सामान्य
रिश्ते और दोस्ती बाखूबी निभाना जानते थे टंडन
माना जाता है कि राजनीति में दोस्ती और रिश्ते की कोई जगह नहीं होती है। कुर्सी के साथ यह आते जाते रहते हैं। मगर लालजी टंडन ने इसके उलट जाकर दोस्ती और रिश्ते की बड़ी लाइन खींची। वह दोस्ती और रिश्ते निभाना बहुत अच्छी तरह से जानते थे।
पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत अटल विहारी वाजपेयी और लाल जी टंडन की कई दशक के याराने पर तमाम उतार-चढ़ाव आए, पर मित्रता में राजनीतिक रंग नहीं चढ़ा और आखिरी सांस तक रिश्तों की गर्माहट पहले दिन की तरह ही बरकरार रही।
राजनीति के निचले पायदान से विधानसभा तक पहुंचने वाले लालजी टंडन ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में कई अहम प्रयोग भी किए। 90 के दशक में प्रदेश में भाजपा और बसपा गठबंधन की सरकार बनाने में भी उनका अहम योगदान माना जाता है।
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक और नजदीकी से लालजी टंडन को कवर करने वाले ब्रजेश शुक्ला ने बताया कि टंडन जी मृदुभाषी और बड़े सरल स्वाभाव के थे। वह रिश्ते निभाने में भी बहुत गंभीर थे। लालजी टंडन बसपा प्रमुख मायावती को अपनी बहन मानते थे। इसी कारण वह पिछले कई साल से उनसे राखी बंधवाते थे। एक बार इसको लेकर काफी चर्चा हुई थी और विपक्ष ने तंज कसा था तो स्वयं उन्होंने मायावती को अपनी बहन बताया था। मायावती भी उन्हें अपना भाई मानती रही हैं। पार्टी भले दोनों की अलग-अलग रही, लेकिन दोनों के रिश्ते में कभी खटास नहीं आई।
उन्होंने बताया, “भले ही मायावती ने उन्हें कई बार उल्टा-सीधा कहा हो, लेकिन टंडन उसे हमेशा हंसी और ठिठोली में टाल देते थे। कहते थे वह हमारी बहन है चाहे जो कुछ कहे। मायावती की सरकार बनाने के शिल्पी टंडन और मुरलीमनोहर जोशी थे। उपर सारा मामला जोशी ने देखा। इसको निभाया टंडन जी ने। वह चाहते थे कि सरकार अच्छे से चले। लेकिन मायावती ज्यादा दिनों तक गठबंधन नहीं चलाती थी।”
ब्रजेश शुक्ला कहते हैं कि अटल जी से टंडन के रिश्ते जगजाहिर है। उनके चुनाव मैनेजमेंट के कर्ताधर्ता टंडन ही हुआ करते थे। उन्होंने बताया कि जब लखनऊ से चुनाव हारने के बाद अटल जी ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया था। तब टंडन जी ने उन्हें तैयार किया था।
शुक्ला ने बताया कि अटल 1991 के आम चुनाव में लखनऊ और मध्य प्रदेश की विदिशा सीट से चुनाव लड़े और दोनों ही जगह से जीते। बाद में उन्होंने विदिशा सीट छोड़ दी। 1996 में अटल बिहारी वाजपेयी ने लखनऊ सीट के साथ-साथ गांधीनगर से चुनाव लड़ा और दोनों ही जगहों से जीत हासिल की। इसके बाद से वाजपेयी ने लखनऊ को अपनी कर्मभूमि बना ली। 1998, 1999 और 2004 का लोकसभा चुनाव लखनऊ सीट से जीतकर सांसद बने। इन सभी चुनावों को टडन जी की ही देखरेख में लड़ा गया। अन्य पार्टियों ने बहुत हराने का प्रयास किया, लेकिन सफल नहीं हो सके।
टंडन हमेशा अटल को अपना साथी नहीं राजनीतिक गुरू मानते थे। उनका कहना था कि अटल भारतीय राजनीति के वह शिखर पुरुष हैं जिनका कोई मुकाबला नहीं कर सकता। यही वजह रही कि जब 2009 के चुनाव में अटल के अस्वस्थ होने पर लाल जी टंडन को उनकी विरासत संभालने को कहा गया तो वह भावुक हो गए। टिकट घोषित होते ही टंडन तत्काल दिल्ली गए और अटल से आर्शीवाद लेकर उनकी फोटो भी साथ लेकर आए। पूरे चुनाव प्रचार में टंडन ने अटल की फोटो अपने पास रखी।
