अंतरराष्ट्रीय समाचार
ऑस्ट्रेलिया में भारतीय छात्रों के लिए 1 जुलाई से वीजा नियम, काम के घंटे की सीमा बदलेगी

ऑस्ट्रेलिया के त्रितियक स्तर के शिक्षण संस्थानों में पढ़ने वाले भारतीय छात्र इस साल 1 जुलाई से बिना प्रायोजक के आठ साल के लिए वर्क वीजा के लिए आवेदन कर सकेंगे।
इसके अलावा, वर्क वीजा पर दो साल का विस्तार भी मिल सकेगा और हर पखवाड़े में काम के घंटे की सीमा 40 से बढ़ाकर 48 कर दी जाएगी।
इस महीने की शुरुआत में, भारत और ऑस्ट्रेलिया ने छात्रों, अकादमिक शोधकर्ताओं और व्यापारिक लोगों के लिए अवसर खोलने के लिए एक आव्रजन और गतिशीलता साझेदारी समझौते पर हस्ताक्षर किए।
इस समझौते के तहत, मोबिलिटी अरेंजमेंट फॉर टैलेंटेड अर्ली-प्रोफेशनल्स स्कीम (एमएटीईएस) भारत के युवा पेशेवरों के लिए 3,000 वार्षिक स्पॉट उपलब्ध कराएगी, जिससे उन्हें वीज़ा के लिए प्रायोजकों की आवश्यकता के बिना देश में दो साल बिताने की अनुमति मिलेगी।
एक अस्थायी वीज़ा कार्यक्रम के रूप में एमएटीईएस में अध्ययन के विशेष क्षेत्रों में डिग्री के साथ मान्यता प्राप्त भारतीय विश्वविद्यालयों के स्नातक शामिल हैं।
एमएटीईएस वीज़ा के लिए व्यवसाय के पात्र क्षेत्रों में इंजीनियरिंग, खनन, वित्तीय प्रौद्योगिकी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, सूचना और संचार प्रौद्योगिकी, कृषि प्रौद्योगिकी और नवीकरणीय ऊर्जा शामिल हैं।
एमएटीईएस वीज़ा कार्यक्रम के लिए पात्र होने के लिए, उम्मीदवारों की आयु 31 वर्ष से कम होनी चाहिए, उन्होंने किसी मान्यता प्राप्त और सत्यापित विश्वविद्यालय से अपनी शिक्षा पूरी की हो और अपने करियर के शुरुआती चरण में हों।
एमएटीईएस वीज़ा के लिए शुल्क और वीज़ा प्रसंस्करण समय की घोषणा अभी तक नहीं की गई है।
ऑस्ट्रेलिया ने इस साल अप्रैल में कहा था कि वह देश में अत्यधिक कुशल श्रमिकों को लाने में तेजी लाने के लिए अपनी आव्रजन प्रणाली में सुधार करेगा।
सरकार ने कहा कि कुशल प्रवासियों को लुभाने के लिए उच्च-कुशल पेशेवरों के लिए वीजा प्रक्रिया को तेज और आसान बनाया जाएगा और अंतर्राष्ट्रीय छात्रों को बनाए रखने के लिए कदम उठाए जाएंगे।
साथ ही 1 जुलाई से अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के लिए स्वीकार्य कार्य-घंटे की सीमा को दो साल के कार्य वीजा विस्तार के साथ प्रति पखवाड़े 40 घंटे से बढ़ाकर 48 घंटे कर दिया जाएगा।
संशोधित सीमा अंतर्राष्ट्रीय छात्रों को अपने वीज़ा के प्राथमिक उद्देश्य के रूप में अध्ययन को बनाए रखते हुए, अपनी पढ़ाई के माध्यम से स्वयं का समर्थन करने में मदद करेगी।
महामारी के दौरान छात्र वीज़ा कार्य प्रतिबंधों में ढील दी गई थी, और कार्यबल की कमी को दूर करने के लिए प्राथमिक और माध्यमिक छात्र वीज़ा धारकों को प्रति पखवाड़े 40 घंटे की अपनी सामान्य सीमा से अधिक काम करने की अनुमति देने के लिए जनवरी 2022 में सीमा पूरी तरह से हटा दी गई थी।
सरकार ने यह भी घोषणा की कि सत्यापित कौशल की कमी वाले क्षेत्रों में चुनिंदा डिग्री वाले अंतर्राष्ट्रीय स्नातकों के लिए अध्ययन के बाद के कार्य अधिकारों का दो साल का विस्तार उपलब्ध है।
