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Wednesday,09-April-2025
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पाकिस्तान में प्रधानमंत्री नहीं, सेना करती है प्रमुख फैसले

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Imran Khan

 पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की सत्ता में वापसी होने या न होने का काई खास प्रभाव वाशिंगटन-इस्लामाबाद संबंधों पर नहीं पड़ेगा, क्योंकि दक्षिण एशियाई इस देश में ऐसे फैसले सेना प्रमुख द्वारा लिए जाते हैं, न कि प्रधान मंत्री। डॉन न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार यह विचार अमेरिका की राजधानी में सोमवार शाम आयोजित एक सेमिनार में वक्ताओं ने व्यक्त किया गया।

दक्षिण और मध्य एशियाई मामलों को देखने वाली लीजा कर्टिस ने कहा, मुझे नहीं लगता कि अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों का भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि पाकिस्तान में कौन प्रधानमंत्री होगा, अधिक महत्वपूर्ण यह है कि सेना प्रमुख कौन होगा। ट्रम्प के राष्ट्रपति रहने के दौरान सेना ही महत्वपूर्ण मुद्दों पर निर्णय लिया करती थी। जैसे कि परमाणु कार्यक्रम, भारत के साथ पाकिस्तान के संबंध और आतंकवाद से मुकाबला।

लेकिन कर्टिस ने कहा कि इस तरह का हाइब्रिड लोकतंत्र पाकिस्तान के लिए अच्छा नहीं होगा, क्योंकि यह स्वभाविक रूप से सरकार का अस्थिर रूप है।

चर्चा में पूर्व सीआईए ऑपरेटिव और विश्लेषक डगलस लंदन, संयुक्त अरब अमीरात में पूर्व अफगान राजदूत जावेद अहमद और वाशिंगटन में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत हुसैन हक्कानी ने भाग लिया। डॉन न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार मिडिल ईस्ट इंस्टीट्यूट (एमईआई), वाशिंगटन में पाकिस्तान/अफगानिस्तान स्टडीज के निदेशक मार्विन वेनबाम ने अपने संस्थान द्वारा आयोजित सत्र का संचालन किया।

कर्टिस और हक्कानी दोनों का मानना था कि अब पाकिस्तान और अमेरिका उतने करीब नहीं हैं, जितने तब थे, जब अमेरिका अफगानिस्तान में था।

कर्टिस ने कहा कि अमेरिका यह सुनिश्चित करना चाहता है कि पाकिस्तान चीन के करीब न जाए। उन्होंने कहा, अमेरिका चाहता है कि यूक्रेन में पाकिस्तान उसका समर्थन करे।

लंदन ने कहा कि अमेरिका के अफगानिस्तान से हटने के बाद से दोनों देशों के बीच तनाव कम हो गया था।

हक्कानी ने उल्लेख किया कि अमेरिका-पाकिस्तान संबंध एक आर्थिक आवश्यकता के रूप में शुरू हुआ, लेकिन इसके नेताओं ने आर्थिक पहलू पर बहुत कम ध्यान दिया।

कर्टिस ने कहा कि पाकिस्तान के लिए अमेरिका की मुख्य चिंता परमाणु सुरक्षा और एक विफल राज्य की संभावना है।

अहमद ने कहा कि इमरान खान के आरोपों के कारण अमेरिका पाकिस्तान की मौजूदा राजनीतिक हालात में एक पार्टी बन गया था।

हक्कानी ने कहा कि सेना पर्दे के पीछे से अभी भी राजनीतिक घटनाक्रमों को प्रभावित करने की कोशिश कर रही है।

कर्टिस ने टिप्पणी की कि खान को हटाए जाने के बाद सेना को बड़े पैमाने पर समर्थन की उम्मीद नहीं थी और अब वर्तमान राजनीतिक स्थिति अगले सेना प्रमुख के लिए एक बड़ी चुनौती होगी।

अंतरराष्ट्रीय समाचार

कनाडा में भारतीय नागरिक की चाकू घोंपकर हत्या

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ओटावा, 5 अप्रैल। कनाडा के ओटावा के निकट रॉकलैंड इलाके में एक भारतीय नागरिक की चाकू घोंपकर हत्या कर दी गई, जिसके बाद स्थानीय अधिकारियों ने तुरंत कार्रवाई की। कनाडा में भारतीय दूतावास ने शनिवार सुबह घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि एक संदिग्ध को हिरासत में ले लिया गया है।

