अपराध
सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा से भाजपा विधायकों के निलंबन पर फैसला सुरक्षित रखा

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सदन में कथित कदाचार और दुर्व्यवहार के लिए महाराष्ट्र विधानसभा के 12 भाजपा विधायकों के एक साल के निलंबन को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
मामले में दलीलें सुनने के बाद न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति सी. टी. रविकुमार ने फैसला सुरक्षित रख लिया।
निलंबित विधायकों के पक्ष में वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी, मुकुल रोहतगी, नीरज किशन कौल और सिद्धार्थ भटनागर ने दलीलें पेश कीं। वरिष्ठ अधिवक्ताओं को अधिवक्ता सिद्धार्थ धर्माधिकारी और अभिकल्प प्रताप सिंह ने सहायता प्रदान की।
वकीलों ने तर्क दिया कि अनुशासन के इरादे से निलंबन सदन के सत्र से आगे नहीं जा सकता।
महाराष्ट्र सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता सी. ए. सुंदरम ने तर्क दिया कि एक सदस्य को एक साल के लिए विधानसभा से निलंबित करने का कार्य संविधान द्वारा प्रतिबंधित नहीं है।
दूसरी ओर, याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने तर्क दिया कि केवल निहित शक्ति का प्रयोग करने से सदन संविधान के विपरीत कार्य कर सकता है, और कोई भी प्रारंभिक शक्ति संविधान या मौलिक अधिकारों से परे नहीं जा सकती है। उन्होंने तर्क दिया कि निलंबन का कोई औचित्य नहीं है, जो निर्वाचन क्षेत्र के अधिकार को प्रभावित करता है। रोहतगी ने जोर देकर कहा कि 1 साल के निलंबन का निर्णय पूरी तरह से तर्कहीन है, क्योंकि इसमें प्राकृतिक न्याय का अनुपालन नहीं किया गया है।
मंगलवार को मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति खानविलकर ने सुंदरम से कहा था कि विधायकों का निलंबन सदन के सत्र से बड़ा नहीं होना चाहिए और इसके अलावा कुछ भी तर्कहीन होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा था कि विधानसभा से एक साल के लिए निलंबित करने को कोई मकसद होना चाहिए और सदस्यों को अगले सत्र तक में शामिल होने की अनुमति नहीं देने का कोई जबरदस्त कारण होना चाहिए।
बीजेपी के 12 विधायकों ने एक साल के लिए निलंबित करने वाले विधानसभा में पारित प्रस्ताव को चुनौती दी है। उन्हें पिछले साल पांच जुलाई को विधानसभा से निलंबित कर दिया गया था। राज्य सरकार ने उन पर विधानसभा के अध्यक्ष के कक्ष में पीठासीन अधिकारी भास्कर जाधव के साथ दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाया था।
न्यायमूर्ति रविकुमार ने कहा, एक और बात यह है कि ये लोकतंत्र के लिए खतरा है। मान लीजिए कि सत्ताधारी पार्टी (विधानसभा में) कमजोर है और 15 या 20 लोग निलंबित हैं, तो ऐसे में लोकतंत्र का भाग्य क्या होगा?
पीठ ने सुंदरम से पूछा, निलंबन किस अवधि तक और किस उद्देश्य के लिए है?
न्यायमूर्ति माहेश्वरी ने कहा कि सदन सत्रों में आयोजित होता है और तर्क यह है कि जब एक नया सत्र शुरू होता है, तो नया कार्य शुरू होता है। उन्होंने आगे सवाल किया कि उन्हें एक विशेष सत्र के लिए निलंबित किया जा सकता है, लेकिन उस समय से परे तर्कसंगतता का सवाल उठता है।
11 जनवरी को, अदालत ने पाया था कि विधानसभा के अंदर और बाहर दोनों जगह, पीठासीन अधिकारी के साथ दुर्व्यवहार करने के लिए जुलाई में 12 भाजपा विधायकों को एक साल के लिए निलंबित करना एक प्रकार से निष्कासन से भी बदतर है।
अपराध
अभिनेता एजाज खान की पत्नी, फॉलन गुलीवाला को मिली जमानत, सोमवार को होगी रिहाई।

मुंबई: अभिनेता एजाज खान की पत्नी, फॉलन गुलीवाला, जिन्हें नवंबर 2024 में उनके आवास से मादक पदार्थों की बरामदगी के मामले में गिरफ्तार किया गया था, को मुंबई की एक विशेष अदालत ने जमानत दे दी है। गुलीवाला पिछले चार महीने से अधिक समय से हिरासत में थीं।
अदालत ने जमानत देते हुए कुछ शर्तें लगाई हैं, जिनमें उनका पासपोर्ट जमा करना, यात्रा पर प्रतिबंध और जांच अधिकारी के समक्ष सप्ताह में तीन बार उपस्थित होना शामिल है, जब तक कि आरोप पत्र दाखिल नहीं हो जाता।
गुलीवाला के वकील, अयाज खान, ने दलील दी कि उन्हें बरामद वस्तुओं की जानकारी नहीं थी और वह उस परिसर की अकेली निवासी नहीं थीं। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि छापे के दौरान सीसीटीवी सिस्टम बंद कर दिया गया था और कोई वीडियोग्राफी या फोटोग्राफी नहीं की गई थी।
विशेष लोक अभियोजक विभावरी पाठक ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए तर्क दिया कि गुलीवाला के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला बनता है।
अदालत ने यह देखते हुए कि जब्ती प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, गुलीवाला को जमानत दी, लेकिन सख्त शर्तों के साथ।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
कनाडा में भारतीय नागरिक की चाकू घोंपकर हत्या

