राष्ट्रीय समाचार
रायबरेली: होली के दिन 28 गांव के लोग मानते हैं शोक, जानिए क्यों

रायबरेली, 12 मार्च। देशभर में शुक्रवार को होली धूमधाम से मनाई जाएगी। लेकिन उत्तर प्रदेश के रायबरेली में एक ऐसा क्षेत्र है जहां होली के दिन लोग रंग और गुलाल नहीं उड़ाते।
होली के दिन जहां लोग रंगों की फुहारों का आनंद लेते हैं, वहीं रायबरेली के डलमऊ में होली के दिन 28 गांवों में शोक मनाया जाता है। इन गांवों के लोग होली के पर्व के तीन दिन बाद होली खेलते हैं।
डलमऊ के नगर पंचायत अध्यक्ष ब्रजेश दत्त गौड़ ने बताया कि डलमऊ में होली के दिन 28 गांवों में शोक मनाया जाता है। यह 700 वर्ष पुरानी परंपरा है। होली के दिन राजा डालदेव के बलिदान के कारण शोक की परंपरा आज भी चली आ रही है।
उन्होंने बताया कि 1321ई. में राजा डालदेव होली का जश्न मना रहे थे। इस दौरान जौनपुर के राजा शाह शर्की की सेना ने डलमऊ के किले पर आक्रमण किया था। राजा डालदेव युद्ध करने के लिए 200 सिपाहियों के साथ मैदान में कूद पड़े थे। शाह शर्की की सेना से युद्ध करते समय पखरौली गांव के निकट राजा डलदेव वीरगति को प्राप्त हो गए थे।
इस युद्ध में राजा डालदेव के 200 सैनिकों ने अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे। जबकि, शाह शर्की के दो हजार सैनिक मारे गए थे। डलमऊ तहसील क्षेत्र के 28 गांवों में होली आते ही उस घटना की यादें ताजा हो जाती हैं।
युद्ध में राजा के बलिदान के कारण 28 गांवों में आज भी तीन दिनों का शोक मनाया जाता है। रंगों का त्योहार आते ही डलमऊ की ऐतिहासिक घटना की याद ताजा हो जाती है, जिसके कारण लोग होली का आनंद नहीं लेते और शोक में डूबे रहते हैं।
राष्ट्रीय समाचार
एनआईटी एडमिशन : 40 हजार सीटों के लिए 14.5 लाख से अधिक छात्र करेंगे प्रतिस्पर्धा

नई दिल्ली, 29 अप्रैल। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान राउरकेला (एनआईटी राउरकेला) को शिक्षा मंत्रालय ने एनआईटी प्लस सिस्टम’ के तहत देशभर के 31 एनआईटी में दाखिला प्रकिया की जिम्मेदारी सौंपी है। इसके अलावा एनआईटी राउरकेला विदेशी नागरिकों के एडमिशन की प्रक्रिया को भी देखेगा।
डीएएसए योजना के अंतर्गत अंडर ग्रेजुएट कार्यक्रमों में विदेशी नागरिकों को डायरेक्ट प्रवेश दिया जाएगा। अनुमान है कि जेईई (मेन) में उत्तीर्ण होने वाले करीब 14.5 लाख से अधिक छात्र इन 31 एनआईटी संस्थानों में दाखिले के लिए प्रतिस्पर्धा करेंगे। एनआईटी समेत अन्य संबंधित संस्थानों में लगभग 40 हजार सीटें हैं। इनमें महिला उम्मीदवारों के लिए 20 प्रतिशत सीटें आरक्षित हैं। पंजीकरण व विकल्प भरने से लेकर सीट आवंटन और दस्तावेज सत्यापन तक की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी।
एनआईटी राउरकेला एनआईटी प्लस सिस्टम का नेतृत्व करेगा। वहीं आईआईटी कानपुर आईआईटी सिस्टम का नेतृत्व करेगा। ये दोनों संस्थान एक बार फिर से संयुक्त सीट आवंटन प्राधिकरण (जोसा) के 2025 संस्करण की सह-मेजबानी भी करेंगे। जोसा 2025 की गतिविधियां जून 2025 के पहले सप्ताह में शुरू होंगी। एनआईटी राउरकेला ने पुष्टि की है कि जोसा के 2025 संस्करण में सीट आवंटन के छह राउंड होंगे। भारत सरकार द्वारा शैक्षणिक वर्ष 2025-26 के लिए इन्हें केंद्रीय सीट आवंटन बोर्ड (सीएसएबी 2025) के समन्वय की यह जिम्मेदारी सौंपी है।
‘एनआईटी प्लस सिस्टम’ के तहत 31 एनआईटी व कई अन्य सरकारी वित्त पोषित तकनीकी संस्थानों में एडमिशन दिया जाएगा। पिछले वर्षों की तरह, इस वर्ष भी सभी राउंड पूरे होने के बाद खाली सीटों को भरने के लिए स्पेशल राउंड का आयोजन किया जाएगा। इस वर्ष, सीएसएबी-स्पेशल तीन राउंड का होगा। सीएसएबी अंडमान एवं निकोबार, लक्षद्वीप, दमन एवं दीव, तथा दादरा एवं नगर हवेली जैसे केंद्र शासित प्रदेशों के विद्यार्थियों के लिए चयनित एनआईटी में सीट आवंटन के अतिरिक्त चरण का समन्वय करेगा।
