अंतरराष्ट्रीय
कतर ने फीफा विश्व कप से जुड़े चौथे स्टेडियम को दुनिया के सामने पेश किया
कतर के नेशनल डे पर 48वें आमिर कप फाइनल की मेजबानी करने वाले अल रयान स्थित अहमद बिन अली स्टेडियम को फीफा विश्व कप 2022 के चौथे टूर्नामेंट रेडी वेन्यू के तौर पर दुनिया के सामने पेश किया गया। भारत की सबसे बड़ी निर्माण फर्म- लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड (एल एंड टी) ने कतर के ठेकेदार अल बालाघ ट्रेडिंग एंड कॉन्ट्रैक्टिंग के साथ मिलकर वास्तुशिल्प के इस चमत्कार का निर्माण किया है।
अल रयान स्पोर्टस क्लब के नए घर अहमद बिन अली स्टेडियम के अलावा मध्य पूर्व और अरब जगत में पहली बार होने जा रहे फीफा विश्व कप के लिए खलीफा इंटरनेशनल स्टेडियम, अल जानोब और एजुकेशन सिटी स्टेडियम को पहले ही तैयार घोषित किया जा चुका है। 40 हजार दर्शक क्षमता वाले अहमद बिन अली स्टेडियम को अंतिम-16 राउंड तक कुल सात मैचों की मेजबानी का हक दिया गया है।
आमिर कप फाइनल से पहले आयोजित शानदार समारोह में संगीत, सास्कृतिक प्रदर्शन और नायाब विजुअल इफेक्ट्स दिखाए गए। इसके बाद अल साद और अल अरबी के बीच फाइनल मुकाबला शुरू हुआ। अल साद ने यह मैच 2-1 से जीतते हुए 17वीं बार आमिर कप खिताब अपने नाम किया। यह मैच सोशल डिस्टेंसिंग के बीच 20 हजार दर्शकों की मौजूदगी में खेला गया।
फीफा अध्यक्ष गियानी इंफैंटीनो भी इस मैच के लिए स्टेडियम में मौजूद थे। इंफैंटीनो ने कतर 2022 के एक और टूर्नामेंट वेन्यू के सफल निर्माण पर एससी (सुप्रीम कमिटि फार डिलिवरी एंड लेगेसी) की सराहना की।
इंफैंटीनो ने कहा, “अहमद बिन अली स्टेडियम फुटबाल का एक शानदार वेन्यू है। यहां का माहौल शानदार है क्योंकि स्टेडियम की सीटें पिच के काफी करीब हैं। सोशल डिस्टेंसिंग के बीच मैंने खेल के जुनून को महसूस किया। मुझे यकीन है कि 2022 में जब कतर विश्व कप की मेजबानी कर रहा होगा तब यह स्टेडियम परफेक्ट फुटबाल एरेना साबित होगा।”
एक डिकंस्ट्रक्टेड स्टेडियम की साइट पर निर्मित, नया स्थल कतर के मॉल से सटा हुआ है और दोहा मेट्रो की ग्रीन लाइन पर स्थित अल रिफा स्टेशन से पैदल दूरी पर है। स्टेडियम की सबसे विशिष्ट विशेषता एक शानदार अग्रभाग है, जिसमें जो पैटर्न शामिल किए गए हैं वो कतर के विभिन्न पहलुओं की विशेषता का बखान करते हैं। इन पहलुओं में परिवार का महत्व, रेगिस्तान की सुंदरता, देशी वनस्पतियों और जीवों तथा स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार प्रमुख हैं। एक पांचवां आकार भी इस स्टेडयम के अग्रभाग में जो एक ढाल की तरह है और ताकत और एकता का प्रतिनिधित्व करता है और जो विशेष रूप से अल रेयान शहर के लिए प्रासंगिक है।
एससी (सुप्रीम कमिटि फार डिलिवरी एंड लेगेसी) के महासचिव एच.ई. हसन अल थावाडी ने कहा, “कतर नेशनल डे पर अहमद बिन अली स्टेडियम का उद्घाटन 2022 की दिशा में एक और मील का पत्थर है। साथ ही यह वैश्विक महामारी के समय एसे शानदार इवेंट के आयोजन में शरीक सभी लोंगों की जीत है।”
फीफा विश्व कप कतर 2022 एलएलसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी नासेर अल खातेर ने कहा, “हम कतर 2022 फैन एक्सपीरिएंस को अगले साल और बेहतर करने की कोशिश करेंगे क्योंकि अगले साल हम कुछ बड़े टूनार्मेंट्स का आयोजन करेंगे, जिनमें फीफा क्लब वलर्ड कप और फीफा अरब कप शामिल हैं। हमें यकीन है कि ये इवेंट्स कतर ही नही बल्कि अरब जगत और दुनिया भर के फुटबाल फैन्स को रोमांचित करने में सफल होंगे।”
