खेल
भारत में बदलेगा ‘ई-स्पोर्ट्स’ इंडस्ट्री का सूरतेहाल, राष्ट्रीय स्तर पर मिलने जा रही मान्यता

नई दिल्ली, 3 अक्टूबर : इस माह ड्राफ्ट रूल्स जारी होने के साथ ‘ई-स्पोर्ट्स’ को आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय खेल के रूप में मान्यता मिलने जा रही है। यह मसौदा भारतीय ई-गेमिंग के परिदृश्य को हमेशा के लिए बदल सकता है।
ई-स्पोर्ट्स को ‘द प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग रूल्स 2025’ के अंतर्गत लाकर अब विशेष रूप से युवा मामले और खेल मंत्रालय के तहत विनियमित किया जाएगा। यह व्यवस्था ई-स्पोर्ट्स को जुए के साथ होने वाले भ्रम और नियामक अव्यवस्था से बाहर निकालकरएक स्पष्ट पहचान देगी।
इसके साथ ही, एक ऑनलाइन गेमिंग अथॉरिटी ईस्पोर्ट्स टाइटल्स को रजिस्टर करेगी। यह अथॉरिटी नियमों का पालन सुनिश्चित करेगी और शिकायतों का निपटारा करेगी। देखा जाए तो, अब ई-स्पोर्ट्स को वही प्रशासनिक ढांचा मिला है, जो क्रिकेट या हॉकी में देखने को मिलता है।
अब ई-स्पोर्ट्स को कौशल-आधारित, प्रतिस्पर्धी गतिविधि के रूप में माना जाएगा, जो किसी फैंटेसी या किस्मत पर आधारित गेम से अलग है। यानी जुए से जुड़े टाइटल्स बाहर रहेंगे। वहीं, मान्यता प्राप्त ई-स्पोर्ट्स टाइटल्स को सरकारी संरक्षण, वित्तीय पोषण अवसर और आधिकारिक खेल आयोजनों के रूप में आयोजित किए जाने का अधिकार मिलेगा।
ई-स्पोर्ट्स इवेंट्स और टाइटल्स का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा, ताकि उन्हें आधिकारिक मान्यता, सरकारी सहयोग और मीडिया अधिकारों की सुरक्षा मिल सके। ई-स्पोर्ट्स को जुए से स्पष्ट रूप से अलग किया गया है। नियमों में साफ कहा गया है कि सट्टेबाजी से जुड़े खेलों को नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस एक्ट, 2025 के तहत ईस्पोर्ट्स का दर्जा नहीं मिलेगा।
ड्राफ्ट नियम जल्द ही ‘गजट ऑफ इंडिया’ में अधिसूचित किए जाएंगे। ऐसा होते ही ई-स्पोर्ट्स एक हाशिए पर खड़ी इंडस्ट्री से बदलकर पूरे सरकारी समर्थन वाले खेल के रूप में उभरेगा। भले ही यह सफर तुरंत पूरा नहीं होगा, लेकिन दिशा अब बिल्कुल साफ है।
अब तक भारत में ई-स्पोर्ट्स एक ग्रे-एरिया में फल-फूल रहा था। प्राइज पूल बढ़ रहे थे, टीमें बन रही थीं, ब्रांड्स स्पॉन्सर कर रहे थे, लेकिन औपचारिक मान्यता नहीं थी। खिलाड़ी ‘एथलीट’ नहीं माने जाते थे और टूर्नामेंट्स खेल कानून के तहत संरक्षित नहीं थे। अब यह स्थिति पूरी तरह बदलेगी।
खेल
भारत बनाम वेस्टइंडीज : क्रीज पर टिके जुरेल-जडेजा, टी-ब्रेक तक भारत के पास शानदार बढ़त

अहमदाबाद, 3 अक्टबर : भारत ने वेस्टइंडीज के खिलाफ अहमदाबाद में जारी पहले टेस्ट मैच में अपनी मजबूत पकड़ बना ली है। भारतीय टीम ने अपनी पहली पारी में 96 ओवरों के खेल तक 4 विकेट खोकर 326 रन बना लिए हैं। टीम इंडिया के पास दूसरे दिन टी-ब्रेक के खेल तक 164 रन की बढ़त है।
नरेंद्र मोदी स्टेडियम में मुकाबले के दूसरे दिन पिच बल्लेबाजी के अनुकूल नजर आ रही है। यहां उमस भरे मौसम में गेंदबाजी मुश्किल दिख रही है।
यशस्वी जायसवाल और केएल राहुल की सलामी जोड़ी ने भारत को पहली पारी में संभली हुई शुरुआत दिलाई। दोनों खिलाड़ियों के बीच पहले विकेट के लिए 68 रन की साझेदारी हुई। जायसवाल 54 गेंदों में 36 रन बनाकर पवेलियन लौटे। इसके बाद साई सुदर्शन महज 7 ही रन टीम के खाते में जोड़ सके।
