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Monday,05-May-2025
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राजनीति

राज निवास की सुरक्षा कड़ी, किसानों को एलजी से नहीं मिलने दिया गया

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LG-Farmers

 दिल्ली पुलिस ने शनिवार को किसान संघ द्वारा निर्धारित मार्च के मद्देनजर तारा चंद माथुर मार्ग और राज निवास के पास वाहनों की आवाजाही रोक दी है, क्योंकि वे केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ सात महीने के विरोध प्रदर्शन को पूरा कर रहे हैं। किसान संगठनों ने शुक्रवार को घोषणा की कि वे उपराज्यपाल अनिल बैजल से मिलने और उन्हें अपना ज्ञापन सौंपने की कोशिश करेंगे।

हालांकि दिल्ली उपराज्यपाल कार्यालय के मुताबिक किसानों को बैजल से मिलने की इजाजत नहीं दी गई है। एक अधिकारी ने बताया, ‘इसके बजाय उन्हें अपना ज्ञापन डीसीपी सिविल लाइंस को सौंपने को कहा गया है।’

शुक्रवार को दिल्ली पुलिस ने दिल्ली रेल मेट्रो कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) से तीन मेट्रो स्टेशनों को बंद करने को कहा, जो एलजी हाउस के पास स्थित हैं। ये येलो लाइन – विश्वविद्यालय, सिविल लाइन और विधानसभा का हिस्सा हैं, और इन्हें दोपहर 2 बजे तक बंद कर दिया गया है।

शनिवार को, संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के बैनर तले किसानों ने पूरे भारत में ‘खेती बचाओ, लोकतंत्र बचाओ दिवस’ मनाना शुरू कर दिया और वे कई राज्यों में राजभवन (गवर्नर हाउस) जाने की योजना बना रहे हैं।

सूत्रों ने कहा कि किसानों ने तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराने के लिए सिविल लाइन्स मेट्रो स्टेशन पर इकट्ठा होने की योजना बनाई है।

राष्ट्रीय समाचार

नागालैंड के शैक्षणिक अनुभव से संवरेगी यूपी की शिक्षा प्रणाली

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लखनऊ, 5 मई। उत्तर प्रदेश की शिक्षा प्रणाली में बदलाव की कोशिशें नए मुकाम की ओर बढ़ रही हैं। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी), लखनऊ के प्रतिनिधिमंडल ने हाल ही में नागालैंड का पांच दिवसीय शैक्षणिक दौरा (26–30 अप्रैल 2025) किया, जहां उन्होंने नागालैंड के प्रभावी शैक्षणिक मॉडल, सामुदायिक भागीदारी और नवाचारों को नजदीक से देखा और अनुभव किया।

यह दौरा प्रदेश के जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों (डायट्स) को भविष्य में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (सीओई) के रूप में स्थापित करने के प्रयासों में एक महत्वपूर्ण प्रेरणा साबित हो सकता है।

इस दौरे का नेतृत्व कर रहे एससीईआरटी लखनऊ के संयुक्त निदेशक डॉ. पवन सचान के साथ सेंटर ऑफ एक्सीलेंस डायट्स के प्राचार्य, एससीईआरटी के अधिकारी और ‘मंत्र फिर 4 चेंज’ के प्रतिनिधियों ने न केवल शैक्षणिक संस्थानों का निरीक्षण किया, बल्कि गांवों और स्कूलों में जाकर ग्रासरूट स्तर की वास्तविकताएं समझीं। कुल मिलाकर, यह दौरा कोई जादुई समाधान नहीं, बल्कि एक प्रेरक कदम है, जिससे उत्तर प्रदेश में शिक्षा सुधार की मौजूदा यात्रा को नई ऊर्जा और दृष्टि मिल रही है।

यह दौरा उत्तर प्रदेश में जारी शिक्षा सुधार प्रक्रियाओं के लिए एक नया दृष्टिकोण और प्रेरणा लेकर आया है। एससीईआरटी लखनऊ इन अनुभवों का विश्लेषण कर अब विशेष प्रशिक्षण मॉड्यूल, रिसर्च यूनिट सुदृढ़ीकरण, सामुदायिक सहभागिता को मजबूत करने वाली पहल और डिजिटल मॉनिटरिंग डैशबोर्ड की योजना बना रहा है। यह सब कुछ जल्द लागू नहीं होगा, बल्कि एक सुनियोजित कार्ययोजना के तहत धीरे-धीरे आगे बढ़ेगा।

