राष्ट्रीय समाचार
नया सीईसी चुनने का निर्णय अपमानजनक और गलत : राहुल गांधी

नई दिल्ली, 18 फरवरी। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) के रूप में ज्ञानेश कुमार की नियुक्ति पर सवाल उठाए हैं। जिस तरह से सोमवार देर रात सीईसी की नियुक्ति की घोषणा की गई, उन्होंने इसे अपमानजनक और गलत बताया है।
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष होने के कारण तीन सदस्यीय समिति में शामिल राहुल गांधी ने मंगलवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा कि अगले चुनाव आयुक्त के चयन के लिए हुई समिति की बैठक में उन्होंने प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री को एक असहमति पत्र सौंपा। इसमें कहा गया था कि चुनाव आयुक्त और मुख्य चुनाव आयुक्त के चयन की प्रक्रिया स्वतंत्र होनी चाहिए, ताकि चुनाव आयोग पर किसी तरह का कार्यकारी हस्तक्षेप न हो।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने चयन समिति से भारत के मुख्य न्यायाधीश को हटाकर और सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना करते हुए जो कदम उठाया, वह करोड़ों भारतीय मतदाताओं की चिंता बढ़ाने वाला है, जिससे चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल खड़ा हो जाता है।
उल्लेखनीय है कि सीईसी का चयन करने वाली तीन सदस्यीय समिति के अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं जबकि एक कैबिनेट मंत्री (वर्तमान में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह) और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष इसके अन्य सदस्य होते हैं। पहले कैबिनेट मंत्री की जगह भारत के मुख्य न्यायाधीश इसके सदस्य होते थे, लेकिन 2023 में समिति की संरचना में बदलाव किया गया था।
राहुल गांधी ने अपने पोस्ट में लिखा, “विपक्ष के नेता के रूप में मेरा यह कर्तव्य है कि मैं बाबासाहेब अंबेडकर और हमारे राष्ट्र निर्माताओं के सिद्धांतों का पालन करूं और सरकार की गलतियों को उजागर करूं। प्रधानमंत्री और गृह मंत्री द्वारा आधी रात को नया मुख्य चुनाव आयुक्त चुनने का निर्णय न केवल अपमानजनक है, बल्कि यह गलत भी है, खासकर जब सर्वोच्च न्यायालय में इस समिति की संरचना और प्रक्रिया पर 48 घंटे के भीतर सुनवाई होने वाली है।”
उल्लेखनीय है कि मौजूदा चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार को अगला मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) नियुक्त किया गया है। कानून मंत्रालय ने इस संबंध में सोमवार देर रात अधिसूचना जारी की।
इससे पहले सोमवार शाम दिल्ली में चयन समिति की बैठक हुई थी जिसमें बहुमत से ज्ञानेश कुमार को सीईसी नियुक्त करने का फैसला किया गया था। साथ ही हरियाणा के मुख्य सचिव विवेक जोशी को भारतीय निर्वाचन आयोग का सदस्य बनाया गया है। सुखबीर सिंह संधू आयोग के तीसरे सदस्य हैं। मौजूदा सीईसी राजीव कुमार मंगलवार को रिटायर हो रहे हैं।
राजनीति
वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट में आज दूसरे दिन भी जारी रहेगी सुनवाई, लंबी बहस की संभावना कम

नई दिल्ली, 17 अप्रैल। वक्फ कानून को लेकर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है। इस पर केंद्र सरकार भी अपना रुख स्पष्ट करने वाली है। सुनवाई से पहले एडवोकेट प्रदीप कुमार ने मीडिया से बातचीत की। उन्होंने कहा कि आज अंतरिम आदेश जारी होने की संभावना है लेकिन आज का दिन इस मामले में निर्णायक हो सकता है।
