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राजनीतिक साजिश का हिस्सा: दिशा सालियान मामले पर महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री

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मुंबई, 20 मार्च। महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख ने गुरुवार को आरोप लगाया कि दिशा सालियान मामले पर फिर से ध्यान केंद्रित करना एक “राजनीतिक साजिश” का हिस्सा है।

दिशा सालियान के पिता सतीश सालियान द्वारा अपनी बेटी की मौत की नए सिरे से जांच की मांग करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख करने के बाद उनकी यह टिप्पणी आई है। उन्होंने अपनी याचिका में शिवसेना (यूबीटी) नेता आदित्य ठाकरे के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की भी मांग की।

इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए देशमुख ने कहा, “मैं दिशा सालियान के पिता द्वारा पहले दायर याचिका में दिए गए बयान के बारे में जानकारी जुटा रहा हूं। मैंने इसकी एक प्रति मांगी है।”

उन्होंने कहा, “जिस तरह से यह मुद्दा फिर से सामने आया है, उससे लगता है कि यह एक राजनीतिक साजिश है।”

दिवंगत बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की पूर्व मैनेजर दिशा सालियान की जून 2020 में रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गई थी। सतीश सालियान ने अब बॉम्बे हाईकोर्ट से मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपने का आग्रह किया है। उन्होंने दावा किया है कि उनकी बेटी के साथ क्रूरतापूर्वक बलात्कार किया गया और उसकी हत्या कर दी गई। उन्होंने आगे दावा किया कि कुछ प्रभावशाली व्यक्तियों को बचाने के लिए राजनीतिक कवर-अप किया गया था। दिशा की मौत 8 जून, 2020 को मलाड में एक आवासीय इमारत की 14वीं मंजिल से गिरने के बाद हुई थी। मुंबई पुलिस ने शुरू में एक एक्सीडेंटल डेथ रिपोर्ट (एडीआर) दर्ज की थी। हालांकि, महज छह दिन बाद, 14 जून को सुशांत सिंह राजपूत अपने अपार्टमेंट में मृत पाए गए। पुलिस ने शुरू में इसे आत्महत्या बताया, लेकिन बाद में मामला सीबीआई को सौंप दिया गया। सतीश सालियान द्वारा दायर याचिका के अनुसार, उनकी बेटी की मौत की पुलिस जांच कवर-अप से ज्यादा कुछ नहीं थी। याचिका में कहा गया है कि मुंबई पुलिस ने “फोरेंसिक साक्ष्य, परिस्थितिजन्य सबूत और प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों पर विचार किए बिना, जल्दबाजी में मामले को आत्महत्या या आकस्मिक मौत मानकर बंद कर दिया।”

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‘मकदच्या हाती कोलित दिले…’: एनसीपी-एसपी सांसद अमोल कोल्हे ने बीजेपी विधायक गोपीचंद पडलकर की आलोचना की, सीएम फड़नवीस को खुला पत्र लिखा

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मुंबई: बीजेपी विधायक गोपीचंद पडलकर द्वारा एनसीपी (शरदचंद्र पवार गुट) के वरिष्ठ नेता और प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल के खिलाफ विवादित टिप्पणी करने के बाद गुरुवार को महाराष्ट्र की राजनीति गरमा गई. पडलकर का बयान, जिसमें उन्होंने पाटिल की वंशावली पर सवाल उठाते हुए कहा था, “तू राजाराम पटलानी कधलेली औलाद माला अजीब वातत नहीं। कहीं तारि गदबद आहे,” की पूरे राजनीतिक क्षेत्र में व्यापक आलोचना हुई है।

सबसे तीखी प्रतिक्रिया एनसीपी-एसपी सांसद और अभिनेता से नेता बने डॉ. अमोल कोल्हे की आई, जिन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपनी नाराज़गी ज़ाहिर की। अपनी पोस्ट में, कोल्हे ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को टैग करते हुए पूछा कि क्या वह महाराष्ट्र की सांस्कृतिक विरासत की रक्षा करना चाहते हैं या अपनी ही पार्टी के मुखर नेताओं को बचाना चाहते हैं।

शिरूर के सांसद ने एक्स पेज पर लिखा, “आदरणीय मुख्यमंत्री जी, आप सिर्फ़ एक पार्टी के नहीं, बल्कि पूरे राज्य के नेता हैं। क्या आप महाराष्ट्र की संस्कृति की रक्षा करेंगे या अपनी पार्टी के बड़बोले लोगों का बचाव करेंगे? महाराष्ट्र आपके फ़ैसले का इंतज़ार कर रहा है,” कोल्हे ने लिखा।

