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Tuesday,18-November-2025
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उम्रकैद को चुनौती देने वाली गैंगस्टर अबू सलेम की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा

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सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को गैंगस्टर अबू सलेम की उस याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया, जिसमें दावा किया गया था कि भारत और पुर्तगाल के बीच प्रत्यर्पण संधि के अनुसार, उसकी जेल की अवधि 25 साल से अधिक नहीं हो सकती।

अबू सलेम का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता ऋषि मल्होत्रा ने न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष दलील दी कि भारत सरकार द्वारा पुर्तगाल सरकार को आश्वासन दिया गया था कि अबू सलेम को मृत्युदंड नहीं दिया जाएगा और उन्हें 25 साल से अधिक की सजा भी नहीं दी जाएगी, लेकिन, उन्हें मुंबई सीरियल बम धमाकों में दोषी ठहराए जाने के बाद उम्रकैद की सजा सुनाई गई है।

पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति एम. एम. सुंदरेश भी शामिल थे, ने नोट किया कि अदालतें सरकार द्वारा दिए गए आश्वासन से बाध्य नहीं हैं, हालांकि सरकार अपनी कार्यकारी शक्ति का अभ्यास कर सकती है।

मल्होत्रा ने प्रस्तुत किया कि अबू सलेम 2002 से पुर्तगाल में हिरासत में था और उसे ‘रेड कॉर्नर नोटिस’ के बाद गिरफ्तार किया गया था। उन्होंने कहा कि प्रत्यर्पण प्रक्रिया 2003 में शुरू हुई और लगभग 2 साल तक चली और 2005 में सलेम को भारत को सौंप दिया गया।

इस पर पीठ ने केंद्र सरकार से सवाल किया कि अबू सलेम की नजरबंदी का शुरुआती बिंदु (स्टार्टिग प्वाइंट) क्या होगा?

केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के. एम. नटराज ने किया। मामले में विस्तृत दलीलें सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने सलेम की याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया।

इससे पहले 21 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने गैंगस्टर अबू सलेम के प्रत्यर्पण के दौरान पुर्तगाल को दिए गए आश्वासनों का सम्मान करने से जुड़े एक हलफनामे में केंद्रीय गृह सचिव द्वारा दिए गए कुछ बयानों पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा था कि न्यायपालिका को मामले में अधिकारी के व्याख्यान (लेक्च र) की आवश्यकता नहीं है।

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम. एम. सुंदरेश की पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के. एम. नटराज से कहा, ऐसा लगता है कि गृह सचिव हमें बता रहे हैं, हमें अपील का फैसला करना चाहिए। वह हमें न बताएं कि हमें क्या करना है।

न्यायमूर्ति कौल ने कहा, “हलफनामे के कुछ हिस्से मेरी समझ से बाहर हैं। हमें क्या करना है, वह हम करेंगे. हलफनामा दायर करने के दो अवसरों के बाद उन्हें हमें नहीं बताना चाहिए।”

उन्होंने नटराज से इस मामले में सरकार के रुख पर स्पष्ट होने को कहा, क्या वह पुर्तगाल को दिए गए आश्वासन का सम्मान करेगी?

गैंगस्टर अबू सलेम जेल से कब छूटेगा या नहीं छूटेगा, इस पर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए उसके रवैए पर नाराजगी जताई। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस बात का जवाब मांगा था कि गैंगस्टर अबू सलेम को कब जेल से छोड़ा जाएगा। पुर्तगाल और भारत सरकार के बीच हुई संधि के मुताबिक अबू सलेम को 25 साल से ज्यादा दिन तक जेल में नहीं रखा जा सकता।

गृह सचिव ने एक हलफनामे में सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि सरकार पुर्तगाल को दिए गए आश्वासन के लिए बाध्य है और उचित समय पर इसका पालन किया जाएगा।

नटराज ने प्रस्तुत किया कि सरकार आश्वासन से बाध्य है और अदालत से आग्रह किया कि पहले यह तय करें कि संबंधित 25 साल की अवधि कब से चलेगी और फिर उसके आधार पर अन्य मुद्दों पर फैसला किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि संप्रभु प्रतिबद्धता दोनों देशों को बांधती है और आरोपी अधिकार के मामले में इसके लाभ का दावा नहीं कर सकते।

इस पर जस्टिस कौल ने पूछा, आप स्टैंड नहीं लेना चाहते हैं?

