राजनीति
पीएम मोदी 1 मार्च से तीन दिवसीय गुजरात दौरे पर, राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की बैठक की करेंगे अध्यक्षता
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नई दिल्ली, 1 मार्च। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार से तीन दिवसीय गुजरात दौरे पर रहेंगे। अपने दौरे के दौरान पीएम मोदी सोमनाथ मंदिर में दर्शन-पूजन के लिए भी जाएंगे।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पीएम मोदी शनिवार (1 मार्च) शाम को लगभग 7 बजे जामनगर पहुंचेंगे और वहीं रात्रि विश्राम करेंगे। 2 मार्च (रविवार) को पीएम मोदी दोपहर 12 बजे जामनगर के रिलायंस वनतारा जाएंगे। वनतारा पशु बचाव केंद्र का दौरा करने का कार्यक्रम है। रिलायंस इंडस्ट्रीज और रिलायंस फाउंडेशन द्वारा जामनगर में रिफाइनरी परिसर के भीतर लगभग 3,000 एकड़ क्षेत्र में स्थापित वनतारा एक अत्याधुनिक पशु बचाव, संरक्षण और पुनर्वास केंद्र है।
अपने प्रवास के दौरान प्रधानमंत्री मोदी विश्व प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर का प्रबंधन करने वाले श्री सोमनाथ ट्रस्ट की एक बैठक की अध्यक्षता भी करेंगे। 3 मार्च को पीएम मोदी सुबह 6 बजे गिर राष्ट्रीय उद्यान में सफारी से अपने दिन की शुरुआत करेंगे और एशियाई शेरों को देखेंगे। वह जूनागढ़ जिले के सासन में राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (एनबीडब्ल्यूएल) की बैठक की अध्यक्षता करेंगे।
इस तरह की बैठकों में वन्यजीवों से संबंधित राष्ट्रीय स्तर के मुद्दों पर चर्चा की जाती है और उन्हें अंतिम रूप दिया जाता है। यह बैठक इसलिए खास है क्योंकि इसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री करेंगे। एनबीडब्ल्यूएल में 47 सदस्य हैं, जिनमें सेना प्रमुख, विभिन्न राज्यों के सदस्य, इस क्षेत्र में काम करने वाले गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि, मुख्य वन्यजीव वार्डन और विभिन्न राज्यों के सचिव शामिल हैं।
बैठक के बाद प्रधानमंत्री सासन में कुछ महिला वन कर्मचारियों से बातचीत करेंगे। इसके बाद प्रधानमंत्री गिर सोमनाथ जिले में स्थित सोमनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना करेंगे। सोमनाथ से वह राजकोट हवाई अड्डे पहुंचेंगे और दिल्ली के लिए रवाना होंगे।
राजनीति
लोकतंत्र के लिए विपक्ष जरूरी, महाराष्ट्र को जल्द मिले नेता प्रतिपक्ष : सुप्रिया सुले
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मुंबई, 1 मार्च। एनसीपी (एसपी) सांसद सुप्रिया सुले ने शनिवार को कहा कि मजबूत लोकतंत्र के लिए विपक्ष का होना बहुत जरूरी है। उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा, ”देश हो या राज्य, मेरा मानना है कि मजबूत लोकतंत्र के लिए विपक्ष का रहना बेहद ही जरूरी है।”
सुप्रिया सुले ने कहा कि मैं उम्मीद करती हूं कि महाराष्ट्र में फडणवीस सरकार बड़ा दिल दिखाते हुए विपक्ष को नेता प्रतिपक्ष चुनने का मौका देगी। उन्होंने कहा कि महा विकास अघाड़ी (एमवीए) में विरोधी नेता कौन होगा, यह तीनों पार्टी के नेता आपस में चर्चा कर नाम तय करेंगे, लेकिन राज्य सरकार को हमारे गठबंधन को मौका देना चाहिए।
इस दौरान सांसद सुप्रिया सुले ने नई शिक्षा नीति पर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टॉलिन के बयान पर भी जवाब दिया। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टॉलिन अपने तमिल भाषा के लिए स्टैंड ले रहे हैं। इस देश के हर राज्य की अपनी-अपनी भाषा है, जिसका सम्मान होना चाहिए। इसलिए मेरा कहना है कि कोई भी भाषा किसी राज्य पर नहीं थोपनी चाहिए।
