राजनीति
शशि थरूर को मिली कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए सोनिया गांधी की ‘मंजूरी’

कांग्रेस पार्टी सूत्रों ने सोमवार को कहा कि कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने संकेत दिया है कि उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चल रहे नामों में पार्टी के वरिष्ठ नेता शशि थरूर के खिलाफ कोई आपत्ति नहीं है। सोनिया गांधी ने विदेश में अपने इलाज के बाद वापसी की और थरूर समेत कुछ अन्य कांग्रेस नेताओं से मुलाकात की। थरूर, जो पार्टी के जी-23 सदस्यों में से एक थे, जिन्होंने कांग्रेस में व्यापक सुधारों की मांग की थी, अब उनकी पार्टी के शीर्ष पद की दौड़ में शामिल होने की संभावना है, जिसके लिए मतदान 17 अक्टूबर को होगा।
इस बीच, कांग्रेस की राज्य इकाइयां राहुल गांधी को अगला पार्टी अध्यक्ष बनाने के लिए प्रस्ताव पारित कर रही हैं, जिसमें राजस्थान, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ शामिल हैं। हालांकि, कांग्रेस के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण (सीईए) ने कहा है कि ऐसे प्रस्तावों का चुनाव प्रक्रिया पर कोई असर नहीं पड़ेगा। सीईए के अध्यक्ष मधुसूदन मिस्त्री ने कहा, इन प्रस्तावों का चुनाव प्रक्रिया पर कोई असर नहीं है।
जहां 22 सितंबर को चुनाव की अधिसूचना जारी की जाएगी, वहीं पार्टी के शीर्ष पद के लिए चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को लेकर अभी भी सस्पेंस बना हुआ है। सूत्रों ने कहा कि जी-23 समूह एक उम्मीदवार को खड़ा करने के लिए कमर कस रहा है और तिरुवनंतपुरम के सांसद थरूर इसकी शीर्ष पसंद हैं, पार्टी के वफादारों के लिए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पसंदीदा विकल्प हैं।
हालांकि, गहलोत कथित तौर पर मुख्यमंत्री पद छोड़ने और दिल्ली जाने के लिए अनिच्छुक हैं। उस परि²श्य में, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुकुल वासनिक या राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे सबसे आगे चल सकते हैं, क्योंकि दोनों अनुसूचित जाति समुदाय से हैं। कांग्रेस अध्यक्ष के लिए नामांकन 24 सितंबर से 30 सितंबर के बीच दाखिल किए जाने हैं।
राष्ट्रीय समाचार
मुंबई लोकल ट्रेन अपडेट: मध्य रेलवे 24 अगस्त को मेगा ब्लॉक संचालित करेगा; मुख्य और ट्रांस-हार्बर लाइनों पर प्रभावित सेवाओं की जाँच करें

मध्य रेलवे, मुंबई मंडल, आवश्यक इंजीनियरिंग और रखरखाव कार्यों को पूरा करने के लिए रविवार, 24 अगस्त को अपने उपनगरीय खंडों पर मेगा ब्लॉक संचालित करेगा।
मेन लाइन (माटुंगा-मुलुंड अप और डाउन स्लो लाइन) पर सुबह 11:05 बजे से दोपहर 3:55 बजे तक ब्लॉक लागू रहेगा। इस दौरान, सुबह 10:14 बजे से शाम 4:32 बजे के बीच सीएसएमटी मुंबई से छूटने वाली डाउन स्लो लाइन की सेवाओं को माटुंगा और मुलुंड स्टेशनों के बीच डाउन फास्ट लाइन पर डायवर्ट किया जाएगा, जो सायन, कुर्ला, घाटकोपर, विक्रोली, भांडुप और मुलुंड स्टेशनों पर रुकेंगी, और फिर मुलुंड में डाउन स्लो लाइन पर वापस डायवर्ट की जाएँगी। ये ट्रेनें अपने गंतव्य पर निर्धारित समय से 15 मिनट देरी से पहुँचेंगी।
इसी प्रकार, सुबह 11:07 बजे से दोपहर 3:51 बजे के बीच ठाणे से छूटने वाली अप स्लो लाइन की सेवाएँ मुलुंड और माटुंगा के बीच अप फ़ास्ट लाइन पर डायवर्ट की जाएँगी। ये सेवाएँ मुलुंड, भांडुप, विक्रोली, घाटकोपर, कुर्ला और सायन में रुकेंगी और फिर माटुंगा में अप स्लो लाइन पर डायवर्ट की जाएँगी। ये सेवाएँ भी 15 मिनट देरी से चलेंगी।
ट्रांस-हार्बर लाइन (ठाणे-वाशी/नेरुल सेक्शन) पर, सुबह 11:10 बजे से शाम 4:10 बजे तक अप और डाउन दोनों सेवाएँ स्थगित रहेंगी। परिणामस्वरूप, सुबह 10:35 बजे से शाम 4:07 बजे के बीच ठाणे से वाशी/नेरुल/पनवेल के लिए छूटने वाली डाउन सेवाएँ और सुबह 10:25 बजे से शाम 4:09 बजे के बीच पनवेल/नेरुल/वाशी से ठाणे के लिए छूटने वाली अप सेवाएँ रद्द रहेंगी।
यात्रियों से अपील
रेलवे अधिकारियों ने यात्रियों से सहयोग करने का अनुरोध किया है तथा इस बात पर बल दिया है कि ये मेगा ब्लॉक बुनियादी ढांचे के रखरखाव और यात्री सुरक्षा के लिए आवश्यक हैं।
अपराध
बैंक धोखाधड़ी मामला : सीबीआई ने फरार आरोपी दिनेश गहलोत को किया गिरफ्तार

