राजनीति
संसद ने सीबीआई, ईडी निदेशक का कार्यकाल बढ़ाने वाले विधेयक को मंजूरी दी

संसद ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निदेशकों के कार्यकाल को पांच साल तक बढ़ाने वाले विधेयकों को पारित कर दिया है। राज्यसभा में मंगलवार को विपक्ष के बहिर्गमन के बीच ध्वनि मत से विधेयक को पारित कर दिया गया।
इसके साथ ही एजेंसी के निदेशकों के कार्यकाल की सीमा वर्तमान बढ़ाकर पांच साल तक करने के प्रावधान का रास्ता साफ हो गया है। लोकसभा में यह विधेयक नौ दिसंबर को पारित हो चुका है।
केंद्रीय सतर्कता आयोग (संशोधन) विधेयक, 2021 और दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना (संशोधन) विधेयक, 2021 – दोनों को 9 दिसंबर को लोकसभा द्वारा पारित किया गया था।
कार्मिक और प्रशिक्षण राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह द्वारा प्रस्ताव पेश किए जाने के तुरंत बाद, विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने 12 सदस्यों के निलंबन का मुद्दा उठाने की मांग की, लेकिन उपसभापति ने इसकी अनुमति देने से इनकार कर दिया और विरोध में विपक्षी सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन (बाहर चले जाना) किया।
विपक्ष के बहिर्गमन के बाद बहस के दौरान, जनता दल-यूनाइटेड के सदस्य राम नाथ ठाकुर ने बिल का समर्थन करते हुए, बिहार में 46 साल से लंबित एक हत्या की जांच का एक उदाहरण भी दिया, और साथ ही आग्रह किया कि एक निश्चित कार्यकाल भी होना चाहिए जिसके भीतर जांच पूरी की जाए।
तमिल म/नीला कांग्रेस के नेता जी. के. वासन, एजीपी के बीरेंद्र प्रसाद वैश्य, भाजपा के बृजलाल, वाईएसआरसीपी के पिल्ली सुभाष चंद्र बोस ने भी विधेयकों के समर्थन में बात की।
भाजपा सदस्य सुरेश प्रभु ने संस्थानों और उन संस्थानों को चलाने वाले लोगों के महत्व पर जोर दिया। “कानून संसद द्वारा बनाए जाते हैं, लेकिन कार्यान्वयन संस्थानों द्वारा किया जाता है और उस संस्था को चलाने वाले व्यक्तियों का सही होना जरूरी है। एक कार्यप्रणाली की आवश्यकता होती है।”
उन्होंने मनी लॉन्ड्रिंग और ईडी की भूमिका के बारे में भी बताया।
भाजपा के सुशील कुमार मोदी ने भ्रष्टाचार के खतरे से छुटकारा पाने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों के बारे में विस्तार से बात की और बताया कि कैसे प्रत्यक्ष हस्तांतरण लाभों ने पारदर्शिता के लिए किए गए उपायों के कारण वास्तविक लाभार्थियों को सीधे पैसा सुनिश्चित किया है।
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि विस्तार तभी दिया जाएगा, जब तीनों सदस्य – प्रधानमंत्री, भारत के प्रधान न्यायाधीश और लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी के विपक्ष के नेता – अपनी सहमति देंगे।
बीजेपी के जी. वी. एल. नरसिम्हा राव ने सीबीआई के एक पूर्व निदेशक की एक किताब के एक पैराग्राफ का हवाला दिया, जिन्होंने बोफोर्स मामले का उदाहरण दिया था कि कैसे तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा सीबीआई जांच को विफल कर दिया गया था।
पहले बिल पर बहस का जवाब देते हुए, जितेंद्र सिंह ने कहा, “इतिहास हमें चर्चा से दूर रहने के लिए माफ नहीं कर सकता है। इतिहास उन पर एक महत्वपूर्ण भ्रष्टाचार विरोधी उपाय का चतुराई से विरोध करने का भी आरोप लगाएगा। इतिहास हम पर यह भी आरोप लगा सकता है कि हमारे पास छिपाने के लिए कुछ है और इसलिए हम चर्चा से दूर भाग रहे हैं।”
सिंह ने कहा, “सीबीआई की इतनी विश्वसनीयता है कि दूर-दराज में कहीं बड़ी चोरी हो जाती है, लोग तुरंत सीबीआई जांच की मांग करते हैं। लोगों को गुमराह किया जा रहा है कि कार्यकाल बढ़ाया जा रहा है, लेकिन वास्तव में, यह पहले के प्रावधानों के विपरीत इसे पांच साल तक सीमित करने का प्रयास है, जबकि पहले कोई ऊपरी सीमा नहीं रखी गई थी।”
उन्होंने कहा, “प्रत्येक एक वर्ष के विस्तार के लिए, पूरी प्रक्रिया का पालन किया जाएगा और रिकॉर्ड पर कारणों का उल्लेख करके विस्तार दिया जाएगा।”
