राष्ट्रीय समाचार
‘केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना’ के लाभार्थियों की संख्या में जबरदस्त उछाल, बढ़कर 47.6 लाख हुए

नई दिल्ली, 1 अप्रैल। स्वास्थ्य मंत्रालय के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) के लाभार्थियों की संख्या 2019-20 में 34.2 लाख से 39 प्रतिशत बढ़कर 2023-24 में 47.6 लाख हो गई है।
इस बीच, सीजीएचएस के तहत लिस्टेड निजी अस्पतालों को रीइंबर्समेंट 2019-20 में 24 प्रतिशत से बढ़कर 2023-24 में लगभग 60 प्रतिशत हो गई है।
पिछले साल दिसंबर में सीजीएचएस ने लिस्टेड अस्पतालों को एक सलाह जारी की थी, जिसमें कहा गया था कि निदेशालय के ध्यान में आया है कि कुछ स्वास्थ्य सेवा संगठन ‘बिल जमा करते समय धोखाधड़ी की गतिविधियों में लिप्त हैं।’ साथ ही अधिक शुल्क लेने, उपचार करने से मना करने और दूसरी शिकायतों की भी रिपोर्ट की गई है।
सीजीएचएस पर 2019-20 और 2023-24 के बीच कुल खर्च में 54 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) केंद्र सरकार के कर्मचारियों, पेंशनभोगियों और उनके आश्रितों को बड़े पैमाने पर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करती है।
यह वेलनेस सेंटर और लिस्टेड अस्पतालों के बड़े नेटवर्क के माध्यम से चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करता है, जिसमें परामर्श, उपचार, निदान और दवाएं शामिल हैं, जो सुलभ और सस्ती स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करता है।
इस बीच, ‘आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन’ के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, अब 76 करोड़ से अधिक भारतीयों के पास आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट (एबीएचए) आईडी है।
आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी-पीएमजेएवाई) का एक प्रमुख घटक एबीएचए, एक खाता/संख्या है, जिसका इस्तेमाल किसी व्यक्ति के सभी स्वास्थ्य रिकॉर्ड को जोड़ने के लिए किया जाता है। एबीएचए का उद्देश्य लाभार्थियों के लिए जेब से होने वाले खर्च को कम करना और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच में सुधार करना है।
लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, मार्च में अब तक 55,10,259 ‘आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट’ खाते खोले गए, जिनमें से 1,67,257 बुधवार को खोले गए। उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 1,319.1 लाख स्वास्थ्य खाते हैं, उसके बाद 623.8 लाख स्वास्थ्य खातों के साथ राजस्थान और 585.9 लाख स्वास्थ्य खातों के साथ महाराष्ट्र का नाम आता है।
एबी-पीएमजेएवाई दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना है, जिसने हाल ही में देश में 70 वर्ष से अधिक आयु के सभी वरिष्ठ नागरिकों को मुफ्त स्वास्थ्य कवरेज देकर अपनी उपलब्धियों में एक और उपलब्धि जोड़ ली है।
यह कदम ऐसे समय उठाया गया है, जब अनुमान है कि 2050 तक भारत की बुजुर्ग आबादी दोगुनी हो जाएगी और इससे वृद्धावस्था देखभाल की मांग बढ़ेगी। 2050 तक भारत में हर पांच में से एक व्यक्ति के बुजुर्ग होने की उम्मीद है।
राजनीति
रविशंकर प्रसाद ने सदन में कांग्रेस को याद दिलाया ‘इतिहास’, बोले ‘तब शाहबानो केस में सुप्रीम कोर्ट का पलटा था फैसला’

नई दिल्ली, 2 अप्रैल। भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद ने वक्फ संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान शाहबानो केस का जिक्र करते हुए कांग्रेस पार्टी पर जमकर हमला बोला।
रविशंकर प्रसाद ने कहा, “वक्फ की प्रॉपर्टी पर कितने स्कूल खुले, कितने अनाथालय बने, कितने सिलाई केंद्र बने, यह सवाल है। आज वक्फ की प्रॉपर्टी की फंडिंग बढ़ाने और उनके समाज को आगे बढ़ाने के लिए कुछ हो रहा है तो विपक्ष को इससे क्या परेशानी है। दिल से तो कह रहे हैं कि सुधार हो, लेकिन राजनीतिक इच्छा इन्हें रोकती है।”