अपनी पोस्ट के साथ, कोल्हे ने फडणवीस को संबोधित एक कड़े शब्दों वाला पत्र भी साझा किया। इसमें उन्होंने एक मराठी कहावत का हवाला दिया कि बंदर को मशाल देने से बंदर को नहीं, बल्कि मशाल देने वाले को ज़्यादा नुकसान होता है। इसी रूपक का इस्तेमाल करते हुए, कोल्हे ने महाराष्ट्र में जानबूझकर राजनीतिक मानकों को गिराए जाने की आलोचना की।

उन्होंने लिखा कि अपनी सुसंस्कृत राजनीतिक विरासत के लिए जाने जाने वाले राज्य में, कुछ नेता विमर्श को उसके निम्नतम स्तर तक ले जाने में गर्व महसूस कर रहे हैं। कोल्हे ने चेतावनी देते हुए कहा, “दुर्भाग्य से, यह धारणा मज़बूत हो गई है कि जब तक सत्ता के करीब हैं, कुछ भी हो सकता है। लेकिन भविष्य इस तरह के व्यवहार को कभी माफ़ नहीं करेगा।”

एक मराठी नाटक की प्रसिद्ध पंक्ति का हवाला देते हुए, कोल्हे ने आगे कहा, “तुम्हारा पगार किती, तुम्ही बोलते किती।” उन्होंने यह भी कहा कि अपनी क्षमता से ज़्यादा बोलने वालों को ऐसा बयान देने से पहले अपनी योग्यता पर विचार करना चाहिए। जयंत पाटिल ने इस मामले पर बोलने से इनकार कर दिया है।

उनकी टिप्पणी ने विवाद को और बढ़ा दिया है और पूरा ध्यान सीधे मुख्यमंत्री पर केंद्रित कर दिया है। विपक्षी नेताओं का तर्क है कि शीर्ष नेतृत्व की चुप्पी से इस तरह की बयानबाजी को बढ़ावा ही मिलेगा, जबकि कोल्हे का बयान इस मुद्दे को सिर्फ़ एक राजनीतिक विवाद के रूप में नहीं, बल्कि महाराष्ट्र की गरिमा और संस्कृति की रक्षा के मुद्दे के रूप में पेश करता है।

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डूसू चुनाव मतगणना : एबीवीपी प्रत्याशी आर्यन मान को बढ़त, रौनक खत्री ने फिर लगाए ‘वोट चोरी’ के आरोप

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नई दिल्ली, 19 सितंबर। दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्र संघ (डूसू) चुनाव की मतगणना जारी है। अध्यक्ष पद के लिए एबीवीपी प्रत्याशी आर्यन मान 13 राउंड की मतगणना के बाद भी सबसे आगे हैं। इसी बीच, डूसू अध्यक्ष रौनक खत्री ने ‘वोट चोरी’ के आरोपों को दोहराया है।

डूसू अध्यक्ष रौनक खत्री ने मीडिया से बातचीत में कहा, “हम ये ‘वोट चोरी’ के आरोप इसलिए लगा रहे हैं, क्योंकि प्रोफेसर अपने स्टेटस पर एबीवीपी पैनल कोड लगा रहे हैं और ईवीएम पर बैलेट नंबर-3 के आगे अंगूठे का निशान है। इस डूसू चुनाव में वोट चोरी जरूर हुई है।”

उन्होंने यह भी कहा कि चुनावों में छात्रों का जो भी मत होगा, वह हमें स्वीकार है।

एक छात्रा के साथ झड़प के आरोपों पर रौनक खत्री ने कहा, “मैंने पूरा वीडियो शेयर किया था। एबीवीपी ने झूठे आरोप लगाए हैं। किसी लड़की के साथ हमने झड़प नहीं की।” रौनक खत्री ने कहा कि किरोड़ीमल कॉलेज की छात्रा न होते हुए भी वह यहां आई थी। हमें रोकने के लिए उस छात्रा ने पहले भी प्रयास किए थे।

इससे पहले, एबीवीपी दिल्ली के प्रदेश मंत्री सार्थक शर्मा ने आरोप लगाए थे कि वोटिंग के समय एनएसयूआई नेता रौनक खत्री के समर्थकों ने किरोड़ीमल कॉलेज के बाहर एक छात्रा के साथ मारपीट की, जिससे वह गिर गई और घायल हो गई।

फिलहाल, दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनाव की मतगणना नॉर्थ कैंपस के यूनिवर्सिटी स्पोर्ट्स स्टेडियम स्थित मल्टीपर्पज हॉल में जारी है। मतगणना सुबह 8 बजे शुरू हुई और नतीजे देर शाम तक आने की उम्मीद है।

