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Friday,16-May-2025
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राजस्थान : स्थानीय चुनाव जीतने वाले 17 राकांपा पार्षद भाजपा में शामिल

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BJP

राजस्थान में सत्तारूढ़ कांग्रेस को करारा झटका देते हुए टोंक जिले के निवाई से स्थानीय नगरपालिका चुनाव जीतने वाले 17 राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के पार्षद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए हैं, जिससे भाजपा के खाते में एक और सीट बढ़ गई है और अब पार्टी की जीत 25 सीटों पर हो गई है। गुरुवार को राज्य में 90 सीटों के लिए हुए स्थानीय चुनावों में सत्तारूढ़ कांग्रेस 19 सीटों तक ही सीमित रही।

स्थानीय नगरपालिका बोर्ड चुनाव सत्तारूढ़ कांग्रेस के साथ-साथ भाजपा के लिए भी एक प्रतिष्ठा का मुद्दा बन गया है। दोनों पार्टियां अधिकतम सीटों पर अपने बोर्ड बनाने के लिए कड़ी मशक्कत कर रही हैं।

राज्य की 90 सीटों पर हुए स्थानीय चुनावों में भाजपा ने 24 सीटें जीतीं, वहीं कांग्रेस को निर्दलीय उम्मीदवारों के समर्थन की उम्मीद है, जो बाकी सीटों पर असली किंगमेकर की भूमिका में उभरे हैं।

कांग्रेस के राजस्थान प्रभारी अजय माकन ने कहा कि पार्टी लगभग 52 सीटों पर अपना बोर्ड बनाएगी, जबकि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पुनिया ने उनके दावे पर सवाल उठा दिया, क्योंकि भाजपा ने 24 सीटें जीतीं, इसलिए कांग्रेस 52 सीटों पर अपने बोर्ड कैसे बना सकती थी।

राकांपा के पार्षदों ने कांग्रेस से बागी तेवर दिखाए, जो सत्तारूढ़ दल को छोड़कर राकांपा में शामिल हुए और अब उनका राज्य में भाजपा में विलय हो गया है।

राजनीतिक सूत्रों ने पुष्टि की कि कांग्रेस और भाजपा दोनों ही अपने बोर्ड बनाने के लिए 90 में से कम से कम 45 इकाइयों में अतिरिक्त प्रयास कर रहे हैं। इस बीच पार्षदों को एक साथ रखा जा रहा है, जहां चेयरपर्सन के मतदान के लिए उन्हें 7 फरवरी तक रहना होगा।

90 में से भाजपा और कांग्रेस कम से कम छह सीटों पर समान संख्या में हैं और इसलिए क्रॉस वोटिंग का खतरा है। यही वजह है कि दोनों पार्टियों ने क्रॉस वोटिंग को रोकने के लिए अपने उम्मीदवारों को एक साथ रखा है।

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राजनीति

विंग कमांडर व्योमिका सिंह पर टिप्पणी मामले में रामगोपाल ने दी सफाई, कहा- सीएम योगी ने पूरा बयान सुने बिना किया शेयर

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नई दिल्ली, 16 मई। विंग कमांडर व्योमिका सिंह पर जाति सूचक टिप्पणी देकर विवादों में घिरे समाजवादी पार्टी (सपा) के राज्यसभा सांसद रामगोपाल यादव ने सफाई दी है। उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट शेयर कर कहा कि मुझे आश्चर्य इस बात का है कि जिस मुख्यमंत्री की नाक के नीचे अल्पसंख्यकों, दलितों और पिछड़ों पर अकल्पनीय अत्याचार हो रहे हों, उन्होंने मेरा पूरा बयान बगैर सुने ही पोस्ट कर दिया।

सपा के राज्यसभा सांसद रामगोपाल यादव ने शुक्रवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “उत्तर भारत के कुछ राज्यों में विशेषकर उत्तर प्रदेश में जहां धर्म, जाति और वर्ग देखकर लोगों पर फर्जी मुकदमे लगाए जा रहे हों, जाति धर्म के आधार पर एनकाउंटर किए जा रहे हों, जाति धर्म के आधार पर गैंगस्टर लगाकर संपत्ति जब्त की जा रही हो, जाति धर्म और वर्ग देखकर महिलाओं पर अत्याचार किए जा रहे हों, जाति धर्म और वर्ग देखकर कर्मचारियों और अधिकारियों की पोस्टिंग की जाती हो, ऐसी विकृत मानसिकता के लोगों के बारे में कल मैंने एक कार्यक्रम में कहा था कि कर्नल सोफिया का धर्म नाम से पहचान लिए जाने के कारण गाली दी गईं। विदेश सचिव मिस्त्री को गाली दी गई। अगर इन गालीबाजों को ये पता चल जाता कि व्योमिका सिंह जाटव हैं और एयर मार्शल अवधेश भारती यादव हैं तो ये इन अफसरों को भी गालियां देने से बाज नहीं आते।”

उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा, “मुझे आश्चर्य इस बात का है कि जिस मुख्यमंत्री की नाक के नीचे अल्पसंख्यकों, दलितों और पिछड़ों पर अकल्पनीय अत्याचार हो रहे हों, उन्होंने मेरा पूरा बयान बगैर सुने ही पोस्ट कर दिया। जिन मीडिया चैनलों ने इस्लामाबाद और रावलपिंडी पर कब्जा कर लिया था, उनसे मुझे कोई शिकायत नहीं है, क्योंकि उन पर सत्ता पक्ष के अलावा किसी को विश्वास नहीं है।”

समाजवादी पार्टी के महासचिव रामगोपाल यादव ने एक जनसभा के दौरान विंग कमांडर व्योमिका सिंह के लिए जाति सूचक शब्दों का इस्तेमाल किया था। बयान के बाद उन्हें पूरे देश में आलोचना झेलनी पड़ रही है। रामगोपाल भाषण के दौरान व्योमिका सिंह का नाम भी भूल गए थे और कई बार उन्हें दिव्या के नाम से पुकारा था।

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राष्ट्रीय समाचार

भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता: 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार में सालाना 15 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान

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नई दिल्ली, 16 मई। भारत और ब्रिटेन के बीच द्विपक्षीय व्यापार में 2030 तक सालाना करीब 15 प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है। यह मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) एक साल में लागू हो जाएगा। यह जानकारी शुक्रवार को जारी एक लेटेस्ट रिपोर्ट में दी गई।

केयरएज रेटिंग्स की रिपोर्ट के अनुसार, भारत और ब्रिटेन के बीच हाल ही में संपन्न मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) भारतीय कंपनियों को ब्रिटेन के बाजार में अपनी उपस्थिति बढ़ाने, घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और आर्थिक विकास में योगदान देने का रणनीतिक अवसर प्रदान करता है।

केयरएज रेटिंग्स के एसोसिएट डायरेक्टर डी नवीन कुमार ने कहा, “यह ऐतिहासिक एफटीए निवेश, संयुक्त उद्यम और सेवा क्षेत्र में सहयोग को भी बढ़ावा देता है, जिससे आर्थिक संबंध मजबूत होते हैं। यह समझौता भारत-ब्रिटेन आर्थिक संबंधों में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है, व्यवसाय के लिए नए अवसर खोलता है, विनिर्माण को मजबूत करता है और उपभोक्ता बाजारों को समृद्ध करता है।”

वर्तमान में, ब्रिटेन और भारत के बीच व्यापार मूल्य भारत के कुल व्यापार मूल्य का लगभग 2 प्रतिशत है, हालांकि यह पिछले दशक में 11 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से लगातार बढ़ रहा है।

ब्रिटेन और भारत ने लगभग तीन वर्षों की बातचीत के बाद 6 मई को एक मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) किया।

समझौते के तहत, भारत 10 वर्षों की अवधि में 90 प्रतिशत ब्रिटिश वस्तुओं पर टैरिफ कम करेगा, जिसमें से 85 प्रतिशत पूरी तरह से शुल्क मुक्त हो जाएंगे।

बदले में, ब्रिटेन ने कुछ उत्पादों पर अपने टैरिफ को कम करने पर सहमति व्यक्त की है, जिसके परिणामस्वरूप भारत के यूके को निर्यात किए जाने वाले 99 प्रतिशत निर्यात पर कोई शुल्क नहीं लगेगा।

रिपोर्ट में बताया गया है, “भारतीय निर्यातकों के लिए एफटीए के कुछ लाभों में बाजार तक बेहतर पहुंच, स्थिर सप्लाई चेन, बढ़ी प्रतिस्पर्धा, अधिक मात्रा और विकास के नए रास्ते शामिल होंगे।”

