खेल
आईपीएल में 4 बार अंकतालिका में शीर्ष पर रही टीम ही बनी विजेता

इस साल खेले गए इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के 13वें सीजन में मुंबई इंडियंस विजेता बनी है। मुंबई ने लीग चरण का अंत पहले स्थान पर रहते हुए किया था। अभी तक के आईपीएल इतिहास में ऐसा चार बार हो चुका है कि जिस टीम ने लीग चरण का अंत पहले स्थान पर रहते हुए किया है, वही टीम विजेता बनी हो। 2008 में शुरू हुई इस लीग के पहले संस्करण में शेन वार्न की कप्तानी वाली राजस्थान रॉयल्स ने खिताब जीता था। उसने चेन्नई सुपर किंग्स को फाइनल में हराया था। राजस्थान ने इस संस्करण में लीग चरण का अंत 14 मैचों में 22 अंक लेकर पहले स्थान के साथ किया था और फिर फाइनल में विजेता बनी थी।
इस घटनाक्रम का दोहराव मुंबई ने लंबे अरसे बाद 2017 में किया। मुंबई ने इस सीजन 14 मैचों में 20 अंक लेकर लीग चरण का अंत अंकतालिका में पहले स्थान पर रहते हुए किया था। टीम फाइनल में पहुंची और राइजिंग पुणे सुपरजाएंट्स को हरा कर तीसरा खिताब जीतने में सफल रही थी।
2019 में एक बार फिर मुंबई ने इस स्थिति को रिपीट किया। 14 मैचों में 18 अंक ले मुंबई ने पहला स्थान हासिल करते हुए प्लेऑफ में जगह बनाई और फिर फाइनल में महेंद्र सिंह धोनी की चेन्नई सुपर किंग्स को हराया।
इस साल आईपीएल का आयोजन कोविड-19 के कारण संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में किया गया था। मुंबई ने इस सीजन मे भी प्लेऑफ में प्रवेश पहले स्थान पर रहते हुए किया और फिर मंगलवार रात को खेले गए फाइनल में पहली बार की फाइनलिस्ट दिल्ली कैपिटल्स को मात दे पांचवीं बार खिताब जीता।
मुंबई इस सीजन मौजूदा विजेता के तौर पर लीग में उतरी थी और वह अपना खिताब बचाने में भी सफल रही। वह आईपीएल खिताब बचाने वाली दूसरी टीम बनी है। मुंबई से पहले चेन्नई ने 2010 और 2011 में लगातार दो बार आईपीएल खिताब जीते थे।
अपराध
सुप्रीम कोर्ट ने भारत-पाकिस्तान मैच रद्द करने की याचिका पर तत्काल सुनवाई से किया इनकार

suprim court
नई दिल्ली, 11 सितम्बर। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को 14 सितंबर को दुबई में होने वाले भारत-पाकिस्तान एशिया कप टी-20 क्रिकेट मैच को रद्द करने की मांग वाली जनहित याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया।
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि मैच रविवार को निर्धारित है। अगर इसे शुक्रवार तक सूचीबद्ध नहीं किया गया तो यह याचिका निरर्थक हो जाएगी। याचिका पर न्यायमूर्ति जे.के. माहेश्वरी और विजय बिश्नोई की पीठ ने कहा, “इस रविवार को मैच है, हम इसमें क्या कर सकते हैं? रहने दीजिए। मैच चलना चाहिए।”
याचिकाकर्ताओं के वकील ने दलील दी कि चाहे उनका पक्ष मजबूत हो या न हो, मामले को कम से कम सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाना चाहिए। हालांकि, न्यायमूर्ति माहेश्वरी की अध्यक्षता वाली पीठ ने तत्काल सुनवाई के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया और दोहराया कि मैच चलना चाहिए।
चार विधि छात्रों द्वारा दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि पहलगाम आतंकवादी हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान के साथ क्रिकेट मैच आयोजित करने से राष्ट्रीय गरिमा और जनभावना के विपरीत संदेश जाएगा।
याचिका में तर्क दिया गया है कि पाकिस्तान, जो आतंकवाद को पनाह देता है, के साथ खेल में भाग लेने से सशस्त्र बलों का मनोबल गिरता है। शहीदों और आतंकवाद के पीड़ितों के परिवारों को पीड़ा होती है।
इसके अलावा, याचिका में यह भी तर्क दिया गया कि क्रिकेट को राष्ट्रीय हित, नागरिकों के जीवन या सशस्त्र कर्मियों के बलिदान से ऊपर नहीं रखा जा सकता।
