राष्ट्रीय समाचार
‘उदयपुर फाइल्स’ की रिलीज़ को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल सुनवाई से किया इनकार

suprim court
नई दिल्ली, 9 जुलाई। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कन्हैया लाल हत्याकांड पर आधारित फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ की रिलीज़ पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर तत्काल सुनवाई का निर्देश देने से इनकार कर दिया।
इस शुक्रवार को दुनिया भर में रिलीज़ होने वाली यह फिल्म राजस्थान के उदयपुर में जून 2022 में मोहम्मद रियाज़ अटारी और गौस मोहम्मद द्वारा गला रेतकर की गई एक दर्जी कन्हैया लाल की नृशंस हत्या के इर्द-गिर्द घूमती है।
न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कन्हैया लाल हत्याकांड के एक आरोपी मोहम्मद जावेद की ओर से पेश हुए वकील प्योली से कहा कि वह 14 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट के फिर से खुलने के बाद फिल्म की रिलीज़ पर रोक लगाने की मांग वाली रिट याचिका को एक नियमित पीठ के समक्ष प्रस्तुत करें।
जब वकील ने इस बात पर ज़ोर दिया कि इस बीच फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज़ होगी, तो न्यायमूर्ति धूलिया की अध्यक्षता वाली पीठ ने टिप्पणी की, “इसे रिलीज़ होने दें”।
न्याय के हित में और निष्पक्ष सुनवाई के अपने मौलिक अधिकार की रक्षा के लिए, आरोपी जावेद ने दावा किया कि फिल्म की विषय-वस्तु विशेष एनआईए अदालत में लंबित कन्हैया लाल हत्याकांड की चल रही सुनवाई में बाधा डाल सकती है।
सर्वोच्च न्यायालय में दायर उनकी रिट याचिका में यह सवाल उठाया गया था कि क्या सिनेमाई रिलीज़ के रूप में मीडिया द्वारा संचालित अपराध का चित्रण जारी रहने दिया जा सकता है, जबकि यह सीधे तौर पर संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रदत्त स्वतंत्र और निष्पक्ष सुनवाई के उनके अधिकार का उल्लंघन करता है।
आरोपी की याचिका में कहा गया है, “इस समय ऐसा ट्रेलर जारी करना, जिसमें आरोपी को दोषी और कहानी को पूरी तरह से सत्य दिखाया गया हो, चल रही कार्यवाही को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। यह निर्दोषता की धारणा को कमजोर करता है और जनमत को इस तरह प्रभावित करने का जोखिम उठाता है जिससे मुकदमे की निष्पक्षता प्रभावित हो सकती है।”
इससे पहले, बुधवार को केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) ने दिल्ली उच्च न्यायालय को सूचित किया कि फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ के कथित आपत्तिजनक अंश हटा दिए गए हैं।
मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय और न्यायमूर्ति अनीश दया की पीठ कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिनमें इस्लामी धर्मगुरुओं के संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी द्वारा दायर एक याचिका भी शामिल थी, जिसमें फिल्म की रिलीज़ पर रोक लगाने की मांग की गई थी।
अपने आदेश में, मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय की अध्यक्षता वाली पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) चेतन शर्मा का यह बयान दर्ज किया कि फिल्म को प्रमाणित करने से पहले, सीबीएफसी ने कुछ कट्स प्रस्तावित किए थे और फिल्म के निर्माता ने उन्हें लागू भी किया था।
