राजनीति
नीतीश के नेतृत्व वाले राजग की बिहार में सत्ता बरकरार, राजद बनी सबसे बड़ी पार्टी
बिहार विधानसभा चुनावों में एक करीबी और नाटकीय मुकाबले में भाजपा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन राजग को जीत दिलाई। उसने राज्य में 15 साल की सत्ता विरोधी लहर के बाद भी चुनाव में जीत हासिल की। 243 सदस्यीय विधानसभा में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने 122 सीटों के बहुमत के आंकड़े को पार किया है। इस गठबंधन में शामिल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), जनता दल यूनाइटेड, विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) ने मिलकर 125 सीटें जीत लीं। भाजपा 74 सीटों पर विजयी रही, जबकि जद (यू) 43 सीटें जीतने में सफल रही। छोटे सहयोगी दलों – हम और वीआईपी ने 4-4 सीटें जीतीं।
वहीं, अक्टूबर-नवंबर के चुनावों में राज्य में राजग का साथ छोड़ने वाली लोक जनशक्ति पार्टी को केवल 1 सीट से संतोष करना पड़ा।
विपक्षी महागठबंधन ने 110 सीटें जीतीं, इसमें राष्ट्रीय जनता दल ने 75 सीटें, कांग्रेस ने 19 और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्सवादी-लेनिनवादी (लिबरेशन) ने 12 सीटें जीतीं। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्सवादीने 2-2 सीटें जीतीं। तेजस्वी यादव की पार्टी राजद इन चुनावों में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, जिसने राज्य में अकेले सबसे ज्यादा 75 सीटें जीतीं। वहीं 74 सीटों के साथ भाजपा राज्य में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी रही।
बची हुई सीटें अन्य दलों में बंट गईं। जैसे असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम ने 5 और बहुजन समाज पार्टी ने 1 सीट जीती। चुनाव में एक निर्दलीय उम्मीदवार भी विजयी हुआ।
मंगलवार की सुबह 8 बजे से शुरू मतगणना देर रात तक जारी रही। तीन चरणों वाले बिहार विधानसभा चुनावों के लिए चुनाव आयोग ने बुधवार की सुबह 4.30 बजे अंतिम परिणाम घोषित किए गए जो राज्य में नए युग का आगाज कर सकते हैं। हालांकि कई एग्जिट पोट ने राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन के जीतने की बात कही थी।
सीटों की संख्या में कमी के बावजूद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नए कार्यकाल के लिए तैयार हैं। उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी प्रमुख जे.पी.नड्डा ने राजग की ओर से मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार पहले ही घोषित कर दिया था।
इन चुनावों में एआईएमआईएम ने 5 सीटें जीतकर सबको चौंका दिया है। इससे पहले के बिहार उपचुनाव में उसने एक ही सीट जीती थी। इन चुनावों के साथ उसका सीमांचल इलाके में अच्छा प्रवेश हुआ है, जहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या अच्छी-खासी है।
अपराध
दिल्ली: रिश्तेदार के घर से ज्वेलरी चुराने वाला चोर गिरफ्तार, आभूषण बरामद

नई दिल्ली, 24 नवंबर: दिल्ली पुलिस ने सोमवार को एक चोर को गिरफ्तार किया, जिसने अपने ही रिश्तेदार के घर से गहने चुरा लिए थे। द्वारका जिले के बिंदापुर पुलिस स्टेशन की टीम ने गिरफ्तारी के बाद चोरी के गहने बरामद कर लिए।
द्वारका पुलिस के एक बयान के मुताबिक, टीम ने आरोपी की निशानदेही पर एक लॉकेट वाली सोने की चेन, एक और सोने की चेन, एक जोड़ी सोने की चेन, एक जोड़ी सोने की बालियां, दो सोने की अंगूठियां और 20 ग्राम का सोने का बिस्किट बरामद किया।
