राजनीति
साक्षी महाराज को जान से मारने की मिली धमकी
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता और उन्नाव से सांसद (सांसद) साक्षी महाराज ने कहा है कि उन्हें जान से मारने की धमकी मिली है। भाजपा सांसद ने कहा कि सोमवार को उन्हें एक ही कॉलर ने दो बार धमकी भरे फोन किए। फोन करने वाले ने कथित तौर पर साक्षी महाराज को धमकी दी और कहा कि वह उनके घर को बम से उड़ाकर उन्हें खत्म कर देगा।
पहला कॉल शाम सोमवार को 4.24 बजे और दूसरा शाम 4.26 बजे आया था।
सांसद ने इस संबंध में सदर कोतवाली पुलिस स्टेशन और जिला मजिस्ट्रेट, पुलिस अधीक्षक (एसपी) उन्नाव और प्रमुख सचिव गृह के कार्यालयों में एक लिखित शिकायत दी है।
भाजपा नेता ने पत्रकारों को बताया, “फोन करने वाले ने मुझे गाली दी और अपने दोस्त अब्दुल गफ्फार को गिरफ्तार कराने के लिए गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी। उसने मुझे 10 दिनों के भीतर जान से मारने की धमकी दी।”
उन्होंने संबंधित अधिकारियों से उन्हें अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करने को कहा है।
राजनीति
सुप्रीम कोर्ट ने बीएलओ की सुरक्षा पर जारी किया नोटिस

नई दिल्ली, 9 दिसंबर: पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया में शामिल बूथ लेवल अधिकारियों (बीएलओ) की सुरक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने नया नोटिस जारी किया है। यह कदम राज्य में बीएलओ की बढ़ती सुरक्षा चिंताओं और उनके कार्यभार के बढ़ते दबाव के मद्देनजर उठाया गया है।
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, “हम इस बात को लेकर चिंतित हैं कि तमाम राजनेता इस मुद्दे को लेकर कोर्ट पहुंच रहे हैं। ऐसा लगता है कि यह मंच उन्हें हाईलाइट करने का माध्यम बन गया है।”
सुनवाई के दौरान जस्टिस जॉयमाल्य बागची ने कहा कि बीएलओ पर बढ़ती धमकियों और हिंसा के कई मामलों में सिर्फ एक एफआईआर दर्ज है। याचिका में उठाई गई बाकी हिंसा की घटनाएं पुरानी हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि आम तौर पर चुनाव से पहले पुलिस प्रशासन सीधे चुनाव आयोग के नियंत्रण में नहीं दिया जाता।
चुनाव आयोग के वकील ने भी बीएलओ की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग का समर्थन किया।
गौरतलब है कि इससे पहले 4 दिसंबर को बीएलओ की मौत पर तमिलनाडु की राजनीतिक पार्टी टीवीके द्वारा दायर याचिका की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बीएलओ की मौतों को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की थी। कोर्ट ने कहा था कि बीएलओ पर बढ़ते काम के बोझ को कम करने के लिए अतिरिक्त कर्मचारियों की तैनाती तत्काल की जानी चाहिए। देशभर में अब तक लगभग 35-40 बीएलओ अत्यधिक कार्यभार और तनाव के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं। याचिकाकर्ताओं ने पीड़ित परिवारों को मुआवजा देने की भी मांग की थी।
मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और जस्टिस बागची की पीठ ने कहा था कि एसआईआर प्रक्रिया एक वैध प्रशासनिक कार्रवाई है, जिसे समय पर पूरा करना बेहद आवश्यक है। उन्होंने स्पष्ट किया था कि यदि कहीं स्टाफ की कमी है, तो राज्य सरकारों को अतिरिक्त कर्मचारी नियुक्त करने का कार्य करना अनिवार्य है।
कोर्ट ने यह भी कहा था कि बीमार, असमर्थ या अत्यधिक दबाव में काम कर रहे अधिकारियों के लिए राज्य सरकारों को संवेदनशील रवैया अपनाना चाहिए और तुरंत वैकल्पिक स्टाफ तैनात करना चाहिए। इससे बीएलओ के कार्य घंटे कम होंगे और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
ट्रंप का बड़ा कृषि राहत पैकेज, लेकिन भारत के चावल आयात को ‘टैरिफ की धमकी’

