राजनीति
प्रधानमंत्री बोले, ‘यूपी की जनता कह रही, योगी प्लस यूपी बहुत है उपयोगी’

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि आज पूरे यूपी की जनता कह रही है यूपी प्लस योगी, बहुत हैं उपयोगी। उन्होंने कहा कि इतने बड़े यूपी को चलाने के लिए जिस दम-खम की जरूरत है, जितने दमदार काम की जरूरत है, डबल इंजन की सरकार वो करने का काम कर रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शनिवार को उत्तर प्रदेश को रोड कनेक्टिविटी का एक और बड़ा तोहफा दिया। उन्होंने यूपी के सबसे लम्बे 594 किमी के गंगा एक्सप्रेसवे का शाहजहांपुर में रिमोट की बटन दबाकर शिलान्यास किया। इस दौरान कहा कि कुछ दल ऐसे हैं जिन्हें देश की विरासत और विकास दोनों से दिक्कत है। इन लोगों को बाबा विश्वनाथ का धाम बनने से, राम मंदिर से, गंगा जी की सफाई से दिक्कत है। यही लोग सेना की कार्रवाई पर सवाल उठाते हैं, भारतीय वैज्ञानिकों की कोरोना वैक्सीन पर सवाल उठाते हैं। सरकार जब सही नीयत के साथ काम करती है तो क्या परिणाम आते हैं ये यूपी ने बीते कुछ सालों में अनुभव किया है। पहले लोग कहते थे कि दीया बरे तो घर लौट आओ, क्योंकि सूरज डूबता था तो कट्टा लहराने वाले सड़कों पर आ धमकते थे।
“ये कट्टा चला गया और इसे जाना ही था। बेटियों की सुरक्षा पर आए दिन सवाल उठते रहते थे उनका स्कूल जाना भी मुश्किल था। व्यापारी कारोबारी सुबह निकलता था तो परिवार को चिंता होती थी, कब कहां दंगा हो जाए आगजनी हो जाए कोई नहीं कह सकता था।”
पीएम ने कहा कि आपका प्यार और आशीर्वाद हमें दिन-रात काम करने की प्रेरणा देते हैं। पहले कई गांवों से पलायन की खबरें आती रहती थीं। योगी सरकार ने बीते साढ़े चार साल में स्थिति को बदलने के लिए बहुत परिश्रम किया है। आज जब माफिया पर बुलडोजर पर चलता है तो दर्द उसको पालने-पोसने वालों को होता है। तभी आज पूरे यूपी की जनता कह रही है यूपी प्लस योगी बहुत है उपयोगी।
उन्होंने कहा कि पहले यहां रात में इमरजेंसी की जरूरत होती थी तो हरदोई शाहजहांपुर के लोगों को लखनऊ कानपुर दिल्ली भागना पड़ता था। यहां अस्पताल भी नहीं थे और सड़कें भी नहीं थीं। लेकिन अब यहां मेडिकल कॉलेज भी हैं, सड़कें भी हैं। ऐसे ही होता है दमदार काम, ईमानदार काम। जो भी समाज में पीछे हैं पिछड़ा हुआ है उसे सशक्त करना विकास का लाभ उस तक पहुंचाना हमारे सरकार की प्राथमिकता है। यही भावना हमारी किसानों से जुड़ी नीति में भी दिखती है। बीज से बाजार तक की जो नीति हमने बनाई है वो छोटे किसानों को देखकर बनाई है। पीएम सम्मान निधि के तहत जो पैसे सीधे अकाउंट में पहुंचे हैं, उसका सीधा लाभ छोटे किसानों को हुआ है। उन्हें हम किसान क्रेडिट कार्ड सुविधा से जोड़ रहे हैं। हमारी मकसद सिंचाई के रकबे में विस्तार करना और टेक्नोलॉजी में वृद्धि करने से है। हमारा प्रयास गांव के पास ही ऐसा इंफ्रास्ट्रक्च र तैयार करने का है जिससे जल्दी खराब होने वाली सब्जियों की खेती ज्यादा हो और जल्द उनकी फसल बाजार में पहुंच जाए। इससे फूड प्रोसेसिंग यूनिट को फायदा होगा और गांव में ही बाजार मिलेगा।
उन्होंने देश के स्वतंत्रता संग्राम में अपना जीवन कुर्बान करने वालों को नमन करने के साथ ही कहा कि देश के विकास के लिए दिन-रात एक करके, हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने जो सपना देखा था उसे पूरा करके कार्यांजलि दे सकते हैं। संयोग से कल ही पंडित राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां और ठाकुर रोशन सिंह का बलिदान दिवस है, भारत की आजादी के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले वीरों का हम सब पर कर्ज है जो हम कभी नहीं चुका सकते।