13 राउंड की मतगणना के बाद एबीवीपी डूसू अध्यक्ष पद के उम्मीदवार आर्यन मान ने 17,234 वोटों से बढ़त हासिल की। डूसू सचिव पद के लिए एबीवीपी उम्मीदवार कुणाल चौधरी 14,813 से आगे रहे हैं और संयुक्त सचिव पद की उम्मीदवार दीपिका झा ने 13,139 वोटों से बढ़त बनाई।

160 अधिकारियों समेत 600 से अधिक पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है और सुचारू और सुरक्षित मतदान प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए सीसीटीवी निगरानी की व्यवस्था की गई है। डूसू चुनाव गुरुवार को दो चरणों में संपन्न हुए, जिसमें 39.45 प्रतिशत मतदान हुआ। 52 केंद्रों और 195 बूथों पर मतदान हुआ।

छात्र संघ के चार प्रमुख पदों (अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव और संयुक्त सचिव) के लिए कुल 21 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। गौरतलब है कि अकेले अध्यक्ष पद के लिए 9 उम्मीदवार मैदान में हैं, जबकि शेष पदों के लिए 12 अन्य उम्मीदवार मैदान में हैं।

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राष्ट्रीय समाचार

मैसूर दशहरा से जुड़ी याचिका सुप्रीम कोर्ट से खारिज, कहा- भारत धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र

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नई दिल्ली, 19 सितंबर। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें बुकर पुरस्कार विजेता लेखिका बानू मुश्ताक को इस साल के मैसूर दशहरा समारोह का उद्घाटन करने के लिए आमंत्रित किए जाने का विरोध किया गया था। अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा कि भारत का संविधान धर्मनिरपेक्ष मूल्यों पर आधारित है और राज्य सरकार द्वारा आयोजित कार्यक्रम किसी निजी संस्था का आयोजन नहीं होता।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने तर्क दिया था कि मैसूर दशहरा केवल एक सांस्कृतिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह हिंदू धार्मिक परंपराओं और आस्थाओं से जुड़ा पवित्र अनुष्ठान है। इसकी शुरुआत वैदिक मंत्रोच्चार और चामुंडेश्वरी देवी की पूजा से होती है। ऐसे में बानू मुश्ताक के रूप में एक मुस्लिम महिला को समारोह का उद्घाटन करने के लिए बुलाना परंपरा और धार्मिक भावनाओं के विरुद्ध है।

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि 2017 में भी प्रसिद्ध मुस्लिम कवि निसार अहमद ने मैसूर दशहरा का उद्घाटन किया था। अदालत ने कहा कि हमारे संविधान की प्रस्तावना स्पष्ट करती है कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है। ऐसे में किसी भी धर्म विशेष के आधार पर भेदभाव करना न्यायोचित नहीं है।

बता दें कि बेंगलुरु के एक निवासी, एचएस गौरव की ओर से दायर पीआईएल में कहा गया कि दशहरा के उद्घाटन को हिंदू परंपरा का अभिन्न हिस्सा घोषित किया जाना चाहिए और इसे हिंदू गणमान्य व्यक्ति द्वारा ही किया जाना चाहिए।

शीर्ष अदालत के समक्ष दायर एसएलपी में कर्नाटक हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी गई थी, जिसमें मैसूर दशहरा के उद्घाटन के लिए बानू मुश्ताक को आमंत्रित करने के राज्य सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं (पीआईएल) को खारिज कर दिया गया था।

मैसूर दशहरा के उद्घाटन के दौरान देवी चामुंडेश्वरी को फूल चढ़ाने की परंपरा है और विपक्षी बीजेपी इस बात पर आपत्ति जता रही है कि बानू मुश्ताक दूसरे धर्म से हैं।

कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश विभू बाखरू और जस्टिस सीएम जोशी की बेंच ने 15 सितंबर को अपने फैसले में कहा था कि किसी के भी अधिकार का उल्लंघन नहीं हुआ है और कहा कि विजय दशमी का त्योहार पूरे देश में मनाया जाता है और यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

हालांकि, विपक्ष ने मैसूर दशहरा के उद्घाटन के लिए बानू मुश्ताक को आमंत्रित करने के राज्य सरकार के फैसले को ‘गलत’ बताया है और याचिकाकर्ताओं ने यह भी दावा किया कि बुकर प्राइज विजेता ने हिंदू विरोधी बयान दिए थे और कन्नड़ भाषा के खिलाफ टिप्पणी की थी। वहीं, कर्नाटक सरकार का कहना है कि मैसूर दशहरा इस क्षेत्र का त्योहार है, न कि कोई धार्मिक कार्यक्रम।

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