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द नन 2 समीक्षा: ताइसा फ़ार्मिगा की फ़िल्म देखने में आकर्षक है लेकिन इसमें सरलता का अभाव है

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शीर्षक: द नन II
निदेशक: माइकल चाव्स
कलाकार: तैसा फ़ार्मिगा, जोनास ब्लोक्वेट, स्टॉर्म रीड, अन्ना पॉपपवेल, बोनी आरोन्स, केटलीन रोज़ डाउनी, मैक्सिम एलियास-मेनेट, पास्कल औबर्ट, एलेक्जेंड्रा जेंटिल
कहां: सिनेमाघरों में.
रेटिंग: **1/2

कॉन्ज्यूरिंग फ्रेंचाइजी की यह नौवीं फिल्म 2018 में रिलीज हुई- द नन का सीक्वल है। यह अपने पूर्ववर्ती से कई गुना बेहतर है, फिर भी आविष्कारशील, रोमांचक या डरावना होने से बहुत दूर है। कॉन्ज्यूरिंग यूनिवर्स को आतंकित करने वाले दानव की मूल कहानी न होने के बावजूद, यह हमें उस दानव का एक उचित विचार देने के लिए अतीत में जाने का प्रबंधन करता है जो इन डरावनी कहानियों के केंद्र में है। फिल्म बहादुर सिस्टर आइरीन (ताइसा फार्मिगा), नौकर मौरिस उर्फ फ्रेंची (जोनास ब्लोक्वेट) और युवा लड़की सोफी (केटलिन रोज डाउनी) के जीवन पर आधारित है, जो फ्रांस के एक बोर्डिंग स्कूल में अपनी मां ग्रेस के साथ रहती है। पूरे यूरोप में विभिन्न चर्चों, कॉन्वेंट, मठों और मठों में अप्रिय घटनाओं की एक श्रृंखला के बाद, वेटिकन ने राक्षस के बारे में पता लगाने और उससे छुटकारा पाने के लिए सिस्टर आइरीन को बुलाया। बिशप ने उसे याद दिलाया, “सांता क्लारा एबे में, आपने एक चमत्कार किया, चर्च को एक और चमत्कार की जरूरत है।” अधिकतर, व्याख्या मौखिक होती है, जो भिक्षुणी विहार की रसोई में होती है या बिशप और सिस्टर आइरीन के बीच बातचीत होती है जब वह उसे फ्रांस के बोर्डिंग स्कूल में भेजने से पहले बुलाता है। हमें बताया गया है, “राक्षस कुछ प्रतिष्ठित पुरस्कार या कुछ प्राचीन अवशेष चाहता है” और इस प्रकार वह इससे जुड़े लोगों पर हमला कर रहा है। एक समानांतर, गैर-रैखिक कथानक में मध्यम गति के साथ, शुरुआत में कथन भ्रमित करने वाला हो जाता है। पहले दो कार्य स्वप्न दृश्यों में बुने गए डरावने प्रसंगों के मानक पुनरावृत्ति से भरे हुए हैं या, कभी-कभी, बिना किसी कारण-और-प्रभाव अनुक्रम के, केवल प्रभावों के लिए, यादृच्छिक और अनुचित।

यह केवल अंतिम कार्य में है, जब सिस्टर आइरीन, सिस्टर डेबरा (स्टॉर्म रीड) के साथ बोर्डिंग स्कूल पहुंचती है, तो कथा फलती-फूलती है। आखिरी एक्ट में बहुत सारी चीख-पुकार, चीख-पुकार और दांत काटने वाले क्षण हैं, लेकिन तब तक कहानी में निवेश करने के लिए बहुत देर हो चुकी है, जिसमें तनाव या रहस्य का अभाव है। प्रदर्शन के मोर्चे पर, अभिनेता डर को चित्रित करने वाले अपने ठोस अभिनय से आपको स्क्रीन से बांधे रखते हैं। ताइसा फ़ार्मिगा और जोनास ब्लोक्वेट अपनी भूमिकाओं को ईमानदारी से निभाने में शानदार हैं। कलाकारों के नए सदस्य, विशेष रूप से सोफी के रूप में केटलीन रोज़ डाउनी और विद्रोही नन डेबरा के रूप में स्टॉर्म रीड, अपनी जीवंत उपस्थिति से स्क्रीन को चमकाते हैं। आकर्षक मौरिस के साथ सोफी का बंधन कहानी में दोस्ती का एक भावनात्मक रंग जोड़ता है। छोटे लड़के जैक्स के रूप में मैक्सिम एलियास-मेनेट, फादर नॉएरेट के रूप में पास्कल ऑबर्ट और सोफी की मां ग्रेस के पास ऑन-स्क्रीन गौरव के क्षण हैं। कुल मिलाकर, हालांकि फिल्म उत्कृष्ट उत्पादन मूल्यों, कैमरा वर्क, ध्वनि डिजाइन और कला निर्देशन के साथ चतुराई से बनाई गई है, लेकिन इसमें सरलता का अभाव है।