उन्होंने बताया कि टंडन जी खाने के बहुत शौकीन थे। काली गाजर का हलवा और उनकी चाट पार्टी के लखनऊ में बहुत से मुरीद थे। पुराने लखनऊ के खान-पान के वह बहुत प्रसंशक भी रहे। अटल जी को चौक की ठंडाई, चाट और कचौड़ी बेहद पंसद थी। इसलिए लखनऊ आने से पहले वह टंडन को इसका इंतजाम करने को कहते थे।
सामान्य
आयुर्वेदिक शल्य चिकित्सा पद्धतियों में रुझानों का पता लगाने के लिए AIIA का राष्ट्रीय संगोष्ठी

नई दिल्ली, 12 जुलाई। आयुष मंत्रालय ने शनिवार को बताया कि अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (AIIA), नई दिल्ली, आयुर्वेदिक शल्य चिकित्सा पद्धतियों में रुझानों का पता लगाने के लिए तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन करेगा।
शल्यकॉन 2025, जो 13-15 जुलाई तक आयोजित होगा, सुश्रुत जयंती के शुभ अवसर पर मनाया जाएगा। 15 जुलाई को प्रतिवर्ष मनाई जाने वाली सुश्रुत जयंती, शल्य चिकित्सा के जनक माने जाने वाले महान आचार्य सुश्रुत की स्मृति में मनाई जाती है।
“अपनी स्थापना के बाद से, AIIA दुनिया भर में आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए समर्पित रहा है। शल्य तंत्र विभाग द्वारा आयोजित शल्यकॉन, आधुनिक शल्य चिकित्सा प्रगति के साथ आयुर्वेदिक सिद्धांतों के एकीकरण को बढ़ावा देकर इस प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इस पहल का उद्देश्य उभरते आयुर्वेदिक शल्य चिकित्सकों को एकीकृत शल्य चिकित्सा देखभाल के अभ्यास में बेहतर दक्षता और आत्मविश्वास प्रदान करना है,” AIIA की निदेशक (प्रभारी) प्रो. (डॉ.) मंजूषा राजगोपाला ने कहा।
नवाचार, एकीकरण और प्रेरणा पर केंद्रित विषय के साथ, शल्यकॉन 2025 का आयोजन राष्ट्रीय सुश्रुत संघ के सहयोग से राष्ट्रीय सुश्रुत संघ के 25वें वार्षिक सम्मेलन के सतत शैक्षणिक कार्यक्रम के एक भाग के रूप में किया जाएगा।
इस सेमिनार में सामान्य एंडोस्कोपिक सर्जरी, गुदा-मलाशय सर्जरी और यूरोसर्जिकल मामलों पर लाइव सर्जिकल प्रदर्शन होंगे।
मंत्रालय ने कहा, “पहले दिन, 10 सामान्य एंडोस्कोपिक लेप्रोस्कोपिक सर्जरी की जाएँगी। दूसरे दिन 16 गुदा-मलाशय सर्जरी की लाइव सर्जिकल प्रक्रियाएँ होंगी, जो प्रतिभागियों को वास्तविक समय की सर्जिकल प्रक्रियाओं को देखने और उनसे सीखने का अवसर प्रदान करेंगी।”
शल्यकॉन 2025 परंपरा और प्रौद्योगिकी का एक गतिशील संगम होगा, जिसमें भारत और विदेश के 500 से अधिक प्रतिष्ठित विद्वान, शल्य चिकित्सक, शोधकर्ता और शिक्षाविद भाग लेंगे। यह कार्यक्रम विचारों के आदान-प्रदान, नैदानिक प्रगति को प्रदर्शित करने और आयुर्वेदिक शल्य चिकित्सा पद्धतियों में उभरते रुझानों का पता लगाने में सहायक होगा।
तीन दिनों के दौरान एक विशेष पूर्ण सत्र भी आयोजित किया जाएगा जिसमें सामान्य और लेप्रोस्कोपिक सर्जरी, घाव प्रबंधन और पैरा-सर्जिकल तकनीक, गुदा-मलाशय सर्जरी, अस्थि-संधि मर्म चिकित्सा और सर्जरी में नवाचार जैसे क्षेत्रों पर चर्चा की जाएगी।
अंतिम दिन 200 से अधिक मौखिक और पोस्टर प्रस्तुतियाँ भी होंगी, जो चल रहे विद्वानों के संवाद और अकादमिक संवर्धन में योगदान देंगी।