यह विस्तार पात्र अंतर्राष्ट्रीय उच्च शिक्षा स्नातकों को उनके अस्थायी स्नातक वीज़ा (उपवर्ग 485) पर दो साल का अतिरिक्त समय देगा। यह विस्तार क्षेत्रीय इलाकों में पढ़ने, रहने और काम करने वाले पात्र छात्रों के लिए मौजूदा अतिरिक्त एक से दो साल के कार्य अधिकारों के अलावा है।
चुनिंदा बैचलर डिग्री के लिए अध्ययन के बाद के काम के अधिकार को दो से चार साल, चुनिंदा मास्टर डिग्री के लिए तीन से पांच साल और सभी डॉक्टरेट योग्यताओं के लिए चार से छह साल तक बढ़ाया जाएगा।
विदेश मंत्रालय के 2022 के आंकड़ों के अनुसार, विभिन्न ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालयों में 1,00,009 भारतीय छात्र पढ़ रहे हैं।
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ट्रेड डील के बाद अमेरिका और दक्षिण कोरिया के बीच अच्छे संबंध: ट्रंप

TRUMP
वाशिंगटन, 2 अगस्त। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि अमेरिका और दक्षिण कोरिया के बीच रिश्ते बेहद अच्छे हो गए हैं। अमेरिका और दक्षिण कोरिया के बीच हुए नए व्यापार समझौते के बीच ट्रंप का ये बयान सामने आया है। यह समझौता कई महीनों से चल रही टैरिफ वार्ताओं के बाद हुआ है।
राष्ट्रपति ट्रंप ने यह टिप्पणी एक पत्रकार के सवाल के जवाब में की। पत्रकार ने उनसे दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ली जे म्युंग के साथ होने वाली बैठक के बारे में पूछा था। ट्रंप ने कहा कि यह बैठक दो हफ्तों के भीतर व्हाइट हाउस में होगी।
मिडिया के मुताबिक, ट्रंप ने कहा, “हमारा दक्षिण कोरिया के साथ बहुत अच्छा रिश्ता है।”
बुधवार को ट्रंप ने इस व्यापार समझौते की घोषणा की। इसके तहत अमेरिका ने कोरिया पर लगाए जाने वाले “रेसिप्रोकल टैरिफ” को 25 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत कर दिया है। इसके बदले में दक्षिण कोरिया ने अमेरिका में निवेश करने और कुछ अन्य वादे किए हैं।
ट्रंप ने यह भी दोहराया कि दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति दो हफ्तों के अंदर व्हाइट हाउस आएंगे। दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्री चो ह्यून ने भी कहा कि इस बैठक के लिए तारीख तय करने पर बातचीत चल रही है।
इस बीच, दक्षिण कोरियाई सरकार ने साफ किया है कि इस व्यापार समझौते में ‘राइस मार्केट’ को लेकर कोई नया प्रावधान नहीं है। वित्त, उद्योग और कृषि मंत्रालयों ने प्रेस रिलीज में कहा, “कोरिया-अमेरिका व्यापार समझौता चावल से जुड़ा नहीं है।”
गुरुवार को हुए इस समझौते के अनुसार, अमेरिका ने दक्षिण कोरिया के लिए शुल्क दर 25 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत कर दी है। इसके बदले में दक्षिण कोरिया ने वादा किया है कि वह आने वाले चार वर्षों में अमेरिका में 350 अरब डॉलर का निवेश करेगा और 100 अरब डॉलर के अमेरिकी ऊर्जा उत्पाद (जैसे एलएनजी) खरीदेगा।
सूत्रों के अनुसार, अमेरिका ने दक्षिण कोरिया पर यह दबाव डाला था कि वह अपने चावल और बीफ बाजार के द्वार उनके लिए खोले, खासकर 30 महीने से अधिक उम्र की गायों से बने अमेरिकी बीफ उत्पादों पर लगे प्रतिबंध को हटाने की बात की गई थी।
