अंतरराष्ट्रीय समाचार
पेगासस मामला : इमरान खान को 2019 में भारत ने पर्सन ऑफ इंटरेस्ट चुना : रिपोर्ट

लीक हुए पेगासस डेटाबेस से पता चलता है कि 2019 में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को भारत द्वारा पर्सन ऑफ इंटरेस्ट (जिस व्यक्ति में रुचि हो) के रूप में चुना गया था। द गार्जियन की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। द गार्जियन ने खुलासा किया है कि पेगासस प्रोजेक्ट के केंद्र में लीक हुए डेटाबेस में फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन और 13 अन्य राष्ट्राध्यक्षों और सरकार के प्रमुखों के मोबाइल फोन नंबर शामिल हैं।
दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा और पाकिस्तानी प्रधान मंत्री इमरान खान को भी डेटा में सूचीबद्ध किया गया है, जिसमें 34 देशों के राजनयिक, सैन्य प्रमुख और वरिष्ठ राजनेता शामिल हैं।
द गार्जियन ने कहा कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को 2019 में भारत द्वारा पर्सन ऑफ इंटरेस्ट के रूप में चुना गया था।
रिपोर्ट में कहा गया है, न तो भारत और न ही पाकिस्तान ने इस दावे पर विशेष रूप से टिप्पणी की है कि दिल्ली ने खान को लक्षित करने के लिए चुना है। भारत ने कहा है कि उसके पास अवरोधन के लिए अच्छी तरह से स्थापित प्रोटोकॉल हैं, जिसके लिए केवल राष्ट्रीय हित में स्पष्ट कारणों के लिए उच्च रैंक वाले राष्ट्रीय या क्षेत्रीय अधिकारियों से अनुमोदन की आवश्यकता है।
इजरायली स्पाइवेयर पेगासस की मदद से दुनियाभर के कई नेताओं और पत्रकारों सहित बड़ी हस्तियों के फोन हैक किए जाने को लेकर छिड़ा बवाल भारत ही नहीं बल्कि पड़ोसी देश पाकिस्तान में भी तूल पकड़ता जा रहा है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के फोन की हैकिंग की रिपोर्ट सामने आई है, लेकिन इमरान के मंत्री लगातार इस हैकिंग के लिए भारत को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। पाकिस्तान के सूचना और प्रसारण मंत्री फारुख हबीब ने इस हैकिंग में भारत को लेकर बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि संभवत: इमरान का फोन पाकिस्तान के पूर्व पीएम नवाज शरीफ ने भारत के पीएम नरेंद्र मोदी की मदद से हैक करवाया था।
पाकिस्तानी अखबार द डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, मंत्री फारुख हबीब ने मंगलवार को अपने राजनीतिक विरोधियों के निजी डेटा को गुप्त रूप से एक्सेस करने में पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की भूमिका के बारे में संदेह जताते हुए कहा, यह संभावना है कि शरीफ ने नरेंद्र मोदी (भारतीय प्रधानमंत्री) की मदद से इजरायली स्पाइवेयर के माध्यम से (इमरान खान के बारे में) जानकारी प्राप्त की।
हबीब ने कहा कि नवाज शरीफ ने इमरान की जासूसी करने और इजरायली सॉफ्टवेयर के जरिए उनकी निजता भंग करने के लिए भारत के साथ अपने संबंधों को नियोजित किया होगा।
उन्होंने यह भी ककहा कि नवाज शरीफ और नरेंद्र मोदी के बीच गहरी दोस्ती रही है।
दोनों की दोस्ती के बारे में बात करते हुए हबीब ने कहा कि मोदी पाकिस्तान में नवाज शरीफ के परिवार में एक शादी समारोह में भी रुके थे, जबकि बाद में भारतीय पीएम के उद्घाटन समारोह में वह भी शामिल हुए थे। मंत्री ने कहा, ये लिंक उनके बीच मजबूत संबंध का संकेत देते हैं।
उन्होंने कहा, यह तय है कि नवाज शरीफ ने भी मोदी की मदद से इमरान खान का फोन डेटा हासिल किया था।
वहीं इजरायल की साइबर सुरक्षा कंपनी एनएसओ ने अपने बयान में कहा है कि लीक हुई सूची एनएसओ के ग्राहकों के लक्ष्यों या संभावित लक्ष्यों की सूची नहीं है।
अपने वकीलों के माध्यम से, एनएसओ ने पहले कहा था कि कंसोर्टियम ने वह गलत धारणा बनाई है, जिसके बारे में ग्राहक कंपनी की तकनीक का उपयोग करते हैं। इसने कहा कि 50,000 संख्या तो अतिशयोक्तिपूर्ण है और सूची पेगासस का उपयोग करने वाली सरकारों द्वारा लक्षित संख्याओं की सूची नहीं हो सकती है।
