राजनीति
बिच्छी नदी पर टूटी पुलिया का निर्माण न कराये जाने से खफा ग्रामीणों ने भरी हुंकार
पांच वर्ष पूर्व प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत बनाई गई थी पुलिया। जो मात्र 6 महीने के बाद ही ध्वस्त हो गई। निर्माण के एक वर्ष बाद ही बह गई पुलिया निर्माणकर्ता के विरुद्ध नही हुई कोई कार्यवाही बरसात के मौसम में नदी में जलस्तर बढ़ जाने के बाद ग्रामीण बांस बल्ली की पुलिया बनाकर करते है नदी को पार। गर्भवती महिलाएं मरीज विद्यार्थीयो के लिये बिच्छी नदी बन चुकी है अभिशाप। नदी की जल धारा में खड़े होकर लिया पंचायत चुनाव के बहिष्कार का संकल्प। म्योरपुर ब्लॉक के नागराज पिण्डारी के बीच बिच्छी नदी पर आठ साल से टूटी है पुलिया।
म्योरपुर ब्लॉक के ग्राम पंचायत पिण्डारी के नागराज पिण्डारी के बीच बिच्छी नदी पर सात साल पूर्व टूटी पुलिया के निर्माण न कराये जाने से खफा स्थानीय ग्रामीणों ने आगामी पंचायत चुनाव का बहिष्कार करने का रविवार को बिच्छी नदी की धारा में खड़े होकर अंजुरी में जल लेकर संकल्प लिया।और कहा कि हम लोग जब तक पुलिया नही बन जाता तब तक ग्राम पंचायत,क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत के लिए मतदान नही करेंगे।साथ ही आगामी 2022 में होने वाले विधान सभा के चुनाव से भी दूर रहेंगे। आदि ग्रामीणों ने कहा कि उक्त पुलिया का निर्माण पांच साल पहले प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना से कराया गया था।लेकिन निर्माण के 6 माह बाद ही पुलिया टूट गयी तब से लेकर विधायक,जिलाधिकारी और लोक निर्माण विभाग से दर्जनों बार पुलिया के निर्माण की मांग की गई पर केवल आश्वासन मिलता रहा। ऐसे में हम लोगो ने निर्णय लिया कि हम लोग मतदान नही करेंगे।ग्रामीणों ने नदी का जल हाथों में लेकर संकल्प लिया है कि हम मतदान नही करेंगे।
वी ओ- बताते चलें कि
बरसात के मौसम में जब नदी का जलस्तर बढ़ जाता है तो
म्योरपुर विकास खण्ड क्षेत्र के ग्राम पंचायत पिण्डारी में बहने वाली बिच्छी नदी ग्रामीणों के लिये अभिश्राप बन जाती है करोड़ो रूपये के लागत से निर्मित पिण्डारी, नगराज,सतपेड़वा एवं मनरहवा टोले के निवासी प्रधानमंत्री सड़क योजना अंतर्गत निर्मित इस मार्ग एवं बिच्छी नदी पर पुलिया निर्माण से फूले नही समा रहे थे,वही ग्रामीण गत 5 वर्षों से पूल के टूट जाने के कारण खून के आंसू रोने को विवश है। आलम यह है कि पिण्डारी,नगराज,मनरहवा टोले के ग्रामीण पहले म्योरपुर सीधा 15 किलो मीटर की दूरी तय कर पहुच जाते थे अब उन्हें सेवकामोड़ के रास्ते अतरिक्त 50 किलोमीटर दूरी तय कर जानी पड़ रही है नगराज,सतपेड़वा मनरहवा टोले में अब न तो एम्बुलेंस जा पा रही है न ही 100 नम्बर पुलिस गर्भवती महिलाएं जहाँ प्रसव पीड़ा से तड़पने को विवश होती है वही बच्चे विद्यालय जाने के लिये बॉस बल्ली के पूल पर से जान जोखिम में डाल गुजरने को विवश रहते है,श्रमिक मजदूरी करने नही जा पाते तथा तमाम विकास कार्य भी पूल के आभव में उक्त टोले तक नही पहुँच पाता ग्रामीण अपनी इस समस्या को सांसद विधायक,जिलापंचायत अध्यक्ष ,जिलाधिकारी मुख्य विकास अधिकारी तथा मुख्यमंत्री तक दर्जनों बार गुहार लगा चुके है तथा सरकारी दावों को छलावा करार देने लगे है।
उक्त ग्राम पंचायत के नगराज,सतपेड़वा ,एवं मनरहवा की आबादी लगभग 3 हजार की है अधिकांश अनु.जन जाती के लोग यहां निवास करते है ग्रामीणों ने बताया कि बिच्छी नदी की समस्या राष्टीय स्तर पर मीडिया द्वारा कई बार उठाया जा चुका है। ग्रामीणों ने पुलिया निर्माणकर्ता के विरुद्ध जांच एवं कार्यवाही की,बाउजूद इसके कुछ नही हुआ।
राजनीति
बिहार चुनाव : जदयू-भाजपा का गठबंधन अप्रत्याशित जीत की ओर, 200 सीटों के करीब पहुंचा आंकड़ा