इसके अलावा, दिल्ली उच्च न्यायालय ने फिल्म के निर्माता से मामले में उपस्थित वकीलों के लिए बुधवार को ही फिल्म और ट्रेलर की एक निजी स्क्रीनिंग की व्यवस्था करने को कहा।
दिल्ली उच्च न्यायालय गुरुवार (10 जुलाई) को इन याचिकाओं पर आगे की सुनवाई करेगा।
राष्ट्रीय समाचार
मुंबई की लोकल ट्रेनों का बदलेगा चेहरा, चलेंगी एसी ‘वंदे मेट्रो’ ट्रेन

मुंबई, 9 सितंबर। मुंबई की उपनगरीय रेल यात्रा में जल्द ही बड़ा बदलाव आने वाला है। मुंबई रेलवे विकास निगम लिमिटेड (एमआरवीसी) ने 2,856 पूरी तरह वातानुकूलित वंदे मेट्रो (उपनगरीय) कोचों की खरीद के लिए एक बड़ी निविदा जारी की है।
मुंबई रेलवे विकास निगम लिमिटेड के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक विलास सोपन वाडेकर ने मिडिया से बात कर वंदे मेट्रो ट्रेन के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह निविदा मुंबई अर्बन ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट फेज III और IIIए के तहत जारी की गई है। यह मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत पहल का हिस्सा है।
उन्होंने कहा, “इसमें न केवल आधुनिक कोचों की आपूर्ति शामिल है, बल्कि 35 साल तक उनका रखरखाव भी किया जाएगा। इन नई ट्रेनों में 12, 15 और 18 डिब्बों वाले रेक होंगे, जो भविष्य की बढ़ती यात्री संख्या को संभालने में सक्षम होंगे। वर्तमान में ज्यादातर सेवाएं 12 डिब्बों वाले रेकों से ही चलती हैं।”
इस परियोजना के लिए मध्य रेलवे (भिवपुरी) और पश्चिम रेलवे (वानगांव) में दो अत्याधुनिक रखरखाव डिपो भी बनाए जाएंगे। निविदा जमा करने की प्रक्रिया 8 दिसंबर 2025 से शुरू होगी और यह 22 दिसंबर 2025 को खोली जाएगी।
यह पहल ‘मेक इन इंडिया’ नीति के तहत की जा रही है, जिससे घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा मिलेगा।
विलास सोपन वाडेकर ने कहा कि सभी एसी कोच वातानुकूलित होंगे, जिससे गर्मी और भीड़भाड़ में भी यात्री आरामदायक महसूस करेंगे। इनमें स्वचालित दरवाजे होंगे, जो सुरक्षा बढ़ाएंगे। साथ ही, बेहतर एक्सीलरेशन और डिसीलरेशन से समयबद्धता में सुधार होगा और ये ट्रेनें 130 किमी प्रति घंटा तक की रफ्तार से चल सकेंगी।
उन्होंने आगे बताया कि इस कदम का उद्देश्य मुंबई के दैनिक यात्रियों के लिए यात्रा को अधिक आरामदायक, सुरक्षित और कुशल बनाना है। रोजाना सफर करने वाले यात्रियों को विशेष फायदा होगा। कम समय में यात्रियों को सुगम यात्रा मिलेगी। समय से काम पूरा हो, इसका विशेष ध्यान दिया जाएगा।
आधुनिक सुविधाओं के बारे में बताते हुए कहा कि कोचों में गद्देदार सीटें, मोबाइल चार्जिंग पॉइंट और इंफोटेनमेंट सिस्टम जैसी आधुनिक सुविधाएं होंगी। मुंबई की जलवायु के अनुसार उच्च क्षमता वाले एचवीएसी सिस्टम के साथ, विक्रेताओं के लिए अलग एसी डक्ट वाले विशेष डिब्बे भी होंगे।
अपराध
दिल्ली: शाहदरा पुलिस और आबकारी विभाग की संयुक्त कार्रवाई, अवैध शराब जब्त, तीन आरोपी गिरफ्तार

नई दिल्ली, 9 सितंबर। शाहदरा जिला पुलिस की एएसबी सेल ने आबकारी विभाग के साथ मिलकर अवैध शराब के कारोबार के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। इस कार्रवाई के दौरान पुलिस ने 5840 क्वार्टर अवैध देसी शराब और एक कार को जब्त करते हुए तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। यह पूरी कार्रवाई आगामी त्यौहारी सीजन में कानून व्यवस्था को सुचारू रखने और संगठित अपराधों की रोकथाम के उद्देश्य से की गई।