अल साद और अल अरबी के बीच फाइनल मुकाबले को देखने वाली फुटबाल जगत की नामी हस्तियों में एशियाई फुटबाल परिसंघ (एएफसी) के अध्यक्ष एच.ई. शेख सलमान बिन इब्राहिम अल खलीफा, यूईएफए के अध्यक्ष एलेक्सजेंडर केफेरिन और सैमुएल एटो, टिम काहिल, मोहम्मद अबोतरिका और अली अल हब्सी जैसे स्टार फुटबालर शामिल रहे।
अंतरराष्ट्रीय
बांग्लादेश में यूनुस की अंतरिम सरकार के तहत हिरासत में मौतों में वृद्धि, अवामी लीग ने जताई चिंता

ढाका, 24 दिसंबर : बांग्लादेश की अवामी लीग ने बुधवार को आरोप लगाया कि मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के तहत देश भर में जेल और पुलिस कस्टडी में मौतें तेजी से बढ़ी हैं। पार्टी ने पहले भी दावा किया है कि उनके नेताओं और कार्यकर्ताओं को जेल में बंद किया जा रहा है और सुनियोजित तरीके से उन्हें मौत के घाट उतारा जा रहा है।
अवामी लीग ने यूनुस सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि हिरासत सुरक्षा के बजाय डर का जरिया बन गई है। लोगों को गिरफ्तार किया जा रहा है और मृत लौटाया जा रहा है। इसे लेकर सरकार की तरफ से ना तो साफतौर पर स्थिति के बारे में बताया जा रहा है और ना ही जवाबदेही ली जा रही है। हिरासत का समय सुधार का होना चाहिए था, लेकिन सरकार की कस्टडी में लोगों की सुरक्षा करने की जिम्मेदारी में एक खतरनाक गिरावट देखने को मिल रही है।
अवामी लीग के मुताबिक, यह कोई मानवाधिकार का तर्क नहीं है, बल्कि मौतों का एक साफ पैटर्न है। इस पैटर्न के तहत अवामी लीग के कार्यकर्ता और नेता बार-बार पीड़ितों के बीच दिखाई दे रहे हैं।
अवामी लीग ने कहा, ”कई लोगों को राजनीतिक रूप से चार्ज किए गए मामलों में हिरासत में लिया गया, लंबे समय तक रखा गया, और सही मेडिकल केयर नहीं दी गई। उनकी मौतों को अक्सर बीमारी या आत्महत्या बताकर टाल दिया जाता है। इससे यह भावना और मजबूत होती है कि कस्टडी एक ऐसी जगह बन गई है, जहां जिम्मेदारी चुपचाप खत्म हो जाती है। यहीं पर राजनीतिक जिम्मेदारी जरूरी हो जाती है। यूनुस सरकार सकारात्मक वादा करके सत्ता में आई थी। वह उम्मीद अब झूठी साबित हुई है।”
अवामी लीग ने यूनुस पर न सिर्फ बदलाव लाने में नाकाम रहने का, बल्कि भरोसा देकर जनता को गुमराह करने का भी आरोप लगाया। पार्टी की ओर से जारी बयान में कहा गया, “यूनुस की सरकार ने जवाबदेही के बजाय चुप्पी और जिम्मेदारी के बजाय इनकार को चुना है। इसकी वजह से ऐसा माहौल बना है, जहां बिना किसी नतीजे के गलत काम फल-फूल रहे हैं। दखल देने, जांच का आदेश देने या सुधार लागू करने से इनकार करके, यूनुस ने हिरासत में मौत को असल में सामान्य बना दिया है।”
बयान में आगे कहा गया, ”जिस चीज पर कभी गुस्सा भड़कता था, उसे अब रोज का काम माना जाता है। आज के बांग्लादेश में, गिरफ्तारी अब कानून की सुरक्षा का संकेत नहीं है। यह एक ऐसे राज्य के सामने आने का संकेत है, जिसने बंदियों को जिंदा रखने की अपनी जिम्मेदारी छोड़ दी है।”
