राजनीति
ओडिशा विधानसभा उपचुनाव: पीपली सीट पर दो घंटे में 7.8 फीसदी का मतदान

ओडिशा के पुरी जिले में पीपली विधानसभा क्षेत्र के लिए बहुप्रतीक्षित उपचुनाव के लिए गुरुवार को मतदान हो रहा है, जिसमें कोविड-19 प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन किया जा रहा है। सुबह शाम 6 बजे से 7 बजे के बीच निर्वाचन क्षेत्र के 348 बूथों पर 2.29 लाख से अधिक मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग किया है।
मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ), ओडिशा के कार्यालय ने कहा कि सुबह नौ बजे तक 7.8 प्रतिशत मतदान हुआ है।
एक अधिकारी ने कहा कि 6 जगहों से ईवीएम में तकनीकी खराबी की सूचना मिली है, जिसे दूर किया जा रहा है।
निर्वाचन क्षेत्र में 201 संवेदनशील (महत्वपूर्ण) मतदान केंद्र हैं, जहां केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ), माइक्रो ऑब्जर्वर और वेबकास्टिंग को तैनात किया गया है।
मतदान कड़ी सुरक्षा के बीच चल रहा है। निर्वाचन क्षेत्र में सीएपीएफ की 3 कंपनियों के साथ राज्य पुलिस बल की 25 प्लाटून तैनात की गई है।
अधिकारियों ने कहा, “मतदान केंद्र पर कोविड -19 उचित व्यवहार के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए तैनात कर्मचारियों सहित लगभग 2,200 मतदान कर्मी इस प्रक्रिया में लगे हुए हैं।”
“बीजद विधायक प्रदीप महारथी के निधन के बाद यह उपचुनाव कराना पड़ा रहा है।”
पीपली सीट पर चुनावी मैदान में 10 उम्मीदवार खड़े हैं। सत्तारूढ़ बीजू जनता दल ने महारथी के बेटे रुद्रप्रताप महारथी को मैदान में उतारा है, जबकि भाजपा ने आश्रित पटनायक और कांग्रेस ने बिश्वोकेशन हरिचंदन महापात्र को उम्मीदवार बनाया है। इन उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला 3 अक्टूबर को होगा।
राष्ट्रीय समाचार
उधमपुर में सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़, एक जवान शहीद

उधमपुर, 24 अप्रैल। जम्मू-कश्मीर के उधमपुर जिले में गुरुवार को सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच हुई गोलीबारी में सेना का एक जवान शहीद हो गया। अधिकारियों के अनुसार, आतंकवादियों की मौजूदगी की सूचना के आधार पर शुरू किए गए घेराबंदी और तलाशी अभियान के दौरान बसंतगढ़ इलाके में मुठभेड़ हुई।
व्हाइट नाइट कॉर्प्स ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “विशिष्ट खुफिया सूचना के आधार पर गुरुवार को उधमपुर के बसंतगढ़ में जम्मू-कश्मीर पुलिस के साथ एक संयुक्त अभियान शुरू किया गया। अभियान के दौरान आतंकियों ने जब सुरक्षा बलों से खुद को घिरा देखा तो उन पर फायरिंग कर दी। इसके बाद जवानों ने भी कार्रवाई शुरू की। मुठभेड़ के दौरान गोली लगने से सेना का एक जवान गंभीर रूप से घायल हो गया। बेहतरीन चिकित्सा प्रयासों के बावजूद जवान बलिदान हो गया। मुठभेड़ जारी है।”
बता दें कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद सेना के जवान आतंकियों की तलाश में जुटे हैं। आतंकियों को ढेर करने के लिए जवान पहलगाम में व्यापक तलाशी अभियान चला रहे हैं। भारतीय सेना ने आतंकवादियों को पकड़ने के लिए पुंछ के लसाना वन क्षेत्र में जम्मू-कश्मीर पुलिस के विशेष अभियान समूह (एसओजी) के साथ संयुक्त तलाशी अभियान शुरू किया है।
ज्ञात हो कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार को आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत हो गई थी और कई घायल हुए थे। घायलों में स्थानीय निवासी भी शामिल हैं। इस हमले के बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपना विदेशी दौरा बीच में ही छोड़कर भारत लौट आए। बुधवार शाम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (सीसीएस) की अहम बैठक में कई बड़े फैसले लिए गए हैं। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया था कि भारत ने सिंधु जल समझौते को फिलहाल रोकने का निर्णय लिया है। यह कदम भारत-पाकिस्तान संबंधों में बढ़ते तनाव के मद्देनजर उठाया गया है।
महाराष्ट्र
मुंबई: कश्मीर आतंकी हमले के बाद फंसे महाराष्ट्र के पर्यटक सुरक्षित लौटे, शिवसेना ने किया स्वागत

