राष्ट्रीय समाचार
‘जन औषधि दिवस’ को बढ़ावा देने के लिए सुदर्शन पटनायक ने बनाई रेत की मूर्ति

पुरी, 7 मार्च। 7 मार्च को ‘जन औषधि दिवस’ मनाया जाता है, ताकि इस योजना के बारे में जागरूकता बढ़ाई जा सके और जेनेरिक दवाओं के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जा सके। इस पहल को समर्थन देने के लिए 1 से 7 मार्च तक पूरे देश में सप्ताह भर के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। ‘जन औषधि दिवस’ को बढ़ावा देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय रेत कलाकार सुदर्शन पटनायक गुरुवार को 6 घंटे की मेहनत कर रेत की मूर्ति बनाई है।
इस बारे में मीडिया से बातचीत करते हुए सुदर्शन पटनायक ने कहा कि 7 मार्च को ‘जन औषधि दिवस’ मनाया जाता है और इस वर्ष की थीम ‘दाम काम दवाई उत्तम’ है। इसी के अनुरूप, हमने ‘जन औषधि दिवस’ के लाभों पर प्रकाश डालते हुए रेत की मूर्ति बनाई। पीएम मोदी की यह पहल देश के लिए एक बहुत बड़ा उपकार है। इसी को लेकर हमने रेत की मूर्ति बनाई है। इस मूर्ति में आपको पीएम मोदी भी दिखाई देंगे। इसे बनाने में 5 से 6 घंटे का समय लगा है।
बता दें कि प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना को नवंबर 2008 में रसायन और उर्वरक मंत्रालय के फार्मास्यूटिकल्स विभाग द्वारा केंद्रीय फार्मा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के सहयोग से लॉन्च किया गया था । इस पहल का उद्देश्य प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्र नामक समर्पित दुकानों के माध्यम से जनता को सस्ती कीमतों पर गुणवत्तापूर्ण दवाइयां उपलब्ध कराना है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य सभी को किफायती दामों पर गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाइयां उपलब्ध कराना है।
इसके साथ ही जेनेरिक दवाओं के लाभों के बारे में जनता को शिक्षित करना, इस बात पर जोर देना कि सस्ता होना गुणवत्ता से समझौता नहीं है। इस पहल का उद्देश्य इस गलत धारणा को दूर करना है कि उच्च कीमतें बेहतर गुणवत्ता का संकेत देती हैं।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना ने आम जनता को किफायती दामों पर गुणवत्तापूर्ण दवाइयां उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जिससे देश के हर कोने तक स्वास्थ्य सेवा पहुंचना सुनिश्चित हुआ है।
राजनीति
साइबर फ्रॉड से 20 हजार करोड़ रुपए का नुकसान : राज्यसभा सांसद संजय सेठ

नई दिल्ली 10 मार्च। बढ़ते साइबर और बैंक फ्रॉड की चर्चा सोमवार को राज्यसभा में की गई। सदन को बताया गया कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के आंकड़ों के अनुसार, साइबर फ्रॉड से वर्ष 2025 तक लगभग 20 हजार करोड़ रुपए का नुकसान होने का अनुमान है।
इस विषय पर जानकारी देते हुए उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सांसद संजय सेठ ने कहा कि नाम के दुरुपयोग से ही 9,000 करोड़ रुपए का नुकसान होने का अनुमान है। सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले सेक्टर बैंकिंग और फाइनेंस है।
उन्होंने सदन को बताया कि यहां करीब 8,200 करोड़ रुपए का नुकसान आंका गया है। भारत में हर साल लाखों लोग डिजिटल पेमेंट और ऑनलाइन बैंकिंग का उपयोग करते हैं। लेकिन, सुरक्षा उपायों की कमी के कारण उनकी मेहनत की कमाई कुछ सेकंड में लुट जाती है।
उन्होंने एक ऐसे ही मामले का उदाहरण देते हुए बताया कि एक व्यक्ति वर्षों से अपनी बेटी की शादी के लिए पैसे जोड़ रहा था। शादी से ठीक पहले एक साइबर अपराधी ने व्यक्ति के सारे पैसे बैंक से निकाल लिए। पीड़ित व्यक्ति की हालत यह हो गई कि उसे आत्महत्या करनी पड़ी। इस तरीके की बहुत सारी चीजें देखने को मिल रही हैं।
