राजनीति
‘इस्तीफा काफी नहीं’: विपक्ष ने बीड सरपंच हत्या मामले में धनंजय मुंडे को सह-आरोपी बनाने की मांग की

मुंबई: महाराष्ट्र सरकार को विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) की तीखी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि मंत्री धनंजय मुंडे ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। मुंडे के करीबी सहयोगी वाल्मिक कराड को बीड जिले में एक सरपंच की हत्या से कथित तौर पर जुड़े जबरन वसूली के मामले में न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। आदित्य ठाकरे (यूबीटी), रोहित पवार (एनसीपी) और भाजपा विधायक सुरेश धास सहित विभिन्न दलों के नेताओं ने मांग की है कि मुंडे को मामले में सह-आरोपी बनाया जाए।
मुंडे का इस्तीफा ऐसे समय में आया है जब सरपंच संतोष देशमुख की हत्या के मामले में कोर्ट चार्जशीट से परेशान करने वाली तस्वीरें सामने आने के बाद दबाव बढ़ रहा है। रिपोर्ट्स से पता चला है कि देशमुख को 9 दिसंबर, 2023 को कथित तौर पर बीड में एक ऊर्जा कंपनी को निशाना बनाकर जबरन वसूली करने वाले रैकेट को रोकने की कोशिश करने के लिए अगवा किया गया, प्रताड़ित किया गया और मार दिया गया।
यूबीटी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने मुंडे के इस्तीफ़े में देरी पर सवाल उठाए। उन्होंने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की आलोचना करते हुए कहा, “अगर फडणवीस ने तस्वीरें पहले देखी होतीं, तो मुंडे का इस्तीफ़ा मांगने में इतना समय क्यों लगा? क्या किसी ने उनके हाथ बांध दिए हैं, जिससे वे जल्दी फ़ैसले नहीं ले पा रहे हैं? उन्हें जवाब देना चाहिए।” उन्होंने मुंडे के इस्तीफ़े के लिए दिए गए विरोधाभासी कारणों पर भी सवाल उठाए, “अजित पवार ने दावा किया कि उन्होंने नैतिक आधार पर इस्तीफा दिया, जबकि मुंडे ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया। जनता को असली कारण जानने का हक है।” एनसीपी नेता सुप्रिया सुले ने ठाकरे के दावों का समर्थन करते हुए कहा कि सरकार के पास 84 दिन पहले ही तस्वीरें और फुटेज उपलब्ध हो गई थी। उन्होंने पूछा कि इस सबूत के बावजूद मुंडे को इतने लंबे समय तक पद पर बने रहने की अनुमति क्यों दी गई।
यूबीटी नेता आदित्य ठाकरे ने राज्य में “बिगड़ती” कानून व्यवस्था की स्थिति के मद्देनजर देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली सरकार को बर्खास्त करने और महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की। एनसीपी के एक अन्य नेता रोहित पवार ने मुंडे को सीधे मामले से जोड़ते हुए कहा, “वसूली की बैठक मुंडे के बंगले पर हुई थी। अगर यह सब वहीं से शुरू हुआ, तो निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और मुंडे को सह-आरोपी बनाया जाना चाहिए।” मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे-पाटिल ने तर्क दिया कि मुंडे का इस्तीफा पर्याप्त नहीं है और मांग की कि देशमुख की हत्या के लिए उनके खिलाफ हत्या का आरोप लगाया जाए।
मासाजोग हत्याकांड के बारे में मुखर रहे भाजपा विधायक सुरेश धास ने मुंडे का इस्तीफा सुनिश्चित करने के लिए सीएम फडणवीस को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, “मैंने हमेशा इस मामले को लेकर चिंता जताई है। लोगों ने मुझ पर बहुत ज़्यादा बोलने का आरोप लगाया, लेकिन अब यह स्पष्ट हो गया है कि मैं सही था। सीएम हमेशा इस मुद्दे पर सहायक रहे हैं।”
‘विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव’
