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Monday,21-April-2025
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एमएससी बैंक घोटाला मामला: ईडी अपराध की आय के अंतिम प्राप्तकर्ताओं की पहचान करना चाहता है

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Directorate Of Enforcement

मुंबई: जबकि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हाल ही में तत्कालीन एमएससीबी (महाराष्ट्र राज्य सहकारी) द्वारा 2010 में सतारा के जरांदेश्वर सहकारी चीनी कारखाना (जरंदेश्वर एसएसके) की कथित धोखाधड़ी बिक्री से संबंधित अपने मनी-लॉन्ड्रिंग मामले में अपनी पहली चार्जशीट पेश की थी। बैंक) के अधिकारी, अपराध की आय के वास्तविक लाभार्थियों और अन्य व्यक्तियों की भूमिका की जांच अभी भी चल रही है। एजेंसी ने अब तक केवल तीन अभियुक्तों को नामित किया है, जिसमें कारखाने के तत्कालीन खरीदार, गुरु कमोडिटी सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड (जीसीएसपीएल), इसके चार्टर्ड एकाउंटेंट और बाद में जरंदेश्वर शुगर मिल्स प्राइवेट लिमिटेड (जेएसएमपीएल) को लीज पर दी गई फर्म शामिल है। ईडी के मुताबिक आरोपी फर्मों ने कथित तौर पर एमएससीबी के तत्कालीन अधिकारियों को प्रभावित किया था। एजेंसी के सूत्रों ने कहा कि एजेंसी आरोपों की पुष्टि कर रही है कि एक अन्य फर्म, स्पार्कलिंग सॉइल प्राइवेट लिमिटेड, जिसके पास उस समय जेएसएमपीएल के अधिकांश शेयर थे, एनसीपी नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री अजीत पवार से जुड़ी हुई थी।

ईडी की जांच 26 अगस्त, 2019 की एक प्रथम सूचना रिपोर्ट के आधार पर शुरू की गई थी, जिसे मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) द्वारा भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज किया गया था, जिसमें आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम शामिल हैं। ईओडब्ल्यू का मामला बॉम्बे हाईकोर्ट के 22 अगस्त, 2019 के आदेश के अनुपालन में दर्ज किया गया था। ईओडब्ल्यू की प्राथमिकी में आरोप लगाया गया था कि एमएससीबी के तत्कालीन अधिकारियों और निदेशकों द्वारा कई एसएसके को धोखाधड़ी से उनके रिश्तेदारों / निजी व्यक्तियों को कम कीमतों पर बेच दिया गया था, बिना वित्तीय संपत्तियों के प्रतिभूतिकरण और पुनर्निर्माण और सुरक्षा हित अधिनियम के प्रवर्तन के तहत निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना। ईडी के एक अधिकारी ने कहा। “पीएमएलए के तहत की गई जांच से पता चला है कि एमएससीबी ने वर्ष 2010 में जरंदेश्वर एसएसके की नीलामी 65.75 करोड़ रुपये के कम मूल्य पर और उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना की थी। अजीत पवार प्रासंगिक समय में एमएससीबी के निदेशक मंडल के प्रमुख और प्रभावशाली सदस्यों में से एक थे, ”अधिकारी ने कहा।

एजेंसी ने जुलाई 2021 में, जरांदेश्वर एसएसके की भूमि, भवन/संरचना और संयंत्र-मशीनरी सहित संपत्तियों को अस्थायी रूप से कुर्क किया था। संपत्ति जीसीएसपीएल के नाम पर थी और जेएसएमपीएल को पट्टे पर दी गई थी। ईडी ने तब दावा किया था कि स्पार्कलिंग सॉइल के पास जेएसएमपीएल के बहुमत शेयर हैं और इसकी जांच से पता चला है कि पूर्व कथित रूप से पवार और उनकी पत्नी सुनेत्रा से संबंधित था। पवार और सुनेत्रा को आरोपी के रूप में नामित नहीं किया गया था। चूंकि मामले में विधायिका द्वारा कोई आरोप पत्र दायर नहीं किया गया है, एजेंसी के अनुसार, कंपनी, जेएसएमपीएल के वास्तविक लाभार्थियों की पहचान करने के लिए ईडी की जांच जारी है। सूत्रों ने कहा कि जेएसएमपीएल के स्वामित्व और शेयरहोल्डिंग पैटर्न में पिछले कई वर्षों में कई बार बदलाव आया है और जेएसएमपीएल और जीसीएसपीएल के बीच सटीक संबंध की भी जांच की जा रही है ताकि अपराध की आय के अंतिम प्राप्तकर्ताओं पर नज़र रखी जा सके।

