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Tuesday,08-July-2025
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सेंसेक्स 400 अंक टूटा, निफ्टी में 100 अंकों की गिरावट

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Stock-Market

कोरोनावायरस के गहराते प्रकोप के चलते विदेशी बाजारों से मिले कमजोर संकेतों से सोमवार को फिर घरेलू शेयर बाजार में शुरूआती कारोबार में भारी गिरावट आई। सेंसेक्स 400 अंक टूटकर 33400 के नीचे चला गया और निफ्टी भी 100 अंकों की गिरावट के साथ 9900 के नीचे लुढ़क गया। सुबह 9.40 बजे सेंसेक्स पिछले सत्र से 377.45 अंकों यानी 1.12 फीसदी की गिरावट के साथ 33,403.44 पर कारोबार कर रहा था और निफ्टी भी 95.15 अंकों यानी 0.95 फीसदी की गिरावट के साथ 9877.75 पर कारोबार कर रहा था।

एशियाई बाजारों में सोमवार को आई गिरावट का असर भारतीय शेयर बाजार पर भी दिखा।

कारोबार के आरंभ में बंबई स्टॉक एक्सचेंज के 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स पिछले सत्र से 110.34 अंकों की गिरावट के साथ 33,670.55 पर खुला और 33,381.17 तक लुढ़का।

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी भी 53.55 अंकों की गिरावट के साथ 9919.35 पर खुला और 9862.50 तक लुढ़का।

बाजार के जानकार बताते हैं कि भारत समेत दुनिया के अन्य देशों में कोरोनावायरस का प्रकोप गहराता जा रहा है, जिसके कारण शेयर बाजार में अनिश्चितता के माहौल बना है।

अंतरराष्ट्रीय

भारत और ग्रीस के बीच रक्षा बातचीत हुई तेज, भारत ने S-400 एयर डिफेंस सिस्टम का दिया ऑफर… तुर्की और पाकिस्तान में हड़कंप

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अंकारा : तुर्की की मीडिया ने दावा किया है कि भारत ने ग्रीस को Long Range Land Attack Cruise Missile (LR-LACM) की “अनौपचारिक पेशकश” की है। यानि भारत और ग्रीस के बीच LR-LACM क्रूज मिसाइल को लेकर पर्दे के पीछे से बात चल रही है जो तुर्की के लिए खतरे का संकेत है। तुर्की के TRHaber की रिपोर्ट में ग्रीस के साथ भारत की LR-LACM मिसाइल को लेकर हो रही बातचीत को तुर्की की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया गया है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि “भारत का यह प्रस्ताव ग्रीस के साथ उसके बढ़ते रणनीतिक संबंधों और हालिया ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तुर्की के पाकिस्तान को समर्थन देने के जवाब में हो सकता है।” हालांकि, नई दिल्ली या एथेंस की तरफ से अभी तक ऐसे किसी पेशकश को लेकर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।

रिपोर्ट के मुताबिक तुर्की को सबसे ज्यादा डर इस मिसाइल की क्षमता और रेंज को लेकर है। इस मिसाइल को DRDO ने विकसित किया है और ब्रह्मोस मिसाइल की कामयाबी ने भारत की मिसाइल क्षमता का पूरी दुनिया में डंका पीट दिया है। भारत की ये LR-LACM मिसाइल 1,000 से 1,500 किलोमीटर तक की दूरी तक सटीक निशाना साध सकती है और पारंपरिक के साथ-साथ परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है। सबसे खास बात ये है कि इसे भी ब्रह्मोस मिसाइल की ही तरह दुश्मनों के रडार और एयर डिफेंस सिस्टम को चकमा देने के लिए डिजाइन किया गया है।

LR-LACM मिसाइल की खतरनाक खासियत इसकी terrain-hugging flight path यानि धरती से काफी कम ऊंचाई पर उड़ान भरने की क्षमता है, जिससे यह दुश्मन के रडार और एयर डिफेंस सिस्टम को काफी आसानी से चकमा दे देती है। इसकी यही शानदार ताकत तुर्की के लिए इसे परेशानी भरा बनाती है। तुर्की एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम का इस्तेमाल करता है और इस मिसाइल की सबसे बड़ी खासियत ऐसे एयर डिफेंस सिस्टम को ही चकमा देना है। हालांकि तुर्की ने अभी तक एस-400 को एक्टिव नहीं किया है और वो घरेलू एयर डिफेंस सिस्टम बना रहा है, लेकिन अभी तक उसे ज्यादा कामयाबी नहीं मिल पाई है। एस-400 इसलिए उसने एक्टिव नहीं किया है, क्योंकि वो एफ-35 फाइटर जेट के लिए अमेरिका से डील कर रहा है।