वहीं, जेएनयू के वीसी की जवाहरलाल नेहरू और इतिहास पर टिप्पणी को लेकर सुप्रिया सुले ने कोई जवाब नहीं दिया। जब उनसे इस संबंध में सवाल पूछा गया तो उन्होंने कुछ भी बोलने से इनकार करते हुए कहा, ”मुझे उनके बयान की जानकारी नही है। पहले उनका पूरा बयान सुनूंगी, फिर उस पर प्रतिक्रिया दूंगी।”
मीडिया से बातचीत में सांसद सुप्रिया सुले ने महाराष्ट्र के स्कूलों को लेकर कहा कि हम महाराष्ट्र में कोई भी मराठी या अन्य स्कूलों को बंद नहीं होने देंगे। उन्होंने महाराष्ट्र सरकार से कहा कि अगर राज्य सरकार ने ऐसा किया, तो हम सड़क पर उतरकर आंदोलन करेंगे।
वहीं, शेयर मार्केट में लगातार गिरावट को लेकर सुप्रिया सुले ने कहा कि मैंने पहले भी कहा था और कहीं पर भी कुछ भी हो रहा है तो उसका प्रभाव भारत पर पड़ रहा है। ये साफतौर पर दिख रहा है।
उन्होंने कहा कि इससे निपटने के लिए भारत सरकार को सोच-समझकर कुछ अच्छे कदम उठाने चाहिए।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
भारत का मजबूत प्रदर्शन 2047 तक विकसित अर्थव्यवस्था बनने के लिए सुधारों को लागू करने का दे रहा अवसर: आईएमएफ
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संयुक्त राष्ट्र, 1 मार्च। भारत की विवेकपूर्ण नीतियों की सराहना करते हुए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के कार्यकारी बोर्ड ने कहा है कि देश का मजबूत आर्थिक प्रदर्शन 2047 तक विकसित अर्थव्यवस्था बनने के लिए महत्वपूर्ण सुधारों को अपनाने में मदद कर सकता है।
आईएमएफ द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया, “भारत का मजबूत आर्थिक प्रदर्शन 2047 तक विकसित अर्थव्यवस्था का दर्जा हासिल करने के लिए जरूरी अहम और चुनौतीपूर्ण संरचनात्मक सुधारों को लागू करने में मदद कर सकता है।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए आजादी के सौ साल पूरे होने की समय सीमा तय की है।
रिपोर्ट में आईएमएफ के कार्यकारी निदेशकों ने भारतीय अधिकारियों की विवेकपूर्ण व्यापक आर्थिक नीतियों और सुधारों की सराहना की, जिन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने और एक बार फिर सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बनाने में योगदान दिया है।
रिपोर्ट में बताया गया कि भारत के वित्तीय क्षेत्र का स्वास्थ्य, मजबूत कॉरपोरेट बैलेंसशीट और अच्छा डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर दर्शाता है कि देश की वृद्धि दर मध्यम अवधि में तेज रहेगी। साथ ही जनकल्याण की योजनाएं भी जारी रहेंगी।
रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया कि भू-आर्थिक विखंडन और धीमी घरेलू मांग से उत्पन्न प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करते हुए, व्यापक आर्थिक स्थिरता बनाए रखने के लिए उचित नीतियां जारी रखना आवश्यक है।
इसके अलावा, रिपोर्ट में भारत द्वारा हाल ही में घटाए गए टैरिफ का भी स्वागत किया गया है। इससे देश की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता बढ़ेगी।
पिछले महीने पेश किए गए बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ऑटोमोबाइल से लेकर शराब तक कई प्रकार के आयात पर टैरिफ कम कर दिया था।
आईएमएफ के कार्यकारी बोर्ड ने कहा कि संरचनात्मक सुधार देश में उच्च-गुणवत्ता की नौकरियां पैदा करने और निवेश के लिए काफी जरूरी हैं।
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि भारत को लेबर मार्केट सुधारों को लागू करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और महिला भागीदारी को लेबर फोर्स में बढ़ाना चाहिए।
पर्यावरण
उत्तर प्रदेश : गंगा ही नहीं, स्थानीय नदियों के किनारे भी तय दायरे में होगी प्राकृतिक खेती
