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रूस ने पाकिस्तान को की रियायती दरों पर कच्चे तेल की आपूर्ति की पेशकश

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इस्लामाबाद, 6 दिसंबर :
एक बड़े सकारात्मक घटनाक्रम में रूस ने पाकिस्तान को 1 लाख बैरल प्रतिदिन कच्चा तेल रियायती दरों पर उपलब्ध कराने की पुष्टि की है और इस पर सहमति जताई है। संघीय पेट्रोलियम राज्य मंत्री मुसादिक मलिक ने मास्को से लौटने के बाद घटनाक्रम की पुष्टि की।

इस्लामाबाद में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, रूस ने प्रतिदिन 1 लाख बैरल कच्चे तेल की आपूर्ति की सहमति दी है, लेकिन अभी तक की दर की पुष्टि नहीं की है, जिस पर जनवरी में चर्चा की जाएगी।

पेट्रोलियम मंत्रालय के सूत्रों ने भी पुष्टि की कि शर्तों और दरों को मास्को से पाकिस्तान के एक प्रतिनिधिमंडल की यात्रा के दौरान अंतिम रूप दिया जाएगा, जो अगले साल 23 जनवरी से होने वाला है।

मुसादिक मलिक ने कहा, रूस हमें रियायती दर पर कच्चा तेल देगा। वह हमें रिफाइनरी उत्पादों, पेट्रोल और डीजल पर छूट देगा। तेल और गैस की आपूर्ति के संबंध में रूस के साथ बातचीत बहुत सकारात्मक रही है।

अब पाकिस्तान के लिए जटिलता इस बात पर टिकी है कि महत्वपूर्ण सौदे के माध्यम से रूस से आपूर्ति प्राप्त करने के लिए वह किस आयात मूल्य सीमा का पालन करेगा।

एक ओर रूसी समुद्री तेल पर जी-7 देशों और यूरोपीय संघ (ईयू) द्वारा लगाए गए 60 डॉलर प्रति बैरल की सीमा इस सप्ताह से शुरू हो रही है। दूसरी ओर मास्को ने स्पष्ट कर दिया है कि वह उन देशों को तेल नहीं बेचेगा जो उल्लिखित सीमा का अनुपालन करते हैं।

इसके अलावा सूत्रों ने यह भी पुष्टि की कि अमेरिका ने पाकिस्तान के वित्त मंत्री ईशर डार को उसी 60 डॉलर प्रति बैरल कैप के तहत रूस से तेल खरीदने के लिए भी कहा है।

यह पाकिस्तान को एक मुश्किल स्थिति में डालता है क्योंकि अगर वह जी 7 और ईयू कैप के तहत रहता है, तो रूस पाकिस्तान को तेल आपूर्ति प्रदान करने के लिए सहमत नहीं हो सकता है। अगर इस्लामाबाद रूस के साथ अलग शर्तों पर सहमत होने का फैसला करता है, तो यह अमेरिका, जी7 देशों और यूरोपीय संघ के साथ अपने संबंधों को खतरे में डालेगा।

पेट्रोलियम मंत्रालय के एक सूत्र ने कहा, अब सवाल यह है कि क्या रूस तय कीमत पर बिक्री पर पाकिस्तान के साथ सहमत होगा, यह रूसी प्रतिनिधिमंडल की यात्रा के दौरान स्पष्ट होगा।

पाकिस्तान नकदी संकट और कठिन वित्तीय स्थिति के कारण अमेरिका और यूरोपीय संघ की चिंताओं को नजरअंदाज करना उसके लिए लगभग असंभव हो जाता है, खासकर वाशिंगटन द्वारा यह कहने के बाद कि उसे इस्लामाबाद द्वारा रूस से तेल खरीद के साथ कोई समस्या नहीं है, जब तक कि वह परिस्थितियों के साथ अपने फैसले खुद लेता है।

यह घटनाक्रम ऐसे समय में आया है जब पाकिस्तान की अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के साथ नौवीं समीक्षा और 1.2 बिलियन डॉलर की किश्त में देरी हो रही है, क्योंकि इस्लामाबाद अपनी आकलन रिपोर्ट में आईएमएफ को संतुष्ट करने में विफल रहा, इसससे आईएमएफ की आकलन टीम के पाकिस्तान दौरे में देरी हुई।

ऐसा माना जाता है कि पाकिस्तान को आईएमएफ बेलआउट पैकेज अमेरिका के समर्थन और प्रभाव से पुनर्जीवित किया गया था और अब पाकिस्तान अपनी बिगड़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए रूस से निकटता बढ़ा रहा है, तो दोनों देशों के साथ संबंधों के संतुलन को प्रासंगिक बनाए रखने के लिए सौदे को स्मार्ट तरीके से संभालना होगा।