तुर्की मीडिया के मुताबिक, अगर ग्रीस इस मिसाइल को भारत से हासिल कर लेता है तो यह एथेंस को तुर्की के संवेदनशील ठिकानों पर अचूक हमला करने की क्षमता दे सकता है। यह मिसाइल मोबाइल लॉन्चर और भारतीय नौसेना के 30 से ज्यादा जहाजों पर लगे वर्टिकल लॉन्च सिस्टम से दागी जा सकती है। TRHaber ने यह भी कहा है कि यह मिसाइल तुर्की के S-400 जैसे हवाई रक्षा सिस्टम को भी चकमा दे सकती है। इससे अंकारा (तुर्की की राजधानी) की चिंता बढ़ गई है, खासकर अगर ग्रीस इसे तैनात करता है तो।

इसके अलावा TRHaber की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत और ग्रीस के बीच हाल ही में रक्षा बातचीत तेज हुई है। इस सिलसिले में पिछले महीने भारतीय वायुसेना के प्रमुख एपी सिंह ने एथेंस का दौरा किया था और ग्रीक वायुसेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल दिमोस्थेनीस ग्रिगोरियादिस से मुलाकात की थी। यह मुलाकात ऐसे समय हुई जब भारत ने एथेंस में आयोजित DEFEA-25 रक्षा प्रदर्शनी में LR-LACM को भी प्रदर्शित किया था। भले ही इस मुलाकात में मिसाइल को लेकर कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया, लेकिन तुर्की मीडिया ने इसे रक्षा सौदे की दिशा में एक संकेत के तौर पर देखा है। तुर्की का यह भी दावा है कि भारत-ग्रीस के बीच का यह संभावित सौदा भारत के ऑपरेशन सिंदूर में तुर्की की पाकिस्तान को दी गई मदद का जवाब हो सकता है।

TRHaber ने मिसाइल की पेशकश को भारत की क्षेत्रीय रणनीति का हिस्सा बताया है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 2023 में ग्रीस और 2025 में साइप्रस की यात्राओं का भी जिक्र किया। रिपोर्ट में कहा गया है कि ये दौरे भारत, ग्रीस और साइप्रस के बीच तुर्की के प्रभाव को कम करने के लिए त्रिपक्षीय सहयोग के संकेत हैं। उनका यह भी कहना है कि इससे साइप्रस के बंदरगाहों के पास भारतीय नौसेना की गतिविधियां बढ़ सकती हैं। तुर्की मीडिया के मुताबि, भारत का ग्रीस और साइप्रस के साथ बढ़ता सहयोग पूर्वी भूमध्य सागर में तुर्की के प्रभाव को संतुलित करने की दिशा में एक सोची-समझी पहल है। रिपोर्ट यह भी कहती है कि भविष्य में भारतीय नौसेना की मौजूदगी साइप्रस के बंदरगाहों पर बढ़ सकती है, जिससे तुर्की की समुद्री सुरक्षा को नई चुनौती मिलेगी।

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अंतरराष्ट्रीय

मानवता की हत्या: एनसीपी ने ब्रिक्स में पहलगाम आतंकी हमले की निंदा का समर्थन किया

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नई दिल्ली, 7 जुलाई। ब्रिक्स नेताओं द्वारा पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले की निंदा करने के बाद, जिसमें 26 लोग मारे गए थे, एनसीपी-एससीपी विधायक रोहित राजेंद्र पवार ने प्रस्ताव का समर्थन किया और इसे “मानवता की हत्या” कहा, साथ ही आतंकवाद के सभी रूपों का विरोध करने की सार्वभौमिक जिम्मेदारी पर जोर दिया।

“यह वास्तव में मानवता की हत्या है। जब भी किसी देश का नागरिक आतंकवाद या ऐसे किसी कृत्य का शिकार होता है, तो यह मानवता पर हमला होता है। आतंकवाद का किसी भी रूप में समर्थन नहीं किया जा सकता। जो कहा गया वह सच है, भारत में हाल ही में हुआ हमला निश्चित रूप से मानवता पर हमला था,” रोहित पवार ने कहा।

पाकिस्तान समर्थित आतंकी समूह द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) द्वारा अंजाम दिया गया यह हमला राजनीतिक नेताओं सहित रियो डी जेनेरियो में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भी तीखी निंदा कर रहा है, जिसमें आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक रुख की पुष्टि की गई।

दूसरी ओर, कांग्रेस नेता मनोज कुमार ने आतंकवाद के खिलाफ भारत के जवाबी हमलों के दौरान स्थिति से निपटने पर निराशा व्यक्त की और पाकिस्तान के साथ समझौते तक पहुँचने में कथित बाहरी हस्तक्षेप पर चिंता व्यक्त की।

“पूरी दुनिया ने इसकी निंदा की। लेकिन मैं पूछना चाहता हूँ: जब हमारी सेना इन आतंकवादियों को खत्म करने के लिए मजबूती से आगे बढ़ रही थी, तो उसे क्यों रोका गया?” उन्होंने पूछा।

