अंतरराष्ट्रीय
वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण में भारत का दौरा : यूएस ट्रेजरी सचिव

अमेरिकी ट्रेजरी सचिव जेनेट येलेन ने शुक्रवार को अपनी भारत यात्रा को वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर करार दिया। उन्होंने कहा कि जब दुनिया कोविड-19 महामारी और यूक्रेन में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बर्बर युद्ध के प्रभाव से जूझ रही है, ऐसे में यह समय वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए काफी महत्व रखता है। नोएडा में माइक्रोसॉफ्ट परिसर का दौरा करने के बाद येलेन ने कहा: हम विपरीत परिस्थितियों से निपट रहे हैं। महामारी के प्रभाव, यूक्रेन में पुतिन के बर्बर युद्ध के प्रभाव, और व्यापक आर्थिक तंगी के रूप में कई देश मुद्रास्फीति से जूझ रहे हैं।
उन्होंने कहा, उभरते बाजार और विकासशील देश विशेष रूप से दबाव में हैं। यूक्रेन में रूस के युद्ध शुरू होने के बाद से लाखों और लोग अत्यधिक गरीबी और भूख का सामना कर रहे हैं।
येलेन एक दिन पहले भारत आई थी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सही थे, जब उन्होंने कहा था कि यह युद्ध का युग नहीं है।
येलेन ने जोर देकर कहा, मेरा मानना है कि रूस के युद्ध को समाप्त करना एक नैतिक अनिवार्यता है। ऐसा कर हम वैश्विक अर्थव्यवस्था की मदद के लिए सबसे अच्छा काम कर सकते हैं। यह दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के नीति निमार्ताओं के बीच व्यापक रूप से साझा किया गया विचार है।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन का हवाला देते हुए येलेन ने कहा कि भारत अमेरिका के अपरिहार्य साझेदारों में से एक है।
उन्होंने कहा, मैंने आज माइक्रोसॉफ्ट में जो गतिशीलता महसूस की है, वह भारतीय लोगों की प्रतिभा और इसकी संस्कृति की जीवंतता का प्रमाण है। इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक है।
नई दिल्ली-वाशिंगटन संबंधों पर बोलते हुए ट्रेजरी सचिव ने कहा, भारत और अमेरिका मिलकर जो काम करेंगे, उससे वैश्विक अर्थव्यवस्था की दिशा तय होगी। हिंद-प्रशांत की समृद्धि और सुरक्षा के लिए भी यही सच है। एक अग्रणी विकासशील देश और दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में, हमारे पास दुनिया की सबसे कठिन समस्याओं पर बड़ी जिम्मेदारी है।
वास्तव में, मुझे लगता है कि हमारी निरंतर साझेदारी इस बात का उदाहरण है कि कैसे उन्नत और विकासशील देश नीतिगत मतभेदों को दूर कर सकते हैं और प्रमुख नीतिगत उद्देश्यों पर आगे बढ़ सकते हैं।
प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच गहरे सहयोग पर प्रकाश डालते हुए, येलेन ने कहा, हमारे संबंधों की गतिशीलता विशेष रूप से प्रौद्योगिकी क्षेत्र में देखी जा सकती है। हमारे लोग और हमारी कंपनियां दैनिक आधार पर एक-दूसरे पर निर्भर हैं। भारतीय अक्सर व्हाट्सएप का उपयोग करते हैं। संवाद करने के लिए, कई अमेरिकी कंपनियां संचालित करने के लिए इंफोसिस पर भरोसा करती हैं।
भारतीय मूल के नेता गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और अन्य मूल्यवान अमेरिकी कंपनियों के उच्चतम रैंक को आबाद कर रहे हैं। वे अमेरिका में सभी अप्रवासी-स्थापित स्टार्टअप के एक तिहाई को शुरू करने के लिए भी जिम्मेदार हैं।
उन्होंने कहा कि अमेरिका और भारत दोनों आपूर्ति पक्ष अर्थव्यवस्था के साझा एजेंडे पर काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि बहुत लंबे समय से, दुनिया भर के देश जोखिम भरे देशों या महत्वपूर्ण इनपुट के लिए एक ही स्रोत पर अत्यधिक निर्भर रहे हैं।
