राष्ट्रीय समाचार
थोक महंगाई दर में राहत, जनवरी में घटकर 2.31 प्रतिशत पर आई

नई दिल्ली, 14 फरवरी। खाद्य वस्तुओं में सब्जियों की कीमतों में गिरावट के कारण इस साल जनवरी में थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति कम होकर 2.31 प्रतिशत पर पहुंच गई।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, अखिल भारतीय थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित देश की वार्षिक मुद्रास्फीति दर में इस साल जनवरी में कमी आई, जबकि पिछले महीने दिसंबर में यह 2.37 प्रतिशत थी।
जनवरी में थोक मूल्य सूचकांक में दिसंबर की तुलना में मासिक आधार पर 0.45 प्रतिशत की कमी रही।
जनवरी में प्राइमरी आर्टिकल ग्रुप का सूचकांक 2.01 प्रतिशत घटा, क्योंकि दिसंबर 2024 की तुलना में जनवरी 2025 के दौरान खाद्य पदार्थों की कीमत में मासिक आधार पर 3.62 प्रतिशत की गिरावट आई।
हालांकि, क्रूड पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, नॉन फूड आर्टिकल और खनिजों की कीमत दिसंबर 2024 की तुलना में जनवरी 2025 में बढ़ी।
क्रूड पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस की कीमत मासिक आधार पर 6.34 प्रतिशत नॉन फूड आर्टिकल की कीमत 0.66 प्रतिशत और खनिजों की कीमत 0.22 प्रतिशत बढ़ी।
ईंधन और बिजली ग्रुप के लिए मुद्रास्फीति महीने के दौरान 0.47 प्रतिशत बढ़ी, हालांकि कोयले की कीमत पिछले महीने के समान ही रही।
सूचकांक में 64.23 प्रतिशत का भार रखने वाले मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट में इस वर्ष जनवरी के दौरान 0.14 प्रतिशत की मामूली वृद्धि दर्ज की गई।
आंकड़ों से पता चलता है कि मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट के 22 ग्रुप में से 15 ग्रुप में कीमतों में वृद्धि देखी गई, पांच ग्रुप की कीमतों में कमी देखी गई और दो ग्रुप की कीमतों में कोई बदलाव नहीं देखा गया।
कुछ महत्वपूर्ण ग्रुप जैसे मैन्युफैक्चरिंग, मशीनरी और उपकरण, रसायन और रासायनिक उत्पाद, फार्मास्यूटिकल्स, औषधीय रसायन और वनस्पति उत्पाद को लेकर मासिक आधार पर कीमत वृद्धि दर्ज की गई।
जिन ग्रुप की कीमतों में जनवरी में मासिक आधार पर कमी देखी गई उनमें बेसिक मटीरियल का निर्माण, मशीनरी और उपकरणों को छोड़कर गढ़े हुए मेटल उत्पाद, पहनने के कपड़े, पेय पदार्थ और दूसरे ट्रांसपोर्ट इक्विप्मेंट शामिल हैं।
डब्ल्यूपीआई खाद्य सूचकांक पर आधारित खाद्य वस्तुओं की थोक मुद्रास्फीति दिसंबर 2024 में 8.89 प्रतिशत से घटकर जनवरी 2025 में 7.47 प्रतिशत हो गई।
राष्ट्रीय समाचार
संसद में हंगामा जारी, लोकसभा-राज्यसभा की कार्यवाही गुरुवार तक स्थगित

नई दिल्ली, 23 जुलाई। संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही को गुरुवार सुबह तक के लिए स्थगित कर दिया गया है। दोनों सदनों में हंगामे के कारण बार-बार सदन की कार्यवाही बाधित हुई और इसे कई बार स्थगित करना पड़ा।
दोपहर 2 बजे जब दोनों सदनों की कार्यवाही एक बार फिर से शुरू हुई, तो भी सदन में नारेबाजी जारी रही। इसके चलते लोकसभा व राज्यसभा की कार्यवाही स्थगित कर दी गई। राज्यसभा में हंगामे के बीच केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने सदन में विचार तथा पारण के लिए समुद्र द्वारा माल वहन विधेयक 2025 पेश किया।
इस दौरान सदन में विपक्ष के सांसद नारेबाजी करते नजर आए। विपक्षी सांसद बिहार में मतदाता सूची में रिव्यू का मुद्दा उठा रहे थे। विपक्ष के सांसद बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण मामले पर चर्चा चाहते थे, लेकिन इसकी अनुमति न मिलने पर विपक्ष के सांसद नारेबाजी करते हुए अपनी सीटों से उठकर आगे आ गए। वे बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण को रद्द करने के नारे लगा रहे थे।