यादव ने बताया कि कल कोर्ट ने आदेश लिखना शुरू किया था, लेकिन सॉलिसिटर जनरल और कुछ राज्यों के वकीलों ने अपनी बात रखने के लिए और समय मांगा। इन राज्यों ने वक्फ अधिनियम का समर्थन करते हुए हस्तक्षेप याचिका दायर की है। वकीलों के अनुरोध पर मुख्य न्यायाधीश ने मामले को आज के लिए स्थगित कर दिया।
हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि आज केवल 30 से 45 मिनट तक ही सुनवाई होगी। यादव को उम्मीद है कि इसके बाद मामले की सुनवाई आगे नहीं बढ़ेगी और आज ही अंतरिम आदेश जारी हो सकता है।
उन्होंने कहा, “कल मुख्य न्यायाधीश ने कुछ शर्तों के साथ अंतरिम आदेश का मसौदा तैयार किया था, लेकिन विपक्षी पक्ष ने इसका विरोध करते हुए कहा कि उन्हें अपनी बात रखने का पूरा मौका नहीं मिला। इसीलिए आज फिर से अंतरिम आदेश पर बहस होगी। हमें पूरी उम्मीद है कि कोर्ट आज अंतरिम आदेश जारी कर देगी।”
यादव ने यह भी बताया कि कोर्ट ने कल नोटिस जारी करने की प्रक्रिया शुरू की थी, लेकिन विपक्ष के विरोध के कारण यह पूरी नहीं हो सकी। आज की सुनवाई में कोर्ट का ध्यान मुख्य रूप से अंतरिम आदेश पर केंद्रित रहेगा।
उन्होंने कहा, “मुख्य न्यायाधीश और अन्य जज इस मामले में अंतिम निर्णय लेंगे, लेकिन हमें भरोसा है कि आज का फैसला हमारे पक्ष में होगा। यह मामला वक्फ बोर्ड और इससे संबंधित कानूनी प्रावधानों को लेकर है, जिसमें कई राज्य और केंद्रीय पक्ष शामिल हैं। कोर्ट का आज का फैसला इस मामले में अगले कदमों को निर्धारित करेगा।”
प्रदीप यादव ने कहा कि यह सुनवाई न केवल वक्फ बोर्ड के लिए, बल्कि इससे जुड़े सभी पक्षों के लिए महत्वपूर्ण है।
राष्ट्रीय समाचार
वैश्विक चुनौतियों के बीच भारत के परिधान निर्यात में जबरदस्त उछाल

नई दिल्ली, 17 अप्रैल। भारतीय वस्त्र उद्योग परिसंघ (सीआईटीआई) के अनुसार, 31 मार्च, 2025 को समाप्त चालू वित्त वर्ष के दौरान भारत के वस्त्र और परिधान निर्यात में पिछले वर्ष की तुलना में 6.32 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। इस वृद्धि के लिए परिधान क्षेत्र अहम रहा।
एक विश्लेषण से पता चलता है कि वस्त्र और परिधान के निर्यात में यह वृद्धि मुख्य रूप से परिधान निर्यात के कारण हुई है, जिसमें चालू वित्त वर्ष के दौरान 10.03 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
सीआईटीआई के अध्यक्ष राकेश मेहरा ने कहा, “वैश्विक चुनौतियों के बीच परिधान निर्यात में मजबूत प्रदर्शन और वस्त्रों में स्थिर वृद्धि भारतीय वस्त्र और परिधान उद्योग की मजबूती, अनुकूलनशीलता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा क्षमता को उजागर करती है।”
उन्होंने इसका श्रेय ‘नए व्यापार गठबंधन बनाने’ की बढ़ती गति और सरकार द्वारा सहायक नीतिगत निर्णयों को दिया, जिससे निर्यातकों के बीच विश्वास पैदा करने में मदद मिली।
मेहरा ने इस बात पर भी जोर दिया कि उद्योग इस वृद्धि को बनाए रखने को लेकर खासकर विकसित हो रहे वैश्विक व्यापार गतिशीलता को देखते हुए आशावादी बना हुआ है।
उन्होंने कहा, “अमेरिका और चीन के बीच चल रहे व्यापार तनाव भारत के लिए खासकर कपड़ा और परिधान व्यापार में एक रणनीतिक अवसर प्रस्तुत करते हैं। अमेरिका द्वारा चीन से परे भारत एक विश्वसनीय और पसंदीदा भागीदार के रूप में उभरने की अच्छी स्थिति में है। हालांकि, इसके लिए सक्रिय कूटनीति और अधिक अनुकूल और स्थिर टैरिफ व्यवस्था को सुरक्षित करने के लिए एक ठोस प्रयास की जरूरत होगी।”
इस वर्ष मार्च के दौरान, भारतीय कपड़ा निर्यात मार्च 2024 की तुलना में लगभग 5.81 प्रतिशत कम था, जबकि इसी अवधि के दौरान परिधान निर्यात में 3.97 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
