बॉलीवुड
तान्या मानिकतला : खुद पर भरोसा नहीं होने से मैंने एक बार अभिनय छोड़ने का सोचा था
मीरा नायर की वेब सीरीज ‘द सूटेबल बॉय’ में तान्या मानिकतला ने अपने अभिनय और खूबसूरती से सबका ध्यान खींचा और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। बाफ्टा ब्रेकथ्रू इंडिया के प्रतिभागियों में से एक के रूप में चुने जाने से लेकर संतोष सिवन की ‘मुंबईकर’, आगामी ओटीटी एंथोलॉजी ‘फील्स लाइक इश्क’ और वेब सीरीज ‘चुटजपाह’ में भूमिकाएं हासिल करने तक, तान्या मानिकतला के अभिनय में बहुत कुछ दमखम है।
हालांकि, अभिनेत्री ने आपको यह कहते हुए आश्चर्यचकित कर दिया कि उसने अपने पहले शो ‘फ्लेम्स’ के बाद एक समय पर अभिनय छोड़ने का फैसला कर लिया था।
उन्होंने आईएएनएस को बताया “यह मेरे लिए खुद अवास्तविक लगता है कि मैंने वास्तव में कुछ भी होने की उम्मीद नहीं की थी। इसलिए, मेरे करियर के इस चरण में, बाफ्टा ब्रेकथ्रू इंडिया हो रहा है और मुझे उन 10 प्रतिभागियों में से एक के रूप में चुना जा रहा है जहां मुझे बातचीत करने का मौका मिलेगा और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों द्वारा सलाह मिलेगी! मैं भाग्यशाली महसूस करती हूं और मुझे लगता है कि मैं चमत्कारों में ज्यादा विश्वास करती हूं।”
तान्या ने अपने अभिनय की शुरूआत वेब सीरीज ‘फ्लेम्स’ से की, जब वह कॉलेज में थी । शो के रिलीज होने के बाद उन्होंने सोचा कि हर कोई उन्हें ऑफर से भर देगा और वह बॉलीवुड स्टार बन जाएगी।
उन्होंने याद किया “मैं दिल्ली से हूं, मुझे यह नहीं पता कि मनोरंजन का व्यवसाय कैसे काम करता है। इसलिए, मैंने सोचा कि एक शो करने से मुझे काम, फिल्में आदि की श्रृंखला मिल जाएगी। मैं वास्तव में भोली थी। मैं ऑडिशन देती रही और अस्वीकृति का सामना करना शुरू कर दिया।”
अभिनेत्री ने साझा किया “यही वह समय था जब मैंने खुद पर संदेह करना शुरू कर दिया और अभिनय छोड़ने के बारे में सोचा। मुझे लगता है कि किसी भी उभरते अभिनेता या कलाकार के लिए, आत्म-संदेह एक बड़ा मुद्दा हो सकता है जो सभी आत्मविश्वास और ²ढ़ विश्वास को तोड़ सकता है। आपको लगता है कि आपका सपना टूट गया है। लोग कर सकते हैं अपने चेहरे पर कठोर रहें जब वे आपको एक ऑडिशन में अस्वीकार करते हैं । मैं शिकायत नहीं कर रही हूं, लेकिन मैं कह रही हूं कि मैं युवा थी, भोली थी, अभी भी कॉलेज में थी और इसके लिए तैयार नहीं थी।”
कुछ समय के लिए, उन्होंने पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित किया, एक विज्ञापन एजेंसी में एक कॉपीराइटर के रूप में नौकरी की और अभिनय में बड़ा करने के अपने सपने को छोड़ दिया।
तान्या ने कहा “मैं अपने दोस्त की आभारी रहूंगी जिसने मुझे ‘द सूटेबल बॉय’ के ऑडिशन के लिए जाने के लिए प्रेरित किया और शुरू में ऑडिशन के बाद मुझे चयन कॉल मिलने की उम्मीद नहीं थी। बल्कि मैं उच्च अध्ययन के लिए मेलबर्न जाने के लिए तैयार थी। मेलबर्न जाने से पंद्रह दिन पहले, मुझे बताया गया था कि मीरा (नायर) दी अंतिम ऑडिशन देना चाहती है और वह दिल्ली आ रही है। “
उन्होंने हस्ताक्षर किए “आखिरकार, मुझे वह भूमिका मिली और मीरा दी ने मुझे उस आत्मविश्वास को बनाने में मदद की जो मैंने पहले सभी अस्वीकृति के कारण खो दिया था। उन्हेंने मुझे विश्वास दिलाया कि अगर मुझे खुद पर विश्वास है, अगर मेरा कोई सपना है और उस पर काम करना है, तो कोई नहीं है जिस तरह से मैं इसे हासिल नहीं करूंगी। “
बॉलीवुड
बहोरनापुर गांव की दुर्दशा पर अभिनेता रितेश पांडे का वीडियो, पूछा- ‘बच्चों के लिए रास्ता क्यों नहीं?’

