अंतरराष्ट्रीय समाचार
सीरियाई संघर्ष : पाकिस्तान लड़ रहा अपने आप से

इससे ज्यादा विडंबना देखने को नहीं मिल सकती कि जिस समय प्रधानमंत्री इमरान खान पाकिस्तान को आतंक समर्थकों और प्रमोटरों की कुख्यात सूची से बाहर निकालने की पूरी कोशिश कर रहे हैं, उसी वक्त वह अपने देश को अच्छी तरह से विकसित आतंकी दलदल में डूबते हुए पाते हैं।
इस सप्ताह ऐसी रिपोर्ट्स सामने आई है कि अमेरिका और सीरिया ने 29 पाकिस्तानियों को हिरासत में लिया है, जो सीरिया सरकार के खिलाफ खूंखार इस्लामिक स्टेट (आईएस) के लिए लड़ रहे थे। दिलचस्प बात यह है कि इन 29 में से नौ महिलाएं हैं। अब अमेरिका उनसे यह पता लगाने के लिए पूछताछ कर रहा है कि उन्हें सीरिया में लड़ने के लिए किसने भेजा था और क्या वे आईएस में शामिल होने से पहले अन्य आतंकी संगठनों के साथ भी संलिप्त थे।
आतंक के वित्त पोषण (टेरर फाइनेंसिंग) और धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) में अहम भूमिका निभाने के लिए पाकिस्तान 2018 से फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की ग्रे लिस्ट में है। अगर वह एफएटीएफ को यह साबित नहीं कर पाता है कि उसने अपने देश से आतंकी संगठनों को साफ किया है, तो उसे ब्लैक लिस्ट (काली सूची) में डाल दिया जाएगा।
एफएटीएफ एक अंतर-सरकारी निकाय है, जिसे जी-7 देशों द्वारा 1989 में मनी लॉन्ड्रिंग से लड़ने के लिए स्थापित किया गया था। 2001 में इसने मानव तस्करी और आतंकी वित्त पोषण के मामलों को शामिल करने के साथ अपने दायरे का विस्तार किया। इसने पहली बार 2012 से 2015 तक पाकिस्तान को ग्रे सूची में शामिल किया। इसके बाद पाकिस्तान को 2018 में दूसरी बार इस सूची में डाला गया। अब वह इस सूची से बाहर आना चाहता है, क्योंकि यह उस समय वित्तीय प्रतिबंधों का सामना कर रहा है, जब उसकी अर्थव्यवस्था चरमरा रही है और उस पर बाहरी ऋण का भी बोझ है, जो लगातार नई ऊंचाई पर पहुंच रहा है। पाकिस्तान बड़े पैमाने पर आतंकी तत्वों का अड्डा होने के बावजूद चीन और तुर्की इसकी मदद करते रहे हैं।
इस साल मार्च में अमेरिकी पत्रकार लिंडसे स्नेल ने अपनी एक खबर में बताया था कि पाकिस्तान तुर्की के समर्थन में सीरियाई संघर्ष में शामिल हो रहा है। सीरिया में 2011 में शुरू हुए गृहयुद्ध में विभिन्न लोग और संप्रदाय एक-दूसरे से लड़ रहे हैं। स्नेल की जानकारी काफी महत्व रखती है, क्योंकि यह पहली बार था, जब पाकिस्तान ने सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद के खिलाफ लड़ने के लिए कदम आगे बढ़ाए हैं।
स्नेल ने अपने ट्विटर पर संकेत दिया कि लगभग 1,400 पाकिस्तानी मर्सनेरी (दूसरे देश में लड़ाई के लिए रखे जाने वाले सिपाही) असद के खिलाफ तुर्की समर्थित मिलिशिया का समर्थन करने आए थे। स्नेल की जानकारी ने हंगामा खड़ा कर दिया था, क्योंकि पाकिस्तानी सीरिया में आ रहे थे, लेकिन वे असद के समर्थन में थे। ये पाकिस्तानी तालिबान विंटेज के शिया लड़ाके थे।
इस साल मार्च में समाचार एजेंसियों ने बताया कि 50 पाकिस्तानी शिया लड़ाके तुर्की बलों द्वारा मारे गए थे और उन्हें ईरान के पवित्र शहर कोम में दफनाया गया था। पाकिस्तानियों ने सीरिया में जिहाद में शामिल होने के लिए ईरान और इराक में शिया पवित्र स्थलों की तीर्थयात्रा छोड़ दी और आतंकी प्रशिक्षण लिया। इसके बाद वे असद शासन का समर्थन करने वाले ईरान समर्थित समूहों में शामिल हो गए।
सीरियाई भागीदारी के अलावा, पाकिस्तान दुनिया के लगभग हर हिस्से में आतंक में शामिल रहा है, जिसमें अमेरिका में कुख्यात सितंबर 2001 के हमले और मुंबई में 2008 के आतंकवादी हमले शामिल हैं।
