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हल्द्वानी में 4 हजार से अधिक परिवारों को बेदखल करने के हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

नई दिल्ली, 5 जनवरी : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को हल्द्वानी में रेलवे की जमीन से 4,000 से अधिक परिवारों को बेदखल करने के उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी। जस्टिस संजय किशन कौल और अभय एस. ओका की पीठ ने कहा, इसमें एक मानवीय पहलू है, और कहा कि सात दिनों में कई हजार लोगों को नहीं हटाया जा सकता है। पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि बिना वैकल्पिक व्यवस्था के लोगों को उजाड़ा नहीं जा सकता। दलीलें सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने एक सप्ताह के भीतर परिवारों को बेदखल करने और उनके घरों को गिराने के उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी।
शीर्ष अदालत ने 20 दिसंबर, 2022 को उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ द्वारा पारित फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं की सुनवाई करते हुए उत्तराखंड सरकार और रेलवे को नोटिस जारी किया।
सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने रेलवे से इस मुद्दे का एक व्यावहारिक समाधान खोजने के लिए कहा और इस बात पर जोर दिया कि कई कब्जेदार दशकों से पट्टे और नीलामी खरीद के आधार पर अधिकारों का दावा करते हुए वहां रह रहे हैं।
पीठ ने कहा, इस मुद्दे के दो पहलू हैं। एक, वे पट्टे का दावा करते हैं। दूसरा, वे कहते हैं कि लोग 1947 के बाद चले गए और जमीन की नीलामी की गई।
न्यायमूर्ति कौल ने कहा कि विवादित भूमि पर प्रतिष्ठान हैं और सवाल किया, आप कैसे कह सकते हैं कि सात दिनों में उन्हें हटा दें?
जस्टिस ओका ने कहा कि लोग वहां 50 साल से रह रहे हैं। उन्होंने आगे कहा, आप उन लोगों के परि²श्य से कैसे निपटते हैं जिन्होंने नीलामी में जमीन खरीदी है। आप जमीन का अधिग्रहण कर सकते हैं और उसका उपयोग कर सकते हैं।
रेलवे का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भट ने कहा कि भूमि रेलवे की है और सार्वजनिक परिसर अधिनियम के तहत बेदखली के कई आदेश पारित किए गए हैं।
याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने प्रस्तुत किया कि वे कोविड अवधि के दौरान पारित एकपक्षीय आदेश थे। भाट ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता भूमि पर अपना दावा करते हैं और उन्होंने पुनर्वास की मांग नहीं की है।
पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय ने प्रभावित पक्षों को सुने बिना ही आदेश पारित कर दिया। इसमें कहा गया है, कोई समाधान निकालें, यह एक मानवीय मुद्दा है।
न्यायमूर्ति कौल ने कहा कि इस तरह की समस्या लंबे समय तक कब्जे से उत्पन्न होती है और शायद उन सभी को एक ही ब्रश से चित्रित नहीं किया जा सकता है। न्यायमूर्ति कौल ने कहा, हो सकता है कि विभिन्न श्रेणियां हों, किसी को दस्तावेजों को सत्यापित करना होगा।
वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि कई याचिकाकर्ताओं ने अपने पक्ष में सरकारी पट्टों को निष्पादित किया था। मामले में विस्तृत सुनवाई के बाद शीर्ष अदालत ने इसे सुनवाई के लिए 7 फरवरी की तिथि तय किया और राज्य सरकार व रेलवे को व्यावहारिक समाधान खोजने के लिए कहा।
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झारखंड हाईकोर्ट ने डीजीपी पद पर अनुराग गुप्ता की नियुक्ति और सरकार की नियमावली पर किया जवाब तलब

रांची, 16 जून। झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य में डीजीपी के पद पर अनुराग गुप्ता की नियुक्ति के मामले में भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी की ओर से दायर अवमानना याचिका पर सोमवार को सुनवाई करते हुए राज्य सरकार, केंद्र सरकार और यूपीएससी सहित सभी प्रतिवादियों को जवाब दाखिल करने का एक और मौका दिया है। मामले की अगली सुनवाई 15 जुलाई को निर्धारित की गई है।
चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने इसके पहले इस याचिका पर 24 मार्च को सुनवाई की थी और सभी प्रतिवादियों को नोटिस जारी करते हुए 16 जून तक जवाब देने को कहा था। मरांडी ने अपनी याचिका में कहा है कि डीजीपी के पद पर गुप्ता की नियुक्ति में यूपीएससी की गाइडलाइन्स और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अवहेलना की गई है।
याचिका में झारखंड की मुख्य सचिव अलका तिवारी, गृह कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग की प्रधान सचिव वंदना दादेल, डीजीपी अनुराग गुप्ता, डीजीपी चयन समिति के अध्यक्ष सेवानिवृत्त न्यायाधीश रत्नाकर भेंगरा, समिति के सदस्य पूर्व डीजीपी नीरज सिन्हा को प्रतिवादी बनाया गया है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ताओं ने पिछली सुनवाई के दौरान अदालत को बताया था कि राज्य सरकार ने बिना किसी गंभीर आरोप के आईपीएस अधिकारी अजय कुमार सिंह को कार्यकाल पूरा किए बगैर डीजीपी के पद से हटाकर इस पद पर अनुराग गुप्ता को नियुक्त कर दिया, जबकि उनका कार्यकाल 14 फरवरी 2025 तक था।
मरांडी की ओर से दायर अवमानना याचिका में सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का भी हवाला दिया गया है, जिसके अनुसार डीजीपी के चयन के लिए राज्य सरकार की ओर से भेजे जाने वाले आईपीएस अधिकारियों के पैनल से यूपीएससी तीन बेहतर छवि और कार्यकाल वाले नामों का चयन करता है और इसके बाद राज्य की सरकार इनमें से किसी एक को कम से कम दो वर्ष के लिए डीजीपी पद पर नियुक्त करती है।
इसी नियम के तहत राज्य सरकार ने 14 फरवरी 2023 को अजय कुमार सिंह को डीजीपी बनाया था, लेकिन उन्हें बिना किसी आरोप के कार्यकाल पूरा होने के पहले ही पद से हटा दिया गया। याचिका में प्रकाश सिंह बनाम भारत सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से पारित आदेश को दरकिनार करने और कोर्ट के आदेश की अवमानना का आरोप लगाया गया है। यह भी कहा गया है कि राज्य सरकार ने डीजीपी की नियुक्ति के लिए जो चयन समिति बनाई है, उसमें एक संघ लोक सेवा आयोग और एक झारखंड लोक सेवा आयोग का नामित सदस्य रखना अनिवार्य है, लेकिन सरकार ने अपने ही इस नियम का अनुपालन नहीं किया। जिस चयन समिति ने डीजीपी पद पर नियुक्ति के लिए अनुराग गुप्ता के नाम की अनुशंसा की, उसकी बैठक में यूपीएससी और जेपीएससी का कोई सदस्य नहीं था।
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तमिलनाडु: पश्चिमी घाट क्षेत्र में लगातार बारिश से बांधों का जलस्तर बढ़ा