मुंबई, 6 नवंबर : भोजपुरी सिनेमा के जाने-माने गायक और अभिनेता रितेश पांडे करगहर सीट से प्रशांत किशोर के जनसुराज के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। गुरुवार को उन्होंने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो पोस्ट कर कुछ सवाल खड़े किए।
इंस्टाग्राम पर पोस्ट किए गए वीडियो में अभिनेता ने गांव के लोगों से वहां के हालात के बारे में जानकारी की। साथ ही उनसे बदलाव के बारे में भी कुछ सवाल किए, जिसके जवाब में लोग कहते हैं कि अभी तक गांव में कोई भी खास बदलाव नहीं हुआ है।
अभिनेता ने वीडियो के कैप्शन में लिखा, “देखिए, यहां है मौजूदा हालात में सरकार की नाकामी, भ्रष्टाचार और शिक्षा के प्रति घोर उदासीनता का जीता-जागता उदाहरण। आज जब जनसंपर्क के दौरान करगहर विधानसभा के अंतर्गत बहोरनापुर पहुंचे तो वहां के छोटे-छोटे बच्चे दौड़कर आए और बड़े दुखी स्वर में बोले, ‘भइया, हम लोगों को स्कूल जाने के लिए रास्ता ही नहीं है।'”
उन्होंने वहां के बरसात के दिनों की स्थिति पर अपने विचार व्यक्त किए, जिसके बारे में उन्होंने लिखा, “अभी तो यहां का मौसम कुछ ठीक है, लेकिन बरसात के दिनों में यहां की स्थिति इतनी भयावह हो जाती है कि बच्चों को कमर तक पानी में उतरकर स्कूल जाना पड़ता है।”
उन्होंने लिखा, “यह सिर्फ एक गांव की कहानी नहीं है, बल्कि यह तस्वीर है हमारे सिस्टम की लापरवाही और सरकार की असंवेदनशीलता की। सरकार बस दावे करती रहती है कि शिक्षा पर सभी का अधिकार है, लेकिन हमारे बच्चों को स्कूल जाने के लिए रास्ते ही साफ नहीं होंगे, तो यह अधिकार सिर्फ कागजों में रह जाता है। बहोरनापुर जैसे सैकड़ों गांव आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। अब समय आ गया है बदलाव का ताकि बिहार के हर बच्चे का रास्ता उज्जवल भविष्य की ओर खुले न कि कीचड़ और पानी की ओर।”
अभिनेता की बात करें तो वे भोजपुरी सिनेमा के जाने-माने गायक भी हैं। उनका सबसे लोकप्रिय गीत है, ‘हैलो कौन।’ ये गाना लॉकडाउन के दौरान वायरल हुआ था।
बॉलीवुड
दुलकर सलमान की बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘कांथा’ का ट्रेलर रिलीज

मुंबई, 6 नवंबर : साउथ सिनेमा के सुपरस्टार दुलकर सलमान की बहुप्रतीक्षित पीरियड ड्रामा फिल्म ‘कांथा’ जल्द ही सिनेमाघरों में दस्तक देगी। गुरुवार को मेकर्स ने फिल्म का ट्रेलर रिलीज कर दिया।
अभिनेता दुलकर सलमान ने इंस्टाग्राम पर फिल्म के ट्रेलर की वीडियो को पोस्ट किया, जिसके साथ उन्होंने कैप्शन में लिखा, “कांथा की दुनिया आज खुल रही है! ट्रेलर जारी कर दिया गया है।”
फिल्म ‘कांथा’ तमिल सिनेमा के पहले सुपरस्टार एम.के. त्यागराज भगवतार के जीवन पर आधारित है। फिल्म में 1950 के समय में उनकी प्रसिद्धि और व्यक्तिगत संघर्षों को दिखाया गया है।
3 मिनट 10 सेकंड के ट्रेलर में सत्ता की भूख, वफादारी और प्यार पेश किए गए हैं। इसमें भव्य सेट, पुराने जमाने की ग्लैमरस दुनिया, डायलॉगबाजी और इमोशनल ड्रामा का परफेक्ट मिश्रण है। दुलकर की परफॉर्मेंस, समुथिरकानी की दमदार मौजूदगी और अभिनेत्री भाग्यश्री बोर्से की अदाकारी फिल्म को और खास बनाती है।