दरअसल, 6-7 सितंबर की रात शाहदरा एएसबी सेल को सूचना मिली थी कि आनंद विहार इलाके के सूरजमल विहार अथॉरिटी के पास अवैध शराब की खेप लाई जा रही है। सूचना के बाद एसआई अजय तोमर, शाहदरा एएसबी सेल के इंचार्ज के नेतृत्व में एक विशेष टीम बनाई गई। इस कार्रवाई की देखरेख एसीपी ऑपरेशन मोहिंदर सिंह ने की, जबकि शाहदरा डीसीपी ने इसकी निगरानी की। टीम में एएसआई राजकुमार, हेड कांस्टेबल सचिन, नवदीप, कुमार दिव्य वत्स, रोहित, सोनू, मनीष और कांस्टेबल सौरव शामिल थे।
इसी दौरान आबकारी विभाग की टीम भी वाहन को ट्रैक कर रही थी। आबकारी इंस्पेक्टर इंदरपाल, हेड कांस्टेबल अमृत और महिला हेड कांस्टेबल नीलम मौके पर पहुंचे और संयुक्त प्रयासों से पुलिस ने आरोपी कमल (26), निवासी जेलोर वाला बाग, अशोक विहार, दिल्ली को पकड़ लिया। उसके कब्जे से भारी मात्रा में अवैध शराब और वाहन बरामद किया गया। इस संबंध में आनंद विहार थाने में एफआईआर संख्या 407/25 दर्ज की गई है।
पूछताछ में कमल ने कबूल किया कि वह मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले का रहने वाला है और पेशे से ड्राइवर है। बेरोजगारी के चलते वह करीब 2-3 महीने पहले वजीरपुर में जॉनी और किशन उर्फ सुदामा से मिला था। उन्होंने उसे 20 हजार मासिक वेतन पर अवैध शराब सप्लाई करने का काम दिया। जॉनी हरियाणा से शराब लाता था और कमल व किशन उर्फ सुदामा के जरिए दिल्ली में सप्लाई कराता था।
पुलिस ने आगे की जांच में किशन कुमार उर्फ सुदामा (24), निवासी बुराड़ी और मूल निवासी मुंगेर, बिहार को भी गिरफ्तार किया। दोनों आरोपियों ने बताया कि 6 सितम्बर को जॉनी ने 122 कार्टन शराब कुंडली में भेजी थी, जिसे टाटा ऐस में डालकर दिल्ली लाया गया। इस खेप में से 6 कार्टन राजीव उर्फ़ मोनू को शक्ति नगर की गुड़ मंडी में पहुंचाई गई थी। इसके आधार पर पुलिस ने राजीव उर्फ मोनू (38), निवासी शक्ति नगर, दिल्ली को भी गिरफ्तार किया। उसके पास से 40 क्वार्टर ‘रेस 7 – फॉर सेल इन हरियाणा ओनली’ शराब बरामद हुई।
छापेमारी के दौरान कुल 5,000 क्वार्टर (100 पेटी) देशी शराब ‘संतरा’, 440 क्वार्टर (8 पेटी) ‘रेस-7’, 400 क्वार्टर (8 पेटी) ‘नाइट ब्लू’ और सप्लाई के लिए उपयोग की जाने वाली कार बरामद की गई।
आरोपी कमल 10वीं तक पढ़ा है और लेबर का काम करता था, लेकिन आसान पैसे कमाने के लालच में शराब तस्करी में शामिल हो गया। उसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। वहीं, किशन कुमार उर्फ सुदामा पहले भी दो बार आबकारी अधिनियम के तहत पकड़ा जा चुका है। राजीव उर्फ मोनू के खिलाफ पहले से तीन केस दर्ज हैं।
पुलिस ने बताया कि इस मामले का मास्टरमाइंड जॉनी फिलहाल फरार है। हरियाणा के सोनीपत जिले के असावरपुर स्थित उसके घर पर छापा मारा गया, लेकिन वह वहां नहीं मिला। उसकी तलाश और बाकी खेप की बरामदगी के प्रयास जारी हैं। शाहदरा पुलिस ने कहा कि त्योहारों से पहले अवैध शराब और संगठित अपराधों के खिलाफ यह अभियान लगातार जारी रहेगा ताकि कानून व्यवस्था और सामाजिक सुरक्षा बनी रहे।
राजनीति
महाराष्ट्र: 12 मांगों को लेकर सरकार के साथ बैठक करेंगे ओबीसी नेता, बबनराव तायवाडे बोले-फैसला लागू करने पर होगी बात

