अंतरराष्ट्रीय
सीरिया : घात लगाकर किए गए हमले में 14 अंतरिम सरकारी अधिकारियों की मौत
दमिश्क, 26 दिसंबर। सीरिया के अंतरिम आंतरिक मंत्रालय के 14 अधिकारी बुधवार को उत्तर-पश्चिमी प्रांत टार्टस में एक “विश्वासघाती हमले” में मारे गए और 10 अन्य घायल हो गए। यह जानकारी आंतरिक मंत्री मोहम्मद अब्दुल रहमान ने दी।
स्थानीय अल-वतन अखबार के हवाले से सिन्हुआ समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, मंत्री ने हमलावरों को पूर्व सरकार के “अवशेष” बताया। मंत्रालय ने कहा कि मारे गए अधिकारी सुरक्षा बनाए रखने और नागरिकों की रक्षा करने के लिए अपनी ड्यूटी निभा रहे थे।
इससे पहले, यह रिपोर्ट किया गया था कि टार्टस प्रांत में हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) के नेतृत्व वाले सैन्य गठबंधन और स्थानीय सशस्त्र निवासियों और सुरक्षा कर्मियों के बीच हिंसक झड़पें हुईं।
सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स की रिपोर्ट के मुताबिक, लड़ाई खारबेट अल-मज्जा गांव में तब शुरू हुई, जब स्थानीय लोगों ने सुरक्षा बलों द्वारा उनके घरों की जांच का विरोध किया, जिसके बाद सशस्त्र निवासियों ने एचटीएस से जुड़े एक वाहन में आग लगा दी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सैन्य गठबंधन की यूनिट 82 और के9 दस्तों का एक बड़ा काफिला लताकिया प्रांत के पास के क्षेत्र की ओर बढ़ रहा है। इसमें यह भी बताया गया कि सीरिया के नए अधिकारियों का लक्ष्य उन सशस्त्र स्थानीय लोगों को पकड़ना है, जिन्हें वे “पिछले शासन के अवशेष” मानते हैं। उनका उद्देश्य जनसांख्यिकीय रूप से विविध इस क्षेत्र में किसी भी सांप्रदायिक अशांति को रोकना है।
सीरिया में बशर अल-असद की सरकार के हालिया पतन के बाद कई महत्वपूर्ण घटनाओं ने देश भर में सांप्रदायिक तनाव को बढ़ा दिया है।
बुधवार को अलेप्पो में अलावीट समुदाय के द्वारा पूजे जाने वाले एक मंदिर पर कथित हमले का वीडियो सामने आया, जिसके बाद विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए और जवाबदेही की मांग की जाने लगी।
अलावीट समुदाय के लोगों ने चिंता जताई कि नए अधिकारी उनके धार्मिक प्रतीकों की रक्षा के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठा रहे हैं।
इस बीच, सुरक्षा अधिकारियों ने कहा कि ऐसी घटनाओं को अलग-थलग करना जरूरी है और चेतावनी दी कि पूर्व सरकार के समर्थक सांप्रदायिक मतभेदों का फायदा उठाकर कलह फैला सकते हैं।
व्यापार
भारतीय टेलीकॉम इंडस्ट्री की आय बीते 5 वर्षों में हुई डबल, एयरटेल को हुआ सबसे अधिक फायदा
नई दिल्ली, 25 दिसंबर। भारतीय टेलीकॉम इंडस्ट्री की आय वित्त वर्ष 25 की जुलाई-सितंबर अवधि में तिमाही आधार पर 8 प्रतिशत और सालाना आधार पर 13 प्रतिशत बढ़कर 674 अरब रुपये रही है। इस मजबूत वृद्धि की वजह मोबाइल टैरिफ में बढ़ोतरी होना है। यह जानकारी एक रिपोर्ट में दी गई।
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड की रिपोर्ट के अनुसार, स्मार्टफोन टैरिफ में तीन बार बढ़ोतरी के कारण भारत की टेलीकॉम इंडस्ट्री की तिमाही आय सितंबर 2019 से लगभग दोगुनी हो गई है, जिसका अर्थ है कि बीते पांच साल में उद्योग की आय 14 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ी है।
भारतीय टेलीकॉम इंडस्ट्री का कंसोलिडेटेड मार्केट स्ट्रक्चर, उच्च डेटा खपत, कम एआरपीयू और टेलीकॉम कंपनियों द्वारा उत्पन्न अपर्याप्त रिटर्न को देखते हुए, “हमें उम्मीद है कि आगे टैरिफ में और बढ़ोतरी देखने को मिलेगी।” टेलीकॉम इंडस्ट्री का औसत राजस्व प्रति यूनिट (एआरपीयू) सितंबर 2019 में 98 रुपये से लगभग दोगुना होकर सितंबर 2024 में 193 रुपये हो गया है, जो टैरिफ बढ़ोतरी के कारण है।
हालांकि, तेज टैरिफ बढ़ोतरी के परिणामस्वरूप, सितंबर 2024 में उद्योग का ग्राहक आधार 115 करोड़ हो गया है जो सितंबर 2019 के स्तर 117 करोड़ से कम है।
