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Saturday,27-December-2025
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आपदा

उत्तराखंड हिमस्खलन : सीएम धामी ने किया आपदा नियंत्रण कक्ष का दौरा

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देहरादून, 1 मार्च। उत्तराखंड में आए हिमस्खलन की वजह से सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के 52 श्रमिकों के फंसने के बाद राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार शाम आपदा नियंत्रण कक्ष का दौरा किया और स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने अधिकारियों को बचाव कार्य तेजी से करने के निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री धामी लगातार राहत और बचाव कार्यों पर नजर बनाए हुए हैं और यह सुनिश्चित करने में लगे हैं कि सभी प्रभावित लोगों को सुरक्षित निकाला जाए और हर संभव मदद दी जाए। उन्होंने कहा कि सभी एजेंसियां युद्धस्तर पर काम कर रही हैं ताकि फंसे हुए मजदूरों को जल्द से जल्द सुरक्षित बाहर निकाला जा सके।

उन्होंने एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, आईटीबीपी और सेना से भी मिलकर तेजी से बर्फ हटाने की अपील की।

मुख्यमंत्री धामी ने जोशीमठ में अस्थायी नियंत्रण कक्ष स्थापित करने की घोषणा की, जिससे बचाव कार्यों की बेहतर निगरानी की जा सके। उन्होंने रिपोर्टर्स से बातचीत में कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ), गृह मंत्रालय (एचएमओ) और रक्षा मंत्रालय (आरएमओ) लगातार हालात की जानकारी ले रहे हैं। भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टर भी तैयार हैं और मौसम साफ होते ही उन्हें बचाव कार्य में लगाया जाएगा। कुछ बचाव दल सड़क के रास्ते भी भेजे गए हैं।

इसके अलावा, सरकार ने उन मजदूरों के परिवारों की मदद के लिए एक हेल्पलाइन शुरू की है जो विभिन्न राज्यों से आए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा, “हम बस यही प्रार्थना कर रहे हैं कि सभी लोग सुरक्षित बाहर आ जाएं।”

उत्तराखंड के आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया कि अब तक 33 मजदूरों को बचा लिया गया है, जबकि 22 मजदूर अभी भी लापता हैं। खराब मौसम की वजह से बचाव कार्य में मुश्किलें आ रही हैं।

पहले खबर आई थी कि 57 मजदूर फंसे हैं, लेकिन बाद में साफ हुआ कि इनमें से 2 मजदूर छुट्टी पर थे। इस तरह कुल 55 मजदूर हिमस्खलन की चपेट में आए थे, जिनमें से 33 को बचा लिया गया है और बाकी 22 की तलाश जारी है।

उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की सूची के अनुसार, फंसे हुए श्रमिक बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, पंजाब और जम्मू-कश्मीर के रहने वाले हैं। हालांकि, 10 मजदूरों के गृह राज्य की जानकारी सूची में नहीं दी गई है।

सुमन ने बताया कि हिमस्खलन वाली जगह पर करीब सात फीट ऊंची बर्फ जमा हो गई है, जिससे बचाव कार्य मुश्किल हो रहा है। फिर भी, 65 से ज्यादा जवान इस अभियान में जुटे हुए हैं।

अंतरराष्ट्रीय

इंडोनेशिया में अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन में मौत का आंकड़ा 1000 से अधिक पहुंचा

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जकार्ता, 13 दिसंबर : इंडोनेशिया के सुमात्रा के तीन प्रांतों में आई बाढ़ और भूस्खलन से मरने वालों की संख्या 1,000 से ज्यादा हो गई है। इसके अलावा 218 लोगों के बारे में अभी तक कोई जानकारी सामने नहीं आ पाई है। नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट एजेंसी (बीएनपीबी) ने शनिवार को यह जानकारी दी।

इन आपदाओं से इमारतों को काफी नुकसान पहुंचा है। बीएनपीबी की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, करीब 1,200 सार्वजनिक सुविधाओं के साथ-साथ 219 स्वास्थ्य सुविधाओं, 581 शैक्षणिक सुविधाओं, 434 दुआ और प्रार्थना की जगह, 290 ऑफिस बिल्डिंग और 145 पुलों को नुकसान हुआ है।

न्यूज एजेंसी के अनुसार, बीएनपीबी के डेटा और सूचना केंद्र के प्रमुख अब्दुल मुहरी ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि सब-डिस्ट्रिक्ट के स्तर पर डेटा का सत्यापन और सिविल रिकॉर्ड के साथ क्रॉस-रेफरेंसिंग का काम चल रहा है।

उन्होंने बताया कि पीड़ितों के नाम और पते की पुष्टि की जा रही है और कई जिलों में वेरिफिकेशन की प्रक्रिया जारी है। इस बीच, इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांटो ने शुक्रवार को आचे में आपदा प्रभावित इलाकों का दौरा किया। इस दौरान इंडोनेशियाई राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार समुदाय की अलग-अलग बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए काम कर रही है।