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नासिक : धार्मिक स्थल को लेकर उड़ी अफवाह के बाद बवाल, पथराव में कई घायल

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नासिक, 16 अप्रैल। नासिक के काठे गली इलाके में मंगलवार रात पुलिस पर पथराव किया गया। यह घटना तब हुई जब क्षेत्र में बिजली कट गई और इसी अंधेरे का फायदा उठाकर भीड़ ने अचानक पुलिस और आसपास खड़े वाहनों पर पत्थर बरसाने शुरू कर000000 दिए। इस हिंसक घटनाक्रम में तीन से चार पुलिसकर्मी घायल हो गए, जबकि पांच वाहन भी क्षतिग्रस्त हो गए हैं। हंगामे की वजह एक धार्मिक स्थल को लेकर उड़ी अफवाह बताई जा रही है।

स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए पुलिस को तत्काल कार्रवाई करनी पड़ी। रात में करीब 500 पुलिसकर्मियों को मौके पर तैनात किया गया ताकि हालात और न बिगड़ें। बताया जा रहा है कि हंगामे के समय करीब 400 से 500 लोग मौजूद थे। पुलिस ने किसी भी अप्रिय स्थिति से बचने के लिए इलाके में ट्रैफिक मार्गों में बदलाव भी कर दिए हैं। प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों ने मिलकर हालात पर कड़ी नजर रखी और रात भर गश्त जारी रही।

सूत्रों ने बताया कि इस पूरे मामले की जड़ एक विवादास्पद धार्मिक स्थल है, जिस पर पिछले कुछ दिनों से तनाव की स्थिति बनी हुई थी। नगरपालिका ने 1 अप्रैल को अदालत के आदेश के बाद एक अनधिकृत निर्माण पर नोटिस दिया था, जिसमें कहा गया था कि यदि निर्माण को स्वयं नहीं हटाया गया तो प्रशासन उचित कार्रवाई करेगा। इस चेतावनी के बावजूद धार्मिक स्थल को नहीं हटाया गया, जिससे स्थानीय लोगों में असंतोष और तमाम तरह की अफवाह फैल गई।

अधिकारियों ने बताया कि इस क्षेत्र में कुछ धार्मिक स्थलों का निर्माण बिना अनुमति के किया गया था और इन्हें हटाने के लिए नोटिस दिया गया था, जिसके बाद यह घटना हुई है। अगले दो दिनों में ऐसे सभी अनधिकृत धार्मिक स्थलों को हटाया जाएगा। नासिक पुलिस का कहना है पुलिस पूरे इलाके में शांति बनाए रखने के लिए कार्रवाई कर रही है। पुलिस और प्रशासनिक अमले की मौजूदगी अब भी इलाके में बनी हुई है और स्थिति पर नजर रखी जा रही है।

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जयपुर: ईडी ने पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के आवास पर छापेमारी की

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जयपुर, 15 अप्रैल। केंद्रीय प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को जयपुर में बड़ी कार्रवाई करते हुए पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के आवास पर छापेमारी शुरू की। प्रताप सिंह राजस्थान की पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं।

यह कार्रवाई प्रदेश के चर्चित 2,850 करोड़ रुपये के पीएसीएल घोटाले से जुड़ी बताई जा रही है। कांग्रेस नेता प्रताप सिंह पर आरोप है कि घोटाले की कुछ राशि उनके पास भी है।

