व्यापार
यूजर्स को अन्य वेबसाइट पर फोटो डालने लिए लेनी होगी इजाजत : इंस्टाग्राम

इंस्टाग्राम ने यह स्पष्ट किया है कि लोगों को थर्ड पार्टी की वेबसाइटों या प्लेटफार्म्स पर अन्य इंस्टाग्राम यूजर्स की एम्बेडेड तस्वीरों का उपयोग करने के लिए अनुमति की आवश्यकता होगी। इसका अर्थ है कि यदि कोई इंस्टाग्राम यूजर किसी अन्य इंस्टाग्राम पोस्ट को किसी अन्य वेबसाइट पर एम्बेड करना चाहता है, तो उसे कॉपीराइट लाइसेंस के लिए व्यक्ति से पूछना होगा अन्यथा वह कॉपीराइट के मुकदमे के अधीन हो सकता है।
आर्स टेक्नीका की एक रिपोर्ट के अनुसार, फेसबुक के स्वामित्व वाला प्लेटफॉर्म यूजर्स को अन्य वेबसाइटों पर एम्बेडेड इमेज को डिस्प्ले करने के लिए कॉपीराइट लाइसेंस प्रदान नहीं करेगा।
अब तक यूजर्स का मानना है कि इमेज को सीधे होस्ट करने के बजाय उन्हें एम्बेड करना कॉपीराइट दावों के खिलाफ इन्सुलेशन प्रदान करता है।
फेसबुक कंपनी के एक प्रवक्ता ने रिपोर्ट के हवाले से कहा, “जबकि हमारी शर्तें हमें सब-लाइसेंस प्रदान करने की अनुमति देती हैं, लेकिन हम अपने एम्बेड्स एपीआई के लिए ग्रांट नहीं देते हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “हमारी प्लेटफॉर्म नीतियों में लागू अधिकारों को धारकों से आवश्यक अधिकार प्राप्त करने के लिए थर्ड पार्टी की आवश्यकता होती है। इसमें यदि कानून द्वारा लाइसेंस की आवश्यकता है, तो उनके पास इस कंटेंट को साझा करने का लाइसेंस सुनिश्चित करना शामिल है।”
यह खबर ऐसे समय में आई है, जब न्यूयॉर्क के एक जज ने अपने निर्णय में कहा कि न्यूजवीक इंस्टाग्राम की सेवा की शर्तों के आधार पर एक फोटोग्राफर की शिकायत को खारिज नहीं कर सकता है।
हालांकि, इंस्टाग्राम ने आर्स टेक्नीका को बताया कि यह यूजर्स को एम्बेडिंग को नियंत्रित करने के लिए और अधिक तरीके खोज रहा है।
अभी के लिए फोटोग्राफर इंस्टाग्राम पर अपनी पहुंच को सख्ती से सीमित करते हुए केवल तस्वीरों को निजी बनाकर एम्बेडिंग को रोक सकते हैं।
व्यापार
अमेरिकी टैरिफ बेअसर, ग्लोबल एजेंसियां बढ़ा रही भारत का जीडीपी वृद्धि दर अनुमान

नई दिल्ली, 15 अक्टूबर: वैश्विक अस्थिरता और यूएस टैरिफ के बावजूद भी दुनिया की बड़ी एजेंसियां भारत के जीडीपी वृद्धि दर अनुमान को बढ़ा रही है, जो देश की अर्थव्यवस्था की मजबूती स्थिति को दिखाता है।
भारत के जीडीपी अनुमान में ताजा बढ़ोतरी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की ओर से की गई। ग्लोबल एजेंसी द्वारा वित्त वर्ष 2025-26 के लिए देश की अर्थव्यवस्था वृद्धि अनुमान को बढ़ाकर 6.6 प्रतिशत कर दिया गया है, जो कि पहले 6.4 प्रतिशत था।
आईएमएफ ने अपने वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक में कहा कि वृद्धि दर में इजाफा पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था के मजबूत प्रदर्शन के कारण किया गया है।
वित्त वर्ष 2025-26 की अप्रैल-जून तिमाही में, भारत कम से कम एक वर्ष में सबसे तेज गति से बढ़ा, मजबूत निजी खपत के दम पर जीडीपी विकास दर 7.8 प्रतिशत दर्ज की गई थी।
सरकार द्वारा व्यापक जीएसटी सुधारों को लागू करने और उपभोक्ता वस्तुओं एवं सेवाओं पर कर दरों में कमी के साथ, घरेलू मांग में और तेजी आने की उम्मीद है। इससे अमेरिकी टैरिफ वृद्धि के कारण भारतीय वस्तुओं की बाहरी मांग पर पड़े नकारात्मक प्रभाव की भरपाई होने की उम्मीद है।
बीते महीने अमेरिकी रेटिंग एजेंसी फिच ने वित्त वर्ष 26 के लिए अपने पूर्वानुमान को जून के 6.5 प्रतिशत से संशोधित कर 6.9 प्रतिशत कर दिया था।
फिच ने रिपोर्ट में कहा कि भारत भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के बीच मजबूती का प्रदर्शन कर रहा है और अगले तीन वर्षों में देश 6 प्रतिशत से ऊपर की विकास दर बनाए रखने में सक्षम है।