पीठ ने कहा कि सरकार ने अदालती प्रक्रिया के जरिए आश्वासन देकर उसे भारत लाने का फैसला किया। शीर्ष अदालत ने कहा, इस अदालत को इस तथ्य से अवगत होना चाहिए कि आपने अपने विवेक से एक आश्वासन दिया है। मुझे समझ में नहीं आता कि अन्य उपचार क्षेत्र क्या हैं।

दरअसल केंद्र सरकार ने तर्क दिया था कि आश्वासन का पालन न करने के बारे में सलेम का तर्क समय से पहले और काल्पनिक अनुमानों पर आधारित है और वर्तमान कार्यवाही में इसे कभी नहीं उठाया जा सकता है।

अबू सलेम का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता ऋषि मल्होत्रा ने प्रस्तुत किया था कि न्यायपालिका भी संप्रभु आश्वासन से बाध्य है। उन्होंने तर्क दिया था कि केंद्र सरकार द्वारा दिए गए आश्वासन के अनुसार कारावास की अवधि 25 साल से अधिक नहीं बढ़ाई जा सकती है।

सीबीआई ने अपने हलफनामे में शीर्ष अदालत को बताया था कि 2002 में तत्कालीन उप प्रधानमंत्री एल. के. आडवाणी की ओर से गैंगस्टर अबू सलेम को भारत प्रत्यर्पित करने के बाद 25 साल से अधिक की कैद नहीं होने देने के आश्वसान को लेकर एक भारतीय अदालत बाध्य नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने तब कहा था कि वह मामले में सीबीआई के जवाब से खुश नहीं है और इसने मामले में गृह सचिव से जवाब मांगा था।

अपराध

आंध्र प्रदेश : मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री ने सऊदी बस हादसे पर जताया दुख

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अमरावती, 17 नवंबर: आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू, उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण और पूर्व मुख्यमंत्री वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी ने सऊदी अरब में हुए दुखद बस हादसे पर दुख व्यक्त किया है। बस हादसे में तेलंगाना के कई उमराह तीर्थयात्री मारे गए।

मुख्यमंत्री नायडू ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “सऊदी अरब में हुए इस दुखद हादसे के बारे में सुनकर मुझे गहरा दुख हुआ है, जिसमें पवित्र उमराह तीर्थयात्रा पर गए तेलंगाना के हमारे साथी भाई-बहनों की जान चली गई। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे और शोक संतप्त परिवारों को इस कठिन समय में शक्ति और सांत्वना प्रदान करे।”

उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण ने हादसे को हृदयविदारक बताया और कहा कि सऊदी अरब में मदीना के पास एक भीषण सड़क दुर्घटना में 42 भारतीयों की जान चली गई। उन्होंने कहा, “जानकारी मिली है कि मृतकों में ज्यादातर हैदराबाद के मुस्लिम तीर्थयात्री थे। उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए, मैं उनके परिवार के सदस्यों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं।”

पूर्व मुख्यमंत्री और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष वाई. एस. जगन मोहन रेड्डी ने भी ‘एक्स’ पर पोस्ट करके दुर्घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “सऊदी अरब में हुई इस दुखद दुर्घटना के बारे में जानकर गहरा सदमा लगा है। मैं घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं। इस कठिन घड़ी में मेरी प्रार्थनाएं पीड़ितों के परिवारों के साथ हैं। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे।”

तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के महासचिव ने पोस्ट किया, “उमरा तीर्थयात्रा में हुई दुर्घटना के बारे में जानकारी से सदमा लगा है, जिसमें तेलंगाना के कई तीर्थयात्रियों सहित 42 से अधिक लोगों की मौत हो गई। शोक संतप्त लोगों के प्रति गहरी संवेदना और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करता हूं।”

आंध्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष वाई.एस. शर्मिला ने लिखा, “सऊदी अरब में हुई विनाशकारी बस-टैंकर टक्कर में तेलंगाना के 45 उमराह तीर्थयात्रियों की दुखद मृत्यु से मैं बहुत व्यथित हूं। शोक संतप्त परिवारों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना। ईश्वर दिवंगत आत्माओं को शांति प्रदान करे। मैं केंद्र सरकार से पीड़ितों के परिवारों को सभी आवश्यक राहत प्रदान करने और यह सुनिश्चित करने का आग्रह करती हूं कि पार्थिव शरीर पूरे सम्मान के साथ वापस आएं।”

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अपराध

हरियाणा पुलिस का बड़ा एक्शन: ‘ऑपरेशन ट्रैकडाउन’ में 11 दिन में 3000 से अधिक अपराधी गिरफ्तार

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चंडीगढ़, 17 नवंबर: हरियाणा को सुरक्षित बनाने और संगठित अपराधों के सिंडिकेट को ध्वस्त करने की अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता को दोहराते हुए चलाए जा रहे विशेष राज्यव्यापी अभियान ‘ऑपरेशन ट्रैकडाउन’ ने एक अभूतपूर्व सफलता हासिल की है। 5 नवंबर से शुरू हुआ यह सघन अभियान अपने 11वें दिन में पहुंच चुका है और प्रदेश में कानून का शिकंजा कसते हुए अपराधियों के मन में खौफ पैदा कर रहा है। इस ऑपरेशन के 11वें दिन विभिन्न अपराधों में शामिल 96 कुख्यात अपराधियों को गिरफ्तार किया गया। इस ऐतिहासिक कार्रवाई के साथ, ऑपरेशन ट्रैकडाउन ने अब तक कुल 3172 अपराधियों को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया है।