ट्रेलर की शुरुआत अय्या से होती है, जिसकी भूमिका समुथिरकानी निभा रहे हैं। वह टी.के. महादेवन (दुलकर सलमान) को बताते हैं कि उन्होंने निर्माताओं पर दबाव डालकर उन्हें हीरो बनवाया है। इसके बाद महादेवन उनके पैरों पर गिरकर शुक्रिया अदा करते हैं। कहानी तब मोड़ लेती है जब एक अखबार में छपी खबर और फोन कॉल दोनों के रिश्तों में दरार ला देती हैं। इसके बाद महादेवन अपने गुरु को छोड़कर फिल्म खुद बनाने लगते हैं और घोषणा करते हैं कि ‘फिल्म अब मेरे क्लाइमेक्स पर ही रिलीज होगी।’
इसमें सलमान का नया अंदाज देखने को मिल रहा है, जिसमें वे एम.के. त्यागराज भगवतार के किरदार में नजर आ रहे हैं। फिल्म में अभिनेत्री भाग्यश्री बोर्से और समुथिरकानी भी अहम किरदार में नजर आएंगी।
राणा दग्गुबाती की स्पिरिट मीडिया और दुलकर की वेफेयरर फिल्म्स मिलकर ‘कांथा’ को प्रोड्यूस कर रहे हैं। पहले इस फिल्म का नाम ‘सांथा’ था, लेकिन बाद में मेकर्स ने कुछ कारणों से फिल्म का नाम ‘कांथा’ रख दिया। इस फिल्म का निर्देशन सेल्वमणि सेल्वराज ने किया है, जो नेटफ्लिक्स डॉक्यूमेंट्री ‘द हंट फॉर वीरप्पन’ के लिए जाने जाते हैं। पहले दुलकर सलमान इससे बतौर अभिनेता जुड़े थे, लेकिन बाद में उन्होंने इसे प्रोड्यूस करने का भी फैसला किया।
बॉलीवुड
ऐश्वर्या राय के जन्मदिन पर रकुल प्रीत सिंह ने दी खास अंदाज में बधाई

मुंबई, 1 नवंबर: मंगलोर की साधारण लड़की से लेकर विश्व भर में अपनी अदाकारी का परचम लहराने वाली अभिनेत्री ऐश्वर्या राय शनिवार को अपना जन्मदिन मना रही हैं। इस मौके पर अभिनेत्री रकुल प्रीत सिंह ने उन्हें खास अंदाज में बधाई दी।
पूर्व मिस वर्ल्ड और अभिनेत्री ऐश्वर्या राय ने भारत में ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में अपना एक अलग नाम बनाया है। उन्होंने कई अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोहों में भारत का प्रतिनिधित्व किया और हॉलीवुड में ‘द मिस्ट्रेस ऑफ स्पाइसेज’ और ‘ब्राइड एंड प्रेजुडिस’ जैसी फिल्मों में अभिनय किया।
ऐश्वर्या राय की सेहत की कामना करते हुए अभिनेत्री रकुल प्रीत सिंह ने इंस्टाग्राम स्टोरीज सेक्शन पर ऐश्वर्या राय की तस्वीर पोस्ट की, जिसमें उन्होंने लिखा, “जन्मदिन की बहुत-बहुत शुभकामनाएं, ऐश्वर्या राय। आपका आने वाला साल खुशियों, अच्छी सेहत, हंसी और उन पलों से भरा हो जो सच में मायने रखते हैं।”
ऐश्वर्या राय ने बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड तक अपने अभिनय की छाप छोड़ी है। उन्होंने साल 1994 में मिस वर्ल्ड का खिताब जीतकर दुनियाभर में भारत का परचम लहराया, लेकिन उनका सफर यहीं तक सीमित नहीं था। मिस वर्ल्ड बनने के बाद भी उन्हें कई समय तक बॉलीवुड में संघर्ष करना पड़ा था।
अभिनेत्री ने अभिनय की शुरुआत 1997 में तमिल फिल्म ‘इरुवर’ से की थी और उसी साल उन्होंने फिल्म ‘और प्यार हो गया’ से बॉलीवुड में कदम रखा। शुरुआत में भले ही अभिनेत्री को संघर्ष करना पड़ा, लेकिन साल 1999 में ‘हम दिल दे चुके सनम’ ने ऐश्वर्या को सुपरस्टार बना दिया। नंदिनी के रोल में उनकी मासूमियत और भावुकता ने दर्शकों को मोहित कर लिया। दिलचस्प बात यह है कि निर्देशक संजय लीला भंसाली की पहली पसंद वे नहीं थीं, लेकिन यह फिल्म उनके करियर की सबसे बड़ी सफलता साबित हुई।
ऐश्वर्या को कई सम्मान मिले। 2009 में उन्हें पद्मश्री से नवाजा गया, जो भारत का चौथा बड़ा नागरिक पुरस्कार है। मैडम तुसाद म्यूजियम में उनकी मोम की मूर्ति लगी। वे कई अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में भारत की नुमाइंदगी कर चुकी हैं।
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