उन्होंने ब्रिटेन, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा के समान रैंकों के उदाहरण भी दिए, जहां ऐसी एजेंसियों के प्रमुखों का या तो लंबा कार्यकाल होता है या कोई सीमा नहीं होती है।
दूसरे विधेयक (ईडी के लिए) का जवाब देते हुए, मंत्री ने कहा, “बिल पूरी तरह से नेक इरादे के साथ लाया गया है, लेकिन चर्चा से दूर रहने वालों के मकसद का पता नहीं है।”
उन्होंने दावा किया, “प्रधानमंत्री मोदी का विरोध करने के अपने पथभ्रष्ट उत्साह में, विपक्ष एक उच्च सम्मानित संवैधानिक संस्था का विरोध करने की हद तक चला गया है, जो भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा के लिए मैन्डैटिड (अधिदिष्ट) है और भारत की वित्तीय स्थिरता को बनाए रखने के लिए भी मैन्डैटिड है।”
विपक्षी कांग्रेस पर अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साधते हुए भाजपा नेता ने कहा कि संयोग से, इस एजेंसी द्वारा जांच किए गए अधिकांश धन शोधन मामले यूपीए-1 और यूपीए-2 के उन 10 वर्षों के कार्यकाल के हैं।
राजनीति
हम बिहार का चेहरा बदलना चाहते हैं : राहुल गांधी

पटना, 7 अप्रैल। लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को कहा कि हिंदुस्तान की सच्चाई की रक्षक संविधान है। भगवान बुद्ध, गुरु नानक, कबीर ऐसे कई महापुरुष हैं, जिन्हें हिंदुस्तान मानता है। भीमराव अंबेडकर ने दलितों की लड़ाई लड़ी, लेकिन यह उन्हें दलितों ने ही सिखाया। उन्होंने उनके दर्द को समझा और उसके बाद उनकी लड़ाई लड़ी।
राहुल गांधी ने पटना में संविधान सुरक्षा सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी की जिम्मेदारी है कि जो गरीब लोग हैं, जो कमजोर लोग हैं, ईबीसी, ओबीसी, गरीब, दलित इन सबको जोड़कर, इज्जत देकर आगे बढ़े। कांग्रेस पार्टी को जिस गति और जिस मजबूती से बिहार में काम करना चाहिए था, वो नहीं किया।
उन्होंने कहा कि हम अपनी गलती से समझे हैं और अब हम बिना रुके पूरी शक्ति के साथ बिहार के गरीब, कमजोर, ओबीसी, ईबीसी, दलित और महादलित को लेकर हम एक साथ आगे बढ़ेंगे।
उन्होंने तेलंगाना के जातीय गणना को पारदर्शी बताते हुए कहा कि वहां जाति का पूरा का पूरा डेटा हमारे हाथ में है। बहुत सारे लोग बहुत तरह की बात करते हैं कि जाति जनगणना नहीं होनी चाहिए, लेकिन हम लोग चाहते हैं कि देशभर में जातीय जनगणना हो।
उन्होंने आरक्षण को लेकर कहा कि आज तेलंगाना में देखेंगे तो वहां बड़ी कंपनियों के मालिक, उसके सीईओ, प्रबंधन में ओबीसी, ईबीसी, दलित और महादलित के लोग नहीं मिलेंगे, लेकिन मजदूर वर्ग की सूची में यही लोग मिलेंगे।
उन्होंने कहा कि मैं 50 फीसदी आरक्षण की इस दीवार को तोड़कर फेंक दूंगा। इस देश को दस-पंद्रह लोग चला रहे हैं। जातीय जनगणना एक क्रांतिकारी कदम है, इससे देश की सच्चाई पता चलेगी।
उन्होंने एक आईआईटी प्रोफेसर का उदाहरण देते हुए कहा कि भले ही आप डॉक्टर, प्रोफेसर या कोई बड़े आदमी बन जाएं, मगर सिस्टम आपको आपका काम सही से नहीं करने देगा। अगर आप डॉक्टर हैं, दलित वर्ग से आते हैं और कोई अस्पताल खोलना चाहते हैं, तो आपको लोन नहीं मिलेगा। बैंक से लोन मिल भी जाएगा तो ब्यूरोक्रेट अड़ंगा लगा देंगे। उन्होंने इस सिस्टम में सुधार की जरूरत बताई।
उन्होंने कहा कि हम बिहार का चेहरा बदलना चाहते हैं। जो बिहार में हुआ है और जो आज बिहार में हो रहा है, जो एनडीए की सरकार बिहार में कर रही है, उससे हम लड़ रहे हैं और उसे हम हराने जा रहे हैं।
राजनीति
पीएम मुद्रा योजना में 10 वर्षों में बांटे गए 32 लाख करोड़ रुपए से अधिक के लोन

नई दिल्ली, 7 अप्रैल। पीएम मुद्रा योजना के तहत 10 वर्षों में 32.61 लाख करोड़ रुपए वैल्यू के 52 करोड़ से अधिक लोन दिए गए हैं। यह जानकारी आधिकारिक आंकड़ों में दी गई।
