राष्ट्रीय समाचार
अधिक सोडियम वाले नमक का उपयोग करना घातक, डब्ल्यूएचओ ने चेताया और विकल्प भी बताया
नई दिल्ली, 6 फरवरी। अधिक सोडियम वाले नमक का उपयोग करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसे लेकर चेताया है। इससे पहले भी संगठन ने गाइडलाइन जारी करके बताया था कि एक दिन में औसतन पांच ग्राम नमक ही खाना चाहिए।
सोडियम युक्त नमक के लिए डब्ल्यूएचओ ने नई गाइडलाइन जारी की है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का यह सुझाव भारतीयों के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। डब्ल्यूएचओ ने लोगों से कम सोडियम वाले नमक को खाने की अपील की है। गाइडलाइन में खाने में सामान्य टेबल साल्ट की जगह पर पोटेशियम युक्त कम सोडियम वाले नमक के उपयोग की बात कही गई है। यह सिर्फ वयस्कों और स्वस्थ व्यक्तियों के लिए कहा गया है। वहीं, बच्चों, गर्भवती महिलाओं और किडनी से जुड़ी समस्याओं वाले लोगों को सामान्य नमक खाने की सलाह दी गई है।
नमक का इस्तेमाल न ज्यादा करना चाहिए और न ही कम करना चाहिए, इसका संतुलित इस्तेमाल करना चाहिए। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक एक दिन में व्यक्ति को मात्र पांच ग्राम नमक खाना चाहिए, वहीं दो ग्राम प्रतिदिन सोडियम की खपत सही होती है। लेकिन भारत में लोग औसतन 10 ग्राम तक नमक को हर दिन खाते हैं। नमक का इस्तेमाल अधिक करने से कई सारी शारीरिक समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने भी डब्ल्यूएचओ की इस सिफारिश की तारीफ की है। उनका कहना है कि कम सोडियम युक्त नमक खाना भारतीय लोगों के लिए काफी उपयोगी है क्योंकि भारतीय स्वाद के मामले में समझौता करने से अमूमन बचते हैं और इस चक्कर में अधिक नमक का सेवन करते हैं।
बता दें कि अधिक नमक खाना कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनता है। इससे ब्लड प्रेशर में बढ़ोतरी, हार्ट अटैक, दिल से जुड़ी कई अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। अधिक नमक खाना किडनी, लिवर और खून पर भी असर डालता है। पेट और त्वचा की समस्या, डिहाइड्रेशन और हड्डियों के कमजोर होने की समस्याएं भी होने लगती हैं।
27 जनवरी 2025 को जारी किए गए दिशानिर्देश के मुताबिक लो सोडियम सॉल्ट सब्सटिट्यूट (एलएसएसएस) नियमित नमक का अच्छा विकल्प है। इनमें सामान्य नमक की तुलना में कम सोडियम होता है और अक्सर इसमें पोटेशियम क्लोराइड भी होता है ताकि सामान्य नमक जैसा स्वाद प्राप्त हो सके।
राष्ट्रीय समाचार
जनवरी में कारों की बिक्री 15.5 प्रतिशत बढ़कर 4.66 लाख यूनिट्स रही
नई दिल्ली, 6 फरवरी। भारत में गाड़ियों की बिक्री जनवरी में 15.53 प्रतिशत बढ़कर 4,65,920 यूनिट्स हो गई है। यह जानकारी फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (एफएडीए) द्वारा गुरुवार को दी गई।
एफएडीए के अध्यक्ष सीएस विग्नेश्वर ने कहा, “पीवी (यात्री-वाहन) की बिक्री में जोरदार वृद्धि हुई है। हालांकि, इसमें से कुछ बढ़ोतरी 2025 मॉडल वर्ष के लाभ के लिए जनवरी में पंजीकृत दिसंबर की खरीदारी से हुई है।”
उन्होंने आगे कहा, “इन्वेंट्री स्तर में सुधार हुआ है, जो लगभग पांच दिन घटकर 50-55 दिनों पर आ गया है, जो आपूर्ति-मांग संतुलन में सुधार का संकेत देता है। कई डीलरों ने मांग में सुधार देखा है। पिछले वर्ष दिए गए अधिक डिस्काउंट ने पुराने मॉडल को समाप्त करने में मदद मिली है।”