हालांकि पाकिस्तान 11 सितंबर के हमलों के बाद अमेरिका के नेतृत्व वाले ‘आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक युद्ध’ का सहयोगी रहा है, मगर फिर भी इसने ओसामा बिन लादेन को देश में शरण देने के दौरान एक डबल गेम खेलना जारी रखा।
पाकिस्तान आतंकवाद के निर्यात में बेहद सफल रहा है और सभी सरकारों ने इसका समर्थन किया है। नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला के हमलावर पाकिस्तानी जेल से भाग निकले, वहीं खूंखार आतंकी लादेन को पकड़ने में मदद करने वाले डॉक्टर को भी बुरा अंजाम भुगतना पड़ा।
इस बात में कोई दो राय नहीं है कि पाकिस्तान अपने देश में आतंक का सफाया करने का महज ढोंग करता रहा है। सच्चाई तो यह है कि वह अभी भी आतंकियों को पनाह देने के साथ ही उनके पोषित कर रहा है।
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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने दक्षिण सूडान के खिलाफ हथियार प्रतिबंध को रिन्यू किया

संयुक्त राष्ट्र, 31 मई। सुरक्षा परिषद ने दक्षिण सूडान के खिलाफ हथियार प्रतिबंध को एक साल के लिए रिन्यू करने हेतु एक प्रस्ताव पारित किया, जो 31 मई, 2026 तक लागू रहेगा। इसके साथ ही व्यक्तियों और संस्थाओं के खिलाफ यात्रा प्रतिबंध और संपत्ति जब्त करने के लक्षित प्रतिबंध भी लागू होंगे।
मिडिया ने बताया कि ये प्रस्ताव 2781, जिसे नौ वोट के पक्ष में और छह वोट के बहिष्कार के साथ अपनाया गया। इस प्रस्ताव में विशेषज्ञों के पैनल का कार्यकाल भी 1 जुलाई, 2026 तक बढ़ा दिया गया है। यह पैनल दक्षिण सूडान प्रतिबंध समिति के काम में मदद करता है।
सुरक्षा परिषद के अफ्रीकी सदस्य – अल्जीरिया, सिएरा लियोन, सोमालिया ने चीन, पाकिस्तान और रूस के साथ वोट देने से परहेज किया।
इस प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि सुरक्षा परिषद हथियार प्रतिबंधों की समीक्षा करने के लिए तैयार है। अगर दक्षिण सूडान 2021 के प्रस्ताव 2577 में तय किए गए मुख्य लक्ष्यों पर प्रगति करता है, तो इन प्रतिबंधों को बदला, निलंबित किया या धीरे-धीरे हटाया जा सकता है। यह दक्षिण सूडान के अधिकारियों को इस संबंध में और प्रगति हासिल करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
सुरक्षा परिषद ने यह भी तय किया है कि इन प्रतिबंधों की लगातार समीक्षा की जाएगी। सुरक्षा परिषद ने स्थिति के जवाब में उपायों को समायोजित करने की तत्परता व्यक्त की है, जिसमें उपायों में संशोधन, निलंबन, हटाने या सुदृढ़ करना शामिल है।
प्रस्ताव में संयुक्त राष्ट्र महासचिव से अनुरोध किया गया है कि वे दक्षिण सूडान में संयुक्त राष्ट्र मिशन और विशेषज्ञों के पैनल के साथ निकट परामर्श में 15 अप्रैल, 2026 तक प्रमुख मानदंडों पर हासिल की गई प्रगति का आकलन करें।
इसके साथ ही दक्षिण सूडान के अधिकारियों से भी अनुरोध किया गया है कि वे उसी तारीख तक इस संबंध में हासिल की गई प्रगति पर सैंक्शन कमेटी को रिपोर्ट करें।
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यूएस सुप्रीम कोर्ट ने किया ट्रंप सरकार का रास्ता साफ, 5 लाख लोगों पर मंडराया निर्वासन का खतरा

न्यूयॉर्क, 31 मई। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने ट्रंप सरकार का रास्ता साफ कर दिया है। कोर्ट ने फेडरल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के उस आदेश को हटा दिया है, जिसके तहत क्यूबा, हैती, निकारागुआ और वेनेजुएला के चार देशों के पांच लाख से अधिक प्रवासियों के लिए मानवीय पैरोल सुरक्षा को बरकरार रखा गया था।
मिडिया रिपोर्ट के अनुसार, अदालत ने ट्रंप प्रशासन को एक अन्य मामले में लगभग 350,000 वेनेजुएला के प्रवासियों के लिए अस्थायी कानूनी स्थिति को रद्द करने की भी अनुमति दी है।