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नाना पटोले ने सीएम फडणवीस पर मामले से जुड़ी अहम जानकारी विधानसभा से छिपाने का आरोप लगाया। उन्होंने आरोप लगाया कि विधानसभा को सूचित करने के बजाय फडणवीस ने मुंडे के इस्तीफे की घोषणा सीधे मीडिया के सामने की और इसे “सदन का अपमान” बताया। उन्होंने कहा, “हम विधानसभा और जनता को गुमराह करने के लिए मुख्यमंत्री के खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लाएंगे।”
राजनीति
दिल्ली बजट 2025-26 : व्यापारी संगठनों से मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने की मुलाकात, महत्वपूर्ण सुझाव मिले

नई दिल्ली, 6 मार्च। दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने बजट 2025-26 के लिए जनता से उनके सुझाव और अपेक्षाएं प्राप्त करने के उद्देश्य से एक कार्यक्रम आयोजित किया। इस कार्यक्रम में दिल्ली के विभिन्न व्यापारिक और औद्योगिक संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए।
सीएम गुप्ता ने बताया कि आज उन्हें व्यापार जगत से जुड़े कई महत्वपूर्ण और कीमती सुझाव प्राप्त हुए हैं। हमें दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों से आए व्यापारियों से उनके अनुभव और समस्याएं सुनने का अवसर मिला। इन सुझावों से यह समझने में मदद मिली कि पिछले कई सालों से व्यापारिक संगठनों को अफसरशाही और अव्यावहारिक नीतियों के कारण भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा है।
सीएम ने कहा कि व्यापारियों ने जो समस्याएं बताई हैं, उनमें सीवरेज की दिक्कतें, गली-मोहल्लों की खराब स्थिति, नालियों का जाम होना और खड़ंजा नहीं बनने जैसी बुनियादी समस्याएं शामिल हैं। इसके साथ ही इंडस्ट्रियल एरिया में आवश्यक सुधार नहीं होने, छोटे-छोटे मार्केट कॉम्प्लेक्स और बड़े बाजारों में शौचालय की कमी जैसी समस्याएं भी सामने आईं।
मुख्यमंत्री ने व्यापारी संगठनों को आश्वासन दिया कि उनकी समस्याओं का समाधान किया जाएगा। उन्होंने कहा, “पूर्व सरकारों में केवल समस्याओं का प्रचार हुआ था, लेकिन हम कोशिश करेंगे कि इन समस्याओं का प्रभावी समाधान किया जाए और व्यापारियों की परेशानियों को दूर किया जाए।”
इससे पहले भी महिला संगठनों के साथ मुख्यमंत्री ने मुलाकात कर उनके सुझाव और समस्याओं को जाना था। मुख्यमंत्री लगातार इस तरह का आयोजन कर लोगों से मिल रही हैं।
यह बैठक दिल्ली के विकास में व्यापारियों और उद्योग जगत के सुझावों की अहमियत को दर्शाती है। सीएम गुप्ता ने इस बात का विश्वास दिलाया कि दिल्ली की उन्नति के लिए व्यापारियों के दर्द का उपचार किया जाएगा।
महाराष्ट्र
‘मराठी मुंबई की भाषा है’: आरएसएस नेता के ‘मराठी जानना जरूरी नहीं’ वाले बयान पर सीएम फडणवीस ने विधानसभा में कहा

मुंबई: आरएसएस नेता भैयाजी जोशी के मराठी भाषा पर दिए गए बयान ने महाराष्ट्र में नया विवाद खड़ा कर दिया है। मुंबई के घाटकोपर में एक कार्यक्रम में बोलते हुए आरएसएस नेता ने कहा कि मुंबई में रहने के लिए मराठी भाषा का अच्छा ज्ञान होना जरूरी नहीं है।
मराठी भाषा पर भैयाजी जोशी की टिप्पणी ने राज्य के विपक्षी नेताओं को नाराज कर दिया है। यहां तक कि सत्तारूढ़ भाजपा को भी जोशी की टिप्पणी का समर्थन करना मुश्किल लग रहा है।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने राज्य विधानसभा में आरएसएस नेता की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त की और स्पष्ट किया कि “मराठी मुंबई, महाराष्ट्र और राज्य सरकार की भाषा है।”
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने कहा, “मराठी भाषा राज्य की संस्कृति और पहचान का हिस्सा है और इसे सीखना हर नागरिक का कर्तव्य होना चाहिए। मराठी भाषा का महाराष्ट्र में सम्मान और संरक्षण किया जाएगा और यह हमारी सांस्कृतिक विरासत का अभिन्न अंग है।”
