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Tuesday,08-April-2025
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परिजनों का सवाल, ‘क्यों 18 अगस्त को मनाई गई नेताजी की पुण्यतिथि?’

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Netaji-Subhash-Chandra

नेताजी सुभाष चंद्र बोस के परिवार के कुछ सदस्य और कई कार्यकर्ता स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस की पुण्यतिथि के तौर पर 18 अगस्त को चिह्न्ति किए जाने से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता सहित कई राजनेताओं से नाराज हैं।

नेताजी के परपोते और एक्टिविस्ट इंद्रनील मित्रा ने इसका विरोध करते हुए कहा, “यह बहुत ही गलत है. इस तारीख पर नेताजी की पुण्यतिथि मनाने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता। यहां तक कि जस्टिस मुखर्जी कमीशन ने भी कहा है कि नेताजी की मौत विमान दुर्घटना में नहीं हुई थी।”

कई लोगों द्वारा उनकी मौत विमान दुर्घटना में होने के तथ्य को मानने से इनकार करने के बावजूद 18 अगस्त को नेताजी की 75वीं पुण्यतिथि के तौर पर मनाया गया। कई लोगों का मानना है कि नेताजी दुर्घटना में बच गए थे और उन्होंने छिपकर अपना बुढ़ापा बिताया और उनकी मृत्यु एक अनसुलझी रहस्य बनी हुई है।

मित्रा ने कहा कि 18 अगस्त को लोगों को स्वतंत्रता सेनानी की पुण्यतिथि के रूप में मनाते हुए देखना बेहद निराश करने वाला है। उन्होंने कहा, “विमान दुर्घटना का सिद्धांत जवाहरलाल नेहरू और उनके सहयोगी लेकर आए थे, वह भी इसलिए ताकि भारत के प्रधानमंत्री के रूप में उनका पद सुरक्षित रहे। उन्होंने नेताजी को युद्ध अपराधी घोषित कर दिया था और पूरे देश में नेताजी की हवाई दुर्घटना में मौत का सिद्धांत फैला दिया गया, जबकि ऐसी विमान दुर्घटना की कोई आधिकारिक सूचना नहीं थी।”

मित्रा ने यह भी आरोप लगाया कि तत्कालीन केंद्र सरकार ने एक विशेष परिवार के राजनीतिक हितों को सुरक्षित रखने के लिए नेताजी के परिवार की दो दशकों से अधिक समय तक जासूसी की।

गौरतलब है कि 18 अगस्त, 1945 को ताइवान में हुए विमान दुर्घटना से बचे नेताजी की मौत कैसे हुई, इसे लेकर कई सिद्धांत हैं। एक सिद्धांत यह भी है कि उन्होंने गुप्त रूप से अपना जीवन व्यतित किया या फिर अन्य तरीके से उनकी मौत हुई होगी।

लेखक और नेताजी पर शोध कर रहे शोधकर्ता डॉ. जयंत चौधरी ने कहा कि यह देखना बेहद ‘दुखद’ है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने नेताजी को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि कैलाश विजयवर्गीय जैसे कई वरिष्ठ भाजपा नेताओं और अन्य लोगों ने भी नेताजी को सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि दी, उनकी पुण्यतिथि मनाई।

उन्होंने कहा कि जस्टिस मुखर्जी कमीशन के जांच में सामने आया था कि, “जैसा कि अधीनस्थ जांच (अधिसूचना के अनुच्छेद 3) पर आयोग का विचार है कि, इसके उपरोक्त निष्कर्षों के परिणामस्वरूप नेताजी की मौत के सवाल से संबंधित प्रकाशनों की जांच को केंद्र सरकार इस तथ्य पर आगे बढ़ा सकती है कि उनकी मौत हो चुकी है, लेकिन कथित विमान दुर्घटना में वह नहीं मरे हैं।”

चौधरी ने कहा कि कमीशन के वर्जन ने ‘स्पष्ट रूप से विमान दुर्घटना के तर्क को साफ कर दिया’ है। उन्होंने आगे कहा, “मुझे नहीं समझ आ रहा है कि मौजूदा सरकार के नेता और कई राजनेता इस दोषपूर्ण सिद्धांत पर विश्वास क्यों कर रहे हैं।”

नेताजी की परपोती राजश्री चौधरी ने भी आईएएनएस को बताया कि विमान दुर्घटना सिद्धांत के फिर से जीवित होने का कोई सवाल ही नहीं है।

उन्होंने दावा किया, “डिक्लासिफाइड फाइलों के अनुसार, नेताजी ने उसके बाद कई लोगों से मुलाकात की थी, जिसमें साल 1968 में रूस के ओम्स्क में क्रांतिकारी वीरेंद्रनाथ चट्टोपाध्याय के बेटे निखिल चट्टोपाध्याय भी थे।”

उन्होंने कहा कि, “प्रधानमंत्री कार्यालय की डिक्लासिफाइड फाइल में एक लेखक-पत्रकार नरेंद्रनाथ सिंदकदक द्वारा दायर एक एफिडेविड था, वह साल 1966 और 1991 के बीच मास्को में थे। उन्होंने एफिडेविड में दावा करते हुए कहा कि चट्टोपाध्याय और उनकी पत्नी कथित विमान दुर्घटना के 23 साल बाद साइबेरियाई शहर में बोस से मिले थे।”