सुप्रीम कोर्ट ने 2 फरवरी 2016 को सेवानिवृत्त सीजेआई आरएम लोढ़ा की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया था। कोर्ट ने कमेटी से कहा था कि पीएसीएल की संपत्तियों को नीलाम करके 6 माह में लोगों को ब्याज सहित भुगतान करें। सेबी के आकलन के अनुसार, पीएसीएल की 1.86 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति है, जो निवेशकों की जमा राशि की तुलना में 4 गुना है।

पीएसीएल कंपनी की योजनाओं को अवैध मानते हुए सेबी ने 22 अगस्त 2014 को कंपनी के कारोबार बंद कर दिए थे, जिसके चलते निवेशकों की पूंजी कंपनी के पास जमा रह गई। इसके बाद कंपनी और सेबी के बीच सुप्रीम कोर्ट में केस चला और सेबी केस जीत गई। 17 साल तक राज्य में रियल एस्टेट में निवेश का काम करने वाली पीएसीएल में प्रदेश के 28 लाख लोगों ने करीब 2,850 करोड़ और देश के 5.85 करोड़ लोगों ने कुल 49,100 करोड़ का निवेश किया था।

कंपनी पर बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, असम, कर्नाटक, जयपुर ग्रामीण, उदयपुर, आंध्र प्रदेश, पंजाब, छत्तीसगढ़ समेत आधे से ज्यादा राज्यों में मुकदमे दर्ज हैं। इस घोटाले का पहला खुलासा जयपुर में ही हुआ था, जब 2011 में चौमू थाने में ठगी और चिट फंड एक्ट के तहत पहला केस दर्ज किया गया। मामले में प्रताप सिंह की भागीदारी 30 करोड़ के आसपास बताई जा रही है, जिसको लेकर अब ईडी जांच कर रही है।

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सलमान खान को फिर मिली जान से मारने की धमकी

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मुंबई: फिल्म अभिनेता सलमान खान को एक बार फिर जान से मारने की धमकी मिली है। सलमान खान लॉरेंस बिश्नोई गैंग के निशाने पर हैं और लॉरेंस गैंग सलमान को जान से मारने की धमकी भी दे चुका है, जिसके बाद से सलमान खान को सोशल मीडिया पर लगातार जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं। मुंबई ट्रैफिक कंट्रोल रूम को एक व्हाट्सएप संदेश मिला जिसमें सलमान खान को उनके घर में घुसकर जान से मारने और उनकी कार को बम से उड़ाने की धमकी दी गई है। यह धमकी भरा संदेश मिलने के बाद वर्ली पुलिस ने ट्रैफिक पुलिस की शिकायत पर अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ धमकी का मामला दर्ज कर लिया है।

मुंबई पुलिस अब इस बात की जांच कर रही है कि सलमान खान को धमकी देने वाला शख्स किसी गिरोह से जुड़ा है या फिर किसी ने शरारत में यह धमकी दी है। धमकी भरे संदेश के बाद पुलिस भी अलर्ट पर है। सलमान खान के घर के आसपास सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। इसके साथ ही सलमान खान को वाई प्लस सुरक्षा भी प्राप्त है। ऐसे में पुलिस ने भी इस धमकी को गंभीरता से लिया है।

मुंबई पुलिस आयुक्त विवेक पंचालकर ने भी पुलिस को धमकी भरे फोन कॉल, व्हाट्सएप या सोशल मीडिया पर धमकी भरे संदेशों को लेकर सतर्क रहने का आदेश दिया है। मुंबई पुलिस और क्राइम ब्रांच भी इस मामले की जांच कर रही है। सलमान खान की जान को खतरा है, इसलिए पुलिस किसी भी तरह की लापरवाही नहीं बरतना चाहती है और पुलिस ने इस मामले में जांच भी शुरू कर दी है। सलमान खान को इससे पहले भी कई बार जान से मारने की धमकियां मिल चुकी हैं। पुलिस ने इस मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार भी किया है।

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