एनआईटी राउरकेला के निदेशक और सीएसएबी एवं डीएएसए 2025 के अध्यक्ष प्रो. के. उमामहेश्वर राव ने कहा, “सीएसएबी 2025 को पूरे देश में जेईई (मेन) उत्तीर्ण उम्मीदवारों के लिए एक सहज, पारदर्शी और समावेशी सीट आवंटन प्रक्रिया प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है। साथ ही, डीएएसए 2025 भारत के अग्रणी तकनीकी संस्थानों में अंतर्राष्ट्रीय छात्रों का स्वागत करने के लिए हमारी निरंतर प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। हम सभी उम्मीदवारों के लिए एक सहज और छात्र-केंद्रित प्रवेश प्रक्रिया सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।”
एनआईटी राउरकेला ने यह भी पुष्टि की है कि पूर्वोत्तर राज्यों और चुनिंदा केंद्र शासित प्रदेशों के उम्मीदवारों के लिए सीएसएबी-एनईयूटी दौर जून 2025 में शुरू होगा। मानक सरकारी मानदंडों के अलावा, एनआईटी प्लस सिस्टम में यूजी प्रवेश के लिए सीट आवंटन जेईई (मेन) 2025 में उम्मीदवारों द्वारा प्राप्त रैंक के आधार पर होगा। सीएसएबी 2025 की पूरी प्रक्रिया के दौरान उम्मीदवारों की सहायता के लिए एनआईटी राउरकेला स्थित सीएसएबी 2025 मुख्यालय में असमिया, बंगाली, अंग्रेजी, हिंदी, कन्नड़, मलयालम, मराठी, ओडिया, तमिल और तेलुगु भाषाओं में एक बहुभाषी हेल्पडेस्क स्थापित किया गया है।
इसके अतिरिक्त, अभ्यर्थियों की सहायता के लिए कुल 53 सहायता केन्द्र भी स्थापित किए गए हैं। ये केंद्र सहायता प्रत्येक राज्य व केंद्र शासित प्रदेश में बनाए गए हैं। वहीं दिव्यांग उम्मीदवारों की सहायता के लिए एक समर्पित हेल्पडेस्क भी चालू किया जाएगा। इसके अलावा, दिव्यांग उम्मीदवारों की पहुँच बढ़ाने के लिए इमर्सिव रीडर फॉर्मेट में सहायता दस्तावेज जल्द ही उपलब्ध कराए जाएंगे।
राष्ट्रीय समाचार
हिरासत में मौत के मामले में संजीव भट्ट को झटका, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की जमानत याचिका

नई दिल्ली, 29 अप्रैल। गुजरात के पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने 1990 के हिरासत में मौत के मामले को लेकर संजीव भट्ट की ओर से दाखिल की गई जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। हालांकि, कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा के खिलाफ दाखिल संजीव भट्ट की अपील पर सुनवाई में तेजी लाने पर सहमति जताई।
जानकारी के अनुसार, पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट ने 1990 के एक हिरासत में मौत के मामले में अपनी उम्रकैद की सजा पर रोक लगाने और जमानत देने की मांग की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी।
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने मंगलवार को कहा, “संजीव भट्ट की जमानत की मांग को खारिज किया जाता है। इससे अपील की सुनवाई पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। अपील की सुनवाई जल्दी की जाएगी।”
बता दें कि 1990 के हिरासत में मौत के मामले में संजीव भट्ट को दोषी ठहराया गया था। वह जुलाई 2019 से आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं।
इससे पहले, पिछले साल अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट पर 3 लाख रुपए का जुर्माना लगाया था।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की पीठ ने कहा था, “जुर्माने की रकम गुजरात उच्च न्यायालय अधिवक्ता कल्याण कोष में जमा की जाएगी।”
याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति नाथ ने पूछा था, “आप कितनी बार सुप्रीम कोर्ट गए हैं? कम से कम एक दर्जन बार?”
