राजनीति
नीतीश, कुशवाहा की जोड़ी तेजस्वी के लिए चुनौती !
बिहार में जातीय समीकरण को दुरूस्त कर ही सत्ता के शीर्ष पर पहुंचने की परिपाटी पुरानी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोसपा के जदयू में विलय कर एकबार फिर से ‘लव-कुश’ समीकरण को साधने की कोशिश की है।
कुशवाहा के जदयू में आने के बाद नीतीश कुमार ने जहां उन्हें पार्टी के संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बना दिया, वहीं राज्यपाल कोटे से उन्हें बिहार में उच्च सदन का सदस्य भी बनवा दिया। वैसे, नीतीश और कुशवाहा के एक होने के बाद सबसे बड़ी चुनौती राजद के लिए मानी जा रही है।
आंकडों पर गौर करें तो राजग में उपेंद्र कुशवाहा, जदयू, भाजपा, जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) और मुकेश सहनी की पार्टी विकासशील इंसान पार्टी के साथ रहने के बाद राज्य में जातीय वोटबैंक का बड़ा हिस्सा राजग के साथ माना जा रहा है।
पिछले वर्ष हुए विधानसभा परिणाम पर गौर करें तो राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सत्ता से मामूली अंतर से पिछड़ गई है। राजद का मुख्य वोटबैंक एम-वाई (मुस्लिम-यादव) समीकरण को माना जाता है। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एमआईएमआईएम पहले ही मुस्लिम मतदाताओं में सेंध लगा चुकी है।
नीतीश कुशवाहा को अपने साथ लाकर लव-कुश ( कुर्मी और कुशवाहा) समीकरण को मजबूत करने में जुटी है। गौरतलब बात है कि बिहार की छोटी से छोटी घटनाओं पर अपनी प्रतिक्रिया देने वाले राजद के नेता तेजस्वी यादव रालोसपा के विलय को लेकर अपनी प्रतिक्रिया नहीं दी है।
दीगर बात है कि कुशवाहा के जदयू में आने के पहले ही रालोसपा के कई दिग्गज नेता को तेजस्वी अपने पाले में करने में सफल रहे थे।
बिहार में जातीय समीकरण को दुरूस्त कर सत्ता में पहुंचने की कवायद कोई नई बात नहीं है। लालू प्रसाद भी बिहार में जातीय समीकरण को दुरूस्त कर ही 15 सालों तक सत्ता में बने थे।
कुशवाहा की पार्टी पिछले साल हुए विधनसभा चुनाव में एक भी सीट भले ही नहीं जीत सकी हो लेकिन लोकसभा चुनाव 2014 में रालोसपा 3 सीट पर लड़ी थी, तीनों जीती थी। लोकसभा चुनाव 2019 में रालोसपा 5 सीट पर लड़ी, सभी हारी थी। पिछले विधानसभा चुनाव के बाद कुशवाहा एकबार फिर नीतीश कुमार के साथ आ गए हैं।
विपक्ष हालांकि इसे बहुत तरजीह देने के मूड में नहीं दिखता है। कांग्रेस के नेता और प्रदेश युवक कांग्रेस के अध्यक्ष ललन कुमार कहते हैं कि, “मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपेंद्र कुशवाहा दो टूटे हुए ‘फिलामेंट’ को जोड़कर बल्ब नहीं जलाया जा सकता है। जनता इन्हें पूरी तरह से नकार चुकी है। जदयू का जनाधार खत्म हो चुका है, इसका उदाहरण पिछला चुनाव है।”
उन्होंने कहा कि कहा कि, “दिल्ली की राजनीति से आउट होने के बाद कुशवाहा बिहार में अपनी राजनीतिक अस्मिता बचाने के लिए जदयू में सम्मिलित हुए हैं।”
उन्होंने कहा कि जातीय राजनीति बहुत दिन तक नहीं चलती है। उन्होंने कहा कि सत्ता के लिए दोनों एक साथ हुए हैं। वे इन दोनों को साथ आने को किसी के लिए भी चुनौती नहीं मानते।
राजनीति
भारत का रक्षा उत्पादन वित्त वर्ष 25 में 1.51 लाख करोड़ रुपए रहा, पीएसयू का योगदान 70 प्रतिशत से अधिक