संजय सेठ ने बताया कि कई बुजुर्गों की पेंशन उनके खाते से गायब हो जाती है। छोटे-छोटे व्यापारियों की पूंजी खत्म हो जाती है। जहां हम देश के अंदर डिजिटल इंडिया को बढ़ावा दे रहे हैं, वहीं हमारे नागरिकों की वित्तीय सुरक्षा की जिम्मेदारी भी उतनी ही प्राथमिकता पर होनी चाहिए।
उन्होंने सरकार से निवेदन किया कि बैंकों की साइबर सुरक्षा को मजबूत करने के लिए अनिवार्य तकनीकी अपग्रेडेशन किया जाए। छोटे और ग्रामीण बैंकों को भी अत्याधुनिक तकनीक और सिक्योरिटी सिस्टम से जोड़ा जाए। साइबर अपराधों की जांच के लिए विशेष फास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना की जाए ताकि पीड़ितों को जल्द न्याय मिले।
इसके साथ ही राज्यसभा में मांग की गई कि साइबर अपराध के पीड़ितों के लिए एक कंपनसेशन फंड बनाया जाया जाए, जिससे निर्दोष पीड़ितों की खोई हुई राशि वापस मिल सके और उनको मदद मिल सके।
संजय सेठ ने सरकार से मांग की कि साइबर बैंकिंग फ्रॉड के मामलों पर तत्काल ध्यान दिया जाए। कठोर एवं प्रभावी कदम उठाए जाएं ताकि हर नागरिक की मेहनत की कमाई सुरक्षित रह सके।
दुर्घटना
मध्य प्रदेश : सीधी सड़क हादसे पर सीएम मोहन यादव ने जताया दुख, आर्थिक सहायता का किया ऐलान

भोपाल, 10 मार्च। मध्य प्रदेश के सीधी जिले में हुए दर्दनाक सड़क हादसे पर मुख्यमंत्री मोहन यादव ने दुख जाहिर किया है। उन्होंने हादसे में जान गंवाने वाले परिवार को 2-2 लाख की आर्थिक मदद देने की घोषणा की। वहीं हादसे में गंभीर रूप से घायलों को 1-1 लाख और सामान्य घायलों को 50-50 हजार रुपए का मुआवजा देने का ऐलान किया है।
सीएम मोहन यादव ने सोमवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ”सीधी जिले अंतर्गत उपनी गांव के समीप देर रात एक भीषण सड़क दुर्घटना में मैहर माता के दर्शन करने जा रहे यात्री वाहन और ट्रक की भयानक टक्कर में आठ यात्रियों की असामयिक दर्दनाक मृत्यु का अत्यंत ही दुखद समाचार मिला है। मेरी गहरी शोक संवेदनाएं सभी शोकाकुल परिजनों के साथ हैं। देर रात जिला एवं पुलिस प्रशासन के उच्च अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर स्थानीय नागरिकों की मदद से घायलों के इलाज का इंतजाम किया, साथ ही गंभीर घायल यात्रियों को रीवा रेफर किया गया है।
उन्होंने आगे लिखा, ”सड़क दुर्घटना में मृतकों के परिजनों को मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान से 2-2 लाख रुपए की आर्थिक सहायता राशि, गंभीर घायलों को 1-1 लाख रुपए एवं सामान्य घायलों को 50-50 हजार रुपए की राशि स्वीकृत करने के निर्देश दिए हैं। भगवान महाकाल से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्माओं को अपने श्री चरणों में स्थान और शोकाकुल परिजनों को यह अथाह दुःख सहन करने की शक्ति दें तथा घायलों को शीघ्र स्वास्थ्य लाभ मिले।”
डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला ने भी सीधी सड़क हादसे पर दुख जताया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ”सीधी के ग्राम उपनी के पास सड़क हादसे में कई लोगों के निधन एवं घायल होने का समाचार अत्यंत दुखद है। ईश्वर से प्रार्थना है कि हादसे में दिवंगत जनों को मोक्ष गति प्रदान करें एवं घायलों को शीघ्र स्वास्थ्य लाभ मिले।”
बता दें कि मध्य प्रदेश के सीधी जिले में मुंडन करने जा रहे परिवार के वाहन और ट्रक की आमने-सामने से टक्कर हो गई। इस हादसे में 8 लोगों की मौत हुई है, जबकि 14 लोग घायल हुए हैं। पुलिस अधिकारी ने बताया है कि बीती रात को लगभग तीन बजे यह भीषण हादसा हुआ और 8 लोगों की मौत हुई है, वहीं जो लोग घायल हुए हैं, उनमें से सात लोगों को गंभीर हालत में उपचार के लिए सतना भेजा गया है।
बताया गया है कि सीधी के निवासी मुंडन करने के लिए बोलेरो वाहन से मैहर की ओर जा रहे थे और इसी दौरान यह हादसा हुआ।