“रोकने का आदेश किसने दिया? ट्रम्प ने ट्वीट करके अभियान को रोकने के लिए दबाव क्यों डाला? और आतंकवाद के केंद्र पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता करते देखना इससे अधिक शर्मनाक क्या हो सकता है? एक संप्रभु राष्ट्र को इस तरह से काम नहीं करना चाहिए। ऐसा लगता है कि अब देश को हमारे प्रधानमंत्री नहीं, बल्कि ट्रम्प चला रहे हैं। पहलगाम हमला भयानक था और दुनिया इसके लिए जिम्मेदार लोगों को माफ नहीं करेगी।”

ब्रिक्स नेताओं द्वारा अपनाए गए रियो डी जेनेरियो घोषणापत्र में पहलगाम आतंकी हमले की कड़ी निंदा की गई, जिसमें सीमा पार आतंकवाद, इसके वित्तपोषण और सुरक्षित ठिकानों से निपटने की उनकी प्रतिबद्धता की पुष्टि की गई।

घोषणापत्र के पैराग्राफ 34 में कहा गया है, “हम 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकवादी हमले की कड़े शब्दों में निंदा करते हैं… हम आतंकवादियों की सीमा पार आवाजाही, आतंकवाद के वित्तपोषण और सुरक्षित ठिकानों सहित सभी रूपों में आतंकवाद का मुकाबला करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं।” ब्रिक्स नेताओं ने इस बात पर भी जोर दिया कि आतंकवाद को किसी धर्म, जातीयता या राष्ट्रीयता से नहीं जोड़ा जाना चाहिए और सभी अपराधियों और उनके समर्थकों को अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।

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राष्ट्रीय समाचार

वित्त वर्ष 2026 में भारत रिकॉर्ड 1.15 बिलियन टन कोयला उत्पादन करने के लिए तैयार है

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नई दिल्ली, 5 जुलाई। एक नई रिपोर्ट के अनुसार, भारत वित्त वर्ष 2025-26 में 1.15 बिलियन टन का रिकॉर्ड कोयला उत्पादन हासिल करने की राह पर है।

केयरएज रेटिंग्स द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, देश का घरेलू कोयला उत्पादन वित्त वर्ष 2025 में 1,047.6 मिलियन टन के सर्वकालिक उच्च स्तर को छू गया, जो पिछले पांच वर्षों में 10 प्रतिशत की औसत वार्षिक दर से बढ़ रहा है।

यह वृद्धि कोयला खनन को अधिक कुशल और आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से नीति सुधारों की एक श्रृंखला द्वारा संचालित है।

सिंगल विंडो क्लीयरेंस सिस्टम, माइन डेवलपर और ऑपरेटर (एमडीओ) मॉडल, कोयला खनन में 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति और कोयला ब्लॉकों की नियमित नीलामी जैसी प्रमुख सरकारी पहलों ने घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने में मदद की है।

खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम में संशोधन ने भी नियामक बाधाओं को दूर करने और निजी खिलाड़ियों को आकर्षित करने में प्रमुख भूमिका निभाई है। कोयला उत्पादन में वृद्धि बिजली क्षेत्र की बढ़ती मांग के जवाब में हुई है, जिसका वित्त वर्ष 25 में कुल कोयला प्रेषण में 82 प्रतिशत हिस्सा था। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की कुल कोयला खपत वित्त वर्ष 21 में 922.2 मिलियन टन से बढ़कर वित्त वर्ष 25 में 1,270 मिलियन टन हो गई, जो उद्योगों, घरों और ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की बढ़ती जरूरतों के कारण है। कुल खपत में घरेलू कोयले की हिस्सेदारी भी बढ़ गई है – वित्त वर्ष 21 में 77.7 प्रतिशत से वित्त वर्ष 25 में 82.5 प्रतिशत हो गई। आत्मनिर्भरता की ओर इस बदलाव को जनवरी तक 184 कोयला खदानों के आवंटन से समर्थन मिला है, जिनमें से 65 ब्लॉकों में उत्पादन शुरू हो चुका है। रिपोर्ट में कहा गया है, “इन सक्रिय खदानों ने वित्त वर्ष 25 में लगभग 136.59 मिलियन टन उत्पादन किया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 34 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज करता है।” सबसे बड़े कोयला उत्पादक कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने वित्त वर्ष 25 में कुल उत्पादन में लगभग 74 प्रतिशत का योगदान दिया। निजी और कैप्टिव खनिकों ने भी बेहतर प्रदर्शन किया, बेहतर लॉजिस्टिक्स और बेहतर तकनीक ने कोयला ब्लॉकों की व्यवहार्यता को बढ़ाया। मार्च में शुरू की गई कोयला ब्लॉक नीलामी के 12वें दौर में घरेलू उत्पादन को और बढ़ाने के लिए 28 और खदानों की पेशकश की गई। इस बीच, बेहतर आपूर्ति स्थितियों और सहायक सरकारी नीतियों के कारण कोयले की कीमतों में लगातार गिरावट देखी गई है। रिपोर्ट के अनुसार, यह प्रवृत्ति वित्त वर्ष 26 में जारी रहने की उम्मीद है, जिससे उद्योगों के लिए कोयला अधिक किफायती हो जाएगा।

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