बॉलीवुड

‘मंडला मर्डर्स’ के सेट पर रो पड़े थे वैभव राज, ‘विक्रम सिंह’ की भूमिका को बताया शानदार

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मुंबई, 30 जुलाई। अभिनेता वैभव राज गुप्ता की वेब सीरीज ‘मंडला मर्डर्स’ रिलीज हो चुकी है, जिसमें उनके अभिनय की तारीफ हो रही है। सीरीज में पुलिस अधिकारी विक्रम सिंह की भूमिका निभाने वाले एक्टर ने बताया कि यह किरदार उनके लिए बेहद खास है। उन्होंने बताया कि वह शूटिंग के दौरान सेट पर रो पड़े थे।

उन्होंने बताया कि इस किरदार के लिए चुना जाना उनके लिए गर्व का पल था। वैभव ने अपनी इस सफर को याद करते हुए कहा कि यशराज फिल्म्स के दरवाजे उनके लिए खुलना और लुक टेस्ट का पहला दिन उनके लिए यादगार था।

वैभव ने बताया, “मैंने ‘मंडला मर्डर्स’ के पहले दिन से आखिरी दिन तक हर पल को रिकॉर्ड किया। यशराज फिल्म्स के साथ काम करने का मौका मिलना मेरे लिए बेहद खास है और इसे मैं कभी नहीं भूलूंगा। लुक टेस्ट का पहला दिन भी एक बड़ा पड़ाव था। इस भूमिका के लिए चुना जाना मेरे लिए गर्व की बात है।”

उन्होंने अपनी तैयारी के बारे में बताया कि निर्देशक गोपी पुथरन और मनन रावत ने महीनों तक उनके साथ वर्कशॉप किया। अभिनेता ने बताया, “विक्रम का किरदार मेरे व्यक्तित्व से बिल्कुल उलट है। वह एक गुस्सैल इंसान है। मैंने उसके रोल को निभाने के लिए गोपी के साथ मिलकर उसके खड़े होने, चलने, गुस्से को व्यक्त करने और आवाज के लहजे पर काम किया। यह किरदार धीरे-धीरे मेरे अंदर बस गया।”

वैभव ने किरदार की भावनात्मक गहराई के बारे में कहा, “विक्रम का किरदार आसान नहीं था। कई सीन के बाद मैं सेट पर रो पड़ा, क्योंकि यह किरदार बहुत कुछ झेलता है। मैं इसे वास्तविक और व्यक्तिगत बनाना चाहता था। मेरे निर्देशकों ने मुझे भावनात्मक गहराई लाने में बहुत मदद की।”

‘मंडला मर्डर्स’ उत्तर प्रदेश के काल्पनिक शहर चरणदासपुर की कहानी पर आधारित है। यह रहस्य, अलौकिक और मनोवैज्ञानिक थ्रिलर का मिश्रण है।

आठ एपिसोड वाली इस सीरीज में वैभव राज गुप्ता के साथ वाणी कपूर, सुरवीन चावला, रघुबीर यादव और श्रिया पिलगांवकर मुख्य भूमिकाओं में हैं।

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मनोरंजन

गूगल और मेटा को पेशी के लिए ईडी ने फिर भेजा समन, 21 जुलाई को नहीं पहुंचे थे इनके प्रतिनिधि

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नई दिल्ली, 28 जुलाई। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अवैध ऑनलाइन सट्टेबाजी ऐप्स को बढ़ावा देने के मामले में टेक दिग्गज गूगल और मेटा को दोबारा 21 जुलाई को समन भेजा था। इन दोनों टेक कंपनियों के प्रतिनिधियों को 28 जुलाई (सोमवार) को ईडी मुख्यालय में पूछताछ के लिए बुलाया गया है। इससे पहले इन दोनों टेक कंपनियों को 21 जुलाई को दिल्ली स्थित ईडी मुख्यालय में पूछताछ के लिए बुलाया गया था, लेकिन वे पेश नहीं हो पाए थे।

ऐसे में ईडी ने दोनों कंपनियों को दोबारा समन भेज कर 28 जुलाई को पेश होने के लिए कहा। बता दें कि ईडी की जांच उन ऑनलाइन सट्टेबाजी ऐप्स पर केंद्रित है जो कथित तौर पर अवैध जुए और मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल हैं। इनमें महादेव बेटिंग ऐप और फेयरप्ले आईपीएल जैसे ऐप्स शामिल हैं।

ईडी का आरोप है कि गूगल और मेटा ने अपने प्लेटफॉर्म्स पर इन अवैध सट्टेबाजी ऐप्स को विज्ञापनों के जरिए बढ़ावा दिया और इनकी पहुंच को व्यापक बनाने में मदद की। जांच में पाया गया कि ये ऐप्स स्किल-बेस्ड गेमिंग के नाम पर अवैध सट्टेबाजी को बढ़ावा देते हैं। इन प्लेटफॉर्म्स के जरिए करोड़ों रुपये की अवैध कमाई की गई, जिसे हवाला चैनलों के माध्यम से छिपाया गया ताकि जांच से बचा जा सके।