मुंबई, 24 अप्रैल। जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकी हमले के बाद वहां फंसे महाराष्ट्र के कुछ पर्यटक गुरुवार तड़के स्टार एयरलाइंस की विशेष उड़ान (वीटीजीएसआई) से मुंबई हवाई अड्डे के टर्मिनल-1 पर सुरक्षित पहुंचे। उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसैनिकों ने इन पर्यटकों को गुलाब का फूल सौंप स्वागत किया।
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों ने पर्यटकों पर ताबड़तोड़ गोलीबारी की थी, जिसमें 26 लोगों की मौत हो गई थी। इस हमले के बाद कश्मीर में फंसे पर्यटकों में दहशत फैल गई। महाराष्ट्र के कई पर्यटक भी इस संकट में फंस गए थे। स्थिति को देखते हुए शिवसेना ने तुरंत कदम उठाए और इन पर्यटकों को सुरक्षित वापस लाने के लिए विशेष उड़ान की व्यवस्था की।
मुंबई हवाई अड्डे पर पहुंचे पर्यटकों के चेहरों पर अपने गृह राज्य लौटने की खुशी साफ झलक रही थी।
एक पर्यटक ने कहा, “हम बहुत डरे हुए थे, लेकिन सरकार और शिवसेना की मदद से हम सुरक्षित घर लौट आए।”
उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के निर्देश पर शिवसेना सचिव संजय मोरे, विधायक मंगेश कुडलकर, विधायक मुरजी पटेल, युवा सेना महासचिव राहुल कनाल सहित सैकड़ों शिवसैनिक हवाई अड्डे पर मौजूद थे। सभी ने पर्यटकों का गर्मजोशी से स्वागत किया।
शिंदे ने कहा, “हमारी प्राथमिकता हर महाराष्ट्रियन की सुरक्षा है। इस संकट में फंसे लोगों को सुरक्षित लाना हमारा कर्तव्य था।”
पहलगाम हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े आतंकी संगठन द रेसिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने ली थी। इस घटना ने देशभर में आक्रोश पैदा किया और कश्मीर में सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े किए।
शिवसेना ने इस हमले की कड़ी निंदा की और केंद्र व राज्य सरकार के साथ मिलकर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सहयोग का वादा किया। पार्टी नेताओं ने कहा कि कश्मीर में शांति स्थापित करने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे। मुंबई लौटे पर्यटकों ने शिवसेना और सरकार के त्वरित प्रयासों की सराहना की।
केंद्र सरकार ने जवाब में अटारी-वाघा बॉर्डर बंद करने और पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द करने जैसे कड़े कदम उठाए।
महाराष्ट्र
मुंबई: शिवसेना (यूबीटी) ने पहलगाम हमले को लेकर केंद्र सरकार से पूछा सवाल, ‘सामना’ में साधा निशाना

मुंबई, 24 अप्रैल। शिवसेना (यूबीटी) ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के जरिए जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के लिए केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है। पार्टी ने इस हमले में 26 लोगों की मौत के लिए केंद्र की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया और कश्मीर में बढ़ती हिंसा पर सवाल उठाए।
‘सामना’ में लिखा गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह आतंकवाद के खिलाफ कड़े कदमों की बात करते हैं, लेकिन हकीकत यह है कि आतंकी सीमा पार कर भारत में घुस रहे हैं और निर्दोष हिंदुओं की हत्या कर रहे हैं।
संपादकीय में दावा किया गया कि आतंकी पर्यटकों को संदेश देकर कहते हैं, “जाओ, मोदी को बताओ कि क्या हुआ।”
शिवसेना (यूबीटी) ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार कश्मीर में हिंदुओं पर हो रहे हमलों की जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है।
पार्टी ने मुखपत्र में कहा कि जब बंगाल में हिंसा होती है, तो ममता बनर्जी से इस्तीफे की मांग की जाती है, लेकिन कश्मीर में बार-बार होने वाली हिंसा के लिए केंद्र सरकार जवाबदेही से बच रही है।
‘सामना’ में अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले पर भी सवाल उठाए गए। संपादकीय में लिखा है कि 2019 में अनुच्छेद 370 हटाकर जम्मू-कश्मीर को केंद्रशासित प्रदेश बनाया गया और दावा किया गया कि घाटी से आतंकवाद खत्म हो जाएगा। लेकिन, इसके बाद भी हिंसा नहीं रुकी। 2019 से अब तक घाटी में 198 सुरक्षाकर्मी, 135 नागरिक और 700 संदिग्ध आतंकी मारे गए हैं, जो यह दर्शाता है कि कश्मीर में शांति नहीं है।
शिवसेना (यूबीटी) ने 2014 के चुनाव में कश्मीरी पंडितों के लिए किए गए वादों को भी याद दिलाया। पार्टी ने कहा कि कश्मीरी पंडितों की घर वापसी का वादा पूरा नहीं हुआ, उल्टा हिंदू घाटी से पलायन कर रहे हैं। ‘सामना’ में केंद्र से सवाल किया गया कि अनुच्छेद 370 हटाने से क्या हासिल हुआ, जब घाटी में हर दिन खून बह रहा है।
पहलगाम हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े द रेसिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने ली। इस घटना ने देशभर में आक्रोश पैदा किया है। शिवसेना (यूबीटी) ने केंद्र से कश्मीर में शांति स्थापित करने और आतंकवाद के खिलाफ ठोस कदम उठाने की मांग की है।
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