पटना, 14 नवंबर: बिहार विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) ने फिर से परचम लहराया है। चुनाव आयोग के शुरुआती रुझानों में एनडीए ने 195 सीटों पर बढ़त हासिल की है।
चुनाव आयोग के रुझानों के अनुसार, भाजपा ने दोपहर साढ़े 12 बजे तक 87 सीटों पर बढ़त बनाए रखी, जो सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है। इसके अलावा भाजपा की सहयोगी जदयू 79 सीटों पर आगे रही। एनडीए के अन्य घटक दलों में शामिल लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को 21, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा को पांच और राष्ट्रीय लोक मोर्चा को तीन सीटों पर बढ़त मिली।
यही रुझान नतीजों में तब्दील होते हैं तो यह बिहार में एनडीए की 2010 के बाद दूसरी सबसे बड़ी जीत होगी।
2010 के बिहार विधानसभा चुनाव में जदयू और भाजपा के नेतृत्व में एनडीए 206 विधानसभा सीटों पर विजयी हुई। जदयू 115 सीटें जीतकर राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बनी, जबकि भाजपा 91 सीटों के साथ दूसरी सबसे बड़ी पार्टी थी। राजद के नेतृत्व वाले गठबंधन को महज 25 सीटों पर जीत मिली थी, जिसमें राजद ने अकेले 22 सीटों पर कब्जा किया और एलजेपी (लोक जनशक्ति पार्टी) तीन सीटों पर जीत पाई।
वहीं, महागठबंधन को बिहार की जनता ने नकार दिया है। महागठबंधन की मुख्य पार्टी राजद को सिर्फ 31 सीटों पर बढ़त है, जबकि कांग्रेस फिलहाल 5 सीटों पर आगे है। अन्य घटक दलों में शामिल भाकपा-माले को छह, माकपा और भाकपा को एक-एक सीट पर बढ़त मिली है।
चुनाव आयोग के रुझानों के अनुसार, एआईएमआईएम (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन) को चार और बहुजन समाज पार्टी को एक सीट पर बढ़त हासिल है।
फिलहाल, यह रुझान शुरुआती चरणों की मतगणना के आधार पर सामने आए हैं। हालांकि, आखिरी दौर तक वोटों की गिनती में आंकड़ों में बदलाव संभव है।
सभी 243 विधानसभा सीटों के लिए मतगणना सुबह 8 बजे शुरू हुई। पहले डाक मतपत्रों को गिना गया। इसके बाद सुबह 8.30 बजे से इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के मतों की गिनती शुरू हुई।
राजनीति
बिहार विधानसभा 2025: एनडीए को भारी बढ़त, भाजपा सबसे बड़ी पार्टी, कांग्रेस सिर्फ 6 सीटों पर आगे

नई दिल्ली, 14 नवंबर: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए मतगणना जारी है। चुनाव आयोग के ताजा रुझानों के मुताबिक राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) बहुमत के लिए आवश्यक आंकड़ें 122 को आसानी से पार करते हुए दिख रही है।
रुझानों में भाजपा ने बाकी सभी पार्टियों की तुलना में बढ़त बनाई हुई है। चुनाव आयोग के ताजा आंकड़ों के मुताबिक भाजपा सर्वाधिक 85 सीटों पर आगे है। दूसरे नंबर की पार्टी नीतीश कुमार की जनता दल (यूनाइटेड) है, जो 75 सीटों पर आगे चल रही है। इसके अलावा प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) 36 सीटों पर आगे चल रही है।
चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) 22 सीटों पर आगे चल रही है। देश की मुख्य विपक्षी पार्टी एवं बिहार में विपक्षी महागठबंधन का प्रमुख दल कांग्रेस मात्र 6 सीटों पर आगे है। इनके अलावा सीपीआई (एमएल) (एल) 7 सीट, जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) चार, राष्ट्रीय लोक मोर्चा दो और एआईएमआईएम तीन सीटों पर आगे चल रही है।
विकासशील इंसानी पार्टी (वीआईपी) एक, सीपीआई (एम) एक और बीएसपी एक सीटों पर बढ़त बनाए हुई हैं। इनके अलावा प्रशांत किशोर की जन सुराज और तेज प्रताप का जनशक्ति जनता दल पिछड़ते हुए नजर आ रहे हैं।