बिंदापुर पुलिस स्टेशन को 9 नवंबर को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 305 के तहत एक ऑनलाइन ई-एफआईआर मिली। इसके बाद, पुलिस की टीम मौके पर पहुंची और शिकायतकर्ता मनजिंदर कौर से मिली, जो असलम सलीम की पत्नी हैं और आर्य समाज रोड, उत्तम नगर, दिल्ली की रहने वाली हैं। उन्होंने बताया कि अनजान लोगों ने उनके घर से गहने चुरा लिए हैं। उनकी शिकायत के आधार पर, ऊपर बताई गई ई-एफआईआर दर्ज की गई।
द्वारका डिस्ट्रिक्ट के डीसीपी के कहने पर जीरो-टॉलरेंस की नीति अपनाते हुए, केस को सुलझाने और दोषी को पकड़ने के लिए बिंदापुर पुलिस स्टेशन से एक टीम बनाई गई। इस टीम में हेड कांस्टेबल नीरज, हेड कांस्टेबल अशोक, कांस्टेबल राजेश डागर और कांस्टेबल आशीष शामिल थे, जिनका सुपरविजन इंस्पेक्टर नरेश सांगवान, स्टेशन हाउस ऑफिसर और ओवरऑल सुपरविजन राजकुमार, असिस्टेंट कमिश्नर ऑफ पुलिस, डाबरी का था।
मामले की जांच के लिए टीम क्राइम स्पॉट पर गई और घर और आस-पास के इलाकों में सीसीटीवी फुटेज चेक की। खास बात यह थी कि जबरदस्ती घुसने का कोई निशान नहीं था, कोई ताला या दरवाजा नहीं तोड़ा गया था, जिससे पुलिस को शक हुआ कि इसमें घर से जान-पहचान वाले या उसी बिल्डिंग में रहने वाले किसी व्यक्ति का हाथ है।
पूछताछ के दौरान पता चला कि शिकायत करने वाले का एक कजन घर आया था और तीन दिन तक वहीं रुका था। पुलिस ने उससे पूछताछ की, जिसकी पहचान परमजीत सिंह के तौर पर हुई। पूछताछ के दौरान परमजीत ने शुरू में अपना परिचय सब-इंस्पेक्टर परमवीर सिंह के तौर पर दिया, लेकिन वह कोई पहचान पत्र नहीं दिखा सका और अपनी कथित पोस्टिंग के बारे में संतोषजनक जवाब नहीं दे सका।
शक होने पर पुलिस ने और गहराई से पूछताछ की। इस दौरान परमजीत ने माना कि वह पुरानी कारों का कमीशन एजेंट का काम करता है और आखिर में उसने शिकायत करने वाली के घर पर चोरी करना कबूल कर लिया, जो उसकी मौसी की बेटी है।
उसने आगे बताया कि उसने चोरी की ज्वेलरी हिमाचल प्रदेश के अंबोटा में अपने नाना के घर पर एक बिस्तर के अंदर छिपा दी थी।
पुलिस ने परमजीत को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे पुलिस रिमांड पर लिया गया। पुलिस की एक टीम उसके साथ हिमाचल प्रदेश गई, जहां से चोरी का सामान सफलतापूर्वक बरामद कर लिया गया। इस मामले में आगे की जांच चल रही है।
दुर्घटना
महाराष्ट्र: नशे में धुत कार चालक ने 6 गाड़ियों को मारी टक्कर, कई लोग घायल

सांगली, 24 नवंबर: महाराष्ट्र के सांगली जिले में एक दिल दहला देने वाला सड़क हादसा सामने आया। बालाजी नगर रोड पर गलत दिशा से आ रही एक तेज रफ्तार स्कोडा कार ने अचानक नियंत्रण खो दिया और सड़क पर चल रही दो टू-व्हीलर समेत कुल 5 से 6 गाड़ियों को जोरदार टक्कर मार दी। इस घटना से क्षेत्र में अफरा-तफरी मच गई और लोग दहशत में आ गए।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, कार चालक नशे में धुत था और तेज रफ्तार में गाड़ी चला रहा था। गलत साइड से आ रही कार ने सबसे पहले एक बाइक को टक्कर मारी, इसके बाद कार अनियंत्रित होते हुए अन्य वाहनों को भी ठोकती चली गई। अचानक हुए इस हादसे में कई वाहन सड़क पर पलट गए और चारों तरफ चीख-पुकार मच गई।
इस हादसे में 5 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। स्थानीय लोगों की मदद से घायलों को तुरंत नजदीकी अस्पताल पहुंचाया गया, जहां उनका इलाज जारी है। घायलों में से कुछ की हालत नाजुक बताई जा रही है।
सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने कार को कब्जे में ले लिया। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि चालक शराब के नशे में था। पुलिस इस पूरे मामले की जांच में जुट गई है।
