रतिशत गिरकर 80.8 करोड़ रुपए हो गई।
मार्जिन पर भारी असर पड़ा, जो कि पिछले वर्ष की इसी तिमाही में 15.9 प्रतिशत की तुलना में 810 आधार अंकों की गिरावट के साथ 7.8 प्रतिशत पर आ गया।
इन चुनौतियों के बावजूद, कंपनी के बोर्ड ने 2 रुपए अंकित मूल्य वाले प्रति इक्विटी शेयर पर 5 रुपए का लाभांश देने की सिफारिश की।
250 प्रतिशत की यह लाभांश दर 31 मार्च को समाप्त होने वाले वित्त वर्ष के लिए है और आगामी वार्षिक आम बैठक (एनुअल जनरल मीटिंग) में शेयरधारकों के अप्रूवल के अधीन है।
आय की घोषणा के बाद वेस्ट कोस्ट पेपर मिल्स लिमिटेड के शेयर 2 प्रतिशत गिरकर 467.80 रुपए प्रति शेयर पर आ गए।
इस साल अब तक शेयर में 15 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है।
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