उन्होंने कहा, रूसी ऊर्जा निर्यात को लें। रूस ने लंबे समय से खुद को एक विश्वसनीय ऊर्जा भागीदार के रूप में प्रस्तुत किया है। लेकिन इस वर्ष के बेहतर हिस्से के लिए, पुतिन ने यूरोप के लोगों के खिलाफ रूस की प्राकृतिक गैस आपूर्ति को हथियार बनाया है।
उन्होंने कहा कि अमेरिका हरित हाइड्रोजन और सौर जैसी अन्य नवीकरणीय प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में एक बिजलीघर बनने की भारत की महत्वाकांक्षा का स्वागत करता है।
येलेन ने कहा, भारत-प्रशांत क्षेत्र में, हमारा उद्देश्य समृद्धि को आगे बढ़ाना और शांति और सुरक्षा बनाए रखना है।
उन्होंने कहा,भारत और अमेरिका नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम क्वाड और इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क के माध्यम से वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए अपने सहयोगियों और भागीदारों के साथ काम कर रहे हैं। आईपीईएफ की स्थापना में अमेरिका का नेतृत्व इस क्षेत्र के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
उन्होंने कहा, अमेरिका और भारत ऐसी दुनिया में अपनी आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने में रुचि रखते हैं जहां कुछ सरकारें एक भू-राजनीतिक हथियार के रूप में व्यापार करती हैं।
उन्होंने कहा कि अमेरिका आर्थिक एकीकरण में विश्वास करता है। निर्यात देशों को उत्पादन का विस्तार करने और उद्योगों में अच्छी-भुगतान वाली नौकरियां प्रदान करने में सक्षम बनाता है, जहां उन्हें तुलनात्मक लाभ होता है।
उन्होंने कहा, आयात उपभोक्ताओं और व्यवसायों को सस्ता माल और विकल्पों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करता है। व्यापार उन विचारों के क्रॉस-पोलीनेशन की सुविधा भी देता है, जो खोज और नवाचार के लिए महत्वपूर्ण हैं।
अंतरराष्ट्रीय
पाकिस्तानी पीएम ने नूर खान एयरबेस पर भारत के हमले की बात स्वीकारी, भाजपा ने दिखाए सबूत!

नई दिल्ली, 17 मई। भारत की ओर से चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर की गूंज पाकिस्तान के सैन्य हलकों में भी सुनाई दे रही है, जो भारतीय सशस्त्र बलों की अद्वितीय सटीकता और रणनीतिक सैन्य कौशल को दर्शाता है।
इस ऑपरेशन की सफलता ने पाकिस्तान के नेतृत्व को आश्चर्यचकित कर दिया, यहां तक कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भी स्वीकार किया कि नूर खान एयर बेस पर हमला हुआ था।
9 और 10 मई की मध्य रात्रि को 2:30 बजे प्रधानमंत्री शरीफ को जनरल असीम मुनीर ने अचानक जगाया और उन्हें पाकिस्तानी क्षेत्र में भारतीय सेना की ओर से किए गए एयर स्ट्राइक के बारे में बताया।
भाजपा के राष्ट्रीय आईटी विभाग के प्रमुख और पश्चिम बंगाल के सह-प्रभारी अमित मालवीय ने कहा कि पाक पीएम शरीफ ने स्वयं नूर खान एयर बेस और अन्य स्थानों पर बमबारी की बात स्वीकार की है।
उन्होंने इस घटना को ऑपरेशन सिंदूर की साहस और दक्षता का प्रमाण बताया।
अमित मालवीय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने खुद माना है कि जनरल असीम मुनीर ने उन्हें रात 2:30 बजे फोन करके बताया कि भारत ने नूर खान एयर बेस और कई अन्य स्थानों पर बमबारी की है। यह ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के स्केल, सटीक लक्ष्य और साहस के बारे में बहुत कुछ बताता है।”
पहलगाम में आतंकवादी हमले के जवाब में शुरू किए गए इस ऑपरेशन में भारत ने रावलपिंडी में नूर खान एयर बेस सहित प्रमुख पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठानों पर निर्णायक हवाई हमले किए।