सदन में हंगामा बढ़ता देख सदन की कार्रवाई गुरुवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। कुछ यही स्थिति लोकसभा में भी रही। लोकसभा में गोवा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र अनुसूचित जनजाति प्रतिनिधित्व का पुनः समायोजन विधेयक 2024 सदन के समक्ष विचार व पारित करने के लिए रखा जाना था। यहां भी विपक्ष के सांसदों ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण मामले पर चर्चा की मांग उठाई। अपनी इस मांग को लेकर विपक्ष के सांसद नारेबाजी करने लगे और फिर विरोध प्रदर्शन करते हुए अपनी सीटों से उठकर आगे आ गए। यहां भी सदन में लगातार बढ़ता हंगामा देख सदन की कार्रवाई को गुरुवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
इससे पहले आसन पर मौजूद पीठासीन अधिकारी कृष्णा प्रसाद तेन्नेटी ने नारेबाजी कर रहे विपक्षी सांसदों से अपनी सीटों पर वापस जाने का अनुरोध किया। उन्होंने सदन की कार्रवाई सुचारु रूप से चलने देने और नारेबाजी न करने का अनुरोध किया, लेकिन विपक्ष के सांसद अपनी मांग पर अड़े रहे हैं। इसके चलते सदन में बढ़ते हंगामे को देखते हुए पीठासीन अधिकारी ने सदन की कार्रवाई को गुरुवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।
गौरतलब है कि बुधवार को संसद के दोनों सदनों में प्रश्नकाल भी नहीं हो सका। राज्यसभा व लोकसभा दोनों ही सदनों में प्रश्नकाल हंगामे की भेंट चढ़ गया। बुधवार सुबह 11 बजे लोकसभा व राज्यसभा में सदन की कार्यवाही शुरू होने पर दोनों सदनों में हंगामा हुआ। हंगामे के कारण दोनों सदनों की कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी।
जब 12 बजे सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू हुई, यहां दोनों सदनों में सरकार व मंत्रियों से प्रश्न पूछने के लिए प्रश्न काल होना था, लेकिन 12 बजे भी सदन में नारेबाजी जारी रही, जिसके कारण लोकसभा व राज्यसभा की कार्यवाही 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। हालांकि, 2 बजे भी यह हंगामा जारी रहा, जिसके कारण सदन की कार्यवाही को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया।
राष्ट्रीय समाचार
महाराष्ट्र सरकार 2006 के मुंबई ट्रेन बम विस्फोटों में बरी होने के मामले को सुप्रीम कोर्ट ले गई; कल सुनवाई तय

मुंबई: महाराष्ट्र सरकार ने 7/11 के 2006 के ट्रेन विस्फोट मामले में सभी 12 आरोपियों को बरी करने के बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई 24 जुलाई को तय की है।
11 जुलाई 2006 को हुए विस्फोटों के परिणामस्वरूप मुंबई की उपनगरीय रेल प्रणाली में 180 से अधिक व्यक्तियों की मृत्यु हो गई तथा अनेक अन्य घायल हो गए।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक विशेष अदालत द्वारा 2015 में दिए गए दोषसिद्धि के फ़ैसलों को रद्द कर दिया है, यह दर्शाता है कि अभियोजन पक्ष आरोपों की पुष्टि नहीं कर पाया। न्यायाधीशों ने कहा कि इस्तेमाल किए गए बमों के विशिष्ट प्रकार का निर्धारण नहीं किया गया था, और प्रस्तुत साक्ष्य दोषसिद्धि के लिए अपर्याप्त थे।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने 2006 के मुंबई ट्रेन विस्फोट मामले में सभी आरोपियों को बरी कर दिया और 2015 के विशेष अदालत के फैसले को पलट दिया, जिसमें कई लोगों को दोषी ठहराया गया था, जिनमें से पाँच को मौत की सजा सुनाई गई थी। हाई कोर्ट ने आरोपियों के खिलाफ आरोपों के समर्थन में विश्वसनीय सबूत पेश करने में विफल रहने के लिए आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) की आलोचना की। 11 जुलाई, 2006 को हुए बम विस्फोटों में 189 लोग मारे गए और 824 घायल हुए, जिसके बाद एटीएस ने व्यापक जाँच शुरू की।
अपने फैसले में, उच्च न्यायालय ने अभियोजन पक्ष के मामले से जुड़े कई मुद्दों की ओर इशारा किया, खासकर गवाहों की गवाही की विश्वसनीयता और दबाव में लिए गए बयानों की वैधता पर। अदालत ने कहा कि कई गवाह, जैसे टैक्सी चालक और बम विस्फोट देखने का दावा करने वाले व्यक्ति, विश्वसनीय और समय पर सबूत पेश करने में विफल रहे। उदाहरण के लिए, टैक्सी चालकों ने विस्फोटों के महीनों बाद तक अपनी मुठभेड़ों की रिपोर्ट नहीं दी, और उनकी गवाही में विसंगतियों ने उनकी विश्वसनीयता को और कमज़ोर कर दिया।