भारत ने 90 के स्कोर तक अपने 2 विकेट गंवा दिए थे। यहां से शुभमन गिल ने केएल राहुल के साथ तीसरे विकेट के लिए 98 रन की साझेदारी करते हुए टीम को मजबूत स्थिति में ला दिया। गिल ने 100 गेंदों में 50 रन बनाए। उनकी इस पारी में 5 चौके शामिल थे।
वहीं, दूसरी ओर केएल राहुल ने 197 गेंदों में 12 चौकों की मदद से 100 रन बनाते हुए अपने टेस्ट करियर का 11वां शतक जड़ा।
टी-ब्रेक तक ध्रुव जुरेल और रवींद्र जडेजा के बीच पांचवें विकेट के लिए 108 रन की अटूट साझेदारी हो चुकी है। जुरेल 126 गेंदों में 2 छक्कों और 7 चौकों के साथ 68 रन बना चुके हैं, जबकि जडेजा ने 81 गेंदों में चार छक्कों और 3 चौकों के साथ 50 रन अपने खाते में जोड़ लिए हैं।
विपक्षी टीम से कप्तान रोस्टन चेज 2 विकेट हासिल कर चुके हैं, जबकि जोमेल वारिकन और जायडेन सील्स ने एक-एक अपने नाम किए।
इससे पहले, मुकाबले में टॉस जीतकर बल्लेबाजी करने उतरी वेस्टइंडीज की टीम पहली पारी में 44.1 ओवरों में महज 162 रन पर सिमट गई। इस टीम के लिए जस्टिन ग्रीव्स ने सर्वाधिक 32 रन बनाए, जबकि शाई होप ने 26 रन टीम के खाते में जोड़े।
भारत की तरफ से मोहम्मद सिराज ने सर्वाधिक 4 विकेट हासिल किए, जबकि जसप्रीत बुमराह को 3 विकेट हाथ लगे। इनके अलावा, कुलदीप यादव ने 2, जबकि वाशिंगटन सुंदर ने 1 विकेट अपने नाम किया।
अंतरराष्ट्रीय
ऑस्ट्रेलिया में घर पाना हुआ मुश्किल, 66,117 लोग लाइन में लगे, वजह जानकर हो जाएंगे हैरान

सिडनी, 1 अक्टूबर : ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया में लोगों को रहने के लिए घरों ढूंढने में परेशानी आ रही है। बुधवार को एक रिपोर्ट सामने आई, जिसके अनुसार लोगों को रहने के लिए यहां घर लेना बहुत मुश्किल हो चुका है।
द काउंसिल टू होमलेस पर्सन (सीएचपी) नाम के एनजीओ ने एक रिपोर्ट जारी किया है। इसके अनुसार विक्टोरिया में मार्च 2025 तक सरकार द्वारा समर्थित सामाजिक आवास के लिए 66,117 लोग वेटिंग लिस्ट में थे। बता दें, ये आंकड़ा 2024 की तुलना में 7.4 प्रतिशत ज्यादा है।
इसमें कहा गया है कि विक्टोरिया में सामाजिक आवास का अनुपात, जो उन लोगों के लिए आरक्षित है, जो सामान्य बाजार मूल्य पर आवास का खर्च नहीं उठा सकते, 3 प्रतिशत है – जो ऑस्ट्रेलिया के आठ राज्यों और क्षेत्रों में सबसे कम है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि विक्टोरिया में पारिवारिक हिंसा की वजह से हर महीने 13 हजार लोग बेघर सहायता सेवाओं का सहारा लेते हैं, और 10,000 से ज्यादा लोग हर महीने आवास की सामर्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण बेघर सहायता सेवाओं का सहारा लेते हैं।
इसके अलावा रिपोर्ट में कहा गया है कि जून में 33,467 विक्टोरियावासियों को विशेषज्ञ बेघर सेवाओं से सहायता मिल रही थी, जो जुलाई 2017 से 9.7 प्रतिशत ज्यादा है।
न्यूज एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, विक्टोरिया जनसंख्या के हिसाब से ऑस्ट्रेलिया का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है, जहां मार्च तक 70.5 लाख निवासी थे – जो राष्ट्रीय जनसंख्या का 25.6 प्रतिशत है।