TRUMP
वाशिंगटन, 9 दिसंबर: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने किसानों के लिए कई अरब डॉलर की राहत योजना का ऐलान किया और भारत सहित एशियाई देशों से आने वाली कृषि आयात पर अपनी नाराजगी भी जताई। व्हाइट हाउस में किसानों और अधिकारियों के साथ बैठक में उन्होंने कहा कि अमेरिकी किसानों की सुरक्षा के लिए शुल्क (टैरिफ) का कड़ा इस्तेमाल किया जाएगा।
ट्रंप ने बताया कि सरकार किसानों को लगभग 12 अरब डॉलर की आर्थिक मदद देगी, जिसे अमेरिका ट्रेडिंग पार्टनर्स से मिल रहे टैरिफ रेवेन्यू से फंड करेगा। उन्होंने कहा कि बीते वर्षों की महंगाई और कमजोर दामों से किसान परेशान हैं, इसलिए यह मदद जरूरी है। ट्रंप ने किसानों को अमेरिका की रीढ़ बताते हुए कहा कि शुल्क लगाना कृषि क्षेत्र को संभालने की उनकी योजना का अहम हिस्सा है।
बैठक में भारत का जिक्र खास तौर पर चावल आयात के मुद्दे पर आया। लुइज़ियाना की एक चावल उत्पादक कंपनी की सीईओ मेरिल कैनेडी ने कहा कि भारत, थाईलैंड और चीन जैसे देश बहुत सस्ता चावल भेज रहे हैं, जिससे अमेरिकी किसान मुश्किल में हैं। उन्होंने ट्रंप से कहा कि शुल्क बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने भारत के खिलाफ डब्ल्यूटीओ केस का ज़िक्र करते हुए कड़ी पाबंदियां लगाने की अपील की।
ट्रंप को जब बताया गया कि अमेरिका में बिकने वाले दो बड़े चावल ब्रांड भारतीय कंपनियों के हैं, तो ट्रंप ने कहा कि वह तुरंत कार्रवाई करेंगे और टैरिफ लगाने से समस्या कुछ ही मिनट में हल हो जाएगी।
बैठक में सोयाबीन और अन्य फसलों पर भी चर्चा हुई। ट्रंप ने बताया कि उन्होंने हाल ही में चीन के राष्ट्रपति से बातचीत की है और चीन भारी मात्रा में अमेरिकी सोयाबीन खरीद रहा है। अधिकारियों ने बताया कि चीन आने वाले समय में बड़ी मात्रा में सोयाबीन खरीदने का वादा कर चुका है।
कई लोगों के लिए, भारत से जुड़े व्यापार मुद्दे ग्लोबल कॉम्पिटिशन और अमेरिकी कमोडिटी बाजारों के भविष्य की चिंताओं से जुड़े हुए थे। केनेडी ने प्रशासन से चावल को “राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा” मानने का आग्रह किया और चेतावनी दी कि सब्सिडी वाला विदेशी चावल विदेशों में अमेरिकी उत्पादों की जगह ले रहा है। कई किसानों ने तेजी से कदम उठाने की मांग की। वहीं, कुछ अधिकारियों ने दावा किया कि बाइडेन सरकार के दौरान ग्रामीण अर्थव्यवस्था बहुत कमजोर हुई।
बता दें कि भारत और अमेरिका के बीच कृषि व्यापार पिछले एक दशक में काफी बढ़ा है। भारत अमेरिका को बासमती चावल, मसाले और समुद्री उत्पाद निर्यात करता है, जबकि अमेरिका से बादाम, कपास और दालें खरीदता है। लेकिन चावल और चीनी पर सब्सिडी जैसे मुद्दों पर विवाद अक्सर सामने आते रहते हैं।
ट्रंप का नया शुल्क-आधारित रुख संकेत देता है कि आने वाले महीनों में एशियाई देशों, खासकर भारत के लिए परिस्थितियां चुनौतीपूर्ण हो सकती हैं।
राजनीति
नागरिकता से पहले वोटर लिस्ट में कैसे जुड़ा नाम? सोनिया गांधी और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी

नई दिल्ली, 9 दिसंबर: बिना भारतीय नागरिकता हासिल किए मतदाता सूची में नाम शामिल कराने से जुड़े मामले में दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने मंगलवार को कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है। यह नोटिस वकील विकास त्रिपाठी द्वारा दायर रिवीजन पिटीशन पर जारी किया गया है। इस मामले की अगली सुनवाई अब 6 जनवरी, 2026 को होगी।
वकील विकास त्रिपाठी का कहना है कि सोनिया गांधी का नाम 1980 की नई दिल्ली की वोटर लिस्ट में शामिल था, जबकि उन्होंने 30 अप्रैल 1983 को भारत की नागरिकता हासिल की। इसी आरोप के आधार पर मजिस्ट्रेट कोर्ट में मुकदमा दर्ज कर जांच कराने की मांग की गई थी, लेकिन सितंबर 2025 में मजिस्ट्रेट कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया था।
मजिस्ट्रेट कोर्ट के इसी आदेश को चुनौती देते हुए त्रिपाठी ने रिवीजन पिटीशन दाखिल की, जिस पर अब राऊज एवेन्यू कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए नोटिस जारी किया है।
दाखिल याचिका में कहा गया है कि 1980 की वोटर लिस्ट में सोनिया गांधी का नाम कैसे शामिल हुआ, जबकि तब तक उन्होंने भारतीय नागरिकता प्राप्त नहीं की थी। याचिका में यह भी पूछा गया है कि 1982 में उनका नाम वोटर लिस्ट से हटाया गया था, तो आखिर किन कारणों से यह कार्रवाई हुई?
याचिका में यह भी कहा गया कि यदि 1983 में ही नागरिकता मिली, तो 1980 में नाम शामिल कराने के लिए किन दस्तावेजों का इस्तेमाल किया गया? क्या उस समय फर्जी दस्तावेजों के आधार पर वोटर लिस्ट में नाम दर्ज कराया गया?
राऊज एवेन्यू कोर्ट ने सोनिया गांधी और दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया है कि वे आरोपों पर विस्तृत जवाब दाखिल करें।
बता दें कि इससे पहले, मजिस्ट्रेट कोर्ट ने सितंबर 2025 में दायर उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें सोनिया गांधी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच कराने की मांग की गई थी। बाद में, इसी आदेश को चुनौती देते हुए रिवीजन पिटीशन दाखिल की गई, जिस पर कोर्ट ने अब जवाब मांगा है।
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