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Thursday,19-June-2025
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टीम के चयन में कोई गलती नहीं थी, फिल्डिंग और बल्लेबाजी ने किया निराश : रूट

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 इंग्लैंड के कप्तान जो रूट ने शनिवार को गाबा में एशेज के पहले मैच में नौ विकेट की हार के लिए टीम के बल्लेबाजी और फिल्डिंग को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने आगे कहा कि टीम चयन में कुछ भी गलत नहीं था। तीसरे दिन के खेल खत्म होने तक कप्तान रूट और डेविड मलान ने मिलकर 147 रनों की साझेदारी की थी। लेकिन, चौथे दिन टीम ने महज 77 रनों पर ही आठ विकेट खो दिए, जिससे इंग्लैंड 297 रनों पर ऑल आउट हो गया। इस प्रकार ऑस्ट्रेलिया को 20 रनों का लक्ष्य मिला, जिससे कंगारूओं ने एक विकेट गंवा नौ विकेट से मैच को अपने नाम कर लिया।

रूट ने कोच क्रिस सिल्वरवुड का बचाव करते हुए कहा, “एंडरसन और ब्रॉड को आराम देना टीम का फैसला था, क्योंकि मैं कहना चाहूंगा कि हम अपनी टीम में बदलाव चाहते थे, हम खेल की गति को बदलने की सोच रहे थे।”

हार के बाद रूट ने सेन रेडियो के माध्यम से कहा, “ईमानदारी से कहूं तो हमें बहुत सारे मौके मिले, जिन्हे हमने गंवा दिए, फिल्डिंग और बल्लेबाजी ने हमें पूरी तरह से निराश किया। इस तरह की पिच पर हमें भी अच्छी बल्लेबाजी करनी चाहिए थी, जैसा की ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाजों ने की। दूसरी तरफ, हमारे गेंदबाजों ने अच्छी गेंदबाजी की।”

कप्तान ने कहा कि टीम ने तीसरे दिन बेहतरीन प्रदर्शन कर मैच में वापसी की थी।

अंतरराष्ट्रीय

इजरायली सेना की उपलब्धियों से वर्ल्ड लीडर्स प्रभावित: नेतन्याहू

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तेल अवीव, 19 जून। इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के अनुसार वर्ल्ड लीडर्स ने इजरायली सेना के दृढ़ संकल्प और उपलब्धियों को सराहा है।

इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते संघर्ष की शुरुआत बीते शुक्रवार से हुई। नेतन्याहू ने ईरान के खिलाफ ‘ऑपरेशन राइजिंग लायन’ शुरू करने की घोषणा की, जो ईरान के परमाणु हथियारों के खतरे को कम करने के लिए एक टारगेटेड सैन्य अभियान है।

इसके बाद तेहरान की ओर से तीव्र और आक्रामक जवाबी कार्रवाई शुरू हुई, जिससे क्षेत्र एक व्यापक युद्ध के कगार पर पहुंच गया।

नेतन्याहू ने बुधवार को राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा “मुझे आपको बताना चाहिए कि मैं विश्व नेताओं से बात करता हूं। वह हमारे दृढ़ संकल्प और हमारी सेना की उपलब्धियों से बहुत प्रभावित हैं। वह आपसे, इजरायल के नागरिकों से, आपकी दृढ़ भावना और आपकी दृढ़ता से भी बहुत प्रभावित हैं।”

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मिले उनके समर्थन को लेकर इजरायली प्रधानमंत्री ने कहा, “मैं इजरायल के एक महान मित्र राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को हमारे साथ खड़े होने और इजरायल के एयरस्पेस की रक्षा में मदद करने में अमेरिका के सपोर्ट के लिए धन्यवाद देता हूं। हम अक्सर बात करते हैं, जिसमें पिछली रात की बातचीत भी शामिल है। हमारी बातचीत बहुत गर्मजोशी से हुई। मैं ट्रंप को उनके समर्थन के लिए धन्यवाद देता हूं।”