पिछले साल के आंकड़ों का हवाला देते हुए, अवामी लीग ने बताया कि यूनुस शासन के तहत कम से कम 119 लोग जेल में मारे गए, जबकि 21 अन्य पुलिस हिरासत में मारे गए। इसके अलावा, 26 लोग गैर-कानूनी कामों में मारे गए, और 106 लोग राजनीतिक हिंसा से जुड़ी घटनाओं में मारे गए। कुल आंकड़े बांग्लादेश के अधिकारियों द्वारा हिरासत और पब्लिक ऑर्डर को संभालने में गंभीर खराबी का संकेत देते हैं।
अवामी लीग का कहना है, “इन मौतों को अब नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। ये राजनीतिक पसंद को दिखाती हैं। दखल देने, जांच करने या सुधार करने में यूनुस सरकार नाकाम रही।”
अंतरराष्ट्रीय
बांग्लादेश भारत के बिना नहीं रह सकता है, हमारे ऊपर वह निर्भर है : पूर्व राजनयिक महेश कुमार सचदेव

नई दिल्ली, 22 दिसंबर : बांग्लादेश में जिस तरह के हालात हैं, उसकी वजह से भारत में भी लोगों के अंदर नाराजगी देखी जा रही है। चुनाव की तारीख के ऐलान के बाद से बांग्लादेश में हिंसा में बढ़ोतरी देखी जा रही है। खासतौर से बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू युवक को जिस बर्बरता के साथ मौत के घाट उतारा गया और फिर उसके शव को आग के हवाले किया गया, इसकी खूब आलोचना हो रही है।
इस बीच पूर्व डिप्लोमैट महेश कुमार सचदेव ने बांग्लादेश के हालात को लेकर आईएएनएस के साथ खास बातचीत की है।
भारत और बांग्लादेश के बीच तनाव को लेकर पूर्व राजनयिक महेश कुमार सचदेव ने कहा, “12 फरवरी को होने वाले चुनाव से पहले कुछ समय के लिए तनाव हो सकता है। लेकिन लंबे समय में, अच्छे पड़ोस और ठोस आर्थिक तालमेल का लॉजिक दोनों देशों के रिश्तों को बनाए रखेगा।”
उन्होंने कहा, “बांग्लादेश और भारत के बीच रिश्ता ऐतिहासिक है। दोनों ही दक्षिणी एशिया के इलाके का हिस्सा हैं, और दोनों देशों के लोगों के बीच गहरी दोस्ती है। लेकिन अभी कुछ चुनौतियां हैं। मैं इसे इसी नजरिए से देखता हूं, और मेरे हिसाब से, ये चुनौतियां कुछ समय के लिए हैं, और ये राजनीतिक वजहों से हैं। उम्मीद है कि ये जल्द ही हल हो जाएंगी।”
दोनों देशों के बीच इस तनाव के असर को लेकर महेश कुमार सचदेव ने कहा, “मुझे नहीं लगता कि लंबे समय में कोई बड़ी समस्या होगी। लेकिन शॉर्ट टर्म में साफ है कि यह तनाव है। इसे इनकार नहीं किया जा सकता। शेख हसीना पहले भारत को समर्थन करती थीं और वह लंबे समय तक बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रही हैं। उनके निर्वासन को लेकर ये हुआ है, क्योंकि वह भारत में हैं। और उनके विरोधी इस समय सत्ता में हैं, या सत्ता के करीब हैं। क्योंकि बांग्लादेश में 12 फरवरी को चुनाव होने हैं। इसलिए, राजनीतिक कारणों से भारत विरोध की लहर चल रही है, जो कि काफी निंदनीय है। ऐसे लोग गैर-जिम्मेदाराना तरीके से बर्ताव कर रहे हैं। वे अपने ही देश में हालात को और मुश्किल बना रहे हैं। चाहे वह समाज हो या उनका धर्मनिरपेक्षता की नीति का विरोध हो।”
कुमार सचदेव ने कहा, “वो दिखाना चाहते हैं कि जो भारत है, बांग्लादेश उसका उल्टा है। यह बड़ा ही सहज तरीका है, क्योंकि उनके पास उपलब्धियों के नाम पर बहुत कम चीजें हैं। उनके पास नकारात्मक उपलब्धियां हैं और जनअसंतोष को विपरीत करने के लिए उसकी दिशा बदलने के लिए भारत जैसे बड़े पड़ोसी के ऊपर दोषारोपण करना चाहते हैं। यह एक अल्पकालिक तरीका है। बांग्लादेश भारत के बिना नहीं रह सकता है, क्योंकि उसकी भारत पर काफी निर्भरता है।”