चौधरी ने कहा, “साल 2000 में मुखर्जी कमिशन के सामने दायर सिंदकदर के एफिडेविड में चट्टोपाध्याय के हवाले से कहा गया था कि बोस रूस में छिपे हुए थे, क्योंकि उन्हें आशंका थी कि भारत में उनके खिलाफ युद्ध अपराधी के रूप में मुकदमा चलाया जाएगा।”

नेताजी के परपोती ने कहा कि 18 अगस्त, 1945 के बाद नेताजी के कई रेडियो भाषण सामने आए थे। उन्होंने कहा कि इन सबसे परे नेताजी के बड़े भाई सुरेश चंद्र बोस की शुरुआती जांच में एक रिपोर्ट में कहा गया था कि उनके भाई की कभी भी विमान दुर्घटना में मृत्यु नहीं हुई थी, क्योंकि 18 अगस्त को ताइवान के ताईहाकु में कोई भी विमान न ही उतरा था और न ही वहां से किसी विमान ने उड़ान भरी थी।

राजनीति

हम बिहार का चेहरा बदलना चाहते हैं : राहुल गांधी

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पटना, 7 अप्रैल। लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को कहा कि हिंदुस्तान की सच्चाई की रक्षक संविधान है। भगवान बुद्ध, गुरु नानक, कबीर ऐसे कई महापुरुष हैं, जिन्हें हिंदुस्तान मानता है। भीमराव अंबेडकर ने दलितों की लड़ाई लड़ी, लेकिन यह उन्हें दलितों ने ही सिखाया। उन्होंने उनके दर्द को समझा और उसके बाद उनकी लड़ाई लड़ी।

राहुल गांधी ने पटना में संविधान सुरक्षा सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी की जिम्मेदारी है कि जो गरीब लोग हैं, जो कमजोर लोग हैं, ईबीसी, ओबीसी, गरीब, दलित इन सबको जोड़कर, इज्जत देकर आगे बढ़े। कांग्रेस पार्टी को जिस गति और जिस मजबूती से बिहार में काम करना चाहिए था, वो नहीं किया।

उन्होंने कहा कि हम अपनी गलती से समझे हैं और अब हम बिना रुके पूरी शक्ति के साथ बिहार के गरीब, कमजोर, ओबीसी, ईबीसी, दलित और महादलित को लेकर हम एक साथ आगे बढ़ेंगे।

उन्होंने तेलंगाना के जातीय गणना को पारदर्शी बताते हुए कहा कि वहां जाति का पूरा का पूरा डेटा हमारे हाथ में है। बहुत सारे लोग बहुत तरह की बात करते हैं कि जाति जनगणना नहीं होनी चाहिए, लेकिन हम लोग चाहते हैं कि देशभर में जातीय जनगणना हो।

उन्होंने आरक्षण को लेकर कहा कि आज तेलंगाना में देखेंगे तो वहां बड़ी कंपनियों के मालिक, उसके सीईओ, प्रबंधन में ओबीसी, ईबीसी, दलित और महादलित के लोग नहीं मिलेंगे, लेकिन मजदूर वर्ग की सूची में यही लोग मिलेंगे।

उन्होंने कहा कि मैं 50 फीसदी आरक्षण की इस दीवार को तोड़कर फेंक दूंगा। इस देश को दस-पंद्रह लोग चला रहे हैं। जातीय जनगणना एक क्रांतिकारी कदम है, इससे देश की सच्चाई पता चलेगी।

उन्होंने एक आईआईटी प्रोफेसर का उदाहरण देते हुए कहा कि भले ही आप डॉक्टर, प्रोफेसर या कोई बड़े आदमी बन जाएं, मगर सिस्टम आपको आपका काम सही से नहीं करने देगा। अगर आप डॉक्टर हैं, दलित वर्ग से आते हैं और कोई अस्पताल खोलना चाहते हैं, तो आपको लोन नहीं मिलेगा। बैंक से लोन मिल भी जाएगा तो ब्यूरोक्रेट अड़ंगा लगा देंगे। उन्होंने इस सिस्टम में सुधार की जरूरत बताई।

उन्होंने कहा कि हम बिहार का चेहरा बदलना चाहते हैं। जो बिहार में हुआ है और जो आज बिहार में हो रहा है, जो एनडीए की सरकार बिहार में कर रही है, उससे हम लड़ रहे हैं और उसे हम हराने जा रहे हैं।

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राजनीति

पीएम मुद्रा योजना में 10 वर्षों में बांटे गए 32 लाख करोड़ रुपए से अधिक के लोन

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नई दिल्ली, 7 अप्रैल। पीएम मुद्रा योजना के तहत 10 वर्षों में 32.61 लाख करोड़ रुपए वैल्यू के 52 करोड़ से अधिक लोन दिए गए हैं। यह जानकारी आधिकारिक आंकड़ों में दी गई।