इन गिरफ्तारियों में संगीन और गंभीर अपराधों में शामिल 610 अभियुक्त शामिल हैं, जबकि अन्य मुकदमों में गिरफ्तार अपराधियों की कुल संख्या 2562 हो गई है। आईजी राकेश आर्य ने बताया कि 15 नवंबर को हत्या के 7 मामलों में 8 गिरफ्तारियां, हत्या के प्रयास के 23 मामलों में 29 गिरफ्तारियां और आर्म्स एक्ट (अवैध हथियार) के 22 मामलों में 27 अपराधियों को काबू किया गया, जिससे कुल 54 गंभीर मामलों में 67 अपराधी जेल भेजे गए।

अपराधियों पर नकेल कसने के लिए 15 नवंबर को 19 अभियुक्तों की हिस्ट्री शीट खोली गई है, और अब तक कुल 150 अपराधियों की हिस्ट्री शीट खोली जा चुकी है। यह आंकड़ा हरियाणा पुलिस के अपराध उन्मूलन के प्रति समर्पण को स्पष्ट रूप से दर्शाता है और यह ऑपरेशन सही मायने में हरियाणा को अपराध मुक्त राज्य बनाने की दिशा में अद्भुत परिणाम दे रहा है।

हरियाणा पुलिस महानिदेशक के निर्देशों पर राज्य भर में संगठित अपराधों पर नकेल कसने के लिए चलाए जा रहे विशेष अभियान ‘ऑपरेशन ट्रैकडाउन’ के तहत करनाल पुलिस को आज दो महत्वपूर्ण सफलताएं मिलीं। करनाल पुलिस ने अपनी मुस्तैदी और सक्रियता दिखाते हुए छीना-झपटी और फायरिंग जैसी गंभीर वारदातों को अंजाम देने वाले कुल चार वांछित और कुख्यात अपराधियों को गिरफ्तार कर जिले में कानून का राज और मजबूत किया।

इस कड़ी में, पहली कार्रवाई लूटपाट और छीना-झपटी के एक मामले से जुड़ी है। दिनांक 13 नवंबर को नहर की पटरी पर गांव कलरी नन्हेड़ा की ओर जा रहे शिकायतकर्ता कमलजीत के साथ आरोपी और उसके साथियों ने लूटपाट की घटना को अंजाम दिया था, जिसके संबंध में थाना इंद्री में मुकदमा नंबर 650 दर्ज किया गया था। इस मामले में कार्रवाई करते हुए, पुलिस टीम ने आरोपी योगेश पुत्र दान सिंह निवासी नौरथा, इंद्री, करनाल को सफलतापूर्वक काबू कर लिया।

बताया गया कि गिरफ्तार आरोपी योगेश बेहद शातिर किस्म का अपराधी है और उसके खिलाफ सिर्फ यह लूट का मामला ही नहीं, बल्कि विभिन्न संगीन धाराओं के तहत आठ अन्य मामले पहले से ही इंद्री पुलिस स्टेशन में दर्ज हैं, जिनमें चोरी और आर्म्स एक्ट से जुड़े मामले शामिल हैं। गहन पूछताछ के बाद, आरोपी योगेश को अदालत के सामने पेश किया गया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में जिला जेल भेज दिया गया।

दूसरी बड़ी सफलता करनाल पुलिस को सीएनजी पेट्रोल पंप पर फायरिंग के मामले में मिली। पुलिस अधीक्षक करनाल के मार्गदर्शन और ‘ऑपरेशन ट्रैकडाउन’ के तहत निरंतर निगरानी के परिणामस्वरूप, थाना घरौंडा की टीम ने विश्वसनीय सूचना के आधार पर तीन वांछित आरोपियों को गिरफ्तार किया।

इन आरोपियों ने 13 अक्टूबर की रात को सीएनजी पेट्रोल पंप, घरौंडा के कर्मचारी के साथ मामूली कहासुनी होने पर अंधाधुंध फायर कर दहशत फैलाई थी और मौके से फरार हो गए थे। गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पहचान जितेंद्र पुत्र सतपाल (पानीपत), सचिन उर्फ रिकी पुत्र हरीश भारद्वाज (शिवाह, पानीपत) और दीपक पुत्र कर्मवीर (जाटल, पानीपत) के रूप में हुई है। इनके खिलाफ थाना घरौंडा में मुकदमा नंबर 624 की धाराओं (109(1) बीएनएस व आर्म्स एक्ट) के तहत मामला दर्ज किया गया था।