एफटीए से टैरिफ में कमी, व्यापार बाधाओं में ढील, बाजार में बेहतर पहुंच और भारतीय उत्पादों को अधिक मूल्य प्रतिस्पर्धी बनाकर भारत के निर्यात को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है, जिससे ब्रिटेन में उनकी मांग बढ़ेगी।

इसके अतिरिक्त, इससे उन निर्यातकों को कुछ राहत मिली है, जो सुस्त बिक्री और अमेरिका से संभावित पारस्परिक टैरिफ के बारे में अनिश्चितता का सामना कर रहे हैं।

ऑटोमोबाइल, व्हिस्की, औद्योगिक मशीनरी और फार्मास्यूटिकल्स जैसे प्रमुख क्षेत्रों में, टैरिफ में भारी कटौती और सरलीकृत विनियमों के माध्यम से महत्वपूर्ण लाभ होने की संभावना है।

रिपोर्ट के अनुसार, भारत-ब्रिटेन एफटीए ब्रिटेन के समृद्ध उपभोक्ता आधार और अच्छी तरह से विकसित लक्जरी बाजार का लाभ उठाकर भारतीय रत्न और आभूषण निर्माताओं के लिए पर्याप्त अवसर पैदा करने के लिए तैयार है।

विभिन्न विद्युत और इंजीनियरिंग वस्तुओं के लिए टैरिफ 8 प्रतिशत से 14 प्रतिशत तक हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत-ब्रिटेन एफटीए के तहत इनके हटने से भारतीय निर्माता अन्य ग्लोबल सप्लायर्स पर स्पष्ट प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त हासिल करने के लिए तैयार हैं।

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बॉलीवुड

एआई और डीपफेक मामले पर आज सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

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नई दिल्ली,16 मई। एआई और डीपफेक मामले को लेकर दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को सुनवाई करेगा। एआई और डीपफेक के गलत इस्तेमाल को रोकने के लिए सख्त नियम बनाए जाने की मांग के साथ याचिका दाखिल की गई है।

मांग की गई है कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर एआई जेनरेटेड या डीपफेक कंटेंट की पहचान करने और उसे हटाने के लिए नियम बनाए जाएं। इसमें केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को पक्षकार बनाया गया है।

बता दें, डीपफेक की समस्या वैश्विक और गंभीर बनती जा रही है। तकनीक के जरिए किसी तस्वीर या वीडियो में किसी व्यक्ति की जगह अन्य व्यक्ति की तस्वीर लगा दी जाती है। इससे किसी को भी गुमराह किया जा सकता है और गलत सूचना फैलाई जा सकती है। डीपफेक वीडियो एक बार पोस्ट हो जाए तो शिकायत की जा सकती है। इस पर 72 घंटे में कार्रवाई भी होती है, लेकिन नुकसान यह है कि तब तक वीडियो सोशल मीडिया पर कई बार शेयर हो चुका होता है।

देश की तमाम हस्तियां डीपफेक का शिकार हो चुकी हैं। अभिनेत्री रश्मिका मंदाना का एक डीपफेक वीडियो वायरल हुआ था, जिसे लेकर एक शख्स की गिरफ्तारी भी हुई थी। इसके बाद मंदाना का एक और डीपफेक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें वह लाल रंग की बिकनी पहने किसी झरने के नीचे खड़ी दिखी थीं।

डीपफेक का शिकार होने वाली हस्तियों की लिस्ट में रश्मिका मंदाना अकेले नहीं हैं। अभिनेत्री आलिया भट्ट, प्रियंका चोपड़ा, नोरा फतेही, भारतीय क्रिकेटर विराट कोहली, सचिन तेंदुलकर, टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन दिवंगत रतन टाटा, इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति का भी फेक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था।

अभिनेत्री और भाजपा से मथुरा की सांसद हेमा मालिनी ने हाल ही में डीपफेक पर चिंता जाहिर करते हुए इसका मुद्दा लोकसभा में उठाया था। उन्होंने कहा था, “एक्टर्स ने वर्षों की मेहनत से अपनी पहचान बनाई, लेकिन डीपफेक के जरिए फर्जी वीडियो बनाकर उनकी छवि को धूमिल किया जा रहा है। ये वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से फैलते हैं और पीड़ितों के मन पर गहरा असर डालते हैं।

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