प्रतिनिधिमंडल को नागालैंड की सामुदायिक भागीदारी, अर्ली चाइल्डहुड केयर एंड एजुकेशन मॉडल, रिसर्च और मूल्यांकन व्यवस्था से जुड़े कई अहम दस्तावेज और अनुभव मिले। खोनोमा हेरिटेज विलेज (भारत का सबसे हरा गांव), जखमा और चीचेमा जैसे स्कूलों में जाकर उन्होंने देखा कि वहां शिक्षा केवल संस्थागत जिम्मेदारी नहीं, बल्कि पूरे समुदाय का साझा प्रयास है।

नागालैंड दौरे का नेतृत्व करने वाले एससीईआरटी लखनऊ के संयुक्त निदेशक डॉ. पवन सचान ने कहा, “हमें डायट्स में ईमानदारी, पारदर्शिता और सामुदायिक सहभागिता को मजबूत करना होगा। नागालैंड से मिले अनुभव हमें यह दिखाते हैं कि कैसे छोटे-छोटे नवाचार बड़े बदलाव की नींव रख सकते हैं। हम इन अनुभवों को ध्यान में रखते हुए यूपी में जारी सुधार प्रयासों को और अधिक मजबूत बनाने की योजना पर काम कर रहे हैं।”

नागालैंड दौरे से यूपी को कई स्तरों पर लाभ होने की उम्मीद है। पहला, रिसर्च-बेस्ड इनोवेशन की दिशा में, जहां प्रदेश के डायट्स स्थानीय संदर्भों के अनुसार नवाचार विकसित कर सकेंगे। दूसरा, नेतृत्व और शिक्षक प्रशिक्षण में, जिसके लिए विशेष ट्रेनिंग मॉड्यूल बनाए जाएंगे। तीसरा, सामुदायिक सशक्तिकरण के संदर्भ में, जिससे गांव-स्कूल सहयोग को नीति का हिस्सा बनाया जाएगा और चौथा, फाउंडेशनल लिटरेसी एंड नुमेरसी लक्ष्य की दिशा में, जहां शुरुआती कक्षाओं में पढ़ने-लिखने और गणना की क्षमताओं को मजबूत किया जाएगा।

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राजनीति

‘वक्फ’ पर कांग्रेस सांसद इमरान मसूद बोले, ‘सुप्रीम कोर्ट के पास शक्ति है कि वह कानून की समीक्षा कर सकता है’

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नई दिल्ली, 5 मई। सुप्रीम कोर्ट सोमवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर फिर से सुनवाई करेगा। इस मुद्दे पर कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पास शक्ति है कि वह कानून का रिव्यू कर सकता है।

कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने मिडिया से बात करते हुए कहा, “हम वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गए हैं और हमारी तरफ से एक एफिडेविट भी दाखिल किया गया है। सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई है और सरकार की तरफ से भी हलफनामा दाखिल किया गया है, जो झूठ है और सरकार यह भी कह रही है कि इस कानून को रोक नहीं सकते। मैं बता देना चाहता हूं कि सुप्रीम कोर्ट को पावर है कि वह कानून का रिव्यू कर सकता है। साथ ही वह उस पर रोक भी लगा सकता है।”

उन्होंने आगे कहा, “सरकार झूठ बोल रही है और गलत बयानी कर रही है। वक्फ बोर्ड पर नियंत्रण सरकार का है और यह कभी सरकार से ऊपर नहीं रहा है। मैं पूछना चाहता हूं कि क्या लोकतंत्र में तानाशाही चल रही है, जो भी बना दिया जाएगा, उसे खुदा का आदेश माना जाएगा? सुप्रीम कोर्ट को यह हक है कि वह कानून का रिव्यू करें, अगर सुप्रीम कोर्ट को लगता है कि यह सही है तो सरकार कैसे कह सकती है कि इस कानून को रोक नहीं सकते।”

कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बयान पर कहा, “बातों से कुछ नहीं होगा, अब सख्त एक्शन लेने की बारी है। पूरा देश देखना चाहता है कि सरकार क्या कर रही है। इस सरकार को वैसा ही करना चाहिए, जैसा इंदिरा गांधी ने किया था। उन्होंने (इंदिरा गांधी) पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए थे। उन्हें (केंद्र सरकार) भी कुछ ऐसा ही करना चाहिए, ताकि दुश्मन को हमारी ताकत का अहसास हो सके।”

कांग्रेस नेता द्वारा लड़ाकू विमान राफेल की तुलना खिलौने वाले विमान से किए जाने पर इमरान मसूद ने कहा, “सरकार को राफेल का इस्तेमाल करना चाहिए, ऐसा करने से उन्हें किसने रोका है। अगर राफेल का इस्तेमाल होगा तो पता चलेगा कि उसमें कितनी ताकत है।”

कर्नाटक में नीट के एग्जाम में छात्रों से जनेऊ उतारने के विवाद पर उन्होंने कहा, “धार्मिक चीजों को पहनने से नहीं रोकना चाहिए। उसे पहनने की अनुमति दीजिए, क्योंकि कोई जनेऊ पहनता है तो कोई क्रॉस पहनता है। उसे ऐसा करने दीजिए और इसमें किसी को कोई आपत्ति नहीं है। यह सब ध्यान भटकाने और जो कुछ नहीं करते हैं, वह इसके जरिए प्रोपगेंडा फैलाने का काम करते हैं।”

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महाराष्ट्र

मुंबई की मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है, पुलिस के दबाव से चलते भाजपा नेता किरीट सोमैया ने मस्जिदों को नोटिस जारी किया है।

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मुंबई: मुंबई में मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। भाजपा नेता किरीट सोमैया ने लाउडस्पीकर मुक्त मुंबई अभियान के जरिए अब शहर और उपनगरों की मस्जिदों से लाउडस्पीकर उतरवाना शुरू कर दिया है, जिससे मुसलमानों में नाराजगी है। किरीट सोमैया ने आज अंधेरी और कुर्ला वीबी नगर पुलिस स्टेशनों का दौरा किया और राज्य सरकार और उच्च न्यायालय के आदेशों का हवाला देते हुए मस्जिदों के लाउडस्पीकरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। इस बीच, पुलिस ने आश्वासन दिया है कि अगले 10 दिनों में दोनों निर्वाचन क्षेत्रों के लाउडस्पीकर हटा दिए जाएंगे। इसी तरह घाटकोपर और मुंबई के उत्तरी उपनगर विक्रोली में भी कार्रवाई शुरू कर दी गई है। इधर, पुलिस ने घाटकोपर में हिल नंबर 4 मदरसा अंजुमन रिसालत हक को एक नोटिस दिया है, जिसमें ध्वनि प्रदूषण मानदंडों के उल्लंघन का हवाला देते हुए यहां से लाउडस्पीकर हटाने को कहा गया है। इसके साथ ही दो बॉक्सनुमा स्पीकर लगाने के निर्देश दिए गए हैं। यदि लाउडस्पीकर नहीं हटाया गया तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी और लाउडस्पीकर जब्त कर लिया जाएगा।

मुंबई शहर और उपनगरों में मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। किरीट सोमैया ने अपना अभियान तेज कर दिया है और आज वीबी नगर और अंधेरी पुलिस स्टेशन का दौरा करते हुए उन्होंने पुलिस को लाउडस्पीकर हटाने का निर्देश भी दिया है। मुंबई पुलिस ने अब मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने के लिए नोटिस भेजना शुरू कर दिया है, जिससे कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा हो गई है। इसके बावजूद किरीट सोमैया मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने पर अड़ी हैं। ऐसे में नवनिर्वाचित पुलिस कमिश्नर देविन भारती के लिए कानून व्यवस्था बनाए रखना भी बड़ी चुनौती है। इससे पहले किरीट सोमैया के उत्पात को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने किरीट सोमैया के मुस्लिम बहुल इलाके भांडुप में जाने पर प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन इसके बावजूद किरीट सोमैया यहां आया। अब नफरत का माहौल इतना बढ़ गया है कि इस अभियान से सांप्रदायिक तनाव का खतरा भी पैदा हो गया है।

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