अंतरराष्ट्रीय समाचार
अफगानिस्तान में रह गए अमेरिकी हथियार का टीटीपी, बलूच अलगाववादी कर रहे इस्तेमाल

काबुल, 31 मार्च : विशेषज्ञों और सुरक्षा अधिकारियों के अनुसार, अगस्त 2021 में अफगानिस्तान के तालिबान के कब्जे में आने के बाद से, कुछ अमेरिकी सैन्य गियर और हथियार पड़ोसी पाकिस्तान में आ गए हैं, जहां सशस्त्र समूहों द्वारा उनका उपयोग किया जा रहा है। आरएफई/आरएल की रिपोर्ट के अनुसार, चश्मदीदों का कहना है कि अमेरिकी हथियारों की आमद ने तहरीक-ए तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) आतंकवादी समूह और जातीय बलूच अलगाववादी समूहों की सैन्य क्षमताओं को बढ़ा दिया है, जो पाकिस्तान में सरकार के खिलाफ विद्रोह कर रहे हैं।
यूएस इंस्टीट्यूट ऑफ पीस के एक वरिष्ठ विश्लेषक असफंदयार मीर ने कहा, “इन हथियारों से ऐसे समूहों को काफी बल मिला है।” उन्होंने कहा कि अमेरिकी हथियारों के लिए ‘मजबूत और कई तरह से बढ़ता काला बाजार’ पाकिस्तान में फल-फूल रहा है।
आरएफई/आरएल ने बताया कि विशेषज्ञों का कहना है कि सशस्त्र समूहों ने उन्नत अमेरिकी हथियार और एम16 मशीन गन और एम4 असॉल्ट राइफलें, नाइट-विजन गॉगल्स और सैन्य संचार उपकरण जैसे उपकरण प्राप्त किए हैं।
टीटीपी पर नजर रखने वाले स्वीडन के एक शोधकर्ता अब्दुल सईद ने कहा कि परिष्कृत लड़ाकू हथियारों तक समूह की पहुंच का पाकिस्तान में विशेष रूप से पुलिस बल पर ‘भयावह’ प्रभाव पड़ा है जिसके पास कम हथियार हैं।
आरएफई/आरएल ने बताया कि खैबर पख्तूनख्वा में एक पुलिस अधिकारी, जिसने टीटीपी हमलों का खामियाजा भुगता है, उन्होंने कहा कि वे उग्रवादियों के सामने बौना महसूस कर रहे हैं।
अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “तथ्य यह है कि वे हमें अंधेरे में देख सकते हैं जबकि हम नहीं देख सकते। इससे आतंकवादियों को भारी फायदा मिलता है।”
जब अमेरिका ने 2021 में अफगानिस्तान से अपनी सेनाएं हटाईं, तो उसने लगभग 7 अरब डॉलर मूल्य के सैन्य उपकरण और हथियार छोड़े, जिसमें हथियार, संचार उपकरण और यहां तक कि बख्तरबंद वाहन भी शामिल थे।
आरएफई/आरएल ने बताया कि अमेरिकी वापसी और पश्चिम समर्थित अफगान सरकार के पतन के बाद तालिबान ने हथियारों को जब्त कर लिया जिससे कट्टर इस्लामी समूह को एक बड़ा फायदा मिला।
खैबर पख्तूनख्वा के पूर्व पुलिस प्रमुख मोअज्जम जाह अंसारी ने नवंबर में कहा था कि आतंकवादियों ने ‘अमेरिकियों द्वारा छोड़े गए परिष्कृत हथियारों को उठाया और (प्रांत की) पुलिस के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया।’
अफगानिस्तान में तालिबान द्वारा सत्ता पर कब्जा करने के बाद से पाकिस्तान में टीटीपी के हमले बढ़ गए हैं। दोनों उग्रवादी समूह वैचारिक और संगठनात्मक रूप से सहयोगी हैं।
इस्लामाबाद के एक थिंक टैंक, पाकिस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ पीस स्टडीज (पीआईपीएस) के अनुसार, 2021 की तुलना में पिछले साल देश में आतंकवादी हमलों की संख्या में 27 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
पिछले साल 262 आतंकवादी हमलों में कम से कम 419 लोग मारे गए थे, जबकि 734 घायल हुए थे। टीटीपी ने पिछले दो वर्षो में अफगानिस्तान के साथ पाकिस्तान की पश्चिमी सीमा पर सुरक्षा चौकियों पर स्नाइपर हमलों के कई वीडियो जारी किए हैं।
आरएफई/आरएल ने बताया कि पाकिस्तानी बंदूक मालिकों का कहना है कि तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद से काला बाजार अमेरिकी हथियारों से भर गया है।