टेलीकॉम कंपनियों में भारती एयरटेल टैरिफ बढ़ोतरी का सबसे बड़ा लाभार्थी रहा है। इस दौरान कंपनी के एआरपीयू में 2.2 गुना की वृद्धि हुई है। यह बीते पांच वर्ष में 17 प्रतिशत की सीएजीआर से बढ़ा है।
रिपोर्ट में कहा गया है, “हमारा मानना है कि डेटा सब्सक्रिप्शन अनुपात में मजबूत सुधार होना भारती एयरटेल का एआरपीयू बढ़ने के प्रमुख कारणों में से एक रहा है।”
2019-2024 की रिपोर्टिंग अवधि में, भारती एयरटेल की आय में 2.6 गुना वृद्धि हुई है, जिसका अर्थ है बीते पांच वर्षों में कंपनी की आय 21 प्रतिशत के सीएजीआर से बढ़ी है।
अंतरराष्ट्रीय
भारत-अमेरिका संबंध : विदेश मंत्री एस जयशंकर 24-29 दिसंबर तक करेंगे अमेरिका का दौरा
नई दिल्ली, 23 दिसंबर। विदेश मंत्री एस. जयशंकर 24-29 दिसंबर तक संयुक्त राज्य अमेरिका का दौरा करेंगे। विदेश मंत्रालय (एमईए) ने सोमवार को यह जानकारी दी।
विदेश मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, “वह प्रमुख द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करने के लिए अपने समकक्षों से मिलेंगे। यात्रा के दौरान, विदेश मंत्री अमेरिका में भारत के महावाणिज्य दूतों के एक सम्मेलन की अध्यक्षता भी करेंगे।”
नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी को अपना दूसरा कार्यकाल शुरू करने के लिए शपथ लेंगे। उससे पहले विदेश मंत्री की यह यात्रा काफी अहम मानी जा रही है।
प्रधानमंत्री मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में जीत के लिए ट्रंप को बधाई देने वाले पहले विश्व नेताओं में से एक थे। संयुक्त राज्य अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति के साथ फोन पर बातचीत के बाद उन्होंने कहा, “मेरे मित्र, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ शानदार बातचीत हुई, उन्हें उनकी शानदार जीत के लिए बधाई दी। प्रौद्योगिकी, रक्षा, ऊर्जा, अंतरिक्ष और कई अन्य क्षेत्रों में भारत-अमेरिका संबंधों को और मजबूत करने के लिए एक बार फिर मिलकर काम करने के लिए उत्सुक हूं।”
पीएम मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ भी बेहतरीन तालमेल विकसित किया था।उनके राष्ट्रपति पद के चार वर्षों में दोनों लोकतंत्रों के बीच संबंध गहरे हुए। दोनों नेताओं ने कई बार व्यक्तिगत रूप से मुलाकात की। हाल ही में दोनों नेता ब्राजील में जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान और सितंबर में डेलावेयर में अमेरिकी राष्ट्रपति के वीकेंड घर पर मिले थे।
पिछले साल पीएम मोदी द्वारा आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन के लिए बाइडेन भारत भी आए थे, जिसके दौरान उन्होंने द्विपक्षीय बैठकें भी की थीं।
पिछले साल वाशिंगटन की राजकीय यात्रा पर आए पीएम मोदी की बाइडेन ने शानदार से मेजबानी की थी। उन्होंने पीएम मोदी के बारे में कहा था, “हर बार, मैं सहयोग के नए क्षेत्रों को खोजने की हमारी क्षमता से प्रभावित हुआ। साथ मिलकर, हम एक साझा भविष्य बना रहे हैं, जिसके बारे में मेरा मानना है कि इसमें असीमित संभावनाएं हैं।”
अंतरराष्ट्रीय
दिल्ली हाईकोर्ट ने पूर्व आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर की अग्रिम जमानत याचिका खारिज की, अंतरिम संरक्षण वापस लिया
नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को पूर्व आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी और उन्हें दी गई अंतरिम सुरक्षा भी रद्द करने का आदेश दिया।
न्यायमूर्ति चंद्र धारी सिंह की पीठ ने पूर्व आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि यूपीएससी एक प्रतिष्ठित परीक्षा मानी जाती है। पीठ ने आगे कहा कि विचाराधीन घटना न केवल एक संगठन के खिलाफ बल्कि पूरे समाज के खिलाफ भी धोखाधड़ी का प्रतिनिधित्व करती है। अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि इसमें शामिल साजिश का पता लगाने के लिए पूछताछ जरूरी है।