ओटावा, 5 अप्रैल। कनाडा के ओटावा के निकट रॉकलैंड इलाके में एक भारतीय नागरिक की चाकू घोंपकर हत्या कर दी गई, जिसके बाद स्थानीय अधिकारियों ने तुरंत कार्रवाई की। कनाडा में भारतीय दूतावास ने शनिवार सुबह घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि एक संदिग्ध को हिरासत में ले लिया गया है।
भारतीय दूतावास ने एक बयान जारी कर घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया और पीड़ित परिवार को सहायता देने का भी ऐलान किया।
दूतावास ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, “ओटावा के निकट रॉकलैंड में चाकू घोंपने से एक भारतीय नागरिक की दुखद मौत से हम बहुत दुखी हैं। पुलिस ने बताया है कि एक संदिग्ध को हिरासत में ले लिया गया है। हम शोक संतप्त परिजनों को हर संभव सहायता प्रदान करने के लिए स्थानीय सामुदायिक संघ के माध्यम से निकट संपर्क में हैं।”
हालांकि चाकू मारने की घटना का विवरण अभी भी अस्पष्ट है, लेकिन स्थानीय मीडिया रिपोर्टों से पता चलता है कि यह घटना सुबह-सुबह क्लेरेंस-रॉकलैंड क्षेत्र में हुई।
अधिकारियों ने अभी तक इसकी पुष्टि नहीं की है कि क्या यह वही मामला है जिसका उल्लेख भारतीय दूतावास ने किया है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, हत्या की चल रही जांच के तहत ओन्टारियो प्रांतीय पुलिस (ओपीपी) ने क्षेत्र में अपनी उपस्थिति बढ़ा दी है।
पुलिस ने रॉकलैंड निवासियों को भी चेतावनी जारी की है, जिसमें उन्हें सलाह दी गई है कि वे कानून प्रवर्तन की गतिविधियों में वृद्धि की अपेक्षा करें, जबकि अधिकारी अपराध से जुड़ी परिस्थितियों की जांच जारी रखेंगे।
कनाडा स्थित दूतावास ने जनता को आश्वासन दिया कि वह इस कठिन समय में पीड़ित परिवार को सभी आवश्यक सहायता प्रदान कर रहा है।
चाकू घोंपने के पीछे का मकसद अभी भी स्पष्ट नहीं है और जांच जारी है। दूतावास ने स्थानीय अधिकारियों के साथ निरंतर संपर्क बनाए रखने का वादा किया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि परिवार को उनकी ज़रूरत के मुताबिक सहायता मिले और मामले से जुड़ी आगे की कार्रवाई में मदद मिले।
अपराध
झारखंड में आयुष्मान भारत घोटाले में रांची सहित 21 ठिकानों पर ईडी की छापेमारी

रांची, 4 अप्रैल। आयुष्मान भारत योजना में गड़बड़ी के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीमों ने रांची में शुक्रवार सुबह से कई स्थानों पर छापेमारी शुरू की है। शहर के अशोक नगर, पीपी कंपाउंड, एदलहातु, बरियातू, लालपुर और चिरौंदी इलाके में कई ठिकानों पर कड़ी सुरक्षा के बीच तलाशी चल रही है।
बताया जा रहा है कि रांची के अलावा कुल 21 ठिकानों पर यह रेड चल रही है। ईडी ने आयुष्मान भारत योजना में झारखंड में हुई गड़बड़ियों को लेकर हाल में ईसीआईआर (इन्फोर्समेंट केस इन्फॉर्मेशन रिपोर्ट) दर्ज कर जांच शुरू की है। यह छापेमारी इसी मामले में उन लोगों के खिलाफ की जा रही है, जिनके घोटाले और मनी लॉन्ड्रिंग में संलिप्त होने की संभावना है।
एक हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी के दफ्तर में भी तलाशी की जा रही है। संसद में पेश भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट (सीएजी) में भी आयुष्मान भारत योजना में गड़बड़ियों का खुलासा किया गया था। इसमें बताया गया था कि झारखंड में भी कई अस्पतालों ने मरीजों के फर्जी इलाज का बिल बनाकर सरकार से करोड़ों की राशि का भुगतान ले लिया।
यहां तक कि कई ऐसे लोगों के इलाज के नाम पर राशि निकाली गई, जिनकी मौत हो चुकी थी। सीएजी की इस रिपोर्ट के बाद ईडी ने झारखंड स्टेट हेल्थ सोसायटी और स्वास्थ्य विभाग से आयुष्मान योजना में गड़बड़ी करने वालों के खिलाफ की गई कार्रवाई का ब्योरा मांगा था। इस पर स्वास्थ्य विभाग ने कुछ अस्पतालों के खिलाफ दर्ज कराई गई एफआईआर की सूचना ईडी को भेजी थी।
बताया जा रहा है कि ईडी ने इसी एफआईआर के आधार पर ईसीआईआर के रूप में दर्ज कर जांच शुरू की है। झारखंड में आयुष्मान योजना के तहत करीब 750 से अधिक अस्पताल सूचीबद्ध हैं। इनमें से कई अस्पतालों में करोड़ों रुपए का फर्जीवाड़ा करने की शिकायतें हैं।
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