CRIME
नई दिल्ली, 23 अगस्त। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बैंक धोखाधड़ी के एक बड़े मामले में फरार घोषित आरोपी दिनेश डी. गहलोत को गिरफ्तार कर लिया है। सीबीआई की इस कार्रवाई को काफी अहम माना जा रहा है।
सीबीआई के अनुसार, यह मामला 31 मई 2004 को दर्ज किया गया था, जिसमें दिनेश डी. गहलोत पर बैंक ऑफ बड़ौदा से जाली दस्तावेजों के जरिए हाउसिंग लोन लेकर धोखाधड़ी करने का आरोप था। जांच पूरी होने के बाद 30 अप्रैल 2007 को उसके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई थी। हालांकि, दिनेश ने कोर्ट में पेश होने या समन/वारंट का जवाब देने से इनकार कर दिया और 2024 से फरार था। इसके बाद गहलोत के खिलाफ कई गैर-जमानती वारंट जारी किए गए थे। 9 दिसंबर 2024 को मुंबई की विशेष सीबीआई अदालत ने उसके खिलाफ प्रोक्लेमेशन वारंट जारी किया था।
सीबीआई ने बताया कि दिनेश बार-बार अपना ठिकाना बदलता था और स्थानीय लोगों से अपनी असली पहचान छिपाकर कम संपर्क रखता था, जिससे उसकी तलाश मुश्किल हो रही थी।
सीबीआई ने आधुनिक तकनीक और डिजिटल ट्रैकिंग डेटाबेस का इस्तेमाल कर उसकी लोकेशन का पता लगाया। गहन जांच और स्थानीय पूछताछ के बाद सीबीआई ने दिनेश को नोएडा से 20 अगस्त 2025 को गिरफ्तार किया। उसे मुंबई की अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
यह मामला दर्शाता है कि कैसे तकनीक-आधारित खुफिया प्लेटफार्मों का एकीकरण और जांच अधिकारियों के लगातार तथा समन्वित प्रयासों से लंबे समय से फरार अपराधियों को खोजने और पकड़ने में कानून प्रवर्तन एजेंसियों की परिचालन क्षमता को काफी हद तक बढ़ाया जा सकता है।
अपराध
मुंबई क्राइम ब्रांच ने कांदिवली में 60 करोड़ रुपये के अंतरराष्ट्रीय साइबर धोखाधड़ी गिरोह का भंडाफोड़ किया; 943 फर्जी बैंक खातों का खुलासा, 12 गिरफ्तार

मुंबई: मुंबई क्राइम ब्रांच (यूनिट 2) ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए, भारत भर में बड़े पैमाने पर साइबर धोखाधड़ी में शामिल एक अंतरराष्ट्रीय गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो सैकड़ों फर्जी बैंक खातों के ज़रिए अवैध लाभ कमा रहा था। जाँच में 60.82 करोड़ रुपये के धोखाधड़ी वाले लेनदेन से जुड़े 943 बैंक खातों का पता चला है और अब तक 12 संदिग्धों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
यह घोटाला मुंबई के कांदिवली स्थित दो फर्मों—’डीजी सर्ज कंसल्टेंसी’ और ‘प्रिटिट लॉजिस्टिक्स’—की आड़ में चल रहा था। अधिकारियों ने बताया कि दोनों कंपनियाँ साइबर अपराधियों के लिए बैंक खाते खोलने का माध्यम थीं। एक गुप्त सूचना के आधार पर, अपराध शाखा ने 12 अगस्त को इन फर्मों पर छापा मारा और वैभव पटेल, सुनील कुमार पासवान, अमनकुमार गौतम, खुशबू सुंदरजाला और रितेश बांदेकर समेत प्रमुख आरोपियों को गिरफ्तार किया।
छापेमारी के दौरान पुलिस ने 2 लैपटॉप, 25 मोबाइल फ़ोन, 25 बैंक पासबुक, 30 चेकबुक, 46 एटीएम कार्ड, स्वाइप मशीन और विभिन्न दूरसंचार कंपनियों के 104 सिम कार्ड ज़ब्त किए। समता नगर पुलिस स्टेशन में भारतीय न्याय संहिता की धारा 318(4) और 3(5) के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई है। आगे की जाँच के बाद, 12 और गिरफ़्तारियाँ की गईं।
यह गिरोह एक अंतरराष्ट्रीय साइबर अपराध नेटवर्क का हिस्सा था। उन्होंने ₹7,000-₹8,000 में बैंकिंग क्रेडेंशियल खरीदे, इन जानकारियों का इस्तेमाल करके खाते खोले और उन्हें धोखेबाजों को मुहैया कराया, जिन्होंने डिजिटल अरेस्ट स्कीम, निवेश धोखाधड़ी और फर्जी ई-कॉमर्स सौदों जैसे घोटाले किए। इन घोटालों से प्राप्त अवैध धन को इन फर्जी खातों के माध्यम से भेजा जाता था।
ज़ब्त किए गए लैपटॉप के डेटा विश्लेषण से पता चला कि गिरोह ने 943 बैंक खाते बनाए थे। इनमें से 181 खाते साइबर धोखाधड़ी में सक्रिय रूप से इस्तेमाल किए जा रहे थे, और देश भर में 339 शिकायतों से जुड़े थे—जिनमें मुंबई में 16, महाराष्ट्र भर में 46 और अन्य राज्यों से 277 शिकायतें शामिल थीं।
पुलिस ने पुष्टि की है कि विभिन्न साइबर धोखाधड़ी योजनाओं के तहत इन खातों के माध्यम से 60.82 करोड़ रुपये निकाले गए। इनमें से 1.67 करोड़ रुपये मुंबई के मामलों से जुड़े हैं। 10.57 करोड़ रुपये महाराष्ट्र से संबंधित धोखाधड़ी से निकाले गए।
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