सामान्य
जामिया के 100 साल का सफरनामा, आज शताब्दी स्थापना दिवस
जामिया मिल्लिया इस्लामिया को सौ साल पूरे हो गए। शताब्दी स्थापना दिवस के मौके पर जामिया प्रशासन गुरुवार को विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन कर रहा है। हालांकि इस साल कोरोना के चलते तालीमी मेला आयोजित नहीं होगा, लेकिन जामिया स्कूल के विद्यार्थी सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश करेंगे। जामिया प्रशासन ने बताया कि, जामिया की स्थापना उस ब्रिटिश हुकूमत की शैक्षिक व्यवस्था के खिलाफ एक बगावत थी, जो अपना औपनिवेशिक शासन चलाने के लिए सिर्फ ”बाबुओं” को बनाने तक सीमित थी। अपनी इस भूमिका को बखूबी अंजाम देने के पश्चात, आजादी के बाद से आज यह यूनिवर्सिटी सीढ़ी दर सीढ़ी चढ़ते हुए देश के दस शीर्ष विश्वविद्यालयों में शामिल है। हाल ही में केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय ने 40 केन्द्रीय विश्वविद्यालयों का प्रदर्शन आंकलन किया जिसमें जामिया को सर्वोच्च स्थान भी मिला।
जामिया मिल्लिया इस्लामिया असहयोग आंदोलन और खिलाफत आंदोलन से उपजा एक विश्वविद्यालय है। महात्मा गांधी ने अगस्त 1920 में असहयोग आंदोलन का ऐलान करते हुए भारतवासियों से ब्रिटिश शैक्षणिक व्यवस्था और संस्थानों का बहिष्कार करने का आह्वान किया था। गांधीजी के आह्वान पर, उस समय अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के कुछ अध्यापकों और छात्रों ने 29 अक्तूबर 1920 को जामिया मिल्लिया इस्लामिया की बुनियाद रखी। इसको बनाने में स्वत्रंता सेनानी, मुहम्मद अली जौहर, हकीम अजमल खान, डॉक्टर जाकिर हुसैन, डॉक्टर मुख्तार अहमद अंसारी, अब्दुल मजीद ख्वाजा, मौलाना महमूद हसन जैसे लोगों का प्रमुख योगदान रहा।
1925 में जामिया, अलीगढ़ से दिल्ली स्थानांतरित हो गई। जामिया के अध्यापक और छात्र पढ़ाई के साथ ही आजादी की लड़ाई के हर आंदोलन में हिस्सा लेते थे। इसके चलते उन्हें अक्सर जेल भी जाना पड़ता था।
जामिया मिलिया इस्लामिया के जनसपंर्क अधिकारी अहमद अजीम ने जानकारी देते हुए बताया, ब्रिटिश शिक्षा और व्यवस्था के विरोध में बने, जामिया मिल्लिया इस्लामिया को धन और संसाधनों की बहुत कमी रहती थी। जिसकी वजह से 1925 के बाद से ही यह बड़ी आर्थिक तंगी में घिर गया। ऐसा लगने लगा कि यह बंद हो जाएगा। लेकिन गांधीजी ने कहा कि ‘कितनी भी मुश्किल आए, स्वदेशी शिक्षा के पैरोकार, जामिया को किसी कीमत पर बंद नहीं होना चाहिए।’ वहीं गांधी जी ने ये तक कह दिया था कि, ‘जामिया के लिए अगर मुझे भीख भी मांगनी पड़े तो मैं वह भी करूंगा’।
जामिया को इस साल नेशनल इन्स्टिटूट रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) में केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में 10 वां और देश के सभी शिक्षण संस्थानों में 16 वां स्थान मिला है। हाल ही में केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय ने 40 केन्द्रीय विश्वविद्यालयों का प्रदर्शन आंकलन किया जिसमें जामिया को सर्वोच स्थान मिला।
जामिया देश का अकेला ऐसा विश्वविद्यालय है जो भारत की तीनों सेनाओं, थल सेना, वायु सेना और नौसेना के जवानों और अधिकारियों के लिए, आगे की पढ़ाई के अवसर मुहैया कराता है। उल्लेखनीय है कि सेना के जवान कम उम्र में भर्ती होते हैं और अन्य सेवाओं की तुलना में कम उम्र में ही रिटायर हो जाते हैं। ऐसे में सेना में रहते हुए आगे की पढ़ाई करके, अवकाश प्राप्ति के बाद उन्हें अच्छे रोजगार पाने के अवसर मिल जाते हैं।