नई दिल्ली, 10 नवंबर: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को कहा कि वर्ष 2024-25 में, भारत ने 1.51 लाख करोड़ रुपए का रक्षा उत्पादन हासिल किया, जिसमें डीपीएसयू का योगदान कुल 71.6 प्रतिशत रहा है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि रक्षा निर्यात 6,695 करोड़ रुपए तक पहुंच गया, जो भारत की स्वदेशी प्रणालियों में वैश्विक विश्वास को दर्शाता है। इससे यह स्पष्ट है कि ‘मेड इन इंडिया’ रक्षा उत्पाद वैश्विक सम्मान प्राप्त कर रहे हैं।
राष्ट्रीय राजधानी में डिफेंस पीएसयू के प्रदर्शन की समीक्षा बैठक में केंद्रीय मंत्री ने देश के रक्षा विनिर्माण इको-सिस्टम को मजबूत करने और आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने में डीपीएसयू के निरंतर योगदान की सराहना की। उन्होंने सरकारी कंपनियों को उनके निरंतर समर्पण और उत्कृष्टता के लिए बधाई देते हुए कहा कि हमारे सभी 16 डीपीएसयू देश की आत्मनिर्भरता के मजबूत स्तंभ के रूप में कार्य कर रहे हैं। ऑपरेशन सिंदूर जैसे अभियानों में उनका उत्कृष्ट प्रदर्शन हमारे स्वदेशी प्लेटफार्मों की विश्वसनीयता और क्षमता का प्रमाण है।
केंद्रीय मंत्री ने इस गति को बनाए रखने की आवश्यकता पर बल देते हुए सभी डीपीएसयू से महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों के तीव्र स्वदेशीकरण, समग्र अनुसंधान एवं विकास, उत्पाद गुणवत्ता संवर्धन, समय पर डिलीवरी और निर्यात बढ़ाने के लिए एक रणनीतिक दृष्टिकोण अपनाने पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया। उन्होंने डीपीएसयू को निर्देश दिया कि वे मापनीय लक्ष्यों के साथ स्पष्ट स्वदेशीकरण और अनुसंधान एवं विकास रोडमैप तैयार करें और अगली समीक्षा बैठक में प्रस्तुत करें।
उन्होंने आगे कहा कि सरकार की ओर से, मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि जहां भी विशेष हस्तक्षेप या सहायता की आवश्यकता होगी, वह तुरंत प्रदान की जाएगी।
इस आयोजन में केंद्रीय मंत्री ने स्टेट-ऑफ-द-आर्ट डीपीएसयू भवन का उद्घाटन किया और जहां डिफेंस पीएसयू के प्रदर्शन की समीक्षा भी की गई।
इस आयोजन के एक भाग के रूप में, डीपीएसयू के बीच तीन प्रमुख समझौता ज्ञापनों का आदान-प्रदान किया गया, जो सहयोग और आत्मनिर्भरता की भावना को दर्शाता है।
महाराष्ट्र
फिल्म आइकॉन धर्मेंद्र वेंटिलेटर सपोर्ट पर: सूत्र

मुंबई, 10 नवम्बर: बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र (89 वर्ष) को सांस लेने में तकलीफ़ के बाद मुंबई के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। सूत्रों के अनुसार, अभिनेता की हालत गंभीर बताई जा रही है और उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया है। डॉक्टरों की एक टीम लगातार उनकी स्थिति पर नज़र रख रही है।
जानकारी के मुताबिक, धर्मेंद्र को कुछ दिन पहले सांस फूलने की शिकायत के बाद अस्पताल लाया गया था। डॉक्टरों ने प्रारंभिक जांच के बाद उन्हें आईसीयू में भर्ती करने का निर्णय लिया। अस्पताल सूत्रों का कहना है कि उनके स्वास्थ्य पैरामीटर फिलहाल सामान्य हैं, लेकिन उम्र को देखते हुए उन्हें निगरानी में रखा गया है।
अभिनेता के बेटे सनी देओल और बॉबी देओल लगातार अस्पताल में मौजूद हैं, जबकि परिवार के अन्य सदस्य और फिल्म इंडस्ट्री के करीबी लोग भी उनका हाल जानने पहुंचे हैं।