उन्होंने कहा, “शाहबानो केस में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि शाहबानो को मुआवजा दिया जाए, तो हल्ला मचा, तब राजीव गांधी पीएम थे। बहुमत था। आरिफ मोहम्मद खान सरकार में मंत्री थे। दो दिन ऐतिहासिक भाषण हुआ। राजीव गांधी ने उन्हें बुलाया कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला बदलने के लिए कानून ला रहे हैं। तीन तलाक पर फैसला आया। 2 साल तक इनकी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब नहीं फाइल किया, ताकि फैसला अटका रहे। राजीव गांधी को 400 सीट मिली और शाहबानो में वे झुक गए। उसके बाद आज तक कांग्रेस को बहुमत नहीं मिला। देश की हवा कहां चल रही है, आप समझिए। पीएम मोदी को एक बार बहुमत मिला, दूसरी बार बहुमत मिला। तीसरी बार लोगों ने जिता दिया, दिल्ली भी जिता दिया और अब बिहार भी जीतेंगे।”
उन्होंने कहा, “आज मैं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के बारे में बात करना चाहता हूं। जब सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक के मामले की सुनवाई चल रही थी, तो बोर्ड ने कोर्ट से कहा था कि, ‘आप फैसला मत दीजिए, हम एक निकाहनामा बनाकर पूरे देश में प्रसारित करेंगे, जिसमें लिखा होगा कि निकाह करते समय एक शर्त यह भी रखी जाएगी कि तीन तलाक न हो।’ याद कीजिए, जब कानून पास हुआ था, तो ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने तीन तलाक कानून के खिलाफ बहुत बड़ा आंदोलन खड़ा किया था।”
रविशंकर प्रसाद ने आगे कहा, “मैं विपक्ष की बात सुन रहा था, वह कह रहे थे कि वक्फ बिल में संशोधन होना चाहिए, लेकिन नहीं भी होना चाहिए। ये कैसे हो सकता है। आजकल एक लाल किताब चल रही है। हम संविधान की हरी किताब लेकर आए हैं। संविधान में लिखा है कि महिलाओं के विकास के लिए कानून बनाया जा सकता है। संविधान की दुहाई का जवाब मैं संविधान से ही दे रहा हूं।”
उन्होंने आगे कहा, “महिलाओं के लिए संशोधन किया जा रहा है तो यह बिल असंवैधानिक कैसे है? मैं बिहार से आता हूं, वहां बहुत सारे पिछड़े मुसलमान हैं। यूपी में भी हैं। उन्हें वक्फ मैनेजमेंट में मौका नहीं मिलता। इस बिल में इसका जिक्र है कि वक्फ में पिछड़े मुसलमानों को जगह दी जाएगी तो इन्हें परेशानी क्यों है?”
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि हमारी सरकार ने जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाने का काम किया। चुनाव हुआ तो एक भी हिंसा की घटना नहीं हुई। जहां पाकिस्तान के झंडे लहराते थे, वहां तिरंगा लहरा रहा है। भारत माता की जय बोला जा रहा है। वोट बैंक की राजनीति के लिए यह देश किस हद तक गिर सकता है? नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर जानबूझकर जो बवाल मचाया गया था, उसे याद कीजिए। विदेशों में उत्पीड़न का सामना करने वाले हिंदू, सिख और ईसाइयों को भारत लाया गया। इसका भारतीय मुसलमानों पर कोई असर नहीं हुआ, फिर भी बेवजह हंगामा मचाया गया। अब एक बार फिर गुमराह करने और अशांति पैदा करने की कोशिश की जा रही है। अब वोटों की सौदागरी बंद होगी क्योंकि समय बदल रहा है।
राजनीति
वक्फ बिल से मुसलमानों को फायदा, विपक्ष कर रहा गुमराह : शहाबुद्दीन रजवी

बरेली, 2 अप्रैल। ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के प्रमुख मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने बुधवार को कहा कि वक्फ (संशोधन) विधेयक से मुसलमानों को कोई खतरा नहीं है, बल्कि इससे उन्हें काफी लाभ होगा। उन्होंने दावा किया कि कुछ राजनीतिक समूह विधेयक के बारे में अनावश्यक भय फैलाकर जनता को गुमराह कर रहे हैं।
रजवी ने कहा, “मुझे उम्मीद है कि संसद में वक्फ (संशोधन) विधेयक बिना किसी व्यवधान के पारित हो जाएगा। विपक्ष निश्चित रूप से हंगामा करेगा क्योंकि वह वोट बैंक की राजनीति करना चाहता है, इसलिए वह अपने वोट बैंक को बनाए रखने के लिए निश्चित रूप से हंगामा करेगा।”
इस बिल से मुस्लिम समुदाय को नुकसान पहुंचने की आशंकाओं को खारिज करते हुए उन्होंने कहा, “वक्फ (संशोधन) विधेयक से मुसलमानों को कोई खतरा नहीं है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) और राजनीतिक समूहों से जुड़े अन्य लोग मुसलमानों को डरा रहे हैं, उन्हें गुमराह कर रहे हैं, अफवाहें फैला रहे हैं और गलतफहमियां पैदा कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा, “हालांकि, मैं मुसलमानों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि न तो उनकी मस्जिदें और न ही ईदगाह, दरगाह या कब्रिस्तान छीने जाएंगे। यह केवल और केवल एक अफवाह है।”