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‘दक्षिण-दक्षिण सहयोग’ को बढ़ावा देने के लिए नौ देशों में चार प्रोजेक्ट्स शुरू

नई दिल्ली, 2 अगस्त। ‘साउथ-साउथ कोऑपरेशन’ यानी दक्षिण-दक्षिण सहयोग को बढ़ावा देने की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए भारत और संयुक्त राष्ट्र ने नौ साझेदार देशों में चार कैपेसिटी बिल्डिंग प्रोजेक्ट्स के पहले चरण की शुरुआत की है। यह पहल ‘इंडिया-यूएन ग्लोबल कैपेसिटी बिल्डिंग इनिशिएटिव’ के तहत शुरू की गई है, जिसका उद्देश्य सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (एसडीजीएस) को हासिल करने में देशों की मदद करना है।
इस पहल का शुभारंभ शुक्रवार को विदेश मंत्रालय (एमईए) के सचिव (पश्चिम) तन्मय लाल ने किया।
इन नौ सहयोगी देशों में जाम्बिया, लाओस, नेपाल, बारबाडोस, बेलीज, सेंट किट्स एंड नेविस, सूरीनाम, त्रिनिदाद और टोबैगो और दक्षिण सूडान शामिल हैं।
इस कार्यक्रम में विभिन्न देशों के मिशनों के प्रमुख, संयुक्त राष्ट्र के रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर शॉम्बी शार्प, राजनयिक, भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग कार्यक्रम (आईटीईसी) की कार्यान्वयन संस्थाओं के अधिकारी, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियां और अन्य साझेदार संगठनों ने भी हिस्सा लिया।
विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने ‘एक्स’ पर लिखा, “एसडीजी लक्ष्यों को हासिल करने के लिए ‘दक्षिण-दक्षिण सहयोग’ को बढ़ावा! ‘इंडिया-यूएन ग्लोबल कैपेसिटी बिल्डिंग इनिशिएटिव’ के तहत नौ साझेदार देशों में चार परियोजनाओं के पहले चरण की सचिव (पश्चिम) तन्मय लाल ने शुरुआत की। मिशनों के प्रमुख, यूएन रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर शॉम्बी शार्प, राजनयिक, आईटीईसी संस्थाओं के अधिकारी, यूएन एजेंसियां और अन्य साझेदार संगठन कार्यक्रम में शामिल हुए। ये परियोजनाएं खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य, व्यावसायिक प्रशिक्षण और जनगणना की तैयारियों पर केंद्रित हैं।”
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए तन्मय लाल ने कहा कि “एसडीजी-17 और प्रभावी अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की भावना में, वैश्विक क्षमता निर्माण के लिए यह नई भारत-संयुक्त राष्ट्र पहल और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है। इसका उद्देश्य एसडीजी से संबंधित प्रमुख क्षेत्रों में अनुभव साझा करना और वैश्विक दक्षिण साझेदारों को सशक्त बनाना है।”
‘इंडिया-यूएन ग्लोबल कैपेसिटी बिल्डिंग इनिशिएटिव’ के तहत, संयुक्त राष्ट्र अपनी वैश्विक पहुंच का उपयोग करते हुए भारत की श्रेष्ठ कार्यप्रणालियों और संस्थानों को अन्य देशों से जोड़ने में मदद करेगा, ताकि सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (एसडीजीएस) को हासिल करने की गति तेज की जा सके। इस पहल में स्किल्स ट्रेनिंग, नॉलेज एक्सचेंज, और साझेदार देशों में पायलट प्रोजेक्ट्स जैसी कई गतिविधियां शामिल हैं, जिन्हें नए ‘यूएन इंडिया एसडीजी कंट्री फंड’ और आईटीईसी कार्यक्रम के जरिए लागू किया जाएगा।