दरअसल गांधीजी ने जमनालाल बजाज, घनश्याम दास बिड़ला और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक पंडित मदन मोहन मालवीय सहित कई लोगों से जामिया की आर्थिक मदद करने को कहा और इन लोगों की मदद से जामिया मुश्किल दौर से बाहर निकाल आया। इसीलिए, जामिया का कुलपति ऑफिस कंपाउंड में फाइनेंस ऑफिस की इमारत जमनालाल बजाज हाउस के नाम से जाना जाता है।
महान साहित्यकार, मुंशी प्रेमचंद का भी जामिया से खास रिश्ता रहा। वह अक्सर वहां आकर ठहरा करते थे। उनके गहरे दोस्त, डॉ. जाकिर हुसैन ने उनसे आग्रह किया कि क्यों नहीं वह जामिया में रहते हुए एक कहानी लिखें। मुंशी प्रेमचंद ने रात भर जग कर अपनी कालजयी कहानी ‘कफन’ यहीं लिखी, जिसे पहली बार ‘जामिया पत्रिका’ में प्रकाशित किया गया।
साल 2004 में जामिया में मुंशी प्रेमचंद अभिलेखागार और साहित्य केंद्र की स्थापना की गई। इसमें प्रेमचंद की प्रकाशित, अप्रकाशित और अधूरी कहानियों सहित अखबारों-पत्रिकाओं में छपे उनके लेखों का संग्रह है। प्रेमचंद के अलावा अन्य भारतीय सहित्कारों के दुर्लभ कार्य भी यहां उपलब्ध हैं।
मौजूदा व़क्त में जामिया में 9 फैकल्टी, 43 विभाग और 27 सेंटर ऑफ हायर स्टडीज एंड रिसर्च हैं जिनमे 270 से अधिक कोर्स पढाये जाते है। वहीं संस्कृत, फारसी, हिन्दी, उर्दू, तुर्की, फ्रेंच भाषा, कोरियाई भाषा और आधुनिक यूरोपीय भाषाओं के कोर्सेज शामिल हैं।
विभागों की लिस्ट में 4 नये विभाग अभी हाल में ही में जुड़े हैं जिनमे डिजाइन एंड इनोवेशन, हॉस्पिटल मैनेजमेंट एंड होस्पीटल स्टडीज, एनवायरनमेंटल साइंसेज और डिपार्टमेंट ऑफ फॉरेन लैंग्वेजेज शामिल हैं’।
न्याय
‘आपकी बेटी आपके साथ में है’: विनेश फोगाट शंभू बॉर्डर पर किसानों के विरोध प्रदर्शन में शामिल हुईं।
भारतीय पहलवान विनेश फोगट शंभू सीमा पर किसानों के विरोध प्रदर्शन में शामिल हुईं, क्योंकि उन्होंने अपना रिकॉर्ड 200वां दिन मनाया और बड़ी संख्या में लोगों ने प्रदर्शन किया।
पेरिस 2024 ओलंपिक में पदक न मिलने के विवादास्पद फैसले के बाद संन्यास लेने वाली फोगट ने किसानों के आंदोलन को अपना पूरा समर्थन देने का वादा किया।
“मैं भाग्यशाली हूं कि मेरा जन्म एक किसान परिवार में हुआ। मैं आपको बताना चाहती हूं कि आपकी बेटी आपके साथ है। हमें अपने अधिकारों के लिए खड़ा होना होगा क्योंकि कोई और हमारे लिए नहीं आएगा।
मैं भगवान से प्रार्थना करती हूं कि आपकी मांगें पूरी हों और अपना अधिकार लिए बिना वापस न जाएं। किसान अपने अधिकारों के लिए 200 दिनों से यहां बैठे हैं।
मैं सरकार से उनकी मांगों को पूरा करने की अपील करती हूं। यह बहुत दुखद है कि 200 दिनों से उनकी बात नहीं सुनी गई। उन्हें देखकर हमें बहुत ताकत मिली।”
राजनीति
पीएम मोदी: ’25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आ गए हैं’; बजट 2024 पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की सराहना की।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा लगातार सातवें बजट को पेश करने के तुरंत बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि बजट 2024 से नव-मध्यम वर्ग, गरीब, गांव और किसानों को और अधिक ताकत मिलेगी।
देश के नाम अपने भाषण में पीएम मोदी ने कहा कि बजट युवाओं को असीमित अवसर प्रदान करेगा।
पिछले दस वर्षों में 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अनुसार, इस बजट से नए मध्यम वर्ग को सशक्त बनाया जाएगा।