एसएंडपी ने कहा कि मजबूत घरेलू मांग, जीएसटी सुधार और आयकर में बदलाव के कारण भारत की जीडीपी ग्रोथ इस वित्त वर्ष में 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रहने की उम्मीद है।
आरबीआई ने भी चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी वृद्धि अनुमान को 6.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया है। साथ ही, इस महीने की शुरुआत में केंद्रीय गवर्नर ने कहा कि पहली तिमाही में जीडीपी में देखी गई तेजी बनी हुई है। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी की विकास दर 7 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 6.4 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 6.2 प्रतिशत रह सकती है।
व्यापार
हरे निशान में खुला भारतीय शेयर बाजार, निफ्टी 25,240 स्तर से ऊपर कर रहा कारोबार

मुंबई, 15 अक्टूबर: भारतीय शेयर बाजार बुधवार को हरे निशान में खुला। शुरुआती कारोबार में आईटी और फाइनेंशियल सर्विस सेक्टर में खरीदारी देखी जा रही है।
सुबह करीब 9.27 बजे, सेंसेक्स 324.34 अंक या 0.40 प्रतिशत की बढ़त के साथ 82,354.32 पर कारोबार कर रहा था, जबकि निफ्टी 103.30 अंक या 0.41 प्रतिशत की बढ़त के साथ 25,248.80 पर कारोबार कर रहा था।
ब्रॉडकैप सूचकांकों में, निफ्टी मिडकैप 100 में 0.54 प्रतिशत और निफ्टी स्मॉलकैप 100 में 0.24 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई।
सेक्टोरल फ्रंट पर निफ्टी ऑटो 0.32 प्रतिशत, निफ्टी आईटी 0.79 प्रतिशत, निफ्टी पीएसयू बैंक 0.54 प्रतिशत, निफ्टी फाइनेंशियल सर्विसेज 0.36 प्रतिशत और निफ्टी फार्मा 0.19 प्रतिशत की बढ़त में रहे।
बाजार जानकारों ने कहा, “सकारात्मक संकेतों के अभाव और एफआईआई द्वारा नए सिरे से बिकवाली के कारण बाजार में गिरावट अल्पकालिक चुनौतियों का कारण बन रही है। यह समझना जरूरी है कि बाजार के लिए सबसे बड़ी चुनौती कमजोर आय वृद्धि है और यही एफआईआई की बिकवाली का मूल कारण है। दूसरी तिमाही के नतीजों से मार्केट सेंटीमेंट बदलने की संभावना कम है, क्योंकि जीएसटी रेट कट के बाद खरीदारी आगे बढ़ाने से सितंबर में कॉर्पोरेट बिक्री प्रभावित हुई थी। लेकिन, सितंबर के बाद स्थिति अलग रही।”
उन्होंने आगे कहा, “ऑटोमोबाइल और घरेलू सामानों की बिक्री तेजी से हो रही है और कम ब्याज दरों के दौर में, दरों में और कटौती के साथ, यह मांग बनी रहेगी। ये सकारात्मकताएं दूसरी तिमाही के नतीजों के सीजन में नहीं, बल्कि तीसरी तिमाही के नतीजों में दिखाई देंगी। बाजार जल्द ही इसे नजरअंदाज करना शुरू कर देगा और तभी एक अच्छी मार्केट रैली शुरू होगी और बनी रहेगी।”
इस बीच, सेंसेक्स पैक में बजाज फिनसर्व, बजाज फाइनेंस, एनटीपीसी, एलएंडटी और भारती एयरटेल टॉप गेनर्स थे। वहीं, टेक महिंद्रा, एक्सिस बैंक, टाइटन, इंफोसिस और टाटा मोटर्स टॉप लूजर्स थे।
अमेरिकी मार्केट में पिछले ट्रेडिंग सेशन में डाउ जोंस 0.44 प्रतिशत या 202.88 अंक की बढ़त के साथ 46,270.46 पर बंद हुआ। वहीं, एसएंडपी 500 इंडेक्स 10.41 अंक या 0.16 प्रतिशत की गिरावट के साथ 6,644.31 और नैस्डेक 172.91अंक या 0.76 प्रतिशत की गिरावट के साथ 22,521.70 पर लाल निशान में बंद हुआ।
लगभग सभी एशियाई बाजार सुबह हरे निशान पर बढ़त के साथ कारोबार कर रहे थे । चीन का शंघाई इंडेक्स 0.10 प्रतिशत की बढ़त में रहा। जापान का निक्केई 1.35 प्रतिशत की बढ़त में रहा। दक्षिण कोरिया का कोस्पी 1.99 प्रतिशत की बढ़त में कारोबार कर रहा था, जबकि हांगकांग का हैंग सेंग इंडेक्स 1.33 प्रतिशत की बढ़त में रहा।
विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) 14 अक्टूबर को शुद्ध विक्रेता रहे और उन्होंने 1,508.53 करोड़ रुपए के शेयर बेचे, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने 3,661.13 करोड़ रुपए के शेयर खरीदे।
राष्ट्रीय समाचार
इस वर्ष सितंबर में थोक मंहगाई दर घट कर 0.13 प्रतिशत रह गई

नई दिल्ली, 14 अक्टूबर: वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा मंगलवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, भारत की थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर सितंबर में 0.13 प्रतिशत दर्ज की गई है, जो कि इससे पिछले महीने अगस्त में 0.52 प्रतिशत थी।
मुद्रास्फीति की सकारात्मक दर मुख्य रूप से खाद्य उत्पादों, अन्य मैन्युफैक्चरिंग, गैर-खाद्य वस्तुओं, अन्य परिवहन उपकरणों और वस्त्रों आदि की कीमतों में वृद्धि के कारण है।
आंकड़ों के अनुसार, फसल की अधिक पैदावार और गेहूं व चावल के पर्याप्त बफर स्टॉक के कारण खाद्य पदार्थों की कीमतों में इस महीने 1.38 प्रतिशत की गिरावट आई।
फूड इंडेक्स में सितंबर में सालाना आधार पर 1.99 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।
सितंबर के दौरान पेट्रोल, डीजल और प्राकृतिक गैस जैसे ईंधनों की कीमतों में भी गिरावट जारी रही और ईंधन मुद्रास्फीति नकारात्मक क्षेत्र में -2.58 प्रतिशत पर रही।
सितंबर महीने के लिए थोक मूल्य सूचकांक में मासिक आधार पर बदलाव अगस्त की तुलना में -0.19 प्रतिशत रहा।
इस बीच, सांख्यिकी मंत्रालय द्वारा सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित देश की मुद्रास्फीति दर पिछले वर्ष के इसी महीने की तुलना में इस वर्ष सितंबर में घटकर आठ साल के निचले स्तर 1.54 प्रतिशत पर आ गई है, क्योंकि इस महीने के दौरान खाद्य पदार्थों और ईंधन की कीमतें सस्ती हुईं।
यह जून 2017 के बाद सालाना आधार पर सबसे कम मुद्रास्फीति है और अगस्त की 2.05 प्रतिशत की मुद्रास्फीति दर से भी कम है।
आंकड़ों के अनुसार, खाद्य मुद्रास्फीति लगातार चौथे महीने नकारात्मक क्षेत्र में रही और सितंबर के दौरान -2.28 प्रतिशत दर्ज की गई।
आधिकारिक बयान में कहा गया है, “सितंबर के दौरान हेडलाइन मुद्रास्फीति और खाद्य मुद्रास्फीति में गिरावट मुख्य रूप से अनुकूल आधार प्रभाव और सब्जियों, खाद्य तेलों फल, दालें, अनाज और अंडा की मुद्रास्फीति में गिरावट के कारण हुई है।”
अच्छे दक्षिण-पश्चिम मानसून, अच्छी खरीफ बुवाई, पर्याप्त जलाशय स्तर और खाद्यान्नों के पर्याप्त बफर स्टॉक के साथ बड़े अनुकूल आधार प्रभावों के कारण 2025-26 के लिए मुद्रास्फीति का दृष्टिकोण अधिक सौम्य हो गया है।
22 सितंबर से शुरू हुई जीएसटी दरों में कटौती से सभी वस्तुओं की कीमतें कम हो रही हैं, जिसके परिणामस्वरूप आने वाले महीनों में मुद्रास्फीति में कमी आएगी।
मुद्रास्फीति दर में गिरावट आरबीआई को ब्याज दरों में कटौती और विकास को बढ़ावा देने के लिए अर्थव्यवस्था में अधिक धन डालकर नरम मुद्रा नीति जारी रखने के लिए अधिक गुंजाइश देती है।
आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने 1 अक्टूबर को वित्त वर्ष 2025-26 के लिए भारत की मुद्रास्फीति दर के अपने पूर्वानुमान को अगस्त के 3.1 प्रतिशत से घटाकर 2.6 प्रतिशत कर दिया, जिसका मुख्य कारण जीएसटी रेट कट और खाद्य कीमतों में नरमी है।
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा, “हाल ही में लागू जीएसटी रेट्स को रेशनलाइज बनाने से सीपीआई बास्केट की कई वस्तुओं की कीमतों में कमी आएगी। कुल मिलाकर, मुद्रास्फीति का परिणाम अगस्त की मौद्रिक नीति समिति के प्रस्ताव में अनुमानित से कम रहने की उम्मीद है।”
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