आजादी के बाद पहली बार गरीब का दर्द समझने वाली सरकार बनी है। पहली बार गैस, सड़क बिजली को प्राथमिकता दी जा रही है। इससे गरीब, दलित पिछड़ों को जीवन बदलता है। पहले यहां रात-बिरात इमरजेंसी में अगर किसी को अस्पताल की जरूरत पड़ती थी तो लोगों को लखनऊ, कानपुर और दिल्ली भागना पड़ता था। दूसरे शहर जाने के लिए सड़कें नहीं थीं। आज यहां सड़के, एक्सप्रेसवे बनते जा रहे हैं, मेडिकल कॉलेज भी खुले हैं। कहा कि गंगा एक्सप्रेसवे यूपी के विकास को गति और शक्ति दोनों देगा। इससे एयरपोर्ट, मेट्रो, वाटरवेज, डिफेंस कॉरिडोर भी जोड़ा जाएगा। इसे फायबर ऑप्टिक केबल, बिजली तार बिछाने में आदि में भी इस्तेमाल किया जाएगा। भविष्य में पश्चिमी यूपी के कार्गो कंटेनर वाराणसी के ड्राईपोर्ट के माध्यम से सीधे हल्दिया भेजे जाएंगे। यह एक्सप्रेसवे समाज के हर तबके को फायदा देगा।
महाराष्ट्र
हजरत सैयद बाले शाह पीर दरगाह ध्वस्तीकरण आदेश, चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने का आदेश, दरगाह प्रबंधन को राहत

मुंबई: भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने मुंबई के मीरा भयंदर स्थित हजरत सैयद बाले शाह पीर दरगाह को संरक्षण प्रदान किया है तथा चार सप्ताह के लिए ध्वस्तीकरण प्रक्रिया पर रोक लगाने का आदेश जारी किया है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। महाराष्ट्र सरकार चार सप्ताह के भीतर अदालत में जवाब दाखिल करेगी, जिसके बाद ही दरगाह को गिराने की प्रक्रिया पर निर्णय लिया जाएगा।
राज्य के राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बांकोले ने सदन में 20 मई तक धर्मस्थल को ध्वस्त करने का आदेश जारी किया था और सार्वजनिक बयान भी जारी किया था, लेकिन किसी तरह का कोई नोटिस जारी नहीं किया गया। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति एजी मसीह की पीठ ने ध्वस्तीकरण प्रक्रिया पर प्रभावी रोक लगाने का आदेश दिया और दरगाह प्रशासन द्वारा दायर याचिका पर महाराष्ट्र सरकार से जवाब भी मांगा।
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि किसी सरकारी नोटिस के अभाव के बावजूद, राज्य विधानसभा में मंत्री के सार्वजनिक बयानों और हाल की पुलिस रिपोर्ट के आधार पर ध्वस्तीकरण का आदेश दिया गया। याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि दरगाह 350 साल पुरानी है और फिर भी राज्य सरकार ने इसे अवैध संरचना के रूप में वर्गीकृत किया है। ट्रस्ट ने दावा किया है कि संपत्ति का औपचारिक पंजीकरण भी 2022 में कराने की मांग की गई है और यह मंदिर दशकों से उसी स्थान पर स्थित है। याचिकाकर्ता के अनुसार, बॉम्बे हाईकोर्ट की अवकाश पीठ ने 15 और 16 मई को तत्काल सुनवाई की याचिकाओं को गलती से खारिज कर दिया था। दरगाह प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पुलिस ने 15 मई को एक नोटिस भी जारी किया था। नोटिस में ट्रस्ट के सदस्यों को चेतावनी दी गई थी कि वे विध्वंस प्रक्रिया में बाधा या व्यवधान न डालें। ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया 20 मई के लिए निर्धारित की गई है।
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि ध्वस्तीकरण की कार्रवाई बिना किसी कानूनी आदेश या उचित प्रक्रिया, जैसे नोटिस या सुनवाई का अवसर दिए बिना की गई, जो उनके अधिकारों का उल्लंघन है। सर्वोच्च न्यायालय ने मामले की सुनवाई चार सप्ताह के लिए स्थगित कर दी और महाराष्ट्र सरकार को उस समयावधि के भीतर अपना जवाब दाखिल करने का आदेश दिया।
अपराध
झारखंड के शराब घोटाले में आईएएस विनय चौबे से एंटी करप्शन ब्यूरो ने शुरू की पूछताछ

रांची, 20 मई। झारखंड में शराब घोटाले में पीई (प्रिलिमिनरी इन्क्वायरी) दर्ज करने के बाद एंटी करप्शन ब्यूरो ने आईएएस और तत्कालीन एक्साइज सेक्रेटरी विनय कुमार चौबे से पूछताछ शुरू की है।
मंगलवार को एसीबी की टीम उनके आवास पर पहुंची और इसके बाद उन्हें अपने साथ कार्यालय लेकर पहुंची है।
सूत्रों के अनुसार, उनसे उनके कार्यकाल में झारखंड में छत्तीसगढ़ की तर्ज पर लागू हुई एक्साइज पॉलिसी की कथित गड़बड़ियों के बारे में पूछताछ की जा रही है।