खैबर पख्तूनख्वा के एक बंदूक मालिक गौहर बाचा ने कहा, “यह 1980 के दशक की तरह है, लेकिन इस बार, कई पश्चिमी हथियार अब उपलब्ध हैं।”
बाचा ने कहा कि काले बाजार में उपलब्ध नए अमेरिकी हथियार ‘उत्कृष्ट गुणवत्ता वाले और बहुत घातक हैं।’ उन्होंने कहा कि अमेरिका में बनी एम4 असॉल्ट राइफल अच्छी स्थिति में करीब 1,400 डॉलर में खरीदी जा सकती है।
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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने दक्षिण सूडान के खिलाफ हथियार प्रतिबंध को रिन्यू किया

संयुक्त राष्ट्र, 31 मई। सुरक्षा परिषद ने दक्षिण सूडान के खिलाफ हथियार प्रतिबंध को एक साल के लिए रिन्यू करने हेतु एक प्रस्ताव पारित किया, जो 31 मई, 2026 तक लागू रहेगा। इसके साथ ही व्यक्तियों और संस्थाओं के खिलाफ यात्रा प्रतिबंध और संपत्ति जब्त करने के लक्षित प्रतिबंध भी लागू होंगे।
मिडिया ने बताया कि ये प्रस्ताव 2781, जिसे नौ वोट के पक्ष में और छह वोट के बहिष्कार के साथ अपनाया गया। इस प्रस्ताव में विशेषज्ञों के पैनल का कार्यकाल भी 1 जुलाई, 2026 तक बढ़ा दिया गया है। यह पैनल दक्षिण सूडान प्रतिबंध समिति के काम में मदद करता है।
सुरक्षा परिषद के अफ्रीकी सदस्य – अल्जीरिया, सिएरा लियोन, सोमालिया ने चीन, पाकिस्तान और रूस के साथ वोट देने से परहेज किया।
इस प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि सुरक्षा परिषद हथियार प्रतिबंधों की समीक्षा करने के लिए तैयार है। अगर दक्षिण सूडान 2021 के प्रस्ताव 2577 में तय किए गए मुख्य लक्ष्यों पर प्रगति करता है, तो इन प्रतिबंधों को बदला, निलंबित किया या धीरे-धीरे हटाया जा सकता है। यह दक्षिण सूडान के अधिकारियों को इस संबंध में और प्रगति हासिल करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
सुरक्षा परिषद ने यह भी तय किया है कि इन प्रतिबंधों की लगातार समीक्षा की जाएगी। सुरक्षा परिषद ने स्थिति के जवाब में उपायों को समायोजित करने की तत्परता व्यक्त की है, जिसमें उपायों में संशोधन, निलंबन, हटाने या सुदृढ़ करना शामिल है।
प्रस्ताव में संयुक्त राष्ट्र महासचिव से अनुरोध किया गया है कि वे दक्षिण सूडान में संयुक्त राष्ट्र मिशन और विशेषज्ञों के पैनल के साथ निकट परामर्श में 15 अप्रैल, 2026 तक प्रमुख मानदंडों पर हासिल की गई प्रगति का आकलन करें।
इसके साथ ही दक्षिण सूडान के अधिकारियों से भी अनुरोध किया गया है कि वे उसी तारीख तक इस संबंध में हासिल की गई प्रगति पर सैंक्शन कमेटी को रिपोर्ट करें।
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यूएस सुप्रीम कोर्ट ने किया ट्रंप सरकार का रास्ता साफ, 5 लाख लोगों पर मंडराया निर्वासन का खतरा

न्यूयॉर्क, 31 मई। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने ट्रंप सरकार का रास्ता साफ कर दिया है। कोर्ट ने फेडरल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के उस आदेश को हटा दिया है, जिसके तहत क्यूबा, हैती, निकारागुआ और वेनेजुएला के चार देशों के पांच लाख से अधिक प्रवासियों के लिए मानवीय पैरोल सुरक्षा को बरकरार रखा गया था।
मिडिया रिपोर्ट के अनुसार, अदालत ने ट्रंप प्रशासन को एक अन्य मामले में लगभग 350,000 वेनेजुएला के प्रवासियों के लिए अस्थायी कानूनी स्थिति को रद्द करने की भी अनुमति दी है।
स्थानीय मीडिया ने शुक्रवार को बताया कि इस कदम ने ट्रंप प्रशासन के लिए हजारों प्रवासियों के लिए अस्थायी कानूनी सुरक्षा को फिलहाल खत्म करने का रास्ता साफ कर दिया है और निर्वासन के दायरे में आने वाले लोगों की कुल संख्या को लगभग दस लाख तक पहुंचा दिया है।