मार्च 2025 के दौरान वस्त्र और परिधान के संचयी निर्यात में मार्च 2024 की तुलना में 1.63 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।
अप्रैल 2024 से मार्च 2025 के दौरान, भारतीय वस्त्र निर्यात में पिछले वर्ष की तुलना में 3.61 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि परिधान निर्यात में इसी अवधि के दौरान 10.03 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
सीआईटीआई के विश्लेषण के अनुसार, यह वृद्धि संपूर्ण व्यापारिक निर्यात के प्रदर्शन से आगे निकल गई, जो इसी अवधि के दौरान काफी हद तक स्थिर रहा।
राजनीति
दुर्गेश पाठक के घर सीबीआई की रेड, आम आदमी पार्टी ने भाजपा पर साधा निशाना

नई दिल्ली, 17 अप्रैल। आम आदमी पार्टी (आप) ने एक बार फिर केंद्र सरकार पर केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया है। पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज ने गुरुवार को सोशल मीडिया के जरिए दावा किया कि आप नेताओं को डराने-धमकाने के लिए केंद्र सरकार ने सीबीआई का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है।
ताजा मामला दुर्गेश पाठक से जुड़ा है, जिन्हें हाल ही में गुजरात विधानसभा चुनाव 2027 के लिए आम आदमी पार्टी का सहप्रभारी नियुक्त किया गया है। सहप्रभारी नियुक्त किए जाने के कुछ दिन बाद ही गुरुवार सुबह केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने उनके घर पर छापेमारी की। आम आदमी पार्टी ने इस घटना को राजनीतिक बदले की कार्रवाई बताया है।
सौरभ भारद्वाज ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “पिछले गुजरात चुनाव में आम आदमी पार्टी की मजबूत मौजूदगी से घबराकर भाजपा ने हमारे नेताओं को गिरफ्तार करवाया था। अब जब दुर्गेश पाठक को गुजरात की जिम्मेदारी सौंपी गई है, तो सीबीआई को उनके पीछे लगा दिया गया है।”
आम आदमी पार्टी ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल से बयान जारी कर कहा, “गुजरात के सहप्रभारी दुर्गेश पाठक के घर सीबीआई पहुंची है। केंद्र सरकार ने आम आदमी पार्टी को खत्म करने का हर हथकंडा अपना लिया, लेकिन फिर भी उन्हें चैन नहीं है। गुजरात में भाजपा की हालत पतली हो रही है। जैसे ही दुर्गेश पाठक को वहां की जिम्मेदारी दी गई, जिस पर भाजपा बौखला गई है।”
‘आप’ ने यह भी कहा कि भाजपा अब आम आदमी पार्टी को गुजरात में एक प्रमुख विपक्षी ताकत के रूप में देखने लगी है और इसी वजह से वह डर गई है। पार्टी के अनुसार, यह छापेमारी इस बात का संकेत है कि भाजपा ‘आप’ के निरंतर विस्तार से घबरा चुकी है।
आतिशी ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए कहा कि आम आदमी पार्टी ने जैसे ही गुजरात चुनाव की तैयारी शुरू की, गुजरात के सह-प्रभारी दुर्गेश पाठक के घर सीबीआई रेड करने पहुंच गई! गुजरात में ‘आप’ ही भाजपा को चुनौती दे सकती है और यह रेड इनकी बौखलाहट दिखा रही है! इतने सालों में भाजपा को समझ नहीं आया कि हम उनकी धमकियों से डरने वाले नहीं हैं।
मनीष सिसोदिया ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए कहा कि गुजरात चुनाव 2027 की जिम्मेदारी मिलते ही दुर्गेश पाठक के घर पर सीबीआई रेड! ये कोई इत्तेफाक नहीं, यह भाजपा की डर से निकली हुई साजिश है। भाजपा जानती है कि गुजरात में अब सिर्फ आम आदमी पार्टी ही उन्हें चुनौती दे सकती है और इस सच्चाई ने उन्हें हिला दिया है। डर की गूंज, सीबीआई की दस्तक में साफ सुनाई दे रही है।
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