महाराष्ट्र
मुंबई हाईकोर्ट में याचिकाकार्ताओं ने कोविड से हुई मौतों का ऑडिट करने की मांग की

गोवा सरकार को राज्य में हुई लगभग 3,000 कोविड-19 मौतों का ऑडिट करने और ऑक्सीजन की कमी के कारण लगभग 100 रोगियों की मौत की जांच के लिए एक न्यायिक आयोग नियुक्त करने की आवश्यकता है। मुंबई हाईकोर्ट को सोमवार को इसकी जानकारी दी गई।
याचिकाकर्ताओं के एक समूह ने यह मांग की है, जिन्होंने गोवा सरकार के कोविड प्रबंधन प्रयासों में विभिन्न कमियों की ओर इशारा किया है। 11 जून को हाईकोर्ट की गोवा पीठ की ओर से इन मुद्दों को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया गया था, जिनमें न्यायिक हस्तक्षेप की आवश्यकता जताई गई थी।
याचिकाकर्ताओं ने कहा, राज्य सरकार को एक समिति का गठन करना चाहिए, जिसमें गोवा राज्य में कोविड-19 मौतों का पूरा ऑडिट करने के लिए डॉक्टरों और सांख्यिकीविदों जैसे पेशेवरों को शामिल किया जाए। महामारी के दौरान होने वाली मौतों की कम रिपोटिर्ंग एक वैश्विक घटनाक्रम रहा है, जो महामारी द्वारा सिस्टम पर भारी दबाव के तहत मानवीय त्रुटि के कारण होती है।
याचिकाकतार्ओं ने यह भी कहा कि इस तरह के ऑडिट से न केवल कोविड-19 की मौतों की सही संख्या का पता चलेगा, बल्कि संबंधित अधिकारियों को कोविड-19 की आसन्न तीसरी लहर के दौरान जान बचाने में मदद मिलेगी।
याचिकाकर्ताओं ने बंबई हाईकोर्ट की बेंच से गोवा में ऑक्सीजन की कमी के चलते प्रदेश में शीर्ष स्वास्थ्य केंद्र गोवा मेडिकल कॉलेज हुई मौतों की जांच के लिए जांच आयोग अधिनियम, 1952 के तहत एक मजिस्ट्रेट, दो स्वतंत्र डॉक्टरों और पुलिस अधिकारियों के साथ एक सेवानिवृत्त हाईकोर्ट के न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक जांच आयोग का गठन करने का भी आग्रह किया है।
याचिकाकर्ताओं ने कहा, सरकारी अस्पतालों में भर्ती व्यक्तियों ने केवल ऑक्सीजन की अपर्याप्त आपूर्ति के कारण अपनी जान गंवाई है। इनमें से कुछ पीड़ित परिवार के एकमात्र कमाने वाले थे, कुछ बच्चों ने अपने माता-पिता दोनों को खो दिया है । इन पीड़ितों की पहचान करने की आवश्यकता है और उनके आश्रितों/परिजनों को उनकी स्थिति के आधार पर पर्याप्त मुआवजा दिया जाना चाहिए।
इसके साथ ही याचिका में कहा गया है, आयोग को न केवल पीड़ितों और आश्रितों का पता लगाना चाहिए, बल्कि आश्रितों को व्यक्तिगत रूप से भुगतान किए जाने वाले मुआवजे की मात्रा भी निर्धारित करनी चाहिए। आयोग को सरकारी अधिकारियों, यदि कोई हो, की पहचान करने का भी काम सौंपा जाना चाहिए, जिन्होंने लापरवाही से काम किया है, जिसके परिणामस्वरूप ऑक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित नहीं हो सकी।
पिछले महीने गोवा में जब महामारी अपने चरम पर थी, तब शीर्ष स्वास्थ्य सुविधा में लगभग 100 लोगों की मौत हो गई थी। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत राणे ने दावा किया है कि मौतें ऑक्सीजन की कमी के कारण हुई हैं, वहीं दूसरी ओर राज्य प्रशासन ने कहा है कि इन मौतों को रोगियों को ऑक्सीजन की आपूर्ति की कमी से नहीं जोड़ा जा सकता है।
महाराष्ट्र
वक्फ संपत्तियों पर भूमि माफिया के खिलाफ संघर्ष : नया संशोधित बिल चुनौतियां बढ़ा रहा है