एफएडीए की रिपोर्ट में कई सकारात्मक संकेतों के बारे में बताया गया है, जिसने गाड़ियों की बिक्री बढ़ाने में मदद की है। इसमें शादियों का सीजन और प्रमोशन शामिल है। साथ ही उम्मीद जताई गई शादियों के सीजन के कारण मांग बढ़ सकती है।
इसके अलावा बताया गया कि बजट 2025-26 में आयकर छूट की सीमा को 12.75 लाख रुपये तक किए जाने के कारण करीब एक करोड़ लोगों के हाथ में अधिक पैसा बचेगा। इससे वाहनों की मांग को बढ़ावा मिलेगा।
नए मॉडल लॉन्च, चल रहे शादी सीजन की मांग और बढ़े हुए फाइनेंस विकल्पों के कारण दोपहिया वाहनों की बिक्री सालाना आधार पर 4.15 प्रतिशत बढ़कर 15,25,862 इकाई हो गई है, जिससे खरीदारी को बढ़ावा मिल रहा है।
ऊंची माल ढुलाई दरों और यात्री को ले जाने वाले वाहनों की मांग में बढ़ोतरी के कारण वाणिज्यिक वाहन की बिक्री सालाना आधार पर 8.22 प्रतिशत बढ़कर 99,425 इकाई हो गई, जबकि तिपहिया वाहनों की बिक्री 6.86 प्रतिशत बढ़कर 1,07,033 इकाई हो गई।
अच्छे फसल सीजन के कारण ट्रैक्टर की मांग में भी उछाल देखने को मिला है और बिक्री सालाना आधार पर 5.23 प्रतिशत बढ़कर 93,381 यूनिट्स हो गई है।
राष्ट्रीय समाचार
सीएम प्रमोद सावंत ने गोवा-प्रयागराज महाकुंभ स्पेशल ट्रेन को दिखाई हरी झंडी
पणजी, 6 फरवरी। मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने गोवा से प्रयागराज के लिए चलने वाली विशेष ट्रेन को हरी झंडी दिखाई। उन्होंने गुरुवार सुबह करमाली रेलवे स्टेशन पर ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने कहा, “मैंने गोवा सरकार की ओर से प्रयागराज के लिए एक ट्रेन को हरी झंडी दिखाई है। मैं सभी श्रद्धालुओं को बधाई देता हूं। 13 और 21 फरवरी को दो और ट्रेनें जाएंगी। अगर और लोग जाएंगे तो हम उनके लिए भी व्यवस्था करेंगे। मैं यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को महाकुंभ मेला 2025 में किए गए इंतजामों के लिए बधाई देता हूं। पीएम मोदी ने भी बुधवार को संगम में पवित्र डुबकी लगाई, मैं इसके लिए भी उन्हें बधाई देता हूं।”
बता दें कि महाकुंभ में बसंत पंचमी के दिव्य, भव्य अमृत स्नान को लेकर प्रयागराज रेलवे ने 300 से अधिक ट्रेनों का सफल संचालन किया था।
मेला प्राधिकरण के अनुमान के मुताबिक, बसंत पंचमी पर्व पर 2.5 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने संगम स्नान किया था। प्रयागराज रेल मंडल ने तीर्थ यात्रियों के सुगम आवागमन के लिए बसंत पंचमी पर्व के दिन 106 मेला स्पेशल ट्रेनों का संचालन किया। इसके साथ ही लगभग 200 नियमित ट्रेनें भी शहर के सभी स्टेशनों से चलाई गईं, जिससे लाखों की संख्या में तीर्थयात्रियों को सुरक्षित उनके गंतव्य स्टेशनों तक पहुंचाया गया।
13 जनवरी से प्रारंभ हुए महाकुंभ में अब तक वीवीआईपी मूवमेंट के बावजूद श्रद्धालुओं को संगम स्नान में कहीं कोई दिक्कत नहीं आ रही है। इसी का नतीजा है कि मात्र 24 दिनों में अब तक 39 करोड़ श्रद्धालु संगम में पावन डुबकी लगा चुके हैं।
बता दें कि इस बार का महाकुंभ इसलिए भी खास है, क्योंकि यह 144 साल बाद आया है। इसी के चलते लाखों श्रद्धालु रोजाना संगम नगरी प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में शामिल होने के लिए पहुंच रहे हैं।
राजनीति
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत आज से 10 दिवसीय बंगाल दौरे पर
कोलकाता, 6 फरवरी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत गुरुवार से पश्चिम बंगाल के दौरे पर रहेंगे। यहां वह संगठनात्मक मुद्दों और संगठन के भविष्य पर पदाधिकारियों संग विचार मंथन करेंगे।
