अपराध
उत्तर प्रदेश: आगरा में कोरोना के 27 नए मामले, मथुरा में 35

आगरा में पिछले 24 घंटे के दौरान 27 लोगों को कोरोनावायरस पॉजिटिव पाया गया है, जिससे जिले में सक्रिय मामलों की संख्या बढ़कर 197 हो गई है। स्वास्थ्य अधिकारियों ने इसकी जानकारी सोमवार को दी।
मथुरा जिले में पिछले 24 घंटों को 35 नए लोगों को पॉजिटिव पाया गया है, जबकि मैनपुरी में 11, एटा नौ, कासगंज आठ और फिरोजाबाद छह मामले सामने आए हैं।
स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि आगरा में अब तक इस वायरस से 97 लोगों की मौत हो चुकी है, जिले कुल मामलों की संख्या 1,652 है, वहीं इस वायरस से 1,352 लोग स्वस्थ हो चुके हैं।
जुलाई की शुरूआत में 52 की तुलना में कंटेनमेंट जोन की संख्या 102 हो गई है।
रैपिड एंटीजन टेस्ट की सुविधा को सभी क्षेत्रों में विस्तारित किया गया है। किए गए 4,700 सैंपलों की जांच में रविवार को केवल 14 लोगों को पॉजिटिव पाया गया। स्वास्थ्य विभाग की 74 टीमों ने 4,664 घरों की जांच की और स्वास्थ्य संबंधी ब्योरा लिया, जिसमें 19,412 शामिल थे।
कानपुर से बुलाए गए डॉक्टर संजय कला के नेतृत्व में एसएन मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर बहुत अच्छा काम कर रहे हैं, वे वेंटिलेटर पर गंभीर रोगियों का सफलतापूर्वक उपचार कर रहे हैं।
आपातकालीन वार्ड के एक जूनियर डॉक्टर ने कहा, “आमतौर पर कॉलेज अस्पताल में निजी अस्पताल द्वारा गंभीर स्थिति में मरीजों को रिफर किया जाता है। यहां बहुत ही स्पेशलाइज्ड और अनुभवी डॉक्टरों की टीम है, जो हर हाल में मरीजों की जान बचाने का प्रयास करते हैं।”
एक निजी चिकित्सक डॉक्टर हरेंद्र गुप्ता ने कहा कि शहर में स्वास्थ्य सुविधाओं को सुव्यवस्थित किया गया है और कोरोना योद्धा स्थिति को अच्छी तरह से संभालने में कामयाब हो रहे हैं।
कोरोनावायरस आगरा हेल्प ग्रुप चलाने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक सरभॉय ने कहा कि संगठन के स्वयंसेवक न केवल भोजन, राशन, और दवाइयां प्रदान करते रहे हैं बल्कि जरुरत के समय में ब्लड प्लाज्मा भी डोनेट कर रहे हैं।
इस बीच, एसएन मेडिकल कॉलेज में प्लाज्मा थेरेपी पाने वाले पहला कोरोना मरीज पूरी तरह से स्वास्थ होकर घर लौट गया है।
आगरा में लगाया गया 55 घंटे का सप्ताहांत लॉकडाउन सोमवार को शुरूआती घंटों में समाप्त हो गया, जिससे बाजारों में चहल रहल देखने को मिल रही है।
अपराध
मुंबई अपराध: फर्जी नौकरी रैकेट चलाने और सरकारी पदों का वादा कर 18 उम्मीदवारों को ठगने के आरोप में दो लोग गिरफ्तार

मुंबई: मुंबई क्राइम ब्रांच की यूनिट 6 ने एक नौकरी रैकेट का भंडाफोड़ किया है और दो लोगों को गिरफ्तार किया है। ये लोग पुलिस कांस्टेबल और एक राजनेता के बॉडीगार्ड बनकर रेलवे, आयकर विभाग और मंत्रालय में सरकारी नौकरी दिलाने का वादा करके कई लोगों को ठगते थे। आरोपियों की पहचान विशाल कांबले (38) और साहिल गायकवाड़ (20) के रूप में हुई है, जो दोनों चेंबूर के माहुल गाँव के निवासी हैं।
पुलिस के मुताबिक, दोनों ने सरकारी नौकरी दिलाने का झूठा वादा करके लगभग 18 लोगों से मोटी रकम ठगी की। उन्होंने पदों के लिए तय दरें तय कर रखी थीं—आयकर विभाग की नौकरी के लिए 17 लाख रुपये, रेलवे की नौकरी के लिए 10 लाख रुपये, और राज्य मंत्रालय में पोस्टिंग के लिए अलग से दरें।
मामला तब सामने आया जब माहुल निवासी राजश्री लाजरस (42) ने शिकायत दर्ज कराई कि कांबले ने आयकर विभाग में नौकरी दिलाने के नाम पर उनसे ₹8 लाख लिए। इसमें से उसने ₹3.25 लाख लौटा दिए, लेकिन वादा की गई नौकरी नहीं दिलाई और ₹4.75 लाख की ठगी की।
कांबले ने बड़ी सावधानी से अपनी फर्जी पहचान बनाई थी। वह अक्सर पुलिस कांस्टेबल बनकर किसी वरिष्ठ नेता का अंगरक्षक होने का दावा करता था। उसके पास उस नेता के साथ तस्वीरें, एक फर्जी पहचान पत्र और उस नेता के नाम वाले लेटरहेड भी थे, जिन्हें पुलिस ने जब्त कर लिया।
छापे के दौरान, पुलिस ने आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद किए, जिनमें राजनेता आदित्य ठाकरे के साथ कांबले की एक तस्वीर की फोटोकॉपी, मुंबई आयकर आयुक्त के नाम की मुहर लगे दस्तावेज, रोशन लाजरस के नाम वाली एक फर्जी रीज्वाइनिंग सूची और मुंबई के आयकर उपायुक्त की मुहर वाले अन्य जाली कागजात शामिल थे।
दोनों आरोपियों को एस्प्लेनेड कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें 8 सितंबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया। पुलिस ने नागरिकों से ऐसे नौकरी रैकेट से सावधान रहने और आधिकारिक चैनलों के माध्यम से सरकारी नौकरी के सभी प्रस्तावों की जांच करने का आग्रह किया है।
अपराध
ठाणे अपराध: आबकारी विभाग ने 1.56 करोड़ रुपये की शराब जब्त की, चालक गिरफ्तार