बिल के फायदों पर प्रकाश डालते हुए रजवी ने कहा, “संशोधन लागू होने के बाद होने वाली आय गरीब, कमजोर, असहाय, धर्मपरायण और विधवा मुसलमानों पर खर्च की जाएगी। इससे उनकी तरक्की और विकास होगा। शिक्षा के क्षेत्र में काम किया जाएगा और इससे होने वाली आय से स्कूल, कॉलेज, मदरसे और मस्जिद खोले जाएंगे और उनका रखरखाव किया जाएगा।”
विधेयक के उद्देश्य के बारे में विस्तार से कहा, “हमारे बुजुर्गों की कल्पना के अनुसार वक्फ का उद्देश्य यह था कि इससे होने वाली आय को जनकल्याण कार्यों में लगाया जाए। लेकिन भ्रष्टाचार के कारण ऐसा नहीं हो सका।”
उन्होंने कहा, “अब यह नया विधेयक भ्रष्टाचार को रोकेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि पैसा वैध उद्देश्यों पर खर्च हो। यह मुसलमानों की तरक्की के लिए है, जिन्हें इससे लाभ होगा। निजी लाभ के लिए करोड़ों रुपये की वक्फ बोर्ड की जमीनों की अवैध बिक्री पर रोक लगेगी और आय का उपयोग सही उद्देश्यों के लिए किया जाएगा।”
विधेयक के पारित होने की आशा व्यक्त करते हुए, रजवी ने कहा, “हमें उम्मीद है कि यह विधेयक संसद के दोनों सदनों, लोकसभा और राज्यसभा में पारित हो जाएगा और यह मुसलमानों के हित में साबित होगा, तथा लोगों के कल्याण के लिए एक मील का पत्थर बनेगा।”
रजवी ने इससे पहले भी कई मुस्लिम समूहों और राजनीतिक दलों पर इस बिल के बारे में समुदाय को गुमराह करने का आरोप लगाया है। उन्होंने एआईएमपीएलबी पर अपने मूल उद्देश्य से भटकने और राजनीतिक एजेंडों से प्रभावित होने का भी आरोप लगाया है।
राजनीति
वक्फ संशोधन बिल लोकसभा में होगा पेश, भाजपा-कांग्रेस समेत कई पार्टियों ने जारी किया व्हिप

नई दिल्ली, 2 अप्रैल। वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 बुधवार को निचले सदन लोकसभा में पेश होगा। इस पर चर्चा के लिए स्पीकर ओम बिरला ने 8 घंटे का समय निर्धारित किया है। वक्फ अधिनियम, 1995 में पहली बार संशोधन नहीं किया जा रहा है। इस कानून में 2013 में यूपीए की सरकार के समय भी संशोधन हुए थे।
बिल पर बहस के लिए सत्ताधारी गठबंधन को 4 घंटे 40 मिनट का समय दिया गया है। लोकसभा में बहस के लिए भाजपा, कांग्रेस, जदयू, टीडीपी समेत पार्टियों ने अपने सांसदों के लिए व्हिप जारी कर दिया है।
मंगलवार को संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने दोहराया कि सरकार बिल पर चर्चा चाहती है और इस पर सभी राजनीतिक दलों को बोलने का अधिकार है। देश भी जानना चाहता है कि किस पार्टी का क्या स्टैंड है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर विपक्ष चर्चा में शामिल नहीं होना चाहता तो ऐसा रोकने से उन्हें कोई रोक भी नहीं सकता।
वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 के उद्देश्यों और कारणों के विवरण में कहा गया है कि वर्ष 2013 में अधिनियम में व्यापक संशोधन किए गए थे।
इसमें आगे कहा गया है, “संशोधनों के बावजूद, यह देखा गया है कि राज्य वक्फ बोर्डों की शक्तियों, वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण और सर्वेक्षण, अतिक्रमणों को हटाने, वक्फ की परिभाषा सहित संबंधित मुद्दों को प्रभावी ढंग से संबोधित करने के लिए अधिनियम में अब भी और सुधार की आवश्यकता है।”
इसमें कहा गया है कि 2013 में अधिनियम में संशोधन न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) राजिंदर सच्चर की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों और वक्फ और केंद्रीय वक्फ परिषद पर संयुक्त संसदीय समिति की रिपोर्ट के आधार पर और अन्य हितधारकों के साथ विस्तृत परामर्श के बाद किया गया था।
विधेयक 2024 का एक प्रमुख उद्देश्य वक्फ अधिनियम, 1995 का नाम बदलकर एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास अधिनियम, 1995 करना है।
बता दें, केंद्र सरकार वक्फ बोर्ड एक्ट में करीब 40 बदलाव करना चाहती है। एक अहम बदलाव वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों का प्रवेश हो सकता है। इसका मकसद महिलाओं और अन्य मुस्लिम समुदाय की सहभागिता को बढ़ाना है। साथ ही नए बिल में बोर्ड पर सरकार का नियंत्रण बढ़ाया जा सकता है।
विधेयक पर चर्चा और उसके बाद उसे मंजूरी मिलना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार द्वारा निचले सदन में एनडीए की संख्यात्मक श्रेष्ठता का दावा करने के लिए शक्ति प्रदर्शन के अवसर के रूप में भी देखा जा रहा है।
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