नेतन्याहू ने कहा कि ईरान के खिलाफ ‘ऑपरेशन राइजिंग लॉयन’ अभियान का उद्देश्य इजरायल के लिए दो अस्तित्वगत खतरों को दूर करना था। हम पर परमाणु खतरा और बैलिस्टिक मिसाइल का खतरा है। इजरायल इन खतरों को दूर करने के लिए कदम-दर-कदम आगे बढ़ रहा है।

उन्होंने कहा, “हम तेहरान के एयरस्पेस को कंट्रोल करते हैं। हम अयातुल्ला शासन पर बहुत जोरदार हमला कर रहे हैं। हम न्यूक्लियर इंस्टॉलेशन्स, मिसाइल्स, कमांड सेंटर्स और शासन के प्रतीकों पर हमला कर रहे हैं। हमें बहुत नुकसान हो रहा है लेकिन हम देखते हैं कि घरेलू मोर्चा मजबूत है। लोग मजबूत हैं, और इजरायल राज्य पहले से कहीं अधिक मजबूत है। मैंने सरकारी मंत्रालयों को उन सभी लोगों की सहायता करने का निर्देश दिया है, जिन्हें नुकसान पहुंचा है।”

नेतन्याहू ने यह भी उल्लेख किया है कि गाजा पट्टी में ‘तीव्र लड़ाई’ जारी है। उन्होंने कहा कि इजरायल पीछे नहीं हटेगा। वह दो कार्यों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है- “हमास को हराना और हमारे सभी बंधकों को वापस लाना, चाहे वह जीवित हों या मृत। खेद के साथ इतना जरूर कहूंगा कि, हाल के दिनों में भी हमारे वीर सैनिक मारे गए हैं। मैं परिवारों के दुख में शामिल हूं। हम सरकार और पूरे देश की ओर से उन्हें संवेदनाएं भेजते हैं। हम तब तक संघर्ष जारी रखेंगे, जब तक हमास को हरा नहीं देते।”

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अंतरराष्ट्रीय

ईरान में फंसी भारतीय पर्वतारोही फल्गुनी डे वीजा संबंधी उलझन के कारण अस्तारा सीमा पर फंसी

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कोलकाता: संघर्ष प्रभावित तेहरान से 500 किलोमीटर की जोखिम भरी सड़क यात्रा के बाद फंसे हुए भारतीय पर्यटक फल्गुनी डे मंगलवार शाम को अजरबैजान से लगती ईरान की अस्तारा सीमा पर पहुंच गए, लेकिन उनकी परेशानी अभी खत्म नहीं हुई है।

डे अब अज़रबैजान पार करने और बाकू पहुंचने के लिए आवश्यक जटिल कागजी कार्रवाई के जाल में फंस गए हैं, जहां से वह घर लौटने की योजना बना रहे हैं।

डे ने पीटीआई को एक वॉयस मैसेज के जरिए बताया, “मैं इस यात्रा के जरिए तेहरान में बमों से बचने में कामयाब हो गया, लेकिन अब मैं ईरान की अस्तारा सीमा पर फंस गया हूं, क्योंकि अजरबैजान के अधिकारी मुझे उस सरकार द्वारा जारी विशेष माइग्रेशन कोड के बिना अपने देश में स्वीकार नहीं करेंगे और मेरा ई-वीजा काम नहीं करेगा।”

कोलकाता के इस कॉलेज प्रोफेसर ने कहा, “मेरे लाख समझाने के बावजूद मुझे बताया गया कि उस कोड को आने में कम से कम एक पखवाड़ा और लगेगा, और मुझे नहीं पता कि मैं ईरान में इतने लंबे समय तक कैसे जीवित रह पाऊंगा।”

वास्तविकता में इसका मतलब यह है कि उत्तर-पूर्वी ईरान में कैस्पियन सागर के पास अस्तारा से बाकू में एक होटल के कमरे की सुरक्षा तक 300 किलोमीटर की अतिरिक्त यात्रा अब डे के लिए एक दूर का सपना बनकर रह गई है।

पीटीआई ने मंगलवार को डे की दुर्दशा के बारे में रिपोर्ट की थी। डे भी एक शौकिया पर्वतारोही हैं। वे माउंट दामावंद के ज्वालामुखी शिखर पर चढ़ने के लिए 5 जून को तेहरान पहुंचे थे। वे इजरायली मिसाइलों के कारण 17 जून तक तेहरान में फंसे रहे। इसके बाद उन्होंने सड़क मार्ग से शहर से भागने और अजरबैजान सीमा तक पहुंचने का हताश प्रयास किया।