घाटकोपर में एक कार्यक्रम में बोलते हुए भैयाजी जोशी ने कहा, “मुंबई में एक भी भाषा नहीं है। मुंबई के हर हिस्से की एक अलग भाषा है। घाटकोपर इलाके की भाषा गुजराती है। इसलिए अगर आप मुंबई में रहते हैं, तो यह ज़रूरी नहीं है कि आपको मराठी सीखनी ही पड़े।”
दिलचस्प बात यह है कि जोशी के भाषण के दौरान भाजपा नेता और मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा मंच पर मौजूद थे।
उल्लेखनीय है कि एक प्रमुख नीतिगत निर्णय के तहत महाराष्ट्र सरकार ने हाल ही में आईसीएसई और सीबीएसई बोर्ड से संबद्ध प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में मराठी भाषा को अनिवार्य कर दिया है।
आरएसएस नेता के बयान की कांग्रेस और शिवसेना नेताओं ने आलोचना की।
ठाणे में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए शिवसेना सांसद संजय राउत ने सवाल किया कि क्या कोलकाता में बंगाली और चेन्नई में तमिल के बारे में यही बात कही जा सकती है।
कांग्रेस नेता नाना पटोले ने भाजपा और आरएसएस पर निशाना साधते हुए कहा कि किसानों और बेरोजगारी जैसे मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए भाषा पर बहस छेड़ी जा रही है।
राजनीति
पेंशन के मुद्दे पर झारखंड विधानसभा में तकरार, भाजपा विधायकों ने किया वॉकआउट

रांची, 6 मार्च। झारखंड में ‘मंईयां सम्मान योजना’ की तरह दिव्यांग, विधवा और वृद्धा पेंशन की राशि 2500 रुपए करने की मांग पर गुरुवार को विधानसभा में सरकार की ओर से स्पष्ट जवाब न मिलने पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायकों ने वेल में पहुंचकर हंगामा किया।
स्पीकर रबिंद्रनाथ महतो ने उन्हें समझाने की कोशिश की, लेकिन भाजपा विधायक सरकार से तत्काल जवाब की मांग पर अड़े रहे। इसके बाद भाजपा के सभी विधायकों ने सदन का वॉकआउट कर दिया। गढ़वा के भाजपा विधायक सत्येंद्र नाथ तिवारी ने सदन में पेंशन की राशि बढ़ाने का मामला उठाया।
उन्होंने कहा कि राज्य में 18 साल से 50 साल तक की महिलाओं को मंईयां सम्मान योजना में 2500 रुपये की प्रोत्साहन राशि मिल रही है, लेकिन जब वही मंईयां 51 साल की हो जाती है तो पेंशन राशि घटकर 1000 रुपये हो जाती है। व्यावहारिकता को ध्यान में रखते हुए वृद्ध, दिव्यांग और विधवा को भी ढाई हजार रुपए की राशि बतौर पेंशन दी जानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि स्कूलों में काम करने वाली सेविकाओं-सहायिकाओं को मात्र 2000 रुपये मिल रहे हैं।
जवाब में कल्याण मंत्री चमरा लिंडा ने कहा कि मंईयां सम्मान योजना का दूसरी योजनाओं से कोई संबंध नहीं है। अन्य सभी योजनाएं एकल हैं। भाजपा के बाबूलाल मरांडी ने भी इस मामले को अहम बताते हुए कहा कि जब 18 से 50 साल की महिलाओं को सरकार ढाई हजार रुपए दे रही है तो विधवा, दिव्यांग और वृद्धों को भी उनके बराबर राशि मिलनी ही चाहिए। सरकार को इस पर स्पष्ट उत्तर देना चाहिए।
कांग्रेस के रामेश्वर उरांव ने भी कहा कि मंईयां सम्मान योजना निःसंदेह अच्छी योजना है, लेकिन जो महिलाएं सेविका-सहायिका-रसोइया जैसा काम करती हैं, उन्हें कम पैसे क्यों मिल रहे हैं? सरकार को इस पर विचार करना चाहिए। इस बीच भाजपा विधायक नारेबाजी करते हुए वेल में पहुंच गए। उन्होंने पेंशन राशि बढ़ाने पर वित्त मंत्री से हां या ना में जवाब मांगा। स्पीकर ने हस्तक्षेप की कोशिश की तो सभी भाजपा विधायक सदन से बाहर निकल गए।
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