सीएचपी रिपोर्ट में तीन प्रमुख सिफारिशें की गईं, जिनमें राज्य सरकार से हर साल कम से कम 4,000 नए सामाजिक आवास बनाने, बेघर होने की रोकथाम के लिए निवेश बढ़ाने और संकटकालीन आवास एवं बेघर सेवाओं के लिए धन जुटाने का आह्वान किया गया।
सीएचपी की मुख्य कार्यकारी अधिकारी डेबोरा डि नताले ने एक मीडिया विज्ञप्ति में कहा, “विक्टोरिया में हर दिन, हजारों लोगों को किराया चुकाने, हिंसा से बचने या बेघर होने के बीच असंभव विकल्पों का सामना करना पड़ता है।”
रिपोर्ट के अनुसार, आवास की सामर्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण विशेषज्ञ बेघर सेवाओं का उपयोग करने वाले सभी ऑस्ट्रेलियाई लोगों में से एक-तिहाई से ज्यादा विक्टोरिया में रहते हैं, लेकिन आवास और बेघर सेवाओं में राज्य सरकार का निवेश राष्ट्रीय औसत से कम है।
अंतरराष्ट्रीय
फिलिस्तीन मुद्दे के समाधान में तेजी लाए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय : संयुक्त राष्ट्र में चीनी प्रतिनिधि

बीजिंग, 30 सितंबर : संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 60वें सत्र में 29 सितंबर को फिलिस्तीन और अन्य अधिकृत अरब क्षेत्रों में मानवाधिकार की स्थिति पर एक सामान्य बहस आयोजित की गई।
इस बैठक में संयुक्त राष्ट्र जिनेवा कार्यालय और स्विट्जरलैंड में अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में चीन के स्थायी प्रतिनिधि छन श्य्वी ने भाग लिया और चीन की स्थिति पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से फिलिस्तीन मुद्दे के समाधान में तेजी लाने का आह्वान किया।
छन श्य्वी ने जोर देकर कहा कि इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष का यह दौर दो वर्षों से चल रहा है, जिससे अभूतपूर्व मानवीय आपदा उत्पन्न हुई है। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इजरायल अभी भी गाजा शहर पर कब्जा करने, जोर्डन नदी के पश्चिमी तटीय क्षेत्र पर अपने अतिक्रमण को तेज करने तथा कतर में शांति वार्ता की योजना बना रहे फिलिस्तीनी इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन (हमास) के सदस्यों पर हवाई हमले करने की अपनी योजना को आगे बढ़ाने के लिए दृढ़ है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि ये कार्यवाहियां अंतर्राष्ट्रीय कानून के मानदंडों का गंभीर उल्लंघन करती हैं, फिलिस्तीन और पड़ोसी देशों के लोगों के अस्तित्व और विकास के अधिकार का गंभीर उल्लंघन करती हैं, और मध्य पूर्व की स्थिरता को सीधे प्रभावित करती हैं।
चीनी प्रतिनिधि ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से फिलिस्तीनी मुद्दे के समाधान को बहुत महत्व देने और इसमें तेजी लाने, गाजा में व्यापक युद्ध विराम को बढ़ावा देने, ‘दो-राज्य समाधान’ को पुनर्जीवित करने और मध्य पूर्व में शांति तथा स्थिरता बनाए रखने का आह्वान किया।
छन श्य्वी ने पुष्टि की कि चीन फिलिस्तीनी लोगों के न्यायोचित मुद्दे का दृढ़ता से समर्थन करता है और वैश्विक सुरक्षा पहल और वैश्विक शासन पहल को लागू करने तथा फिलिस्तीन मुद्दे के शीघ्र व्यापक, न्यायोचित और स्थायी समाधान को बढ़ावा देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर काम करने को तैयार है।
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