बिहार की कुल 243 विधानसभा सीटों के लिए दो चरणों (6 नवंबर को पहले चरण में 121 विधानसभा सीट और 11 नवंबर को दूसरे चरण के लिए 122 विधानसभा) की वोटिंग के बाद शुक्रवार को मतगणना हो रही है। मतगणना की शुरुआत सुबह 8:00 बजे डाक मतपत्रों से हुई और उसके आधे घंटे बाद 8:30 बजे से इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) से मतगणना शुरू हुई।
अधिकारियों के अनुसार, 243 रिटर्निंग ऑफिसर (आरओ), 243 मतगणना पर्यवेक्षकों की सहायता से, चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों और उनके अधिकृत एजेंटों की उपस्थिति में इस प्रक्रिया की निगरानी कर रहे हैं।
कुल 4,372 मतगणना टेबल लगाई गई हैं, जिनमें से प्रत्येक पर एक मतगणना पर्यवेक्षक, एक सहायक और एक माइक्रो-ऑब्जर्वर तैनात हैं। निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए उम्मीदवारों द्वारा नियुक्त 18,000 से अधिक मतगणना एजेंट मतगणना प्रक्रिया की निगरानी कर रहे हैं।
राष्ट्रीय समाचार
दुबई से निर्वासित सेलिब्रिटी के विस्फोटक खुलासे के बाद मुंबई ड्रग सिंडिकेट की जांच तेज

drugs
मुंबई: 2022 के मादक पदार्थ तस्करी मामले में, मुंबई पुलिस की घाटकोपर एंटी-नारकोटिक्स सेल (एएनसी) इकाई ने अपनी जांच तेज कर दी है, क्योंकि मुख्य आरोपी, मोहम्मद सलीम मोहम्मद सुहैल शेख, 29, जिसे पिछले महीने के अंत में दुबई से प्रत्यर्पित किया गया था, ने ड्रग सिंडिकेट को बॉलीवुड हस्तियों, राजनेताओं, अंडरवर्ल्ड कनेक्शन और अंतरराष्ट्रीय पार्टी आयोजकों से जोड़ने वाले विस्फोटक खुलासे किए थे।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, खंडिया स्ट्रीट निवासी सुहैल ने पूछताछ के दौरान स्वीकार किया कि वह भारत और विदेशों में हाई-प्रोफाइल ड्रग पार्टियों का संचालन करता था। जाँचकर्ताओं को इन आयोजनों में फिल्म उद्योग की कई हस्तियों की मौजूदगी का संदेह है। हालाँकि, पुलिस ने स्पष्ट किया है कि अभी तक किसी पर आरोप नहीं लगाया गया है और इन संबंधों की पुष्टि के लिए जाँच जारी है। अधिकारियों का मानना है कि सुहैल महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना में फैले एक बहु-राज्यीय मादक पदार्थ नेटवर्क के “समन्वयक” के रूप में काम करता था।
इस सिंडिकेट का नेतृत्व कथित तौर पर ड्रग माफिया सलीम डोला कर रहा था, जिसके इस समय तुर्की में होने का संदेह है। ये ड्रग्स महाराष्ट्र के सांगली स्थित एक केमिकल फैक्ट्री में बनाए जाते थे, जिसका प्रबंधन कथित तौर पर डोला के सहयोगी करते थे। जाँच से पता चला कि डोला परिवार दुबई से उत्पादन और वितरण का समन्वय करता था। इंटरपोल ने पहले भी भारतीय अधिकारियों को ताहिर डोला (सलीम डोला का बेटा) और मुस्तफा कुब्बावाला (उसका भतीजा) को यूएई में हिरासत में लेने और निर्वासित करने में मदद की थी।
12 नवंबर को, एक पासपोर्ट एजेंट, 42 वर्षीय मोहम्मद शारिब मोहम्मद इकबाल अंसारी को भी तस्करों को फर्जी दस्तावेज हासिल करने में मदद करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। जांचकर्ताओं ने बताया कि सुहैल ने भगोड़ों को फर्जी पासपोर्ट हासिल करने और विदेश में ड्रग सप्लायर्स से संपर्क बनाए रखने में मदद करने की बात कबूल की। उसने यह भी खुलासा किया कि ड्रग से होने वाले मुनाफे का एक हिस्सा हवाला के जरिए अवैध रूप से दुबई भेजा जाता था। एएनसी अब इस बात की जांच कर रही है कि क्या अंतरराष्ट्रीय ड्रग कार्टेल इन आलीशान पार्टियों का वित्तपोषण करते थे और क्या मशहूर हस्तियां जानबूझकर इनमें शामिल होती थीं। पुलिस ने सुहैल की पांच दिन की अतिरिक्त हिरासत मांगी है।
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