भारतीय दूतावास ने एक बयान जारी कर घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया और पीड़ित परिवार को सहायता देने का भी ऐलान किया।

दूतावास ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, “ओटावा के निकट रॉकलैंड में चाकू घोंपने से एक भारतीय नागरिक की दुखद मौत से हम बहुत दुखी हैं। पुलिस ने बताया है कि एक संदिग्ध को हिरासत में ले लिया गया है। हम शोक संतप्त परिजनों को हर संभव सहायता प्रदान करने के लिए स्थानीय सामुदायिक संघ के माध्यम से निकट संपर्क में हैं।”

हालांकि चाकू मारने की घटना का विवरण अभी भी अस्पष्ट है, लेकिन स्थानीय मीडिया रिपोर्टों से पता चलता है कि यह घटना सुबह-सुबह क्लेरेंस-रॉकलैंड क्षेत्र में हुई।

अधिकारियों ने अभी तक इसकी पुष्टि नहीं की है कि क्या यह वही मामला है जिसका उल्लेख भारतीय दूतावास ने किया है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, हत्या की चल रही जांच के तहत ओन्टारियो प्रांतीय पुलिस (ओपीपी) ने क्षेत्र में अपनी उपस्थिति बढ़ा दी है।

पुलिस ने रॉकलैंड निवासियों को भी चेतावनी जारी की है, जिसमें उन्हें सलाह दी गई है कि वे कानून प्रवर्तन की गतिविधियों में वृद्धि की अपेक्षा करें, जबकि अधिकारी अपराध से जुड़ी परिस्थितियों की जांच जारी रखेंगे।

कनाडा स्थित दूतावास ने जनता को आश्वासन दिया कि वह इस कठिन समय में पीड़ित परिवार को सभी आवश्यक सहायता प्रदान कर रहा है।

चाकू घोंपने के पीछे का मकसद अभी भी स्पष्ट नहीं है और जांच जारी है। दूतावास ने स्थानीय अधिकारियों के साथ निरंतर संपर्क बनाए रखने का वादा किया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि परिवार को उनकी ज़रूरत के मुताबिक सहायता मिले और मामले से जुड़ी आगे की कार्रवाई में मदद मिले।

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अंतरराष्ट्रीय समाचार

प्रधानमंत्री मोदी ने बिम्सटेक देशों के बीच व्यापार और पर्यटन को बढ़ाने के लिए यूपीआई लिंक का दिया प्रस्ताव

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बैंकॉक, 4 अप्रैल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को भारत के यूपीआई को बिम्सटेक देशों के पेमेंट सिस्टम से जोड़ने का प्रस्ताव दिया। इससे ग्रुप के सदस्य देशों के बीच व्यापार और पर्यटन बढ़ाने में मदद मिलेगी।

इसके अलावा, सात देशों (बांग्लादेश, भूटान, भारत, नेपाल, श्रीलंका, म्यांमार और थाईलैंड) के समूह की छठी समिट में प्रधानमंत्री मोदी ने स्थानीय करेंसी में रीजन में व्यापार बढ़ाने के लिए बिम्सटेक चेम्बर ऑफ कॉमर्स स्थापित करने का प्रस्ताव दिया।

प्रधानमंत्री मोदी ने 28 मार्च को म्यांमार और थाईलैंड में आए

बिम्सटेक समिट में बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में समृद्धि, सुरक्षा और समावेशिता के प्रति साझा प्रतिबद्धता को साकार करने के लिए बैंकॉक विजन 2030 को अपनाया गया।

प्रधानमंत्री मोदी ने बिम्सटेक समूह के दायरे और क्षमताओं को लगातार बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया, गृह मंत्रियों के तंत्र को संस्थागत बनाने का स्वागत किया और भारत में पहली बैठक आयोजित करने की पेशकश की।

उन्होंने आगे कहा कि यह मंच साइबर अपराध, साइबर सुरक्षा खतरों, आतंकवाद, साथ ही नशीली दवाओं और मानव तस्करी के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इस संबंध में, मैं 2025 में इसकी पहली बैठक भारत में आयोजित करने का प्रस्ताव करता हूं।

थाईलैंड द्वारा आयोजित बिम्सटेक समिट में भारत, बांग्लादेश, नेपाल, म्यांमार, श्रीलंका और भूटान के शीर्ष नेता भाग ले रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि एक स्वतंत्र, खुला, सुरक्षित और संरक्षित हिंद महासागर हमारी साझा प्राथमिकता है।