प्रबोवो ने कहा, “हम सब मिलकर इस स्थिति को सुधारेंगे। सरकार आगे आएगी और हर चीज में मदद करेगी।” इसके साथ ही उन्होंने सभी नागरिकों से रिकवरी प्रोसेस के दौरान डटे रहने और अपना हौसला बनाए रखने की अपील की।

इंडोनेशियाई राष्ट्रपति ने उम्मीद जताई है कि बच्चों को पढ़ाने और सीखने जैसी सामुदायिक गतिविधियां जल्द ही सामान्य हो जाएंगी। इस हफ्ते की शुरुआत में, सुबियांटो ने आचे में कई प्रभावित जगहों का दौरा करने के बाद डिजास्टर रिस्पॉन्स और रिकवरी की कोशिशों पर एक मीटिंग की अध्यक्षता की। उन्होंने सेना, पुलिस, नेशनल सर्च एंड रेस्क्यू एजेंसी, बीएनपीबी और स्थानीय सरकारों को शामिल करते हुए मजबूत संयुक्त ऑपरेशन करने के निर्देश दिए।

इंडोनेशिया की एयरलांगा यूनिवर्सिटी में डिजास्टर मैनेजमेंट के लेक्चरर हिजरा सपुत्रा ने बताया कि प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियां अब भी दूर-दराज के गांवों तक नहीं पहुंची हैं, क्षेत्रीय योजना में अनुशासन का अभाव है, और पर्यावरणीय पुनर्वास की प्रक्रिया भी केवल कभी-कभार ही की जाती है।

उन्होंने कहा, “अगर हम भविष्य में जनहानि कम करना चाहते हैं, तो सुनियोजित क्षेत्रीय योजना, जलग्रहण क्षेत्र की पारिस्थितिकी पर आधारित दृष्टिकोण और क्षेत्रीय स्तर पर एकीकृत प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों के माध्यम से आपदा-रोधी क्षमता को सुदृढ़ करना अनिवार्य होगा।”

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आपदा

भारत की आर्थिक उन्नति देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की मजबूती पर निर्भर : नीति आयोग के सीईओ

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मुंबई, 29 अक्टूबर: नीति आयोग के सीईओ बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यम ने कहा कि भारत की आर्थिक उन्नति देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की मजबूती पर निर्भर करती है, लेकिन क्रमिक परिवर्तन काफी नहीं होंगे।

नीति आयोग के फ्रंटियर टेक हब ने ‘रिइमेजनिंग मैन्युफैक्चरिंग : इंडियाज रोडमैप टू ग्लोबल लीडरशिप इन एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग’ रोडमैप की पेशकश रखी।

इस अवसर पर अपने संबोधन में सीईओ बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यम ने कहा कि यह रोडमैप 2035 तक एक एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग पावरहाउस बनने के लिए निर्णायक और समयबद्ध मार्ग निर्धारित करता है।”

उन्होंने आगे कहा कि यह रोडमैप हमारे मैन्युफैक्चरिंग डीएनए में सटीकता, मजबूती और सस्टेनेबिलिटी के लिए फ्रंटियर टेक्नोलॉजी को इंटीग्रेट करते हुए विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी ‘मेड इन इंडिया’ पहचान का निर्माण करता है।”

इस अवसर पर मौजूद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि अगर देश को तीव्र वृद्धि हासिल करनी है, तो यह सामान्य व्यवसाय से संभव नहीं है।

उन्होंने अपनी बात पर जोर देते हुए कहा, “फ्रंटियर टेक विज्ञान और प्रौद्योगिकी का संगम है। इस संगम के मैन्युफैक्चरिंग में प्रवेश से ऑटोमेशन, दक्षता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलेगा।”

इस रोडमैप में भारत के सकल घरेलू उत्पाद में मैन्युफैक्चरिंग का 25 प्रतिशत से अधिक योगदान, 10 करोड़ से अधिक रोजगार सृजन और 2035 तक भारत को एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग के टॉप तीन ग्लोबल हब में स्थान दिलाने की परिकल्पना की गई है, जो कि देश के 2047 तक विकसित बनने की यात्रा में मील का पत्थर हैं।

नीति आयोग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, रोडमैप में चेतावनी दी गई है कि अगर भारत उच्च प्रभाव वाले क्षेत्रों में प्रमुख फ्रंटियर टेक्नोलॉजी को नहीं अपनाता है तो देश अवसरों से चूक जाएगा, जिससे 2035 तक 270 बिलियन अमेरिकी डॉलर और 2047 तक एडिशनल मैन्युफैक्चरिंग जीडीपी में 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की हानि होने की संभावना है।