अमेरिका-मेक्सिको बॉर्डर पर आने वाले प्रवासियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए, बाइडेन प्रशासन ने 2022 के अंत और 2023 की शुरुआत में क्यूबा, हैती, निकारागुआ और वेनेजुएला के लोगों के लिए पैरोल कार्यक्रम बनाया, जिसके तहत उन्हें कुछ प्रोसेस से गुजरने के बाद दो साल तक अमेरिका में काम करने की इजाजत दी गई। इस प्रोग्राम ने लगभग 5,32,000 लोगों को निर्वासन से बचाया।
लेकिन अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के तुरंत बाद, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने होमलैंड सिक्योरिटी सेक्रेटरी क्रिस्टी नोएम को सभी पैरोल प्रोगाम को टर्मिनेट करने का निर्देश देते हुए एक कार्यकारी आदेश जारी किया। कार्यकारी आदेश पर कार्रवाई करते हुए नोएम ने मार्च में पैरोल प्रोग्राम को समाप्त करने की घोषणा की, जिसके तहत पैरोल के किसी भी अनुदान की वैधता 24 अप्रैल तक समाप्त हो जाएगी।
मैसाचुसेट्स में एक फेडरल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के जज ने नोएम द्वारा प्रवासियों की अस्थायी कानूनी स्थिति को पूरी तरह से रद्द करने के फैसले को रोकने पर सहमति जताई। उस समय कई पैरोलियों और एक गैर-लाभकारी संगठन सहित 23 व्यक्तियों के एक ग्रुप ने नोएम द्वारा प्रोग्राम को समाप्त करने को चुनौती दी थी।
ट्रंप प्रशासन ने पहले पहले सर्किट के लिए यूएस कोर्ट ऑफ अपील्स में अपील की, जिसने अपील लंबित रहने तक जिला न्यायालय के आदेश को रोकने से इनकार कर दिया और फिर सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप की मांग की।
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अमेरिकी युद्धविराम प्रस्ताव फिलिस्तीनी मांगों पर खरा नहीं : हमास

गाजा, 30 मई। हमास के एक वरिष्ठ नेता ने कहा है कि गाजा पट्टी में युद्ध रोकने के लिए अमेरिका का जो प्रस्ताव आया है, उस पर विचार किया जा रहा है। हालांकि, यह प्रस्ताव हमास और फिलिस्तीनी लोगों की मुख्य मांगों को पूरा नहीं करता।
मिडिया के मुताबिक, हमास के राजनीतिक ब्यूरो के सदस्य बासम नईम ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि उन्हें अमेरिका के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ द्वारा पिछले हफ्ते दिए गए युद्धविराम प्रस्ताव पर इजरायल की प्रतिक्रिया मिल गई है।
नईम के मुताबिक, इजरायल ने फिलिस्तीन की मुख्य मांगों को नहीं माना। इनमें लड़ाई को पूरी तरह खत्म करना और गाजा पर लगी पुरानी नाकेबंदी हटाना शामिल है।
उन्होंने कहा कि यह प्रस्ताव युद्धविराम के दौरान भी इजरायल के कब्जे और लोगों की तकलीफों को जारी रहने देगा।
नईम ने कहा, “इसके बावजूद हमास का नेतृत्व फिलिस्तीनी जनता के खिलाफ जारी हिंसा और मानवीय संकट को ध्यान में रखते हुए ज़िम्मेदारी के साथ इस प्रस्ताव पर विचार कर रहा है।”
हमास ने पहले कहा था कि उसे मध्यस्थों के जरिए नया युद्धविराम प्रस्ताव मिला है। वह इसका मूल्यांकन इस तरह कर रहा है कि यह फिलिस्तीनी लोगों के हितों की रक्षा करे और गाजा के लोगों के लिए स्थायी शांति और राहत लाने में मदद करे।
हमास ने पहले कहा था कि वह विटकॉफ के साथ एक समझौते के “सामान्य ढांचे” पर सहमत हो गया है। इस समझौते का मकसद स्थायी युद्धविराम करना, इजरायल की गाजा से पूरी तरह वापसी सुनिश्चित करना, राहत सामग्री की आपूर्ति शुरू करना और हमास से एक स्वतंत्र फिलिस्तीनी समिति को सत्ता सौंपना है।
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