यूएन रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर शॉम्बी शार्प ने कहा, “वसुधैव कुटुम्बकम (दुनिया एक परिवार है) की भावना के तहत, भारत एसडीजी को गति देने के लिए ‘दक्षिण-दक्षिण सहयोग’ में अपनी लंबे समय से चली आ रही नेतृत्वकारी भूमिका को विस्तार दे रहा है, जिसमें भारतीय संस्थानों और यूएन प्रणाली की नवाचार और साझेदारी क्षमता का भरपूर उपयोग किया जा रहा है।”
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ईरान और भारत जैसे देशों पर अपनी इच्छा थोपने की कोशिश कर रहा अमेरिका: तेहरान

तेहरान, 31 जुलाई। ईरान ने गुरुवार को अमेरिका पर आरोप लगाया कि वह अर्थव्यवस्था का ‘हथियारकरण’ कर रहा है और प्रतिबंधों का इस्तेमाल स्वतंत्र देशों जैसे ईरान और भारत पर अपनी इच्छा थोपने तथा उनके विकास में बाधा डालने के लिए कर रहा है।
भारत में ईरान के दूतावास ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए कहा, “अमेरिका लगातार अर्थव्यवस्था को हथियार बना रहा है और प्रतिबंधों का उपयोग स्वतंत्र राष्ट्रों जैसे ईरान और भारत पर अपनी इच्छा थोपने और उनके विकास को रोकने के लिए कर रहा है। ये भेदभावपूर्ण और जबरदस्ती भरे कदम अंतरराष्ट्रीय कानून और राष्ट्रीय संप्रभुता के सिद्धांतों का उल्लंघन हैं और आर्थिक साम्राज्यवाद का आधुनिक रूप हैं।”
पोस्ट में आगे कहा गया, “ऐसी नीतियों का विरोध एक अधिक शक्तिशाली, उभरते हुए, गैर-पश्चिमी बहुपक्षीय विश्व व्यवस्था और एक मजबूत वैश्विक दक्षिण की ओर उठाया गया कदम है।”
ईरान की यह प्रतिक्रिया अमेरिका के उस ऐलान के 24 घंटे के भीतर आई है, जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 1 अगस्त से भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने और रूस से तेल खरीदने के लिए पेनल्टी लगाने की बात कही थी।
इस बीच, ईरान के विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को ईरान के तेल व्यापार पर लगाए गए नए अमेरिकी प्रतिबंधों को एक “दुष्प्रवृत्त कृत्य” करार दिया और कहा कि इसका मकसद देश के आर्थिक विकास और उसके नागरिकों की भलाई को नुकसान पहुंचाना है।
ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माइल बकाई ने ईरान के तेल और ऊर्जा क्षेत्र से जुड़ी संस्थाओं, व्यक्तियों और जहाजों पर अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों की कड़ी निंदा करते हुए इन्हें “दमनकारी प्रतिबंध” बताया और कहा कि ये अमेरिकी नीति निर्माताओं की ईरानी जनता के प्रति शत्रुता का स्पष्ट प्रमाण हैं।
तेहरान में मीडिया को संबोधित करते हुए बकाई ने कहा, “ये एकतरफा और अवैध प्रतिबंध अपराध की श्रेणी में आते हैं, जो अंतरराष्ट्रीय कानून और मानवाधिकारों के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन करते हैं और मानवता के खिलाफ अपराध हैं।”
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