डे ने लगभग रोते हुए कहा, “मैं इस समय शारीरिक और भावनात्मक रूप से पूरी तरह से थक चुका हूँ। इसके अलावा, मैं पैसों की भारी कमी से जूझ रहा हूँ और घर पहुँचने की अनिश्चितता मुझे परेशान कर रही है। मुझे सुरक्षित निकालने के लिए मेरे सारे प्रयास और मेरे परिवार और दोस्तों द्वारा खर्च किया गया पैसा बेकार हो गया है।”

डे ने बताया कि कोलकाता से उनके परिवार द्वारा बाकू में होटल की बुकिंग की गई थी, जहां डे को बुधवार सुबह पहुंचना था, लेकिन सीमा चौकी पर जटिलताओं के कारण उन्हें सीमा पार नहीं कर पाने के कारण बुकिंग रद्द करनी पड़ी।

उन्होंने कहा, “यहां तक ​​कि बाकू से मुंबई जाने वाली उड़ान, जिसके लिए मैंने टिकट बुक किया था, भी चारों ओर व्याप्त अनिश्चितताओं के कारण रद्द कर दी गई है।”

डे ने कहा, “तेहरान में किसी ने मुझे नहीं बताया कि मेरा ई-वीज़ा ज़मीन के रास्ते अज़रबैजान जाने के लिए पर्याप्त नहीं है और मुझे इस विशेष प्रवासन पास कोड की भी ज़रूरत है, ख़ास तौर पर इस तरह की युद्ध स्थिति में। मैंने उस कोड के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू करने में कोई समय बर्बाद नहीं किया, लेकिन अधिकारियों ने मुझे ई-मेल के ज़रिए जवाब दिया कि इस प्रक्रिया को पूरा होने में कम से कम 15 दिन लगेंगे।”

उन्होंने आगे कहा, “मैं ऐसी जगह पर इतना लंबा इंतजार कैसे कर सकता हूं? यहां विदेशियों की लंबी कतार है और उनके पास हर तरह के वीजा हैं। मैं उन्हें अपने-अपने वतन लौटने के लिए सीमा पार करते हुए देख सकता हूं। लेकिन मेरे जैसे भारतीयों को बताया गया है कि सीमा पार करने के लिए हमारे पास माइग्रेशन कोड होना अनिवार्य है।”

हालांकि, डे पर मंडरा रहे इस काले बादल के बीच अच्छी बात यह है कि उन्हें अपने देश में मित्रों और परिवार के सदस्यों तथा इस सुदूर देश में अजनबियों से भी निरंतर समर्थन मिल रहा है।

डे ने कहा, “कलकत्ता विश्वविद्यालय की कुलपति सांता दत्ता लगातार मेरे संपर्क में हैं। वह दूतावास से संपर्क करने और मेरे सुरक्षित बाहर निकलने के लिए अधिकारियों से संपर्क करने में मेरी मदद कर रही हैं। पर्वतारोही देबाशीष बिस्वास भी ऐसा ही कर रहे हैं। तेहरान में भारतीय दूतावास की सांस्कृतिक शाखा के एक वरिष्ठ अधिकारी बलराम शुक्ला भी मेरी मदद कर रहे हैं।”

उन्होंने पीटीआई को बताया कि तेहरान और बाकू दोनों स्थानों पर दूतावास के अधिकारी ईरान में फंसे भारतीयों की मदद के लिए युद्ध स्तर पर मिलकर काम कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, “दूतावासों ने अब मेरे दस्तावेज अज़रबैजानी अधिकारियों को भेज दिए हैं ताकि मैं इस देश से बाहर निकल सकूं, क्योंकि मैं अभी भी विशेष स्थिति में फंसा हुआ हूं।”

डे ने बताया कि जिस कार से वे तेहरान से अस्तारा जा रहे थे, उसे भोजन, शौचालय और ईंधन भरने के लिए कई बार रुकना पड़ा।