अदालत ने अभियुक्तों के इकबालिया बयानों को अविश्वसनीय पाया, और यह संकेत दिया कि उन्हें यातना देकर हासिल किया गया था। ज़ब्त किए गए विस्फोटकों को ठीक से संभालने और सील करने में अभियोजन पक्ष की असमर्थता ने सबूतों को कमज़ोर कर दिया, जिससे बम की सामग्री की पहचान नहीं हो पाई। न्यायाधीशों ने दोषसिद्धि से न्याय की झूठी भावना की आलोचना की और कहा कि इसमें व्यापक रूप से अन्य लोगों से उत्पन्न वास्तविक खतरे को नज़रअंदाज़ किया गया।
इस मामले की कमियों में स्वीकारोक्ति पर अत्यधिक निर्भरता और संदिग्ध प्रत्यक्षदर्शी पहचान शामिल थी। प्रक्रियात्मक अनियमितताओं, जैसे अनुचित पहचान परेड, के कारण मामला खारिज कर दिया गया। उच्च न्यायालय ने एक निष्पक्ष न्याय प्रणाली के महत्व पर बल देते हुए, एटीएस को उचित संदेह से परे अपराध साबित करने में विफल रहने का फैसला सुनाया। यह मामला साक्ष्य मानकों को बनाए रखने के महत्व और आतंकवाद के मुकदमों में आने वाली चुनौतियों को उजागर करता है, और गहन जाँच और विश्वसनीय साक्ष्य की आवश्यकता पर बल देता है।
राष्ट्रीय समाचार
बीएमसी द्वारा चिंताओं के समाधान का आश्वासन मिलने के बाद सफाई कर्मचारियों ने 23 जुलाई की हड़ताल वापस ले ली

मुंबई: बीएमसी द्वारा उनकी चिंताओं के समाधान का आश्वासन मिलने के बाद सफाई कर्मचारियों ने 23 जुलाई की अपनी प्रस्तावित हड़ताल वापस ले ली है। यह विरोध प्रदर्शन नगर निगम द्वारा शहर भर में कचरा प्रबंधन के लिए एक निजी एजेंसी नियुक्त करने के प्रस्ताव के विरोध में शुरू हुआ था। इस बीच, बीएमसी की कचरा प्रबंधन बोली में 24 कंपनियों ने रुचि दिखाई है। अधिकारियों का दावा है कि इस कदम से नगर निगम को सालाना 160 करोड़ रुपये की बचत हो सकती है।
अशांति के बारे में
यह अशांति बीएमसी द्वारा कचरा निपटान और परिवहन को आउटसोर्स करने के प्रस्ताव से उपजी है, जिससे 6,000 स्थायी और 1,500 संविदा मोटर लोडरों की नौकरी जाने का डर पैदा हो गया है। मंगलवार को, एमडब्ल्यूएसी ने नगर निगम के अधिकारियों से मुलाकात की, जिन्होंने नौकरी की सुरक्षा और श्रमिकों के परिजनों के लिए अधिमान्य नौकरियों सहित लैड-पेज समिति के लाभों को जारी रखने का आश्वासन दिया। एमडब्ल्यूएसी नेता रमाकांत बाने ने कहा, “चूँकि वादा किया गया आवास भी तेजी से पूरा किया जाएगा, इसलिए हम बैठक से संतुष्ट हैं और हड़ताल वापस ले ली गई है।”
1972 में गठित लैड-पेज समिति ने सफाई कर्मचारियों के उत्तराधिकारियों के लिए नौकरियों की सिफारिश की थी—जिसे 1979 से सरकारी प्रस्तावों के माध्यम से लागू किया गया। एक यूनियन नेता ने कहा, “बीएमसी ने आश्वासन दिया है कि निजीकरण के बाद सफाई विभाग में स्वीकृत 31,000 पदों में से किसी में भी कटौती नहीं की जाएगी। उन्होंने गैर-लाभकारी संगठनों के माध्यम से नियुक्त संविदा कर्मचारियों को उनके वेतन या भूमिका में बदलाव किए बिना नियमित करने पर भी सहमति व्यक्त की है। सोमवार को एक बैठक में बीएमसी और यूनियन के बीच समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए जाएंगे।”
नगर आयुक्त भूषण गगरानी ने कहा, “स्थायी मोटर लोडरों की नौकरियाँ नहीं जाएँगी। जहाँ तक संविदा कर्मचारियों का सवाल है, हम लंबित अदालती मामलों की समीक्षा करेंगे, लेकिन हम सकारात्मक बने हुए हैं।” इस बीच, कचरा संग्रहण और परिवहन के लिए बीएमसी के 4,000 करोड़ रुपये के टेंडर में 24 कंपनियों ने प्रतिक्रिया दी है, जिसमें कॉम्पैक्टर, मज़दूर, सार्वजनिक कूड़ेदान की आपूर्ति और कचरा पृथक्करण को बढ़ावा देना शामिल है। बोलियों का तकनीकी और वित्तीय मूल्यांकन बुधवार से शुरू होगा और इसमें एक महीना लग सकता है। दो बोलीदाताओं ने निविदा की विशिष्टताओं के कारण उन्हें बाहर किए जाने का आरोप लगाते हुए बॉम्बे उच्च न्यायालय का रुख किया है।
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