उन्होंने घोषणा की, ‘यह बजट युवाओं को असीमित अवसर प्रदान करेगा।’ यह बजट शिक्षा और कौशल के लिए एक नया मानक स्थापित करेगा और उभरते मध्यम वर्ग को सशक्त करेगा। पीएम मोदी ने कहा कि इस बजट से महिलाओं, छोटे उद्यमों और एमएसएमई को फायदा होगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जो लोग अभी अपना करियर शुरू कर रहे हैं, उन्हें ‘रोजगार-संबंधी प्रोत्साहन योजना’ के माध्यम से सरकार से अपना पहला वेतन मिलेगा।
उन्होंने कहा, ‘सरकार ने इस बजट में जिस ‘रोजगार-संबंधी प्रोत्साहन योजना’ की घोषणा की है, उससे रोजगार के कई अवसर पैदा होंगे।’
प्रधानमंत्री ने घोषणा की, ‘सरकार इस योजना के तहत उन लोगों को पहला वेतन देगी, जो अभी कार्यबल में शामिल होने की शुरुआत कर रहे हैं। प्रशिक्षुता कार्यक्रम के तहत, ग्रामीण क्षेत्रों के युवा देश के प्रमुख व्यवसायों के लिए काम करने में सक्षम होंगे।’
मोदी 3.0 का पहला बजट
यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट है।
लोकसभा में बजट पेश करते हुए उन्होंने कहा कि भारत के लोगों ने मोदी सरकार में अपना भरोसा फिर से जताया है और इसे तीसरे कार्यकाल के लिए चुना है।
सीतारमण ने आगे कहा, “ऐसे समय में जब नीतिगत अनिश्चितता वैश्विक अर्थव्यवस्था को जकड़े हुए है, भारत की आर्थिक वृद्धि अभी भी प्रभावशाली है।”
महाराष्ट्र
मीरा-भायंदर: आज़ाद नगर में झुग्गियों में भीषण आग
मीरा-भायंदर: मुंबई के पास भयंदर की एक झुग्गी बस्ती में बुधवार को भीषण आग लग गई। कथित तौर पर आज तड़के भयंदर पूर्व के आज़ाद नगर झुग्गी इलाके में आग लग गई।
अधिकारियों के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि आग पर काबू पाने के लिए कम से कम 20 दमकल गाड़ियों को मौके पर भेजा गया। पीटीआई की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि आग में कुछ लोग घायल हो गए हैं। इंटरनेट पर आग के दृश्य सामने आए हैं, जिसमें पूरी झुग्गी में भीषण आग की लपटें फैलती दिख रही हैं और ऊपर आसमान की ओर गहरा काला धुंआ उठ रहा है।यह क्षेत्र कई वाणिज्यिक इकाइयों का भी घर है। स्थानीय रिपोर्टों से पता चलता है कि आग वहां एक गोदाम में लगी, जो बाद में झुग्गी बस्ती तक फैल गई। रिपोर्टों के अनुसार, आग लगते ही अधिकांश झुग्गीवासियों ने अपनी झोपड़ियाँ खाली कर दीं। हालाँकि, इस घटना में कितनी संपत्ति का नुकसान हुआ है या कितने लोग हताहत हुए हैं, इस पर अभी तक कोई अपडेट नहीं है।
हाल की आग की घटना
ऐसी ही एक घटना में सोमवार को अंबरनाथ के सर्कस ग्राउंड इलाके में स्थित एक झुग्गी बस्ती में भीषण आग लग गई। स्थानीय रिपोर्टों के मुताबिक, झुग्गी में खाना पकाने वाले गैस सिलेंडर में विस्फोट के कारण आग लगी। पहले विस्फोट के कारण एक श्रृंखलाबद्ध प्रतिक्रिया हुई, जिससे इलाके में भीषण आग लग गई।कम से कम पांच दमकल गाड़ियां मौके पर पहुंचीं और शुरुआत में आग बुझाने के काम में लगी रहीं। हादसे की खबर मिलते ही स्थानीय अधिकारी भी पहुंच गए। घटना में किसी के हताहत होने की कोई खबर नहीं है, हालांकि संपत्ति का नुकसान झुग्गीवासियों के लिए एक बड़ी चुनौती थी।आग के दृश्यों में झुग्गी-झोपड़ी वाले इलाके में भीषण आग की लपटें दिखाई दे रही हैं। जलते हुए घरों से निकलता गाढ़ा काला धुआँ ऊपर आसमान को ढकता हुआ भी देखा गया। लोगों की भीड़, संभवतः क्षेत्र के निवासी, आग की लपटों को देखते हुए देखे गए, जिनमें से कुछ आग बुझाने के प्रयासों में लगे हुए थे।
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