बांग्लादेश से जुड़े खतरे की चिंता को लेकर उन्होंने कहा, “बांग्लादेश में इस्लामिक चरमपंथियों की जो परिस्थितियां बन रही हैं, उससे भारत को अपने पड़ोसी और पड़ोस के राज्यों में दूर तक भी एक समस्या का सामना करना पड़ सकता है। ये समस्याएं नई नहीं हैं। भारत ने पिछले 40 सालों में कई बार भारत के बाहर से आतंकवाद का सामना किया है। बांग्लादेश से पहले भी सामना किया जा चुका है और यह फिर से परिस्थितियां इस तरह से जटिल हो जाती हैं, और बांग्लादेश एक पनाह की जगह बन जाती है, जो भारत पर हजारों टुकड़ों में प्रतिघात करना चाहता है। भारत को इससे सावधान रहने की जरूरत है।”
अंतरराष्ट्रीय
प्रधानमंत्री मोदी और न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन ने दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौते की घोषणा की।

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार (22 दिसंबर) को अपने न्यूजीलैंड समकक्ष क्रिस्टोफर लक्सन से टेलीफोन पर बातचीत की। दोनों नेताओं ने “ऐतिहासिक, महत्वाकांक्षी और पारस्परिक रूप से लाभकारी” भारत-न्यूजीलैंड मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के सफल समापन की घोषणा की।
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने एक बयान में कहा, “मार्च 2025 में प्रधानमंत्री लक्सन की भारत यात्रा के दौरान वार्ता शुरू होने के बाद, दोनों नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि रिकॉर्ड 9 महीनों में मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) का संपन्न होना दोनों देशों के बीच संबंधों को और गहरा करने की साझा महत्वाकांक्षा और राजनीतिक इच्छाशक्ति को दर्शाता है।”
प्रधानमंत्री कार्यालय ने आगे कहा, “यह मुक्त समझौता द्विपक्षीय आर्थिक जुड़ाव को काफी गहरा करेगा, बाजार पहुंच को बढ़ाएगा, निवेश प्रवाह को बढ़ावा देगा, दोनों देशों के बीच रणनीतिक सहयोग को मजबूत करेगा और साथ ही दोनों देशों के नवोन्मेषकों, उद्यमियों, किसानों, लघु एवं मध्यम उद्यमों, छात्रों और युवाओं के लिए विभिन्न क्षेत्रों में नए अवसर खोलेगा।”
दोनों नेताओं ने अगले पांच वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करने के साथ-साथ अगले 15 वर्षों में न्यूजीलैंड द्वारा भारत में 20 अरब अमेरिकी डॉलर के निवेश पर विश्वास व्यक्त किया।
प्रधानमंत्री मोदी और उनके न्यूजीलैंड समकक्ष ने खेल, शिक्षा और जन-जन संबंधों जैसे द्विपक्षीय सहयोग के अन्य क्षेत्रों में हासिल की गई प्रगति का स्वागत किया और भारत-न्यूजीलैंड साझेदारी को और मजबूत करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
इस साल नवंबर में, भारत और न्यूजीलैंड ने ऑकलैंड और रोटोरुआ में मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर वार्ता के चौथे दौर को सफलतापूर्वक संपन्न किया।
वित्तीय वर्ष 2024-25 में न्यूजीलैंड के साथ भारत का द्विपक्षीय व्यापार 1.3 अरब अमेरिकी डॉलर रहा, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 49 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) से कृषि, खाद्य प्रसंस्करण, नवीकरणीय ऊर्जा, फार्मास्यूटिकल्स, शिक्षा और सेवाओं जैसे क्षेत्रों में और अधिक संभावनाएं खुलने की उम्मीद है, जिससे व्यवसायों और उपभोक्ताओं दोनों के लिए नए अवसर पैदा होंगे।
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