नीति फ्रंटियर टेक हब, विकसित भारत के लिए एक एक्शन टैंक है। यह एक्शन टैंक सरकार, उद्योग और शिक्षा जगत के 100 से अधिक विशेषज्ञों के सहयोग से 20 से अधिक प्रमुख क्षेत्रों में परिवर्तनकारी विकास और सामाजिक विकास के लिए 10-वर्षीय रोडमैप तैयार कर रहा है। यह हब 2047 तक एक समृद्ध, मजबूत और तकनीकी रूप से उन्नत भारत की नींव रख रहा है।

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अंतरराष्ट्रीय समाचार

वियतनाम में बुआलोई तूफान ने 51 लोगों की ली जान, 14 लोग अब भी लापता; 608 मिलियन यूएसडी नुकसान का अनुमान

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हनोई, 2 अक्टूबर : वियतनाम में तूफान बुआलोई और उसके बाद आई बाढ़ और भूस्खलन ने भारी तबाही मचाई है। न्यूज एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार बुआलोई तूफान की चपेट में आने से मौत का आंकड़ा 51 तक पहुंच गया। 14 लोगों का अब तक कुछ पता नहीं चल पाया है, जबकि 164 लोग घायल हुए।

वियतनाम आपदा एवं डाइक प्रबंधन प्राधिकरण ने शुक्रवार को आपदा से जुड़ी एक रिपोर्ट साझा की। इसके अनुसार तूफान बुआलोई और उसके बाद आई बाढ़ और भूस्खलन से उत्तरी और मध्य वियतनाम में 51 लोगों की मौत हो गई, 14 अन्य लापता हो गए और 164 लोग घायल हो गए। शुरुआती आर्थिक क्षति का अनुमान लगभग 15.9 ट्रिलियन वियतनामी डोंग (लगभग 608 मिलियन अमेरिकी डॉलर) लगाया जा रहा है।

इस तूफान में 238,000 से अधिक घर क्षतिग्रस्त या जलमग्न हो गए, लगभग 89,000 हेक्टेयर चावल और अन्य फसलें बर्बाद हो गई। इसके अलावा, 17,000 हेक्टेयर से अधिक जलीय कृषि और लगभग 50,300 हेक्टेयर जंगलों को नुकसान पहुंचा है।

रिपोर्ट के अनुसार, तूफान ने बुनियादी ढांचे को भी गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त कर दिया, 8,800 से अधिक बिजली के खंभे गिर गए और लगभग 468,500 घरों में अभी भी बिजली नहीं है। इसके साथ ही लगभग।

स्थानीय अधिकारी राहत कार्य जारी रखे हुए हैं, क्षतिग्रस्त हुई सड़कों को साफ करने, सभी आवश्यक सेवाओं को बहाल करने और प्रभावित समुदायों की सहायता के लिए उपकरण जुटा रहे हैं।

इस बीच, वियतनाम न्यूज एजेंसी ने शुक्रवार को बताया कि प्रधानमंत्री फाम मिन्ह चिन्ह ने गुरुवार को आपातकालीन राहत के लिए 15 प्रभावित इलाकों के लिए सहायता पैकेज को मंजूरी दी। इससे पहले, उन्होंने 30 सितंबर को स्थानीय अधिकारियों और विभागों को प्रभावित निवासियों की सहायता और प्रभावितों को तत्काल मदद पहुंचाने का निर्देश दिया था।

प्रधानमंत्री ने शोक संतप्त परिवारों, पार्टी संगठनों, प्रशासन और आपदाओं से हुए नुकसान और कठिनाइयों को झेल रहे निवासियों के प्रति अपनी गहरी संवेदना जताई। उन्होंने जन समितियों के अध्यक्षों को आदेश दिया कि वे जल्द से जल्द अलग-थलग पड़े इलाकों में पहुंचने के लिए सेना और वाहन जुटाएं। क्षतिग्रस्त घरों की मरम्मत करवाएं और प्रभावित निवासियों के लिए आश्रयों की व्यवस्था करें। इसके साथ ही उन्होंने 5 अक्टूबर से पहले क्षतिग्रस्त शैक्षणिक और चिकित्सा सुविधाओं की मरम्मत कराने का निर्देश भी दिया है।

वियतनाम के कई हिस्सों में 300 मिलीमीटर से अधिक बारिश हुई है। उत्तरी मध्य वियतनाम के कई गांव जलमग्न हो गए थे और यातायात व बिजली गुल थी।

बुआलोई एक हफ्ते में एशिया के लिए खतरा बनने वाला दूसरा बड़ा तूफान था। पिछले कई वर्षों में आए सबसे शक्तिशाली तूफानों में से एक, रागासा तूफान ने उत्तरी फिलीपींस और ताइवान में कम से कम 28 लोगों की जान ले ली। इससे पहले कि यह चीन में पहुंचा और वियतनाम में फैल गया।

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