इस हमले के महत्व को कम करके नहीं आंका जा सकता, क्योंकि यह बेस – जिसे पहले पीएएफ चकलाला के नाम से जाना जाता था – पाकिस्तान के एयर मोबिलिटी कमांड के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में कार्य करता है, जिसमें साब एरीये (हवाई प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली), सी-130 परिवहन विमान और आईएल-78 हवाई ईंधन भरने वाले टैंकर मौजूद हैं।
यह पाकिस्तान के लिए एक गंभीर रणनीतिक झटका है, जिससे पाकिस्तान की तीव्र सैन्य कार्रवाई करने की क्षमता काफी सीमित हो जाएगी।
रिपोर्ट्स से पता चलता है कि भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तानी हवाई ठिकानों पर सटीक हमले किए, जिनमें रनवे, रडार स्थल, विमान हैंगर और कमांड सेंटर को निशाना बनाया गया।
सेटेलाइट से मिली तस्वीरों से पता चला है कि पाकिस्तान को भारी क्षति हुई है। भारत ने मात्र 25 मिनट में 24 मिसाइलें दागीं और सफलतापूर्वक ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया।
अंतरराष्ट्रीय
‘सिंधु जल संधि’ खत्म करने से तिलमिलाया पाकिस्तान, भारत को पत्र लिखकर की फैसले पर पुनर्विचार की अपील

इस्लामाबाद, 15 मई। पहलगाम आतंकी हमले के बाद ‘सिंधु जल संधि’ को खत्म करने से पाकिस्तान बुरी तरह बौखला गया है। पाकिस्तान ने भारत से ‘सिंधु जल संधि’ को लेकर उठाए गए अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की है।
पाकिस्तान ने भावी संकट को देखते हुए भारत से मदद की गुहार लगाई है। पाकिस्तान के जल संसाधन मंत्रालय ने भारत के जल शक्ति मंत्रालय को इस संबंध में एक पत्र भी लिखा है। उन्होंने कहा कि इस फैसले से पाकिस्तान में संकट खड़ा हो जाएगा।
पाकिस्तान के समा टीवी की रिपोर्ट के अनुसार, जल संसाधन सचिव सैयद अली मुर्तजा ने बुधवार को भारत के जल संसाधन सचिव को पत्र लिखकर कहा कि सिंधु जल संधि में कहीं भी इसे निलंबित करने की बात का समर्थन नहीं है।
जल संसाधन मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि भारत द्वारा निलंबन को सही ठहराने के लिए इस्तेमाल की गई भाषा संधि में कहीं नहीं मिलती।
पाकिस्तान ने कहा कि सिंधु जल संधि अपने मूल रूप में वैध है और इसमें एकतरफा बदलाव या निलंबन का कोई नियम नहीं है।
सूत्रों के अनुसार, नियम के मुताबिक पाकिस्तान द्वारा लिखा गया यह पत्र विदेश मंत्रालय भेज दिया गया है। उन्होंने भारत से फैसले पर दोबारा विचार करने की अपील की है।
इससे पहले, पीएम मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा था कि खून और पानी साथ नहीं बह सकते हैं। बताया जा रहा है कि भारत अब तीनों नदियों के पानी का अपने लिए इस्तेमाल करने की योजना बना रहा है। इस पर तुरंत काम शुरू कर दिया गया है। इसके अलावा, मध्यकालिक और दीर्घकालिक योजनाओं को भी अंतिम रूप दिया जा रहा है।
प्रधानमंत्री ने आदमपुर एयरबेस पहुंचकर भारतीय जवानों की तारीफ की थी। उन्होंने कहा था, “आपके पराक्रम की वजह से आज ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की गूंज हर कोने में सुनाई दे रही है। इस पूरे ऑपरेशन के दौरान हर भारतीय आपके साथ खड़ा रहा। हर भारतीय की प्रार्थना आप सभी के साथ रही। आज हर देशवासी अपने सैनिकों, उनके परिवारों के प्रति कृतज्ञ है, उनका ऋणी है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ कोई सामान्य सैन्य अभियान नहीं है। ये भारत की नीति, नीयत और निर्णायक क्षमता की त्रिवेणी है।”
अंतरराष्ट्रीय