परिणामस्वरूप, अदालत ने फैसला सुनाया कि याचिका खारिज कर दी गई है, तथा खेडकर को दी गई अंतरिम सुरक्षा रद्द कर दी गई है।
न्यायालय ने कहा कि प्रथम दृष्टया, इस मामले में आचरण संगठन को धोखा देने के उद्देश्य से किया गया प्रतीत होता है। इसने कहा कि व्यक्ति लाभों के लिए वैध उम्मीदवार नहीं था, बल्कि जाली दस्तावेजों के माध्यम से उन्हें प्राप्त कर रहा था। न्यायालय ने यह भी उजागर किया कि पिता और माता उच्च पदों पर थे, जिससे प्रभावशाली व्यक्तियों के साथ मिलीभगत की संभावना का संकेत मिलता है।
खेडकर पर दिल्ली पुलिस द्वारा आपराधिक आरोप लगाए गए हैं, जिसमें उन पर सिविल सेवा परीक्षा में धोखाधड़ी करने और अवैध रूप से ओबीसी और विकलांगता कोटा लाभ का दावा करने का आरोप लगाया गया है।
खेडकर ने अधिवक्ता बीना माधवन के माध्यम से कहा कि वह जांच में सहयोग करने को तैयार हैं और उन्होंने कहा कि हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता नहीं है। हालांकि, दिल्ली पुलिस ने विशेष लोक अभियोजक अधिवक्ता संजीव भंडारी के माध्यम से अदालत को सूचित किया कि जांच जारी है, और बड़ी साजिश को उजागर करने के लिए हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता हो सकती है, उन्होंने कहा कि साजिश के कुछ पहलुओं की अभी भी जांच की जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि यह नाम परिवर्तन धोखाधड़ी से अधिक अवसर प्राप्त करने के लिए किया गया था।
इससे पहले, दिल्ली पुलिस ने अग्रिम जमानत याचिका का विरोध किया और दिल्ली उच्च न्यायालय को सूचित किया कि जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है, मामले में एक बड़ी साजिश सामने आ रही है।
इस बीच, यूपीएससी ने अपनी झूठी गवाही संबंधी अर्जी यह कहते हुए वापस ले ली कि वह एक अलग स्वतंत्र अर्जी दाखिल करेगी।
यूपीएससी ने आरोप लगाया कि खेडकर ने न्यायिक प्रणाली में हेरफेर करने का प्रयास किया और कहा कि, पूजा खेडकर ने झूठा हलफनामा दायर करके झूठी गवाही दी है और इस तरह के झूठे बयान देने के पीछे की मंशा स्वाभाविक रूप से झूठे बयान के आधार पर अनुकूल आदेश प्राप्त करने का प्रयास प्रतीत होता है।
यूपीएससी ने कहा कि यह दावा कि आयोग ने उनके बायोमेट्रिक्स एकत्रित किए हैं, पूरी तरह से झूठ है, जिसका एकमात्र उद्देश्य अनुकूल आदेश प्राप्त करने के लिए इस न्यायालय को धोखा देना है।
उक्त दावे को अस्वीकार किया जाता है, क्योंकि आयोग ने उसके व्यक्तित्व परीक्षण के दौरान कोई बायोमेट्रिक्स (आंखों और उंगलियों के निशान) एकत्र नहीं किए थे या उसके आधार पर कोई सत्यापन का प्रयास नहीं किया था।
आयोग ने अब तक आयोजित सिविल सेवा परीक्षाओं के व्यक्तित्व परीक्षण के दौरान किसी भी उम्मीदवार से कोई बायोमेट्रिक जानकारी एकत्र नहीं की है। पूजा खेडकर ने हाल ही में सिविल सेवा परीक्षा में “अनुमेय सीमा से अधिक प्रयासों का लाभ उठाने के लिए अपनी पहचान को गलत तरीके से पेश करने” के आरोप में उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर के संबंध में अग्रिम जमानत याचिका दायर की है।
हाल ही में दिल्ली पुलिस ने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की शिकायत के आधार पर पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा दायर एक आवेदन पर निलंबित आईएएस प्रशिक्षु पूजा खेडकर को भी नोटिस जारी किया है, जिसमें दावा किया गया है कि उन्होंने याचिका में गलत दावा किया है कि उन्हें उम्मीदवारी रद्द करने का आदेश नहीं दिया गया।
यूपीएससी ने कहा कि उनकी उम्मीदवारी रद्द करने के बारे में उन्हें उनके पंजीकृत मेल आईडी पर सूचित किया गया था। इसलिए उन्होंने पहले दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष झूठा दावा किया कि इस वर्ष 31 जुलाई की तारीख वाली प्रेस विज्ञप्ति उन्हें आधिकारिक तौर पर सूचित नहीं की गई थी।
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