व्यापार

एफपीआई ने अक्टूबर में भारतीय शेयर बाजारों में की वापसी, फ्रांस रहा सबसे आगे

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मुंबई, 7 नवंबर: एनएसडीएल के डेटा के अनुसार, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने अक्टूबर में भारतीय शेयर बाजारों में अपनी जोरदार वापसी दर्ज करवाई है, जो कि उनकी तीन महीनों की लगातार बिकवाली के बाद एक महत्वपूर्ण बदलाव है।

एफपीआई द्वारा भारतीय शेयर बाजारों में निवेश को लेकर फ्रांस सबसे आगे रहा है, जिसने 2.58 अरब डॉलर का निवेश भारतीय शेयरों और 152 मिलियन डॉलर का निवेश डेट इंस्ट्रूमेंट में किया है।

एफपीआई की ओर से संयुक्त रूप से भाारतीय शेयरों में बीते महीने 1.66 अरब डॉलर का निवेश किया गया है। जबकि इससे पहले सितंबर में एफपीआई की ओर से 2.7 अरब डॉलर की बिकवाली दर्ज की गई थी।

फ्रांस के अलावा, अमेरिका और जर्मनी भी भारतीय शेयरों में निवेश करने को लेकर आगे रहे हैं। दोनों ही देशों में प्रत्येक ने भारतीय शेयरों में 520 मिलियन डॉलर का निवेश किया है।

इसके अलावा, अमेरिका की ओर से डेट इंस्ट्रूमेंट में 765 मिलियन डॉलर और जर्मनी की ओर से 309 मिलियन डॉलर का निवेश दर्ज किया गया है।

कुछ और देशों का भारतीय शेयर बाजारों की ओर सकारात्मक रुख दर्ज किया गया। आयरलैंड ने 400 मिलियन डॉलर इक्विटी में और 138 मिलियन डॉलर का निवेश डेट इंस्ट्रूमेंट में किया। मलेशिया की ओर से 342 मिलियन डॉलर इक्विटी में और 68 मिलियन डॉलर का निवेश डेट इंस्ट्रूमेंट में किया।

हांग कांग ने भारतीय इक्विटी में 177 मिलियन डॉलर का निवेश किया और डेनमार्क और नॉर्वे दोनों की ओर से करीब 100 मिलियन डॉलर का निवेश भारतीय इक्विटी में किया गया।

मजबूत कॉर्पोरेट अर्निंग, यूएस फेडरल द्वारा ब्याज दरों में कटौती और भारत-अमेरिका के बीच संभावित व्यापार वार्ता जैसे कारकों के कारण एफपीआई की ओर से खरीदारी दर्ज की गई।

हालांकि, सिंगापुर की ओर से इस महीने इक्विटी से 98 मिलियन डॉलर की बिकवाली दर्ज की गई है, जबकि 260 मिलियन डॉलर का निवेश डेट मार्केट में किया गया है। जिससे सिंगापुर की नेट पॉजिशन सकारात्क दर्ज की गई। इसके अलावा, अन्य देशों की ओर से 3 अरब डॉलर की बिकवाली रही।

विदेशी निवेशकों की वापसी के साथ बीते महीने अक्टूबर में भारतीय बेंचमार्क सूचकांकों सेंसेक्स और निफ्टी में प्रत्येक ने 4.5 प्रतिशत की बढ़त दर्ज करवाई।

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व्यापार

भारत में करीब 50 प्रतिशत मिलेनियल्स को एआई से नौकरी खोने का डर : रिपोर्ट

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मुंबई, 3 नवंबर: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के बढ़ते चलन के कारण भारत में 50 प्रतिशत मिलेनियल्स को अगले तीन से पांच वर्षों में नौकरी खोने का डर है। यह जानकारी सोमवार को एक रिपोर्ट में दी गई।

ग्रेट प्लेस टू वर्क इंडिया की ओर से जारी रिपोर्ट में बताया गया कि भारतीय कर्मचारी काम पर एआई के बढ़ते असर के साथ कैसे तालमेल बिठा रहे हैं।

रिपोर्ट में बताया गया कि पूरे भारत में 54 प्रतिशत कर्मचारियों का मानना ​​है कि उनकी ऑर्गनाइजेशन अभी एआई इम्प्लीमेंटेशन के पायलट या इंटरमीडिएट स्टेज पर हैं। यह ज्यादा टेक-पावर्ड और कुशल काम के माहौल की ओर लगातार हो रही तरक्की को दिखाता है।

रिपोर्ट के मुताबिक, 10 में से चार कर्मचारियों को लगता है कि एआई अगले तीन से पांच सालों में उनकी जगह ले सकता है। यह डर किसी एक खास ग्रुप तक सीमित नहीं है, बल्कि हर स्तर के कर्मचारियों में है।