धर्मेंद्र के अस्पताल में भर्ती होने की खबर के बाद देशभर में उनके प्रशंसकों और चाहने वालों में चिंता की लहर दौड़ गई है। सोशल मीडिया पर फैन्स और बॉलीवुड हस्तियाँ उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना कर रहे हैं।
धर्मेंद्र, जिन्हें “ही-मैन ऑफ बॉलीवुड” कहा जाता है, ने अपने छह दशकों के फिल्मी करियर में कई सुपरहिट और यादगार फिल्मों में काम किया है। उनकी सादगी और लोकप्रियता आज भी लोगों के दिलों में बरकरार है।
फिलहाल अस्पताल प्रशासन और परिवार की ओर से कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। डॉक्टरों ने बताया कि उनकी स्थिति पर लगातार नज़र रखी जा रही है, और आने वाले दिनों में उनकी तबीयत में सुधार की उम्मीद की जा रही है।
राजनीति
बड़े नेताओं का कांग्रेस से मोहभंग, पार्टी की दुर्गति आगे और बढ़ेगी : रामकदम

RAM KADAM
मुंबई, 10 नवंबर: भाजपा नेता राम कदम ने सोमवार को लाल कृष्ण आडवाणी की तारीफ करके कांग्रेस के निशाने पर आए शशि थरूर का समर्थन किया। उन्होंने कांग्रेस पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर शशि थरूर या कोई भी दूसरा नेता लाल कृष्ण आडवाणी के जन्मदिन पर उनकी तारीफ करता है और उनके अमूल्य योगदान की सराहना करता है, तो कांग्रेस को इससे दिक्कत नहीं होनी चाहिए।
मिडिया से बातचीत में रामकदम ने कहा कि शशि थरूर एक विद्वान नेता हैं। उनका मूल्यांकन सिर्फ राजनीतिक स्तर पर करना अनुचित रहेगा। वे बहुत ही प्रतिभावान नेता हैं। ऐसी स्थिति में अगर उन्होंने लाल कृष्ण आडवाणी की तारीफ कर ही दी, तो इससे कांग्रेस को क्या एतराज है? मुझे लगता है कि कांग्रेस को इस पर खुलकर अपनी बात कहनी चाहिए।
उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि इस पार्टी की सोच ही बहुत ही छोटी है। इसने मन बना लिया है कि ये नाली से बाहर नहीं आएगी। इसने अब नाली को ही पूरी दुनिया समझ ली है और यही इसके पतन का कारण बन रहा है। ऐसी स्थिति में मुझे नहीं लगता है कि आगामी दिनों में भी कांग्रेस के लिए कुछ सकारात्मक संभावनाएं पैदा होंगी। शायद यही वजह है कि आज की तारीख में जितने भी दिग्गज नेता हैं, उन सभी लोगों का कांग्रेस से मोहभंग होता जा रहा है। कांग्रेस की दुर्गति आने वाले दिनों में इसी तरह से बढ़ती रहेगी।
भाजपा नेता रामकदम ने बिना नाम लिए लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी पर भी निशाना साधते हुए कहा कि इनकी स्थिति ऐसी हो चुकी है कि ये अपनी पार्टी की दुर्गति ठीक करने में बिल्कुल भी रुचि नहीं ले रहे हैं। इसके इतर मनगढ़ंत मुद्दों का जिक्र कर रहे हैं, जो मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में बिल्कुल भी प्रासंगिक नहीं है।
उन्होंने कहा कि कभी राहुल गांधी हाइड्रोजन बम का जिक्र करते हैं, तो कभी एटम बम का जिक्र करते हैं, जबकि सच्चाई यह है कि इनके पास दिखाने के लिए कुछ भी नहीं है। ये कभी ब्राजील की महिला को ले आते हैं, तो कभी बिहार की महिला को लेकर आते हैं। बाद में पता चलता है कि यह पूरी तरह से झूठ है, जिसका सच्चाई से कोई लेना-देना नहीं है। इससे यह साफ जाहिर होता है कि ये कांग्रेस के नेता देश के लोगों को गुमराह करने की कोशिश करते हैं ताकि अपने लिए राजनीतिक लाभ अर्जित कर सकें। लेकिन, अब इन लोगों को किसी भी प्रकार का फायदा राजनीतिक स्तर पर होने वाला नहीं है।
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