मंत्रालय ने कहा कि नैदानिक प्रदर्शनों के अलावा, एक वैज्ञानिक सत्र विद्वानों, चिकित्सकों और शोधकर्ताओं को अपना काम प्रस्तुत करने और अकादमिक संवाद में शामिल होने के लिए एक मंच प्रदान करेगा।
न्याय
‘आपकी बेटी आपके साथ में है’: विनेश फोगाट शंभू बॉर्डर पर किसानों के विरोध प्रदर्शन में शामिल हुईं।

भारतीय पहलवान विनेश फोगट शंभू सीमा पर किसानों के विरोध प्रदर्शन में शामिल हुईं, क्योंकि उन्होंने अपना रिकॉर्ड 200वां दिन मनाया और बड़ी संख्या में लोगों ने प्रदर्शन किया।
पेरिस 2024 ओलंपिक में पदक न मिलने के विवादास्पद फैसले के बाद संन्यास लेने वाली फोगट ने किसानों के आंदोलन को अपना पूरा समर्थन देने का वादा किया।
“मैं भाग्यशाली हूं कि मेरा जन्म एक किसान परिवार में हुआ। मैं आपको बताना चाहती हूं कि आपकी बेटी आपके साथ है। हमें अपने अधिकारों के लिए खड़ा होना होगा क्योंकि कोई और हमारे लिए नहीं आएगा।
मैं भगवान से प्रार्थना करती हूं कि आपकी मांगें पूरी हों और अपना अधिकार लिए बिना वापस न जाएं। किसान अपने अधिकारों के लिए 200 दिनों से यहां बैठे हैं।
मैं सरकार से उनकी मांगों को पूरा करने की अपील करती हूं। यह बहुत दुखद है कि 200 दिनों से उनकी बात नहीं सुनी गई। उन्हें देखकर हमें बहुत ताकत मिली।”
राजनीति
पीएम मोदी: ’25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आ गए हैं’; बजट 2024 पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की सराहना की।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा लगातार सातवें बजट को पेश करने के तुरंत बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि बजट 2024 से नव-मध्यम वर्ग, गरीब, गांव और किसानों को और अधिक ताकत मिलेगी।
देश के नाम अपने भाषण में पीएम मोदी ने कहा कि बजट युवाओं को असीमित अवसर प्रदान करेगा।
पिछले दस वर्षों में 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अनुसार, इस बजट से नए मध्यम वर्ग को सशक्त बनाया जाएगा।
उन्होंने घोषणा की, ‘यह बजट युवाओं को असीमित अवसर प्रदान करेगा।’ यह बजट शिक्षा और कौशल के लिए एक नया मानक स्थापित करेगा और उभरते मध्यम वर्ग को सशक्त करेगा। पीएम मोदी ने कहा कि इस बजट से महिलाओं, छोटे उद्यमों और एमएसएमई को फायदा होगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जो लोग अभी अपना करियर शुरू कर रहे हैं, उन्हें ‘रोजगार-संबंधी प्रोत्साहन योजना’ के माध्यम से सरकार से अपना पहला वेतन मिलेगा।
उन्होंने कहा, ‘सरकार ने इस बजट में जिस ‘रोजगार-संबंधी प्रोत्साहन योजना’ की घोषणा की है, उससे रोजगार के कई अवसर पैदा होंगे।’
प्रधानमंत्री ने घोषणा की, ‘सरकार इस योजना के तहत उन लोगों को पहला वेतन देगी, जो अभी कार्यबल में शामिल होने की शुरुआत कर रहे हैं। प्रशिक्षुता कार्यक्रम के तहत, ग्रामीण क्षेत्रों के युवा देश के प्रमुख व्यवसायों के लिए काम करने में सक्षम होंगे।’
मोदी 3.0 का पहला बजट
यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट है।
लोकसभा में बजट पेश करते हुए उन्होंने कहा कि भारत के लोगों ने मोदी सरकार में अपना भरोसा फिर से जताया है और इसे तीसरे कार्यकाल के लिए चुना है।
सीतारमण ने आगे कहा, “ऐसे समय में जब नीतिगत अनिश्चितता वैश्विक अर्थव्यवस्था को जकड़े हुए है, भारत की आर्थिक वृद्धि अभी भी प्रभावशाली है।”
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