पीएम मुद्रा योजना 8 अप्रैल, 2015 को लॉन्च हुई थी और मंगलवार को इस योजना को 10 वर्ष पूरे हो रहे हैं।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस योजना से छोटे शहरों और गांवों तक कारोबार को बढ़ाने में मदद मिली है। इससे पहली बार कारोबार करने वाले लोगों को प्रोत्साहन मिला है।

एसकेओसीएच की “आउटकम्स ऑफ मोदीनॉमिक्स 2014-24″ रिपोर्ट के अनुसार, ”2014 से हर साल औसतन कम से कम 5.14 करोड़ व्यक्ति-वर्ष रोजगार सृजित हुए हैं, जिसमें अकेले पीएमएमवाई ने 2014 से प्रति वर्ष औसतन 2.52 करोड़ स्थिर और टिकाऊ रोजगार जोड़े हैं। इस परिवर्तन का एक उदाहरण जम्मू-कश्मीर है, इसे मुद्रा योजना के तहत अत्यधिक लाभ हुआ है और 20,72,922 मुद्रा लोन स्वीकृत किए गए हैं।”

वित्त मंत्रालय के डेटा के मुताबिक, ”इस योजना से महिलाओं को सशक्त बनाने में मदद मिली और 70 प्रतिशत से अधिक लोन महिला उद्यमियों द्वारा लिए गए हैं, जिससे उनकी वित्तीय स्वतंत्रता बढ़ी है और लैंगिक समानता में योगदान मिला है।”

पीएम मुद्रा योजना के तहत पिछले नौ वर्षों में प्रति महिला दिए जाने वाले लोन की राशि 13 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़कर 62,679 रुपए हो गई। वहीं, प्रति महिला वृद्धिशील जमा राशि 14 प्रतिशत की सीएजीआर से बढ़कर 95,269 रुपए हो गई।

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने प्रधानमंत्री मुद्रा योजना की सराहना की है और कहा कि यह योजना, जो महिला उद्यमिता पर विशेष ध्यान देने के साथ जमानत-मुक्त लोन प्रदान करती है, ने महिलाओं के स्वामित्व वाले एमएसएमई की संख्या को बढ़ाने में मदद की है, जो अब 28 लाख से अधिक हो गए हैं।

एसबीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 10 वर्षों में मुद्रा योजना ने 52 करोड़ से अधिक लोन खाते खोलने में मदद की है, जो उद्यमशीलता गतिविधि में भारी उछाल को दर्शाता है।

पीएम मुद्रा योजना के तहत, किशोर लोन (50,000 से 5 लाख रुपए), जो बढ़ते व्यवसायों का समर्थन करते हैं, वित्त वर्ष 2016 में 5.9 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 2025 में 44.7 प्रतिशत हो गए हैं, जो छोटे उद्योगों की वास्तविक प्रगति को दर्शाता है।

तरुण श्रेणी (5 लाख से 10 लाख रुपए) भी तेजी से आगे बढ़ रही है, जो साबित करती है कि मुद्रा केवल व्यवसाय शुरू करने के बारे में नहीं है, बल्कि उन्हें बढ़ाने में मदद करती है।

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महाराष्ट्र

मुंबई पुलिस आधुनिक प्रयोगशालाओं और प्रौद्योगिकी से लैस है: मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस

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मुंबई: साइबर अपराध और साइबर धोखाधड़ी पर अंकुश लगाने के लिए मुंबई पुलिस ने खुद को आधुनिक तकनीक से लैस कर लिया है। तदनुसार, मुंबई पुलिस ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के हाथों एक फोरेंसिक लैब, एक विशेष वैन, एक इंटरसेप्ट वैन और अन्य आधुनिक उपकरणों सहित तीन साइबर लैब का उद्घाटन किया। इस अवसर पर बोलते हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने कहा कि साइबर धोखाधड़ी और ऑनलाइन धोखाधड़ी पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस को आधुनिक बनाया गया है और पुलिस साइबर धोखाधड़ी से लेकर अन्य अपराधों को सुलझाने के लिए इन आधुनिक उपकरणों का उपयोग करेगी।
फडणवीस ने कहा कि जिस तरह से आज लोगों को ऑनलाइन बेवकूफ बनाकर डिजिटल गिरफ्तारी जैसी घटनाएं हो रही हैं, उसी तरह पुलिस ने इन घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए जांच के तरीकों से लेकर अन्य चीजों में महत्वपूर्ण क्रांति ला दी है। उन्होंने कहा कि महिलाओं की सहायता के लिए पुलिस थानों में विशेष सहायता कक्ष भी स्थापित किए गए हैं, जिनमें महिलाओं को तत्काल सहायता मिलेगी। उन्होंने कहा कि महिलाओं के लिए एक विशेष वैन भी तैयार की गई है ताकि उन्हें तुरंत मदद मिल सके। इस कार्यक्रम में मुंबई पुलिस आयुक्त विवेक पनसालकर, विशेष पुलिस आयुक्त देविन भारती, संयुक्त पुलिस आयुक्त सत्यनारायण चौधरी और वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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