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लखनऊ, 1 मार्च। जन, जमीन और जल के लिए संजीवनी है रसायन मुक्त प्राकृतिक खेती। इन सबका हित, खेती बाड़ी के स्थाई और टिकाऊ विकास पहले कार्यकाल से ही योगी सरकार की प्राथमिकता रही है। सरकार इसे लगातार विस्तार देने के साथ इसके लिए भरपूर पैसा और किसानों को प्रोत्साहन भी दे रही है।
इसके लिए बीज से लेकर बाजार तक सरकार प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों के साथ है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद हर संभव मंच से किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
इसी क्रम में सरकार ने तय किया है कि अब सिर्फ गंगा ही नहीं, स्थानीय नदियों के दोनों किनारे पर 5/5 किलोमीटर के दायरे में सिर्फ प्राकृतिक खेती होगी। इस बाबत 1886 क्लस्टर बनाए जाएंगे। सरकार इस पर 270.62 करोड़ रुपए खर्च करेगी।
हाल में हुई राज्य स्तरीय कृषि समिति की बैठक में इस कार्ययोजना को मंजूरी भी मिल चुकी है। इसके पूर्व कैबिनेट में भी प्राकृतिक खेती और खेत तालाब योजना के लिए 1191.51 करोड़ रुपए की मंजूरी मिली थी। हाल ही में योगी सरकार की ओर से प्रस्तुत बजट में भी नेशनल मिशन ऑन नेचुरल फार्मिंग के तहत प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन देने के लिए 124 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं।
सरकार की योजना है कि प्रदेश में गंगा सहित सभी स्थानीय नदियों, जिन जिलों से गुजरती हैं, उनके दोनों किनारों पर एक दायरे में प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन दिया जाए। ऐसी खेती जिसमें रासायनिक खादों और जहरीले कीटनाशकों की जगह उपज बढ़ाने और फसलों के सामयिक संरक्षण के लिए पूरी तरह जैविक उत्पादों का प्रयोग हो ताकि लीचिंग रिसाव के जरिए रासायनिक खादों एवं कीटनाशकों का जहर इन नदियों में घुलकर उन्हें प्रदूषित न कर सके।
उल्लेखनीय है कि गंगा के तटवर्ती 27 जनपदों में पहले से ही नमामि गंगे योजना चलाई जा रही है, जिसके अंतर्गत रसायन मुक्त खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। अद्यतन आंकड़ों के अनुसार गंगा के किनारे के 1000 से अधिक गांवों में प्राकृतिक खेती हो रही है। प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश के 54 जनपदों में परंपरागत कृषि विकास योजना संचालित की जा रही है। सरकार की मंशा निराश्रित गोवंश के नाते सबसे प्रभावित बुंदेलखंड को प्राकृतिक खेती के लिहाज से उत्तर प्रदेश का हब बनाना है।
योगी सरकार-1 से ही यह सिलसिला शुरू हो चुका है। जिन करीब 5000 क्लस्टर्स में 18000 से अधिक किसान लगभग 10 हजार हेक्टेयर में प्राकृतिक खेती कर रहे हैं, उनमें नमामि गंगा योजना के तहत करीब 3300 क्लस्टर्स में लगभग 6500 हेक्टेयर में प्राकृतिक खेती हो रही है। इस खेती से जुड़े किसानों की संख्या एक लाख से अधिक है। इस तरह देखा जाए तो जैविक खेती का सर्वाधिक रकबा गंगा के मैदानी इलाके का ही है।
इंडो-गंगेटिक मैदान का यह इलाका दुनिया की सबसे उर्वर भूमि में शुमार होता है। इसी नाते ऑर्गेनिक फार्मिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया की ओर से नवंबर 2017 में इंडिया एक्सपो सेंटर एंड मार्ट ग्रेटर नोएडा में आयोजित जैविक कृषि कुंभ में विशेषज्ञों ने यह संस्तुति की थी कि गंगा के मैदानी इलाकों को जैविक खेती के लिए आरक्षित किया जाए। चूंकि हर साल आने वाली बाढ़ के कारण इस क्षेत्र की मिट्टी बदलकर उर्वर हो जाती है, इस नाते पूरे क्षेत्र में जैविक खेती की बहुत संभावना है। यही वजह है कि योगी सरकार-2 में गंगा के किनारे के सभी जिलों में जैविक खेती को विस्तार दिया गया। अब सरकार इसे और विस्तार देने जा रही है।
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