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जेलेंस्की रूस के साथ युद्ध को ‘लगभग तुरंत’ खत्म कर सकते हैं : ट्रंप

TRUMP
वाशिंगटन, 18 अगस्त। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की रूस के साथ युद्ध को लगभग तुरंत खत्म करने का विकल्प चुन सकते हैं। हालांकि, रूस के कब्जे वाले क्रीमिया को वापस लेना या नाटो में शामिल होना उनके लिए संभव नहीं है।
ट्रंप ने रविवार को अपने ट्रुथ सोशल प्लेटफॉर्म पर कहा, “यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की यदि चाहें तो रूस के साथ युद्ध को लगभग तुरंत समाप्त कर सकते हैं, या फिर वे लड़ाई जारी रख सकते हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि अब ओबामा के समय (12 साल पहले) की तरह क्रीमिया वापस नहीं मिलेगा, और यूक्रेन नाटो में शामिल नहीं होगा।
जेलेंस्की और यूरोपीय नेताओं के एक बड़े प्रतिनिधिमंडल के साथ बेहद महत्वपूर्ण वार्ता की पूर्व संध्या पर, राष्ट्रपति ट्रंप ने व्हाइट हाउस में स्पष्ट कर दिया है कि यूक्रेन में युद्ध समाप्त करने के लिए जेलेंस्की को रूस की कुछ शर्तों पर सहमत होना होगा।
इन शर्तों में दो मुख्य बातें हैं: यूक्रेन क्रीमिया रूस को दे दे (जिसे रूस ने 2014 में अपने साथ मिला लिया था) और कभी नाटो में शामिल न हो। ये वही शर्तें हैं जो रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने युद्ध खत्म करने के लिए रखी हैं।
यूरोपीय नेता, जो सोमवार को जेलेंस्की के साथ व्हाइट हाउस जा रहे हैं, वह इस बात को लेकर चिंतित हैं कि ट्रंप इस मुलाकात में जेलेंस्की पर दबाव डाल सकते हैं ताकि वे पुतिन की अलास्का शिखर सम्मेलन में रखी शर्तों को मान लें।
वे ट्रंप से यह जानना चाहते हैं कि शांति समझौते में रूस क्या छोड़ सकता है और भविष्य में अमेरिका यूक्रेन की सुरक्षा गारंटी में क्या भूमिका निभाएगा।
ट्रंप ने जेलेंस्की को भेजे अपने संदेश के बाद लिखा, “कल व्हाइट हाउस में बड़ा दिन है। इतने सारे यूरोपीय नेता एक साथ कभी नहीं आए। उनकी मेजबानी करना मेरे लिए सम्मान की बात है!!!”
यूरोपीय प्रतिनिधिमंडल में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, जर्मनी के चांसलर फ्रेडरिक मर्ज, ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर, इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी, यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन, फिनलैंड के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर स्टब और नाटो महासचिव मार्क रुटे सोमवार को जेलेंस्की के साथ व्हाइट हाउस की यात्रा में शामिल होंगे।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
भारत ने ट्रंप-पुतिन की बैठक का किया स्वागत, कहा- संवाद और कूटनीति से ही शांति की राह संभव

नई दिल्ली, 16 अगस्त। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच अलास्का में हुई बैठक पर भारत की पहली प्रतिक्रिया आई। भारत ने कहा कि संवाद और कूटनीति से ही शांति की राह बनेगी।
भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा कि भारत अलास्का में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच शिखर सम्मेलन का स्वागत करता है। शांति की दिशा में उनका नेतृत्व अत्यंत सराहनीय है।
उन्होंने कहा कि भारत शिखर सम्मेलन में हुई प्रगति की सराहना करता है। आगे का रास्ता केवल संवाद और कूटनीति से ही निकल सकता है। दुनिया यूक्रेन में संघर्ष का शीघ्र अंत देखना चाहती है।
अलास्का में ट्रंप और पुतिन के बीच करीब तीन घंटे तक बैठक चली। इसके बाद यूएस राष्ट्रपति वाशिंगटन लौट गए। इससे पहले ट्रंप ने संवाददाताओं से कहा कि वह नाटो नेताओं, यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की और अन्य संबंधित अधिकारियों को बैठक में हुई चर्चाओं के बारे में जानकारी देने की योजना बना रहे हैं।