डे ने कहा, “ईरान में फिलहाल कार ईंधन की सीमा तय है। एक निर्धारित सीमा से अधिक ईंधन भरना संभव नहीं है। इसलिए हमें ईंधन भरने के लिए कई बार रुकना पड़ा।”

हालांकि, परेशान पर्यटक ने अपनी स्थानीय ट्रैवल एजेंसी के ड्राइवर दम्पति के प्रति गहरा आभार व्यक्त किया, जो उसकी सुरक्षा का ख्याल रखने के लिए अस्तारा सीमा टर्मिनल तक उसके साथ आए, उसे भावनात्मक समर्थन दिया और यहां तक ​​कि उसके लिए फल और चाय भी लाये।

वर्तमान अनिश्चितता को देखते हुए डे ने कहा कि अब वह अर्मेनिया सीमा तक आठ घंटे की अतिरिक्त यात्रा करने के विकल्प पर विचार कर रहे हैं, ताकि वहां जाने के लिए अपनी किस्मत आजमा सकें।

इस बीच, डे को अपने शुभचिंतकों की प्रार्थनाओं पर ही भरोसा है।

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अंतरराष्ट्रीय

जी-7 के लिए कनाडा की यात्रा का समापन, प्रधानमंत्री मोदी क्रोएशिया के लिए रवाना हुए

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कनानास्किस, 18 जून। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कनाडा दौरा सफल रहा है। अब पीएम मोदी अपनी तीन देशों की यात्रा के अंतिम पड़ाव में क्रोएशिया के लिए रवाना हो गए हैं। इसके पहले उन्होंने कनाडा के लोगों और सरकार को जी7 शिखर सम्मेलन की सफल मेजबानी के लिए धन्यवाद दिया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को जी-7 सम्मेलन में भाग लेने के लिए कनाडा की अपनी सफल यात्रा पूरी की। प्रधानमंत्री मोदी विशेष आमंत्रण पर कनाडा में आयोजित जी7 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने गए। उन्होंने जी-7 शिखर सम्मेलन में वैश्विक नेताओं के साथ कई उच्च स्तरीय बैठकें की। पीएम मोदी की जी-7 शिखर सम्मेलन में लगातार ये छठी भागीदारी रही।

कनाडा दौरे को लेकर पीएम मोदी ने एक पोस्ट में लिखा, “कनाडा की एक सफल यात्रा का समापन। कनाडा के लोगों और सरकार को जी7 शिखर सम्मेलन की सफल मेजबानी के लिए धन्यवाद, जिसमें विविध वैश्विक मुद्दों पर सार्थक चर्चा हुई। हम वैश्विक शांति, समृद्धि और स्थिरता को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”

पीएम मोदी ने अपनी यात्रा के दौरान जिन मुद्दों पर चर्चा की, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने उनके बारे में जानकारी दी। रणधीर जायसवाल ने “एक्स” पर लिखा, “प्रधानमंत्री मोदी ने कनाडा की अपनी बहुत ही सफल यात्रा पूरी की। जी7 शिखर सम्मेलन में ऊर्जा सुरक्षा, प्रौद्योगिकी और नवाचार जैसे वैश्विक संदर्भ में महत्वपूर्ण मुद्दों पर सार्थक बातचीत की। कई नेताओं से मुलाकात की और द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा की।”

पीएम मोदी फिलहाल क्रोएशिया की आधिकारिक यात्रा के लिए रवाना हो चुके हैं। क्रोएशिया के प्रधानमंत्री आंद्रेज प्लेंकोविच के निमंत्रण पर पीएम मोदी इस यात्रा पर गए हैं। ये किसी भारतीय प्रधानमंत्री की क्रोएशिया की पहली यात्रा होगी, जो द्विपक्षीय संबंधों में महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी।

तय कार्यक्रम के मुताबिक, पीएम मोदी वहां प्रधानमंत्री प्लेंकोविच के साथ द्विपक्षीय चर्चा करेंगे और क्रोएशिया के राष्ट्रपति जोरान मिलनोविच से मिलेंगे। क्रोएशिया की ये यात्रा यूरोपीय संघ में भागीदारों के साथ संबंध को और मजबूत करने की भारत की प्रतिबद्धता को भी दर्शाती है।

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