उन्होंने कहा, “आज साइन हुए समुद्री परिवहन समझौते से व्यापारिक नौवहन और माल परिवहन में सहयोग मजबूत होगा और व्यापार में तेजी आएगी।”

विनाशकारी भूकंप में हुई जानमाल की हानि पर अपनी संवेदना व्यक्त की और आपदा की तैयारी, राहत और पुनर्वास पर सहयोग के लिए भारत में बिम्सटेक सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर डिजास्टर मैनेजमेंट की स्थापना का प्रस्ताव रखा।

इसके अलावा, प्रधानमंत्री मोदी ने भारत में एक सस्टेनेबल मैरीटाइम ट्रांसपोर्ट सेंटर की स्थापना की भी बात की। उन्होंने कहा, “यह केंद्र समुद्री नीतियों में क्षमता निर्माण, अनुसंधान, नवाचार और समन्वय पर ध्यान केंद्रित करेगा और समुद्री सुरक्षा में सहयोग को भी बढ़ावा देगा।”

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अंतरराष्ट्रीय समाचार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने म्यांमार के वरिष्ठ जनरल से की बात, कहा- मुश्किल वक्त में भारत साथ खड़ा है

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नई दिल्ली, 29 मार्च। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को म्यांमार के वरिष्ठ जनरल महामहिम मिन आंग ह्लाइंग से बात की। उन्होंने कहा कि भारत इस मुश्किल घड़ी में म्यांमार के लोगों के साथ एकजुटता से खड़ा है।

एक्स पर एक पोस्ट में मोदी ने कहा, “म्यांमार के वरिष्ठ जनरल महामहिम मिन आंग ह्लाइंग से बात की। विनाशकारी भूकंप में हुई मौतों पर अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की। एक करीबी दोस्त और पड़ोसी के रूप में, भारत इस मुश्किल घड़ी में म्यांमार के लोगों के साथ एकजुटता से खड़ा है। ऑपरेशन ब्रह्मा के तहत आपदा राहत सामग्री, मानवीय सहायता, खोज और बचाव दल को प्रभावित क्षेत्रों में तेजी से भेजा जा रहा है।”

म्यांमार और पड़ोसी थाईलैंड में शुक्रवार को उच्च तीव्रता वाला भूकंप आया, जिससे इमारतें, पुल और अन्य बुनियादी ढांचे नष्ट हो गए। म्यांमार में कम से कम 1,002 लोगों की मौत हुई।

भारत ने शनिवार को म्यांमार को 15 टन से अधिक राहत सामग्री भेजी। विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने एक पोस्ट में कहा कि ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ के हिस्से के रूप में, भारत ने शुक्रवार के भीषण भूकंप से प्रभावित म्यांमार के लोगों की सहायता के लिए पहले प्रतिक्रियाकर्ता के रूप में काम किया। टेंट, कंबल, स्लीपिंग बैग, भोजन के पैकेट, स्वच्छता किट, जनरेटर और जरूरी दवाओं सहित 15 टन राहत सामग्री की हमारी पहली खेप यांगून पहुंच गई है।”

इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को विनाशकारी भूकंप पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने एक्स पर लिखा, “म्यांमार और थाईलैंड में भूकंप के बाद की स्थिति से चिंतित हूं। सभी की सुरक्षा और खुशहाली के लिए प्रार्थना करता हूं। भारत हर संभव सहायता देने के लिए तैयार है। इस संबंध में, हमने अपने अधिकारियों से तैयार रहने को कहा है। साथ ही विदेश मंत्रालय से म्यांमार और थाईलैंड की सरकारों के साथ संपर्क में रहने को कहा है।”

म्यांमार में शुक्रवार दोपहर को 7.7 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप आया, सागाइंग के पास आए इस भूकंप के बाद 2.8 से 7.5 तीव्रता के 12 झटके महसूस किए गए, जिससे प्रभावित इलाकों में हालात और खराब हो गए। म्यांमार के राज्य प्रशासन परिषद की सूचना टीम ने जानकारी दी है कि भूकंप में 1,002 लोग मारे गए, 2,376 लोग घायल हुए और 30 लोग अब भी लापता हैं।

म्यांमार के नेता वरिष्ठ जनरल मिन आंग ह्लाइंग ने स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय समुदायों से मानवीय सहायता की अपील की है।

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