इससे पहले, महाराष्ट्र के पनवेल में शनिवार सुबह इसी तरह का एक दर्दनाक सड़क हादसा हुआ था। इस हादसे में दो लोगों की मौत हो गई थी और कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे। यह हादसा मुंबई-पुणे एक्सप्रेस-वे के पास उस समय हुआ, जब एक तेज रफ्तार एक्सयूवी-700 कार ने आगे चल रहे एक कंटेनर को पीछे से जोरदार टक्कर मार दी। टक्कर इतनी भयानक थी कि कार का अगला हिस्सा बुरी तरह चकनाचूर हो गया।
पुलिस के अनुसार, कार चालक बहुत तेज गति से गाड़ी चला रहा था और लापरवाही भी बरत रहा था। इसी कारण उसका वाहन पर काबू नहीं रहा और यह भयानक टक्कर हुई। प्राथमिक जांच में सामने आया है कि चालक ने सुरक्षित दूरी भी नहीं रखी थी। पनवेल पुलिस ने वाहन चालक के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है।
अपराध
सुप्रीम कोर्ट आज 2020 दिल्ली दंगा मामले में जमानत के खिलाफ दिल्ली पुलिस की दलीलें सुनेगा

नई दिल्ली, 24 नवंबर: सुप्रीम कोर्ट में 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगा मामले में यूएपीए के तहत आरोपित छात्र नेताओं (शरजील इमाम, उमर खालिद, मीरान हैदर, गुलफिशा फातिमा और शिफा-उर-रहमान) की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई सोमवार को भी जारी रहेगी। सभी आरोपी यूएपीए के कठोर प्रावधानों के तहत गिरफ्तार हैं।
सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर जारी कॉजलिस्ट के अनुसार, जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एनवी अंजारिया की पीठ दिल्ली पुलिस की ओर से जमानत विरोध में पेश की जा रही दलीलों को आगे सुनेगी।
पिछली सुनवाई में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (जो दिल्ली पुलिस का पक्ष रख रहे हैं) ने कहा था कि 2020 की हिंसा कोई अचानक हुई सांप्रदायिक झड़प नहीं थी, बल्कि राष्ट्रीय संप्रभुता पर हमला करने के लिए सुविचारित, सुनियोजित और योजनाबद्ध षड्यंत्र था।
उन्होंने कहा, “हमारे सामने यह कहानी रखी गई कि एक विरोध प्रदर्शन हुआ और उससे दंगे भड़क गए। मैं इस मिथक को तोड़ना चाहता हूं। यह स्वतःस्फूर्त दंगा नहीं था, बल्कि पहले से रचा गया, जो सबूतों से सामने आएगा।”
एसजी मेहता ने दावा किया कि जुटाए गए सबूत (जैसे भाषण और व्हाट्सएप चैट) दिखाते हैं कि समाज को सांप्रदायिक आधार पर बांटने की स्पष्ट कोशिश की गई।
उन्होंने विशेष रूप से शरजील इमाम के कथित भाषण का जिक्र करते हुए कहा, “इमाम कहते हैं कि उनकी इच्छा है कि हर उस शहर में चक्का जाम हो जहां मुसलमान रहते हैं।”
गुरुवार को एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने सुप्रीम कोर्ट में शरजील इमाम के भाषणों के वीडियो और दंगों के दृश्य प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि जांच में जो सामग्री सामने आई है, वह सोची-समझी और समन्वित साजिश को साबित करती है।
दिल्ली पुलिस ने अपने जवाबी हलफनामे में उमर खालिद को ‘मुख्य साजिशकर्ता’ बताया। पुलिस ने आरोप लगाया कि यह साजिश अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत यात्रा के दौरान ध्यान आकर्षित करने के लिए रची गई थी।
हलफनामे में कहा गया, “इसका मकसद सीएए को भारत में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ सामूहिक अत्याचार के रूप में पेश करके इसे अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाना था। ये मुद्दा जानबूझकर चुना गया था, ताकि इसे ‘शांतिपूर्ण विरोध’ के नाम पर छुपाकर, लोगों को कट्टरपंथी बनाने के लिए एक उत्प्रेरक (यानी, भड़काने वाली वजह) के रूप में इस्तेमाल किया जा सके।”
इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने सभी आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
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