वहीं, अलास्का के एंकोरेज से मास्को रवाना होने से पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने फोर्ट रिचर्डसन मेमोरियल कब्रिस्तान का दौरा किया, जहां उन्होंने सोवियत संघ के सैनिकों की कब्रों पर फूल चढ़ाए। ये कब्रें उन सोवियत पायलटों और नाविकों को श्रद्धांजलि हैं, जो द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान शहीद हो गए थे।
ट्रंप के साथ हुई बैठक को लेकर पुतिन ने कहा कि हमारी बातचीत रचनात्मक और परस्पर सम्मान के माहौल में हुई। उन्होंने एक पड़ोसी के रूप में ट्रंप का स्वागत किया और उनके साथ बहुत अच्छे सीधे संपर्क स्थापित किए। साथ ही उन्होंने ट्रंप को साथ मिलकर काम करने और बातचीत में एक दोस्ताना और भरोसेमंद माहौल बनाए रखने के लिए धन्यवाद दिया। खास बात यह है कि दोनों पक्ष परिणाम हासिल करने के लिए दृढ़ थे। हमारी बातचीत सकारात्मक रही।
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ट्रंप, पुतिन ने यूक्रेन पर तीन घंटे की बातचीत के बाद बड़ी सफलता की घोषणा की

न्यूयॉर्क, 16 अगस्त। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शुक्रवार को अलास्का के एंकोरेज में तीन घंटे की वार्ता के बाद बड़ी सफलता की घोषणा की।
ट्रंप ने कहा, “मुझे उम्मीद है कि हम जिस समझौते पर पहुंचे हैं, वह हमें उस लक्ष्य (समाधान खोजने) के और करीब लाने में मदद करेगा और यूक्रेन में शांति का मार्ग प्रशस्त करेगा। मुझे लगता है कि हमारी बैठक बहुत ही उपयोगी रही। ऐसे कई मुद्दे थे जिन पर हम (राष्ट्रपति पुतिन और मैं) सहमत हुए।”
यह समझौता भारत के लिए भी महत्वपूर्ण होगा क्योंकि यूएस ने रूसी तेल खरीदने पर भारत पर 25 प्रतिशत दंडात्मक शुल्क की घोषणा की है।
हालांकि, अभी किसी भी नेता ने समझौते का कोई विवरण नहीं दिया और न ही यह बताया कि युद्धविराम होगा या नहीं।
ट्रंप ने रहस्यमय ढंग से कहा, “कुछ बड़े समझौते ऐसे हैं जिन तक हम अभी तक नहीं पहुंच पाए हैं, लेकिन हमने कुछ प्रगति की है। एक समझौता शायद सबसे महत्वपूर्ण है, लेकिन हमारे पास उस तक पहुंचने की बहुत अच्छी संभावना है। हम वहां तक नहीं पहुंच पाए, लेकिन हमारे पास वहां पहुंचने की बहुत अच्छी संभावना है।”
उन्होंने कहा, “मैं नाटो और उन सभी लोगों को फोन करूंगा जिन्हें मैं उपयुक्त समझता हूं, और निश्चित रूप से, राष्ट्रपति (वोलोदिमिर) जेलेंस्की को फोन करके उन्हें आज की बैठक के बारे में बताऊंगा।”
शिखर सम्मेलन में जाते हुए, ट्रंप ने कहा कि वह यूक्रेन की ओर से बातचीत नहीं करेंगे, और समझौता करना जेलेंस्की पर निर्भर है।
उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “इसलिए जब तक समझौता नहीं हो जाता, तब तक कोई समझौता नहीं है।”
दोनों राष्ट्रपतियों ने पत्रकारों के सवालों के जवाब नहीं दिए।
पुतिन ने कहा, “हमें टकराव से बातचीत की ओर बढ़ने के लिए स्थिति में सुधार करना होगा।”
उन्होंने कहा, “इन परिस्थितियों में यह कितना भी अजीब लगे, हमारी (रूस और यूक्रेन की) जड़ें एक ही हैं और जो कुछ भी हो रहा है वह हमारे लिए एक त्रासदी और एक भयानक घाव है। इसलिए, देश ईमानदारी से इसे समाप्त करने में रुचि रखता है।”
शिखर सम्मेलन की शुरुआत में पहले से तय तीन चरणों को बदलकर, वे सीधे दूसरे चरण में चले गए। इस चरण में ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ और विदेश मंत्री मार्को रुबियो, और पुतिन के विदेश नीति सलाहकार यूडी उषाकोवा, रक्षा मंत्री आंद्रेई बेलौसोव, और विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने हिस्सा लिया।
ऐसा नहीं लग रहा था कि अधिकारियों के साथ तीसरे चरण का लंच हो रहा था। ट्रंप ने पुतिन का रेड कार्पेट पर स्वागत किया और लिमोजीन में बैठते ही उन्होंने दोस्ताना अंदाज में बातचीत जारी रखी।
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