यह हादसा इतना भीषण था कि बोलेरो वाहन के बुरी तरह परखच्चे उड़ गए, राहत और बचाव कार्य करना काफी मुश्किल था। किसी तरह घायलों और मृतकों के शवों को स्थानीय लोगों और पुलिस बल की मदद से बाहर निकाला गया।
महाराष्ट्र
बॉम्बे हाईकोर्ट ने 12 साल की देरी के बाद चेंबूर सोसाइटी को नया डेवलपर नियुक्त करने की अनुमति दी

मुंबई: एक दशक से ज़्यादा समय से रुके पुनर्विकास के बाद, बॉम्बे हाई कोर्ट ने चेंबूर में मधुगिरी को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी लिमिटेड के लिए नया डेवलपर तलाशने का रास्ता साफ़ कर दिया है। कोर्ट ने हेरिटेज लाइफस्टाइल्स एंड डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड की अपील को खारिज कर दिया, जिसने सोसाइटी के साथ अपने पुनर्विकास समझौते को समाप्त करने को चुनौती दी थी।
न्यायमूर्ति सोमशेखर सुंदरसन ने 14 अक्टूबर, 2024 को मध्यस्थ न्यायाधिकरण के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें हेरिटेज को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया गया था। न्यायाधिकरण ने फैसला सुनाया था कि 21 जनवरी, 2024 को विकास समझौते (डीए) और पूरक विकास समझौते (एसडीए) को समाप्त करने का मधुगिरी का फैसला वैध था।
विवाद 2013 में शुरू हुआ जब हेरिटेज को मधुगिरी की दो इमारतों के पुनर्विकास के लिए चुना गया, जिसमें 7,340 वर्ग गज में 84 फ्लैट शामिल थे। 2014 में हस्ताक्षरित डीए ने कुल 1,09,220 वर्ग फीट पुनर्विकास क्षेत्र में से 62,700 वर्ग फीट सोसाइटी के सदस्यों को आवंटित किया, जबकि हेरिटेज ने बाकी को बरकरार रखा। हालांकि, अतिरिक्त विकास अधिकारों पर असहमति पैदा हुई, विशेष रूप से सड़क सेटबैक के कारण, जिसने कुल पुनर्विकास क्षेत्र को 1,63,620 वर्ग फीट तक बढ़ा दिया। हेरिटेज ने 95,000 वर्ग फीट रखने का प्रस्ताव रखा, जबकि मधुगिरी को 68,620 वर्ग फीट मिलेगा।
हेरिटेज ने तर्क दिया कि 24 मार्च, 2023 को जारी संशोधित प्रस्ताव, साथ ही बाद में स्वीकृतियों और स्पष्टीकरणों ने डीए और एसडीए में प्रभावी रूप से संशोधन किया। हालांकि, मधुगिरी ने कहा कि इन चर्चाओं के परिणामस्वरूप कभी भी अंतिम समझौता नहीं हुआ।
हेरिटेज का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता वेंकटेश धोंड ने तर्क दिया कि मधुगिरी वर्षों की बातचीत के बाद एकतरफा समझौते को समाप्त नहीं कर सकता। उन्होंने तर्क दिया, “सड़क के सेटबैक से होने वाले लाभ को साझा करने और बनाए गए क्षेत्रों की तुलना करने की मांग किसी भी संशोधित अनुबंध द्वारा समर्थित नहीं है।”
हालांकि, मधुगिरी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकेश वाशी ने दावा किया कि हेरिटेज ने परियोजना को एक दशक तक विलंबित किया और अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में विफल रहा। उन्होंने कहा, “सड़क के पीछे से कोई भी हक समाज का है। हेरिटेज ने पुनर्विकास शुरू किए बिना मधुगिरी को लटकाए रखा।” उन्होंने कहा कि समाज ने हेरिटेज को मूल डीए और एसडीए के साथ आगे बढ़ने या 54:46 के अनुपात में अतिरिक्त क्षेत्र को साझा करने का विकल्प दिया था।
न्यायमूर्ति सुंदरेसन ने 4 मार्च को फैसला सुनाया कि मूल समझौते में कोई बाध्यकारी संशोधन नहीं था। उन्होंने कहा, “रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री से पता चलता है कि पक्ष अभी भी विकास की संभावना और हकदारी साझा करने पर बातचीत कर रहे थे। समझौते का एक आवश्यक तत्व मायावी था।”
अपील को खारिज करते हुए, न्यायालय ने हेरिटेज की मधुगिरी को नया डेवलपर नियुक्त करने से रोकने की याचिका को भी खारिज कर दिया, और कहा, “इस तरह की रोक को आगे जारी रखना उचित नहीं होगा।” लागत का सवाल मध्यस्थ न्यायाधिकरण पर छोड़ दिया गया।
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