जनहित याचिका में कहा गया है, “यह टी20 क्रिकेट मैच पाकिस्तानी आतंकवादियों के हाथों अपनी जान गंवाने वाले पीड़ितों के परिवारों की भावनाओं को भी ठेस पहुंचा सकता है। राष्ट्र की गरिमा और नागरिकों की सुरक्षा मनोरंजन से पहले आती है। इस मैच का जारी रहना राष्ट्र की सुरक्षा, अखंडता और मनोबल के लिए हानिकारक है।”
इसके अलावा, याचिका में कहा गया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट मैच का आयोजन यह दर्शाता है कि बहादुर सैनिकों और नागरिकों के जीवन की तुलना में मनोरंजन और राजस्व सृजन को प्राथमिकता दी जा रही है।
याचिका में आगे कहा गया है, “मैच भारत के सभी नागरिकों की भावनाओं का मजाक उड़ाने के अलावा और कुछ नहीं है। बीसीसीआई को युवा मामले और खेल मंत्रालय के क्षेत्राधिकार में लाने के लिए कदम उठाने का समय आ गया है।”
एशिया कप 2025 में भारत और पाकिस्तान के बीच 14 सितंबर (रविवार) को दुबई में मुकाबला होना है। दोनों देशों के बीच 21 सितंबर और एशिया कप के फाइनल में भी मैच हो सकता है। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद हो रहे भारत-पाकिस्तान मैच का विरोध देश में सामाजिक और राजनीतिक संगठन कर रहे हैं।
अनन्य
बिहार एसआईआर मामला: सुप्रीम कोर्ट से विपक्ष को बड़ा झटका, ड्राफ्ट वोटर लिस्ट की समय सीमा बढ़ाने से इनकार

नई दिल्ली, 1 सितंबर: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बिहार एसआईआर (में विशेष गहन पुनरीक्षण) मामले में विपक्षी दलों को बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने ड्राफ्ट वोटर लिस्ट पर दावे और आपत्ति दर्ज करने की समय सीमा 1 सितंबर से आगे बढ़ाने की मांग को खारिज कर दिया है। हालांकि, कोर्ट ने आयोग के आश्वासन को रिकॉर्ड पर लिया कि 1 सितंबर की समय सीमा के बाद भी लोग अपनी आपत्तियां और दावे दर्ज कर सकेंगे।
आयोग ने स्पष्ट किया कि नामांकन की अंतिम तारीख तक मतदाता सूची में नाम जोड़ने और हटाने का काम जारी रहेगा। इस मामले में अगली सुनवाई 8 सितंबर को होगी।
चुनाव आयोग के वकील एकलव्य द्विवेदी ने कहा, “आज की सुनवाई में दो याचिकाएं दायर की गईं। मुख्य मांग थी कि आधार कवरेज को 65 प्रतिशत की बजाय सभी 7.2 करोड़ मतदाताओं तक बढ़ाया जाए और समयसीमा को भी बढ़ाया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों मांगों को खारिज कर दिया है। साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने ईसीआई का डाटा नोट किया है कि 99.5 प्रतिशत लोगों का आवेदन हो चुका है और कोर्ट ने आयोग के आश्वासन को रिकॉर्ड पर लिया है कि 1 सितंबर की डेडलाइन के बाद भी ड्राफ्ट वोटर लिस्ट को लेकर लोग अपनी आपत्ति या दावा पेश कर सकते हैं।”
उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने आधार की मांग को भी नकारा है। कोर्ट ने माना है कि आधार का उद्देश्य नागरिकता को साबित करने का नहीं बल्कि पहचान को साबित करने का है। आधार कार्ड को ‘डेट ऑफ बर्थ’ का आधार माना जा सकता है।”
चुनाव आयोग ने कोर्ट को बताया कि ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जिला निर्वाचन अधिकारियों और बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर प्रकाशित की गई है। समाचार पत्रों में विज्ञापन भी जारी किए गए हैं। आयोग ने कहा कि 1 सितंबर से 25 सितंबर तक दावे और आपत्तियां दर्ज करने के लिए पर्याप्त समय है और इसके बाद भी कोई रोक नहीं है।
आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि 30 सितंबर के बाद भी आवेदन स्वीकार किए जाएंगे और सही दावों को मतदाता सूची में शामिल किया जाएगा।
वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने ‘बिहार स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी’ के चेयरमैन को निर्देश दिया कि वे पैरा-लीगल वॉलेंटियर्स को मतदाताओं की मदद के लिए नोटिफिकेशन जारी करें, ताकि दावे और आपत्तियां दर्ज करने में सहायता मिल सके।