ठाणे: ठाणे में राज्य आबकारी विभाग ने बुधवार को गोवा में निर्मित 1,400 पेटी भारतीय विदेशी शराब और ₹1.56 करोड़ मूल्य की एक गाड़ी जब्त की और एक ड्राइवर को गिरफ्तार किया। आरोपी की पहचान पेशे से ड्राइवर मोहम्मद समशाद सलमानी के रूप में हुई है।
एक गुप्त सूचना के आधार पर, आबकारी दस्ते ने एक संदिग्ध टेंपो को रोका और जाँच के दौरान शराब के कार्टन बरामद किए। वाहन सहित ज़ब्त की गई खेप की कुल कीमत ₹1,56,63,800 आंकी गई है।
सलमानी को गिरफ्तार कर लिया गया है और उनके खिलाफ मद्य निषेध अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है।
कमिश्नर डॉ. राजेश देशमुख की देखरेख में इंस्पेक्टर महेश प्रकाश धनशेट्टी और उनकी टीम ने यह कार्रवाई की। टेम्पो और शराब की पेटियाँ दोनों जब्त कर ली गई हैं और अधीक्षक प्रवीण तांबे के मार्गदर्शन में आगे की जाँच जारी है।
अपराध
झारखंड हाईकोर्ट से जमानत के बाद भारत से फरार हुआ नाइजीरिया का साइबर क्रिमिनल, सुप्रीम कोर्ट ने जताई चिंता

suprim court
रांची/नई दिल्ली, 3 सितंबर। झारखंड में साइबर फ्रॉड की बड़ी वारदात का आरोपी एक नाइजीरियाई नागरिक हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद भारत छोड़कर भाग गया। सुप्रीम कोर्ट ने इससे जुड़े मामले में झारखंड सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए इस बात पर गंभीर चिंता जताई है कि भारत में आपराधिक वारदात अंजाम देने वाले विदेशी नागरिक अक्सर अदालत से बेल मिलने के बाद देश छोड़कर भाग जाते हैं।
जस्टिस दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति एजी मसीह की पीठ ने झारखंड सरकार की याचिका पर नाइजीरियाई नागरिक की जमानत रद्द कर दी। हालांकि नाइजीरिया के साथ प्रत्यर्पण संधि न होने की वजह से भारत सरकार ने उसे फिलहाल वापस लाने में असमर्थता जताई है। इसपर सुप्रीम कोर्ट ने याचिका का निष्पादित करते हुए केंद्र सरकार को सुझाव दिया कि वह ऐसे कदम उठाए कि भारत में अपराध के आरोपी विदेशी नागरिक बेल मिलने के बाद भागकर मुकदमे से बच न सकें।
न्यायालय ने कहा कि भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली की अखंडता बनाए रखने के लिए जरूरी है। नाइजीरियाई नागरिक को झारखंड पुलिस ने 2019 में भारतीय दंड संहिता की धाराओं 419, 420, 467, 468, 471, 120बी और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66डी के तहत गिरफ्तार किया था। उसपर गिरिडीह निवासी कारोबारी निर्मल झुनझुनवाला से साइबर फ्रॉड के जरिए 80 लाख रुपए की ठगी का आरोप था।
गिरफ्तारी के बाद दो साल से अधिक समय तक वह झारखंड की जेल में रहा। झारखंड हाईकोर्ट ने 13 मई, 2022 को उसे जमानत दी थी, लेकिन वह जमानत की शर्तों का उल्लंघन कर नाइजीरिया भाग गया। इसके बाद राज्य ने सुप्रीम कोर्ट से उसकी बेल रद्द करने का आवेदन किया।
सुप्रीम कोर्ट ने इस बढ़ती प्रवृत्ति पर पहले भी नवंबर 2024 में चिंता जताई थी कि साइबर अपराध और वित्तीय धोखाधड़ी के मामलों में विदेशी नागरिक जमानत मिलने के बाद देश छोड़ देते हैं। न्यायालय ने कहा कि स्पष्ट कानूनी प्रक्रिया या नीति के अभाव में भारतीय प्राधिकरण असहाय रहते हैं, खासकर उन देशों में जहां भारत की प्रत्यर्पण संधि नहीं है।
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