स्थानीय मीडिया ने शुक्रवार को बताया कि इस कदम ने ट्रंप प्रशासन के लिए हजारों प्रवासियों के लिए अस्थायी कानूनी सुरक्षा को फिलहाल खत्म करने का रास्ता साफ कर दिया है और निर्वासन के दायरे में आने वाले लोगों की कुल संख्या को लगभग दस लाख तक पहुंचा दिया है।
अमेरिका-मेक्सिको बॉर्डर पर आने वाले प्रवासियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए, बाइडेन प्रशासन ने 2022 के अंत और 2023 की शुरुआत में क्यूबा, हैती, निकारागुआ और वेनेजुएला के लोगों के लिए पैरोल कार्यक्रम बनाया, जिसके तहत उन्हें कुछ प्रोसेस से गुजरने के बाद दो साल तक अमेरिका में काम करने की इजाजत दी गई। इस प्रोग्राम ने लगभग 5,32,000 लोगों को निर्वासन से बचाया।
लेकिन अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के तुरंत बाद, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने होमलैंड सिक्योरिटी सेक्रेटरी क्रिस्टी नोएम को सभी पैरोल प्रोगाम को टर्मिनेट करने का निर्देश देते हुए एक कार्यकारी आदेश जारी किया। कार्यकारी आदेश पर कार्रवाई करते हुए नोएम ने मार्च में पैरोल प्रोग्राम को समाप्त करने की घोषणा की, जिसके तहत पैरोल के किसी भी अनुदान की वैधता 24 अप्रैल तक समाप्त हो जाएगी।
मैसाचुसेट्स में एक फेडरल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के जज ने नोएम द्वारा प्रवासियों की अस्थायी कानूनी स्थिति को पूरी तरह से रद्द करने के फैसले को रोकने पर सहमति जताई। उस समय कई पैरोलियों और एक गैर-लाभकारी संगठन सहित 23 व्यक्तियों के एक ग्रुप ने नोएम द्वारा प्रोग्राम को समाप्त करने को चुनौती दी थी।
ट्रंप प्रशासन ने पहले पहले सर्किट के लिए यूएस कोर्ट ऑफ अपील्स में अपील की, जिसने अपील लंबित रहने तक जिला न्यायालय के आदेश को रोकने से इनकार कर दिया और फिर सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप की मांग की।
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अमेरिकी युद्धविराम प्रस्ताव फिलिस्तीनी मांगों पर खरा नहीं : हमास

गाजा, 30 मई। हमास के एक वरिष्ठ नेता ने कहा है कि गाजा पट्टी में युद्ध रोकने के लिए अमेरिका का जो प्रस्ताव आया है, उस पर विचार किया जा रहा है। हालांकि, यह प्रस्ताव हमास और फिलिस्तीनी लोगों की मुख्य मांगों को पूरा नहीं करता।
मिडिया के मुताबिक, हमास के राजनीतिक ब्यूरो के सदस्य बासम नईम ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि उन्हें अमेरिका के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ द्वारा पिछले हफ्ते दिए गए युद्धविराम प्रस्ताव पर इजरायल की प्रतिक्रिया मिल गई है।
नईम के मुताबिक, इजरायल ने फिलिस्तीन की मुख्य मांगों को नहीं माना। इनमें लड़ाई को पूरी तरह खत्म करना और गाजा पर लगी पुरानी नाकेबंदी हटाना शामिल है।
उन्होंने कहा कि यह प्रस्ताव युद्धविराम के दौरान भी इजरायल के कब्जे और लोगों की तकलीफों को जारी रहने देगा।
नईम ने कहा, “इसके बावजूद हमास का नेतृत्व फिलिस्तीनी जनता के खिलाफ जारी हिंसा और मानवीय संकट को ध्यान में रखते हुए ज़िम्मेदारी के साथ इस प्रस्ताव पर विचार कर रहा है।”
हमास ने पहले कहा था कि उसे मध्यस्थों के जरिए नया युद्धविराम प्रस्ताव मिला है। वह इसका मूल्यांकन इस तरह कर रहा है कि यह फिलिस्तीनी लोगों के हितों की रक्षा करे और गाजा के लोगों के लिए स्थायी शांति और राहत लाने में मदद करे।
हमास ने पहले कहा था कि वह विटकॉफ के साथ एक समझौते के “सामान्य ढांचे” पर सहमत हो गया है। इस समझौते का मकसद स्थायी युद्धविराम करना, इजरायल की गाजा से पूरी तरह वापसी सुनिश्चित करना, राहत सामग्री की आपूर्ति शुरू करना और हमास से एक स्वतंत्र फिलिस्तीनी समिति को सत्ता सौंपना है।
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