मुंबई, 9 सितंबर। महाराष्ट्र में ओबीसी समाज की मांगों को लेकर सियासी हलचल तेज है। राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ के अध्यक्ष बबनराव तायवाडे ने मिडिया से बातचीत में बताया कि मंगलवार को मुंबई में सरकार के साथ उनकी बैठक होने जा रही है, जिसमें ओबीसी की 14 में से 12 मांगों को लागू करने की तारीख और प्रक्रिया पर चर्चा होगी। यह बैठक ओबीसी कल्याण मंत्री अतुल सावे की मध्यस्थता में होगी, जिसमें संबंधित विभागों के प्रधान सचिव भी मौजूद रहेंगे।
तायवाडे ने कहा, “जब मंत्री अतुल सावे नागपुर में हमारे अनशन को खत्म कराने आए थे, तब उन्होंने 12 मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया था। मंगलवार को बैठक में यह तय होगा कि ये मांगें कब और कैसे लागू होंगी। हमारी मांगों से संबंधित विभागों के प्रधान सचिवों की उपस्थिति में शासन निर्णय की तारीख फाइनल की जाएगी।”
कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने सोमवार को हुई ओबीसी बैठक में ऐलान किया कि अक्टूबर में नागपुर में ओबीसी समाज का महामोर्चा निकाला जाएगा। इस पर बबनराव तायवाडे ने कहा, “मैं चाहता हूं कि ओबीसी समाज में सौ-दो सौ ऐसे नेता हों, जो अपने-अपने जिलों में बड़े मोर्चे निकालें। इससे सोया हुआ ओबीसी समाज जागृत होगा। जो लोग अपने आपको ओबीसी नेता कहते हैं, उन्हें मैदान में उतरकर संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए।”
वडेट्टीवार ने आरोप लगाया कि सरकार ने मराठा समाज को ओबीसी आरक्षण देने के लिए दूसरी जीआर से ‘पात्र’ शब्द हटाकर मूल ओबीसी के हकों पर आघात किया है। इस पर तायवाडे ने असहमति जताते हुए कहा, “मैं इस मत से सहमत नहीं हूं। ‘पात्र’ शब्द का मतलब है कि मराठा समाज के जिन लोगों की वंशावली में किसी रिश्तेदार के पास कुनबी प्रमाणपत्र है, सिर्फ वही लोग इसके लिए आवेदन कर सकते हैं। अगर वंशावली में कुनबी प्रमाणपत्र नहीं है, तो वे आवेदन नहीं कर सकते। यह प्रावधान 2000, 2012 और 2024 के अधिनियमों में स्पष्ट है।”
कई ओबीसी संगठनों का दावा है कि मूल ओबीसी के अधिकार खतरे में हैं। इस पर तायवाडे ने कहा, “अगर कोई कहता है कि ओबीसी के अधिकार खतरे में हैं, तो उन्हें विस्तार से बताना चाहिए कि कैसे। मैं हमेशा तथ्यों के साथ अपनी बात रखता हूं। मराठा समाज को ओबीसी कोटे से आरक्षण देने की मांग को आंदोलनकारियों ने खुद पीछे लिया है। जीआर में सिर्फ वही प्रावधान है, जो पहले से था, यानी वंशावली में कुनबी प्रमाणपत्र वाले रिश्तेदारों के आधार पर ही प्रमाणपत्र मिलेगा।”
इस बीच, महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “नागपुर में बबनराव तायवाडे के आंदोलन के बाद मंत्री अतुल सावे ने बैठक आयोजित करने का आश्वासन दिया था। सुबह 11 बजे मंत्रिमंडल उपसमिति की बैठक होगी, जिसमें छगन भुजबळ, पंकजा मुंडे, गुलाबराव पाटिल, दत्तात्रय भरणे और अन्य सदस्य मौजूद रहेंगे। इस बैठक में ओबीसी समाज की मांगों, शंकाओं और भ्रमों पर चर्चा होगी।”
उन्होंने आगे कहा, “अगर छगन भुजबल न्यायालय गए, तो यह उनका निर्णय है, लेकिन उपसमिति में उनकी शंकाओं को सुना जाएगा। अगर किसी को लगता है कि ओबीसी समाज पर अन्याय हो रहा है, तो वे उपसमिति के सामने अपनी बात रख सकते हैं। हम सभी मुद्दों पर चर्चा करेंगे।”
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