दरअसल, इस मामले की जड़ें छत्तीसगढ़ से जुड़ी हैं, जहां शराब घोटाले में स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड के अफसरों और कई बड़े कारोबारियों की भूमिका सामने आई है।
छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले की जांच वहां की आर्थिक अपराध शाखा ने शुरू की थी। इसके बाद ईडी ने भी इस मामले में जांच शुरू की।
ईडी को इस दौरान यह भी जानकारी मिली कि जिस सिंडिकेट ने छत्तीसगढ़ में शराब घोटाला किया, उसी ने झारखंड में भी नई उत्पाद नीति लागू करवाई और यहां भी उसी तर्ज पर घोटाला दोहराया गया।
इसी आधार पर ईडी की छत्तीसगढ़ इकाई ने झारखंड के तत्कालीन एक्साइज सेक्रेटरी विनय चौबे को समन जारी कर पूछताछ के लिए बुलाया था।
पूछताछ के दौरान चौबे ने खुद को निर्दोष बताते हुए कहा था कि उत्पाद नीति सरकार की सहमति से लागू की गई थी। बाद में झारखंड के एक व्यक्ति ने छत्तीसगढ़ की आर्थिक अपराध शाखा में प्राथमिकी दर्ज कराते हुए आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ के शराब सिंडिकेट ने ही झारखंड में सुनियोजित घोटाला किया।
इसके बाद ईडी ने इसमें ईसीआईआर दर्ज कर जांच शुरू की और अक्टूबर 2024 में आईएएस विनय चौबे सहित कई लोगों के ठिकानों पर छापेमारी की थी।
जानकारी के अनुसार, छत्तीसगढ़ आर्थिक अपराध शाखा में एक प्राथमिकी दर्ज होने के बाद झारखंड एसीबी ने राज्य सरकार की अनुमति के बाद पीई दर्ज कर जांच शुरू की है।
राजनीति
नाना पटोले ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लिखा पत्र, प्रोटोकॉल न मानने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग

नई दिल्ली, 20 मई। महाराष्ट्र कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नाना पटोले ने मंगलवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखा है। पत्र में मुख्य न्यायाधीश भूषण गवई के दौरे को लेकर प्रोटोकॉल का पालन न करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई करने की मांग की है।
नाना पटोले ने लिखा, “आपको यह पत्र लिखते समय अत्यंत पीड़ा हो रही है। बहुजन समाज के गौरव, सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश भूषण गवई का महाराष्ट्र सरकार एवं राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा अपमान किया गया है। एक महाराष्ट्र पुत्र के रूप में उनका मुंबई में सत्कार करने का कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम में प्रोटोकॉल के अनुसार राज्य महाराष्ट्र के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और मुंबई पुलिस आयुक्त की उपस्थिति अपेक्षित थी, परंतु दुर्भाग्यवश ऐसा नहीं हुआ। अंततः मुख्य न्यायाधीश ने अपने भाषण में यह टिप्पणी की कि मेरे इस कार्यक्रम में इन अधिकारियों को आने की योग्यता नहीं लगती, तो यह विचार उन्हें स्वयं करना चाहिए। यह वक्तव्य अत्यंत दुखदायक है और यह स्पष्ट संकेत देता है कि महाराष्ट्र सरकार अपने ही सुपुत्र का सम्मान करने में विफल रही है।”
उन्होंने आगे लिखा, “न्यायमूर्ति भूषण गवई डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर के विचारों के अनुयायी हैं, इस कारण उनके साथ यह व्यवहार जानबूझकर किया गया ऐसा संदेह संपूर्ण महाराष्ट्र में व्यक्त किया जा रहा है। संवैधानिक पदों पर आसीन व्यक्तियों के सम्मान के लिए एक निर्धारित प्रोटोकॉल होता है। ऐसा प्रतीत होता है कि महाराष्ट्र सरकार ने इस प्रोटोकॉल की अवहेलना की है।”
पटोले ने अंत में विनम्र अपील की। कहा- यह अपमान केवल भूषण गवई का नहीं, बल्कि महात्मा ज्योतिबा फुले, छत्रपति शाहू महाराज और डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर का भी है। इस अपमान के लिए राज्य सरकार और संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाए, ऐसी आपसे विनम्र प्रार्थना करता हूं। आपकी कार्रवाई से भविष्य में कोई भी सरकार और अधिकारी किसी संवैधानिक पद पर बैठे शख्स का अपमान करने का साहस नहीं करेंगे, ऐसी अपेक्षा करता हूं।
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