जानकारी दी गई है कि इन आरोपियों को गहनता से पूछताछ के लिए प्रोडक्शन वारंट पर लिया गया था। मुख्य आरोपी जितेंद्र के खिलाफ भी पहले से ही हत्या के प्रयास, दंगा और धोखाधड़ी समेत चार अन्य संगीन मामले दर्ज हैं। पूछताछ के बाद तीनों आरोपियों को जिला जेल भेजा गया।

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अपराध

जम्मू-कश्मीर के डीजीपी ने नौगाम पुलिस स्टेशन में हुए विस्फोट पर खेद जताया, आतंकी संबंध की अटकलों को किया खारिज

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श्रीनगर, 15 नवंबर: जम्मू-कश्मीर के डीजीपी नलिन प्रभात ने शनिवार को नौगाम पुलिस स्टेशन के अंदर हुई विस्फोट की घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। साथ ही, इस मामले में उन्होंने किसी भी तरह के ‘आतंकवादी संबंध’ को खारिज करते हुए कहा कि इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के कारणों के बारे में अन्य धारणाएं केवल ‘अनावश्यक अटकलें’ हैं।

डीजीपी ने पुलिस नियंत्रण कक्ष (पीसीआर) में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि फरीदाबाद से भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री नौगाम पुलिस स्टेशन लाई गई और खुले स्थान पर सुरक्षित रूप से रखी गई। बरामदगी की मात्रा बहुत अधिक होने के कारण, पिछले दो दिनों से विस्फोटक सामग्री के नमूने लेने की प्रक्रिया चल रही थी, ताकि नमूनों को आगे की फोरेंसिक और रासायनिक जांच के लिए भेजा जा सके।

उन्होंने कहा कि विस्फोटक सामग्री की अस्थिर और संवेदनशील प्रकृति के कारण, इसे अत्यधिक सावधानी से संभाला जा रहा था। दुर्भाग्य से शुक्रवार रात लगभग 11.20 बजे, जब्त की गई सामग्री में आकस्मिक विस्फोट हो गया।

डीजीपी ने कहा कि घटना के कारणों के बारे में और कोई अटकलें लगाना अनावश्यक है। इस घटना में 9 लोगों की जान चली गई है। विशेष जांच एजेंसी के एक कर्मचारी, दो राजस्व अधिकारी, एफएलएस टीम के तीन कर्मचारी, अपराध शाखा के दो फोटोग्राफर और एक दर्जी की जान चली गई है। साथ ही, पुलिस स्टेशन की इमारत बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई और आस-पास की इमारतें भी प्रभावित हुईं। इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना का कारण अभी स्पष्ट नहीं है। पुलिस मृतकों के परिवारों के साथ पूरी तरह खड़ी है।

इस विस्फोट में घायल हुए लोगों को इलाज के लिए बादामी बाग इलाके में स्थित सेना के बेस अस्पताल और शेर-ए-कश्मीर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसकेआईसीसी) सौरा में भर्ती कराया गया है।

इससे पहले शनिवार सुबह डीजीपी नलिन प्रभात वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ नौगाम पुलिस स्टेशन गए और स्थिति का मौके पर जाकर जायजा लिया।

नौगाम पुलिस स्टेशन के अंदर हुआ विस्फोट इतना जबरदस्त था कि आसपास की इमारतों के शीशे टूट गए और विस्फोट की आवाज़ नौगाम इलाके से 5-10 किलोमीटर दूर तक सुनाई दी। भीषण विस्फोट के कारण पुलिस स्टेशन के अंदर खड़े कई वाहनों में आग लग गई और आग बुझाने के लिए दमकल गाड़ियों को लगाया गया।

गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर पुलिस ने हरियाणा पुलिस के साथ मिलकर फरीदाबाद में सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ करते हुए 2900 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट बरामद किया था। इस मामले में डॉ. आदिल राथर और डॉ. मुजम्मिल गनई को गिरफ्तार कर लिया गया, जबकि तीसरा आतंकी साथी, डॉ. उमर नबी गिरफ्तारी से बच निकला। बाद में लाल किले के पास एक कार विस्फोट में उसकी मौत हो गई, जिसमें 10 लोग मारे गए और कई अन्य घायल हो गए।

लखनऊ की एक महिला डॉक्टर शाहीन शाहिद को भी उनकी कार से एक असॉल्ट राइफल बरामद होने के बाद गिरफ्तार किया गया। जैश-ए-मोहम्मद आतंकी संगठन के दो ओवरग्राउंड वर्कर्स (ओजीडब्ल्यू) की गिरफ्तारी से आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ हुआ।

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