नई दिल्ली : वक्फ संपत्तियों की रक्षा करने और उनके लाभ जरूरतमंदों तक पहुंचाने की लड़ाई पहले से ही भूमि माफिया, अतिक्रमणकारियों और अवैध समूहों के कारण कठिन थी। अब सरकार द्वारा पेश किया गया नया संशोधित बिल इस संघर्ष में एक और बड़ी चुनौती बनकर उभरा है। एडवोकेट डॉ. सैयद एजाज अब्बास नक़वी ने इस कदम की कड़ी आलोचना की है और तुरंत सुधारों की मांग की है। उन्होंने कहा कि वक्फ का मुख्य उद्देश्य जरूरतमंदों को लाभ पहुंचाना था, लेकिन दुर्भाग्यवश यह उद्देश्य पूरी तरह असफल हो गया है। दूसरी ओर, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC), जो सिख समुदाय की सबसे बड़ी धार्मिक संस्था है, दशकों से अपने समुदाय के कल्याण में सक्रिय रूप से लगी हुई है। इसके परिणामस्वरूप, सिख समाज में भिखारियों और मानव रिक्शा चालकों की संख्या लगभग समाप्त हो गई है।
वक्फ भूमि पर अवैध कब्जे और दुरुपयोग उजागर :
डॉ. नक़वी के अनुसार, वक्फ संपत्तियों को सबसे अधिक नुकसान स्वार्थी समूहों द्वारा किए गए अवैध अतिक्रमणों से हुआ है। सबसे दुर्भाग्यपूर्ण तथ्य यह है कि कई वक्फ संपत्तियां मूल रूप से सैयद परिवारों की दरगाहों के लिए दान की गई थीं, लेकिन उनका भारी दुरुपयोग किया गया। उन्होंने खुलासा किया कि एक प्रसिद्ध व्यक्ति ने मुंबई के ऑल्टामाउंट रोड पर स्थित एक एकड़ प्रमुख वक्फ भूमि को मात्र 16 लाख रुपये में बेच दिया, जो वक्फ के सिद्धांतों और कानूनों का खुला उल्लंघन है।
धारा 52 में सख्त संशोधन की मांग :
डॉ. नक़वी ने सरकार से वक्फ संपत्तियों को अवैध रूप से बेचने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की अपील की है। उन्होंने वक्फ अधिनियम की धारा 52 में तत्काल संशोधन कर मृत्युदंड या आजीवन कारावास जैसी कड़ी सजा का प्रावधान करने की मांग की है। यह मुद्दा उन लोगों के लिए एक बड़ा झटका है जो वक्फ संपत्तियों की रक्षा के लिए पहले से ही भ्रष्ट तत्वों और अवैध कब्जाधारियों से लड़ रहे हैं। यह देखना बाकी है कि क्या सरकार इन चिंताओं को गंभीरता से लेती है और वक्फ भूमि की सुरक्षा के लिए प्रभावी कानून लागू करती है।
महाराष्ट्र
मुंबई क्लीनअप मार्शल और स्वच्छ मुंबई अभियान समाप्त, नागरिकों से जुर्माना वसूली पर भी रोक, बीएमसी हेल्पलाइन नंबर जारी

मुंबई: मुंबई बीएमसी ने क्लीन-अप मार्शल नीति को खत्म कर दिया है, जिसके बाद अब शहर की सड़कों से क्लीन-अप मार्शल का नामोनिशान मिट गया है। महानगरपालिका ने क्लीन-अप मार्शल पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है और स्वच्छ मुंबई मिशन को बंद कर दिया गया है। इसका मतलब यह है कि अब कोई भी क्लीन-अप मार्शल नागरिकों को जुर्माना भरने या कोई अन्य दंडात्मक कार्रवाई करने के लिए मजबूर नहीं कर सकेगा। क्लीन-अप मार्शल के खिलाफ शिकायत के बाद मुंबई बीएमसी ने आज से क्लीन-अप मार्शल की सेवा बंद करने और स्थगित करने का फैसला किया है।
मुंबई महानगरपालिका का ठोस अपशिष्ट प्रबंधन विभाग, कचरा और स्वच्छता विभाग के अंतर्गत, मुंबई में सार्वजनिक स्वच्छता की देखरेख करता है और ‘स्वच्छ मुंबई मिशन’ को 4 अप्रैल, 2025 से बंद कर दिया गया है। हालांकि, महानगरपालिका प्रशासन ने नागरिकों से अपील की है कि अगर इसके बावजूद उन पर कोई जुर्माना लगाया गया है, तो वे इसकी शिकायत कर सकते हैं। क्लीनअप मार्शल के बारे में शिकायत मुंबई नगर निगम के डिवीजनल कंट्रोल रूम में 022-23855128 और 022-23877691 (एक्सटेंशन नंबर 549/500) पर की जा सकती है।
महाराष्ट्र
न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक गबन के आरोपियों की संपत्ति जब्त

मुंबई: न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक से करोड़ों रुपये के गबन के मामले में मुंबई आर्थिक शाखा (ईओडब्ल्यू) ने भी संपत्ति जब्ती की कार्यवाही शुरू कर दी है। ईओडब्ल्यू ने बताया कि गबन की रकम से प्राप्त संपत्तियों की पहचान करने के बाद उसे कुर्क कर जब्त कर लिया गया है। इस मामले में 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है और इन आरोपियों की 21 अचल संपत्तियां पाई गई हैं, जिन्हें कुर्क करने की अनुमति दी गई है।
मुंबई शहर में 107 बीएनएसएस के तहत यह पहली कार्रवाई है जिसमें आरोपियों की संपत्ति जब्त की गई है। मुंबई एओडब्ल्यू ने कहा कि जब्त संपत्तियों से बरामद राशि का भी अनुमान लगाया जाएगा। मुंबई में हुए बैंक घोटाले के बाद ईओडब्ल्यू ने बड़ी कार्रवाई की है और आरोपियों की अन्य संपत्तियों का ब्योरा भी खंगाला जा रहा है।
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