ईडी ने इन ऐप्स के विज्ञापनों को गूगल और मेटा के प्लेटफॉर्म्स पर प्रमुखता से प्रदर्शित होने का आरोप लगाया है, जिससे इनके यूजर्स बढ़े।

10 जुलाई को ईडी ने इस मामले में 29 मशहूर हस्तियों के खिलाफ कार्रवाई की थी। इनमें अभिनेता विजय देवरकोंडा, राणा दग्गुबाती, प्रकाश राज, निधि अग्रवाल, प्रणिता सुभाष, मंचू लक्ष्मी और अनन्या नगेला शामिल थें। इसके अलावा, टीवी कलाकार, होस्ट और सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स जैसे श्रीमुखी, श्यामला, वर्षिणी सौंदर्यराजन, वसंती कृष्णन, शोभा शेट्टी, अमृता चौधरी, नयनी पावनी, नेहा पठान, पांडु, पद्मावती, हर्षा साय और बय्या सनी यादव के नाम भी जांच में हैं।

इन पर जंगली रम्मी, ए23, जीतविन, परिमैच और लोटस365 जैसे प्लेटफॉर्म्स के प्रचार का आरोप है, जो मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल हैं। यह जांच पब्लिक गैंबलिंग एक्ट, 1867 और मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत हो रही है। तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में दर्ज पांच एफआईआर के आधार पर ईडी ने यह कार्रवाई शुरू की।

मार्च में, साइबराबाद पुलिस ने भी विजय देवरकोंडा, राणा दग्गुबाती और प्रकाश राज सहित कई हस्तियों के खिलाफ अवैध सट्टेबाजी ऐप्स के प्रचार का मामला दर्ज किया था। हालांकि, इन हस्तियों ने सफाई दी कि वे किसी अवैध ऐप का प्रचार नहीं कर रहे थे। ईडी अब इन सभी मामलों की गहन जांच कर रहा है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की तैयारी में है।

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मनोरंजन

‘उदयपुर फाइल्स’ फिल्म पर जमीयत चीफ अरशद मदनी ने सुप्रीम कोर्ट में जताई आपत्ति

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नई दिल्ली, 24 जुलाई। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है। उन्होंने फिल्म पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह भारतीय मुसलमानों को आतंकवाद के समर्थक के रूप में दर्शाती है, जो सांप्रदायिक वैमनस्य को बढ़ावा दे सकती है।

मदनी ने दावा किया कि कथित तौर पर फिल्म में भारतीय मुसलमानों को पाकिस्तान के आतंकवादियों के प्रति सहानुभूति रखने वाला या उनके इशारे पर काम करने वाला दिखाया गया है। उन्होंने इसे दुर्भावनापूर्ण और सांप्रदायिक सद्भाव के लिए खतरा बताया और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर से गठित स्क्रीनिंग कमेटी के आदेश पर भी सवाल उठाए।

उन्होंने कहा कि मंत्रालय उनकी आपत्तियों का समाधान करने में विफल रहा और केवल कमेटी की रिपोर्ट पर भरोसा किया। कमेटी ने फिल्म में सिर्फ छह मामूली बदलावों का सुझाव दिया, जो उनके मुताबिक अपर्याप्त हैं। मदनी ने आरोप लगाया कि सरकार ने सेंसर बोर्ड (सीबीएफसी) के सदस्यों को ही स्क्रीनिंग कमेटी में शामिल किया, जबकि जमीयत ने सेंसर बोर्ड के सर्टिफिकेट को ही चुनौती दी थी। यह हितों के टकराव का मामला है। उन्होंने कहा कि सरकार को ऐसी कमेटी का गठन नहीं करना चाहिए था। जमीयत ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि फिल्म के निर्माताओं को निर्देश दिया जाए कि वे एक निजी स्क्रीनिंग आयोजित करें, ताकि कोर्ट में सुनवाई कर रहे जज फिल्म की सामग्री और मंशा को समझ सकें।

मदनी का कहना है कि यह फिल्म न केवल भारत-पाकिस्तान के मुद्दे पर केंद्रित है, बल्कि यह भारतीय मुसलमानों को गलत तरीके से प्रस्तुत करती है, जिससे देश में सांप्रदायिक तनाव बढ़ सकता है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है।

‘उदयपुर फाइल्स’ एक अपकमिंग हिंदी क्राइम थ्रिलर फिल्म है, जो 28 जून 2022 को उदयपुर में कन्हैया लाल साहू की निर्मम हत्या की वास्तविक घटना से प्रेरित है। भारत एस. श्रीनाथ और जयंत सिन्हा की ओर से निर्देशित इस फिल्म में विजय राज, रजनीश दुग्गल और प्रीति झांगियानी मुख्य भूमिकाओं में हैं। यह फिल्म दर्जी कन्हैया लाल की हत्या, इसके बाद की सामाजिक-राजनीतिक चुप्पी और न्याय की लड़ाई को दर्शाती है।

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