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बारे में विदेशी रक्षा अताशे को जानकारी देगा भारत

नई दिल्ली, 13 मई। भारत मंगलवार दोपहर 3:30 बजे नई दिल्ली में विभिन्न देशों के रक्षा अताशे (डीए) को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तकनीकी विवरण से अवगत कराएगा, जो देश का हाल ही में हुआ आतंकवाद विरोधी सैन्य अभियान है।
भारतीय सशस्त्र बल महत्वपूर्ण जानकारी और परिचालन डेटा साझा करेंगे, जिसमें स्वदेशी वायु रक्षा प्रणालियों की परफॉर्मेंस और 7 से 10 मई के बीच किए गए स्ट्राइक मिशन के परिणाम शामिल हैं।
सूत्रों ने पुष्टि की है कि इस सत्र में कई घटनाक्रमों पर चर्चा होगी, जिसमें भारत के वायु रक्षा बलों द्वारा चीनी और तुर्किये निर्मित ड्रोनों और पीएल-15 मिसाइलों को नष्ट करना शामिल है, जिससे भारतीय हवाई क्षेत्र में किसी भी तरह की घुसपैठ को रोका जा सका।
यह कदम सैन्य संचालन महानिदेशक (डीजीएमओ) लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई के मीडिया को संबोधन के एक दिन बाद उठाया गया है। उन्होंने कहा कि पिछले एक दशक में मिले बजटीय और नीतिगत समर्थन ने एक मजबूत बहु-स्तरीय वायु रक्षा ग्रिड बनाने में मदद की। यह प्रणाली 9 और 10 मई को पाकिस्तान के जवाबी हवाई हमलों के दौरान एक निर्णायक ढाल साबित हुई।
लेफ्टिनेंट जनरल घई ने कहा, “हमारी युद्ध-परीक्षित प्रणालियों ने शानदार प्रदर्शन किया और स्वदेशी आकाश मिसाइल प्रणाली ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।”
रक्षा अताशे को दी जाने वाली ब्रीफिंग में सोमवार शाम करीब 5 बजे भारतीय और पाकिस्तानी डीजीएमओ के बीच हुई हॉटलाइन बातचीत का विवरण भी शामिल होगा।
लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई और उनके पाकिस्तानी समकक्ष मेजर जनरल काशिफ अब्दुल्ला ने नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर शांति बहाल करने के तरीकों पर चर्चा की और 10 मई को पाकिस्तान के अनुरोध पर भारतीय ऑपरेशन रुकने के बाद बनी युद्धविराम सहमति को बनाए रखने की प्रतिबद्धता दोहराई।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तान ने संघर्ष को नहीं बढ़ाने की बात कही और युद्धविराम समझौते का पालन करने की इच्छा जताई। दोनों सैन्य नेताओं के बीच हॉटलाइन पर हुई बातचीत में आगे चलकर संयम बनाए रखने और स्थिति पर नजर रखने पर भी चर्चा हुई।
इस बीच, सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सैन्य तनाव खत्म करने वाली सहमति के बाद पहली बार राष्ट्र को संबोधित किया। उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ भारत के कड़े रुख को दोहराया और कहा कि नई दिल्ली इस्लामाबाद के साथ केवल आतंकवाद और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) से संबंधित मुद्दों पर ही बात करेगी।
प्रधानमंत्री ने कहा, “कश्मीर मुद्दे को पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद के निरंतर निर्यात से अलग करके नहीं देखा जा सकता।”
उन्होंने आतंकवादी संगठनों को संरक्षण देने और बढ़ावा देने के लिए पाकिस्तान की सेना और सरकार की कड़ी आलोचना की। उन्होंने चेतावनी दी कि इस तरह के समर्थन से उनका पतन हो सकता है। प्रधानमंत्री मोदी की यह टिप्पणी उन रिपोर्टों के बीच आई है, जिनमें कहा गया है कि पाकिस्तान ने संघर्ष विराम के लिए कुछ शर्तें रखी हैं, जिसमें सिंधु जल संधि को पुनर्जीवित करने का प्रस्ताव भी शामिल है।
हालांकि, भारत ने कहा है कि अगर कोई बातचीत होगी, तो वह आतंकवाद और पीओके तक ही सीमित रहेगी।
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