तिरुनेलवेली, 16 जून। दक्षिण-पश्चिम मानसून के तेज होने से तमिलनाडु के कई इलाकों में लगातार बारिश हो रही है। खासकर पश्चिमी घाट क्षेत्र में बारिश ने परेशानी बढ़ा दी है। इसके कारण तिरुनेलवेली जिले के बांधों में जलस्तर काफी बढ़ गया है। पश्चिमी घाट क्षेत्र में लगातार हो रही बारिश के कारण इन बांधों में जलस्तर और बढ़ने की उम्मीद है।
जानकारी के मुताबिक, पिछले तीन दिनों में पापनासम डैम का जलस्तर 6 फीट बढ़कर 130.20 फीट पर पहुंच गया है। बांध में प्रति सेकंड 5222 क्यूबिक फीट पानी आ रहा है और सिंचाई के लिए प्रति सेकंड 1400 क्यूबिक फीट पानी छोड़ा जा रहा है।
पिछले तीन दिनों में सर्वलार डैम का जलस्तर 10 फीट बढ़कर 142.12 फीट पर पहुंच गया। मणिमुथर डैम का जलस्तर 94 फीट पर है, जिसमें 619 क्यूबिक फीट प्रति सेकंड का इनफ्लो और सिंचाई के लिए 75 क्यूबिक फीट प्रति सेकंड का आउटफ्लो है।
इसके पहले बारिश के चलते तमिलनाडु के कोयंबटूर में आयोजित होने वाला लोकप्रिय इकोटूरिज्म कार्यक्रम स्थगित करना पड़ा। ये कार्यक्रम हर शनिवार, रविवार और त्यौहारी छुट्टियों पर आयोजित होता है, जिसके लिए पर्यटकों को पहले से बुकिंग करानी पड़ती है।
कोयंबटूर जिले के मेट्टुपलायम में भवनिया नदी पर स्थित पिल्लूर डैम के जलाशय क्षेत्र परालीकाड में 2007 से लगातार इकोटूरिज्म कार्यक्रम रखा जाता है, जो 14 जून को रद्द कर दिया गया। मौसम विभाग ने कोयंबटूर और नीलगिरी जिलों में अगले तीन दिनों तक भारी बारिश की चेतावनी दी। मौसम का ऑरेंज अलर्ट जारी होने के बाद वन विभाग ने कार्यक्रम रद्द करने का फैसला लिया।
इकोटूरिज्म का मुख्य आकर्षण डैम के जलाशय में स्थानीय नावों से की जाने वाली यात्रा है, जो जंगल के बीच झील जैसा दृश्य पेश करती है। पर्वतीय चोटियों और घने जंगलों के बीच बसे इस क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता पर्यटकों को खूब लुभाती है। हालांकि, भारी बारिश की संभावना के चलते एहतियातन 14 और 15 जून को इकोटूरिज्म कार्यक्रम को रद्द करने की घोषणा की गई।
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मुंबई पुलिस के डीसीपी का आंतरिक तबादला: दत्ता नलावडे को जोन 10 और असलम शेख को जोन 6 में तैनात किया गया

मुंबई: मुंबई पुलिस में आंतरिक तबादले किए गए हैं, जिसके तहत कृष्णकांत उपाध्याय को जोन 3 में स्थानांतरित किया गया है, वे पहले पुलिस मुख्यालय 1 में थे। डीसीपी डिटेक्शन दत्ता नलावड़े को जोन 10 और सचिन गंजाल को प्रिवेंटिव में स्थानांतरित किया गया है। महेश चामटे को प्रोटेक्शन से जोन 12, जोन 6 नुनाथ धुले को एंटी नारकोटिक्स सेल, जोन 7 विजय कांत सागर को सी प्रोटेक्शन पोर्ट जोन, प्रशांत परदेसी मंत्रालय से ट्रैफिक साउथ, निमित गोयल को एलए से एसटीएफ ईओडब्ल्यू, जोन 3 दत्तात्रे कांबले को एसबी 1, पुरुषोत्तम कराड साइबर क्राइम, असलम शेख को जोन 6 में स्थानांतरित किया गया है। राकेश ओला को जोन 7, राज तिलक रोशन को डिटेक्शन क्राइम ब्रांच, डीसीपी.
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