पीएम मुद्रा योजना 8 अप्रैल, 2015 को लॉन्च हुई थी और मंगलवार को इस योजना को 10 वर्ष पूरे हो रहे हैं।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस योजना से छोटे शहरों और गांवों तक कारोबार को बढ़ाने में मदद मिली है। इससे पहली बार कारोबार करने वाले लोगों को प्रोत्साहन मिला है।
एसकेओसीएच की “आउटकम्स ऑफ मोदीनॉमिक्स 2014-24″ रिपोर्ट के अनुसार, ”2014 से हर साल औसतन कम से कम 5.14 करोड़ व्यक्ति-वर्ष रोजगार सृजित हुए हैं, जिसमें अकेले पीएमएमवाई ने 2014 से प्रति वर्ष औसतन 2.52 करोड़ स्थिर और टिकाऊ रोजगार जोड़े हैं। इस परिवर्तन का एक उदाहरण जम्मू-कश्मीर है, इसे मुद्रा योजना के तहत अत्यधिक लाभ हुआ है और 20,72,922 मुद्रा लोन स्वीकृत किए गए हैं।”
वित्त मंत्रालय के डेटा के मुताबिक, ”इस योजना से महिलाओं को सशक्त बनाने में मदद मिली और 70 प्रतिशत से अधिक लोन महिला उद्यमियों द्वारा लिए गए हैं, जिससे उनकी वित्तीय स्वतंत्रता बढ़ी है और लैंगिक समानता में योगदान मिला है।”
पीएम मुद्रा योजना के तहत पिछले नौ वर्षों में प्रति महिला दिए जाने वाले लोन की राशि 13 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़कर 62,679 रुपए हो गई। वहीं, प्रति महिला वृद्धिशील जमा राशि 14 प्रतिशत की सीएजीआर से बढ़कर 95,269 रुपए हो गई।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने प्रधानमंत्री मुद्रा योजना की सराहना की है और कहा कि यह योजना, जो महिला उद्यमिता पर विशेष ध्यान देने के साथ जमानत-मुक्त लोन प्रदान करती है, ने महिलाओं के स्वामित्व वाले एमएसएमई की संख्या को बढ़ाने में मदद की है, जो अब 28 लाख से अधिक हो गए हैं।
एसबीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 10 वर्षों में मुद्रा योजना ने 52 करोड़ से अधिक लोन खाते खोलने में मदद की है, जो उद्यमशीलता गतिविधि में भारी उछाल को दर्शाता है।
पीएम मुद्रा योजना के तहत, किशोर लोन (50,000 से 5 लाख रुपए), जो बढ़ते व्यवसायों का समर्थन करते हैं, वित्त वर्ष 2016 में 5.9 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 2025 में 44.7 प्रतिशत हो गए हैं, जो छोटे उद्योगों की वास्तविक प्रगति को दर्शाता है।
तरुण श्रेणी (5 लाख से 10 लाख रुपए) भी तेजी से आगे बढ़ रही है, जो साबित करती है कि मुद्रा केवल व्यवसाय शुरू करने के बारे में नहीं है, बल्कि उन्हें बढ़ाने में मदद करती है।
महाराष्ट्र
मुंबई पुलिस आधुनिक प्रयोगशालाओं और प्रौद्योगिकी से लैस है: मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस

मुंबई: साइबर अपराध और साइबर धोखाधड़ी पर अंकुश लगाने के लिए मुंबई पुलिस ने खुद को आधुनिक तकनीक से लैस कर लिया है। तदनुसार, मुंबई पुलिस ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के हाथों एक फोरेंसिक लैब, एक विशेष वैन, एक इंटरसेप्ट वैन और अन्य आधुनिक उपकरणों सहित तीन साइबर लैब का उद्घाटन किया। इस अवसर पर बोलते हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने कहा कि साइबर धोखाधड़ी और ऑनलाइन धोखाधड़ी पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस को आधुनिक बनाया गया है और पुलिस साइबर धोखाधड़ी से लेकर अन्य अपराधों को सुलझाने के लिए इन आधुनिक उपकरणों का उपयोग करेगी।
फडणवीस ने कहा कि जिस तरह से आज लोगों को ऑनलाइन बेवकूफ बनाकर डिजिटल गिरफ्तारी जैसी घटनाएं हो रही हैं, उसी तरह पुलिस ने इन घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए जांच के तरीकों से लेकर अन्य चीजों में महत्वपूर्ण क्रांति ला दी है। उन्होंने कहा कि महिलाओं की सहायता के लिए पुलिस थानों में विशेष सहायता कक्ष भी स्थापित किए गए हैं, जिनमें महिलाओं को तत्काल सहायता मिलेगी। उन्होंने कहा कि महिलाओं के लिए एक विशेष वैन भी तैयार की गई है ताकि उन्हें तुरंत मदद मिल सके। इस कार्यक्रम में मुंबई पुलिस आयुक्त विवेक पनसालकर, विशेष पुलिस आयुक्त देविन भारती, संयुक्त पुलिस आयुक्त सत्यनारायण चौधरी और वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
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