रिपोर्ट के अनुसार, एआई की वजह से अपनी नौकरी जाने को लेकर चिंतित कम से कम 40 परसेंट कर्मचारी अपनी मौजूदा कंपनी को छोड़ने की योजना बना रहे हैं। यह एचआर डिपार्टमेंट और सीनियर लीडरशिप के लिए एक जरूरी और गंभीर मुद्दा है।

ग्रेट प्लेस टू वर्क, इंडिया के सीईओ, बलबीर सिंह ने कहा, “जैसे-जैसे अलग-अलग इंडस्ट्रीज में ऑर्गनाइजेशन एआई को लागू करने में आगे बढ़ रहे हैं, लीडर्स ऐसे हाई-इम्पैक्ट एआई स्ट्रेटेजी बना रहे हैं जो इंसानी क्षमताओं को बढ़ाते हैं। अभी जिन रुकावटों पर ध्यान देने की जरूरत है, वह ऑर्गनाइजेशनल रेसिस्टेंस, साथ ही कर्मचारियों की तैयारी है।”

रिपोर्ट में आगे बताया गया कि इसके अलावा, जिन कंपनियों ने अभी तक एआई को नहीं अपनाया है, उनमें लगभग 57 प्रतिशत कर्मचारियों ने इनसिक्योर महसूस किया, जबकि एआई अपनाने के एडवांस्ड स्टेज वाली कंपनियों में यह आंकड़ा 8 प्रतिशत है।

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व्यापार

भारतीय शेयर बाजार हल्की गिरावट के साथ खुला, सरकारी बैंकिंग शेयरों में तेजी

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मुंबई, 3 नवंबर: भारतीय शेयर बाजार सोमवार के कारोबारी सत्र में हल्की गिरावट के साथ खुला। सुबह 9:19 पर सेंसेक्स 126 अंक या 0.15 प्रतिशत की गिरावट के साथ 83,811 और निफ्टी 20 अंक या 0.08 प्रतिशत की मामूली गिरावट के साथ 25,688 पर था।

शुरुआती कारोबार में सरकारी बैंकिंग शेयरों में तेजी देखी गई। निफ्टी पीएसयू बैंक करीब 2 प्रतिशत की बढ़त के साथ कारोबार कर रहा था। इसके अलावा निफ्टी फार्मा, निफ्टी मेटल, निफ्टी रियल्टी, निफ्टी हेल्थकेयर और निफ्टी ऑयल एंड गैस भी हरे निशान में थे। हालांकि, निफ्टी आईटी, निफ्टी एफएमसीजी और निफ्टी फाइनेंशियल सर्विसेज लाल निशान में थे।

लार्जकैप की अपेक्षा मिडकैप और स्मॉलकैप शेयर हरे निशान में थे। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 114 अंक या 0.19 प्रतिशत की तेजी के साथ 59,940 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 120 अंक या 0.66 प्रतिशत की मजबूती के साथ 18,501 पर था।

सेंसेक्स पैक में एमएंडएम, एसबीआई, टाटा मोटर्स पैसेंजर व्हीकल, भारती एयरटेल, सन फार्मा, टाटा स्टील और पावर ग्रिड हरे निशान में थे। मारुति सुजुकी, बीईएल, टाइटन, इटरनल (जोमैटो), बजाज फाइनेंस, एक्सिस बैंक, बजाज फिनसर्व, एनटीपीसी, ट्रेंट, कोटक महिंद्र बैंक, टीसीएस, टेक महिंद्रा, आईसीआईसीआई बैंक और एचडीएफसी बैंक लूजर्स थे।

चॉइस ब्रोकिंग के मुताबिक, निफ्टी एक सीमित दायरे में कारोबार कर रहा है और गिरावट के बाद भी 25,800 के ऊपर बना हुआ है, जो दिखाता है बाजार में आने समय में एक छोटा कंसोलिडेशन देखने को मिल सकता है। निफ्टी के लिए सपोर्ट 25,600 से लेकर 25,500 पर है, जबकि रुकावट का स्तर 25,800 से लेकर 26,000 के बीच है।

ब्रोकिंग फर्म ने आगे कहा कि अगर निफ्टी 26,000 के पार निकलता है, तो यह 26,100 से लेकर 26,300 तक जा सकता है।

लगातार तीन महीनों तक बिकवाली के बाद, विदेशी निवेशकों ने अक्टूबर में भारतीय शेयर बाजार में मजबूत वापसी की है और करीब 14,610 करोड़ रुपए का निवेश किया।

विदेशी निवेशकों की वापसी की वजह कॉरपोरेट आय में उछाल, अमेरिकी फेड की ओर से ब्याज दरों में कटौती करना और अमेरिका-भारत के बीच ट्रेड डील की संभावना है।

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