इसके अलावा, भट्ट पर संपत्ति विवाद के कारण एक वकील को परेशान करने के लिए झूठा मामला दर्ज कराने का भी आरोप है। यह मामला 1996 का है, जब बनासकांठा पुलिस ने राजस्थान के पालनपुर में एक वकील के होटल के कमरे से ड्रग्स जब्त किया था। उस समय भट्ट बनासकांठा में पुलिस अधीक्षक के रूप में कार्यरत थे और उन्हें सितंबर 2018 में मामले में गिरफ्तार किया गया था।
राजनीति
21वीं सदी की जरूरतों के अनुसार आधुनिक बनाई जा रही देश की शिक्षा प्रणाली : पीएम मोदी

नई दिल्ली, 29 अप्रैल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत मंडपम में आयोजित ‘युग्म कॉन्क्लेव’ में हिस्सा लिया। इस दौरान पीएम मोदी ने मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि देश का भविष्य उसकी युवा पीढ़ी पर निर्भर होता है, इसलिए ये जरूरी है कि हम अपने युवाओं के भविष्य के लिए और उनको भारत के उज्ज्वल भविष्य के लिए तैयार करें।
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में आगे कहा कि आज यहां सरकार, एकेडमी, साइंस और रिसर्च से जुड़े भिन्न-भिन्न क्षेत्र के लोग इतनी बड़ी संख्या में उपस्थित हैं। इस एकजुटता को ही युग्म कहते हैं। एक ऐसा युग्म जिसमें विकसित भारत के फ्यूचर टेक से जुड़े स्टेकहोल्डर्स एक साथ जुड़े हैं, एक साथ जुटे हैं। मुझे विश्वास है, हम जो भारत की इनोवेशन कैपेसिटी और डीप टेक में भारत की भूमिका को बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं, उसे इस आयोजन से बल मिलेगा।
पीएम मोदी ने आगे कहा कि किसी भी देश का भविष्य उसके युवाओं पर निर्भर करता है, इसलिए उन्हें भारत के उज्ज्वल भविष्य के लिए तैयार करना बहुत जरूरी है। इसमें शिक्षा की अहम भूमिका है। इसलिए हम 21वीं सदी की जरूरतों को पूरा करने के लिए अपनी शिक्षा प्रणाली को आधुनिक बना रहे हैं। नई शिक्षा नीति इस बदलाव को आगे बढ़ा रही है। देश में नई नई शिक्षा नीति लाई गई है। इसे शिक्षा के वैश्विक मानक को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। नई शिक्षा नीति आने के बाद हम भारतीय एजुकेशन सिस्टम में बड़ा बदलाव भी देख रहे हैं। कक्षा 1 से 7 तक के लिए नई पाठ्यपुस्तकें तैयार हो चुकी हैं। पीएम ई-विद्या और दीक्षा प्लेटफॉर्म जैसी पहल पूरे देश में एकीकृत शिक्षा प्रणाली का निर्माण कर रही हैं। इस परिवर्तन का समर्थन करने के लिए एआई द्वारा संचालित एक मजबूत डिजिटल बुनियादी ढांचा बनाया जा रहा है।
उन्होंने आगे कहा कि किसी भी देश का भविष्य उसकी युवा पीढ़ी पर निर्भर होता है, इसलिए ये जरूरी है कि हम अपने युवाओं के भविष्य के लिए और उनको भारत के उज्ज्वल भविष्य के लिए तैयार करें। इसमें बड़ी भूमिका देश के एजुकेशन सिस्टम की भी होती है, इसलिए हम देश के एजुकेशन सिस्टम को 21वीं सदी की जरूरतों के मुताबिक आधुनिक बना रहे हैं। अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने और इसे आगे बढ़ाने के लिए, भारत के अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने की आवश्यकता है। हमने इस दिशा में लगातार काम किया है।
पीएम मोदी ने आगे कहा कि दीक्षा मंच के तहत वन नेशन, वन डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण किया गया है। ये इंफ्रास्ट्रक्चर एआई आधारित है। इसका उपयोग कई देशों में पाठ्यपुस्तकें तैयार करने में किया जा रहा है। वन नेशन, वन सब्सक्रिप्शन ने युवाओं को ये भरोसा दिया है कि सरकार उनकी जरूरतों को समझती है। आज इस योजना की वजह से उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों तक विश्व स्तरीय शोध पत्रिकाओं तक पहुंचना आसान हो गया है। भारत के विश्वविद्यालय परिसर आज नए गतिशील केंद्र बन रहे हैं। ऐसे केंद्र, जहां युवा शक्ति सफलता के नवाचारों को बढ़ावा दे रही है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि भारतीय युवाओं को किसी भी तरह की बाधा का सामना न करना पड़े, प्रधानमंत्री अनुसंधान फेलोशिप की स्थापना की गई है। हमने विकसित भारत के लक्ष्य के लिए अगले 25 वर्षों की समयसीमा तय की है। हमारे पास समय सीमित है, लक्ष्य बड़े हैं।
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