याचिकाकर्ताओं ने मांग की थी कि आधार कार्ड को स्वीकार करने का आदेश केवल 65 लाख लोगों तक सीमित नहीं रहना चाहिए। इस पर कोर्ट ने कहा कि यदि आधार कार्ड के कारण किसी का नाम मतदाता सूची में शामिल नहीं हुआ, तो उनकी सूची 8 सितंबर को कोर्ट के समक्ष पेश की जाए।
इससे पहले, याचिकाकर्ता प्रशांत भूषण ने उच्च न्यायालय में तर्क दिया कि 22 अगस्त को कोर्ट ने आधार कार्ड को दस्तावेज के रूप में स्वीकार करने का आदेश दिया था, लेकिन चुनाव आयोग पारदर्शिता के अपने निर्देशों का पालन नहीं कर रहा।
उन्होंने आशंका जताई कि कई ‘रिन्यूमेरेशन फॉर्म’ ब्लॉक लेवल ऑफिसर्स (बीएलओ) द्वारा भरे गए हैं। भूषण ने यह भी कहा कि आयोग कुछ मतदाताओं को नोटिस जारी कर रहा है, जिसमें दस्तावेजों में कमी का हवाला दिया जा रहा है।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में छूट गए लोग आधार कार्ड के साथ दावा पेश कर सकते हैं। हालांकि, आधार की अहमियत को मौजूदा कानूनी प्रावधानों से अधिक नहीं बढ़ाया जा सकता। कोर्ट ने यह भी कहा कि आयोग को कानून के तहत आधार की वैधानिकता को स्वीकार करना होगा।
इस मामले की अगली सुनवाई 8 सितंबर को होगी, जिसमें कोर्ट आधार कार्ड के आधार पर मतदाता सूची में शामिल न किए गए लोगों की सूची पर विचार करेगा।
राष्ट्रीय
जालंधर में भारी बारिश के चलते दुकानदारों को लाखों का नुकसान, करंट लगने से रेलकर्मी की मौत

जालंधर, 1 सितंबर: पंजाब में हो रही लगातार बारिश के चलते जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। जालंधर शहर में मूसलाधार बारिश के बाद दुकानों और घरों के अंदर पानी भर गया। जालंधर के रिहायशी इलाके मॉडल टाउन में भी जलभराव हो गया है। मॉडल टाउन की कई कमर्शियल बिल्डिंग में पानी पहुंच गया है, जिस वजह से वहां पर अपना कारोबार कर रहे लोगों को लाखों का नुकसान हो गया है।
जालंधर में ट्रेनों का आवागमन भी प्रभावित हुआ है। कई ट्रेनें तीन घंटे की देरी से चल रही हैं। ट्रेनों के लेट होने की वजह से यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
वहींं, सुबह एक रेलवे कर्मचारी की ड्यूटी के दौरान बिजली का करंट लगने से मौत हो गई। जालंधर की मॉडल मार्केट जलमग्न हो गई है। बारिश के चलते मार्केट की दुकानों में पानी भरने से दुकानदारों को लाखों का नुकसान हो गया।
कांग्रेस विधायक प्रगट सिंह ने कहा कि प्रशासन को समय रहते सारे इंतजाम कर लेने चाहिए थे, लेकिन प्रशासन इसमें विफल रहा है। हालांकि, अब प्रशासन पानी निकालने का प्रयास कर रहा है। लोगों को हुए भारी नुकसान की भरपाई कौन करेगा, इसका जवाब प्रशासन नहीं दे रहा। रिहायशी इलाकों में जलभराव हो गया है। लोगों के घरों में पानी भर गया है। यहां 90 प्रतिशत तक सीवरेज ब्लॉक हैं, ऐसे में जलभराव स्वाभाविक है।
इससे पहले, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने रविवार को प्रधानमंत्री मोदी को एक पत्र लिखकर राज्य के लिए राहत की मांग की थी।
मुख्यमंत्री ने कहा था कि पंजाब के लिए मुश्किल समय है, इसलिए केंद्र सरकार पंजाब का 60,000 करोड़ रुपए का रुका हुआ फंड जारी करे।
मुख्यमंत्री मान ने पत्र में लिखा था कि पंजाब इस समय दशकों की सबसे बड़ी आपदाओं में से एक से जूझ रहा है, जिसका असर लगभग 1,000 गांवों और लाखों लोगों पर पड़ा है। भारी बारिश और बांधों से पानी छोड़े जाने के कारण 7 जिलों गुरदासपुर, कपूरथला, अमृतसर, पठानकोट, फिरोजपुर, फाजिल्का और होशियारपुर में भीषण बाढ़ आ गई है। स्थिति बिगड़ती जा रही है और आने वाले दिनों में ज्यादा बिगड़ने की आशंका है।
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