नेताओं ने बताया कि कोलकाता में पहले पांच दिनों के दौरान भागवत आरएसएस नेताओं और स्थानीय लोगों संग बैठक करेंगे। बैठक में संगठन के ढांचे को मजबूत करने और इसकी परिचालन सफलता सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
11 फरवरी को भागवत दक्षिण बंगाल के जिलों का दौरा फिर से शुरू करने से पहले एक ब्रेक लेंगे।
आरएसएस के एक नेता ने कहा, “भागवत बर्धमान सहित कई जिलों का दौरा करेंगे, जहां 16 फरवरी को उनकी एकमात्र रैली होने की उम्मीद है। वे क्षेत्रीय आरएसएस नेताओं, स्थानीय कार्यकर्ताओं और बर्धमान और आसपास के क्षेत्रों के प्रमुख लोगों से भी मिलेंगे।”
उन्होंने कहा, “इन बैठकों में संगठनात्मक विकास, सामुदायिक आउटरीच, आरएसएस नेतृत्व और स्थानीय हितधारकों के बीच संबंधों को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करने की उम्मीद है।”
उनकी यात्रा देशभक्ति, आत्मनिर्भरता, पारिवारिक मूल्यों, पर्यावरण संरक्षण और परिवार-उन्मुख प्रथाओं के माध्यम से समाजीकरण जैसे मूल्यों को स्थापित करने पर केंद्रित होगी।
आरएसएस महासचिव जिष्णु बसु के अनुसार, भागवत केरल से राज्य में आएंगे।
बसु ने कहा, “7-10 फरवरी तक भागवत दक्षिण बंग क्षेत्र में आरएसएस पदाधिकारियों से बातचीत करेंगे, जिसमें पूर्व-पश्चिम मेदिनीपुर, हावड़ा, कोलकाता और उत्तर-दक्षिण 24 परगना शामिल हैं।
13 फरवरी को वह मध्यबंग क्षेत्र में जाएंगे, जिसमें बांकुरा, पुरुलिया, बीरभूम, पूर्व-पश्चिम बर्धमान और नादिया जैसे क्षेत्र शामिल हैं।” यात्रा के एक महत्वपूर्ण हिस्से में भागवत की 11-12 फरवरी को विचार-मंथन सत्र में भागीदारी शामिल है। इसके बाद 14 फरवरी को मध्यबंग में एक नए आरएसएस कार्यालय का उद्घाटन होगा।
भागवत 16 फरवरी को बर्धमान के एसएआई परिसर में आरएसएस पदाधिकारियों के एक सम्मेलन में भी भाग लेंगे।
बसु ने बताया कि भागवत की यात्रा का उद्देश्य हिंदू समुदाय के अंदर राष्ट्रवाद की भावना को बढ़ावा देना, ‘स्वदेशी’ चेतना को बढ़ावा देना और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाना है, जो एक प्रमुख राष्ट्रीय लक्ष्य है।
उन्होंने कहा कि आरएसएस प्रचारक इन संदेशों के अनुरूप पर्यावरण संरक्षण, स्वच्छता और देशभक्ति को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन को साकार करते हुए देश ‘आत्मनिर्भर भारत’ बनेगा और हर प्रचारक उस लक्ष्य को साकार करने के लिए काम करेगा। हर प्रचारक पौधों की रक्षा के लिए काम करेगा, हर प्रचारक पर्यावरण को बेहतर बनाने और आसपास की सफाई करने, दूसरों को सार्वजनिक स्थानों पर थूकने के लिए मना करने की दिशा में काम करेगा। हम इन संदेशों को लोगों तक पहुंचाने के तरीकों पर भागवत जी से दिशा-निर्देश मांगेंगे।”
यात्रा के राजनीतिक महत्व के बारे में सवालों का जवाब देते हुए, बसु ने स्पष्ट किया कि आरएसएस एक राजनीतिक संगठन नहीं है। उन्होंने कहा कि यात्रा और संबंधित बैठकें, जिन्हें आरएसएस शब्दावली में ‘प्रभास’ कहा जाता है, पहले से ही योजनाबद्ध थीं और उनका उद्देश्य विशेष रूप से आगामी 2026 के राज्य विधानसभा चुनावों को प्रभावित करना नहीं था।
भागवत राज्य में शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में आरएसएस के प्रदर्शन का भी आकलन करेंगे।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि भाजपा की चुनावी रणनीतियों में आरएसएस की अहम भूमिका रही है और भागवत के दौरे को आगामी विधानसभा चुनावों के संदर्भ में देखा जाना चाहिए।
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