राजनीति
मोदी सरकार जन अधिकार खत्म करने की कोशिश में : राहुल गांधी
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने जन अधिकारों को लेकर बीजेपी पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार शुरू से जन अधिकारों को खत्म करने की कोशिश करती आ रही है।
राहुल गांधी ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोलते हुए ट्विट कर कहा, जन अधिकारों के बिना दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का क्या मतलब? मोदी सरकार शुरू से जन अधिकारों को खत्म करने की कोशिश करती आ रही है। मौलिक अधिकारों समेत क्या इन अधिकारों के बिना आप भारत की कल्पना तक कर सकते हैं?
उन्होंने कुछ अधिकारों को गिनाते हुए कहा, भोजन का अधिकार- ताकि किसी को भूख का सामना ना करना पड़े। शिक्षा का अधिकार- आज बच्चा-बच्चा स्कूल जाता है, एक बेहतर कल बनाता है। अपने लिए और देश के लिए। रोजगार का अधिकार- भाजपा के कट्टर विरोध के बावजूद यूपीए ने जनता को रोजगार की सुरक्षा दी। कोविड के मुश्किल समय में भी इससे देशवासियों को सहारा मिला।
राहुल गांधी ने कहा, जानकारी का अधिकार- लोकतंत्र का दूसरा नाम पारदर्शिता है। जनता को सवाल करने और जवाब पाने का अधिकार है। आरटीआई भी यूपीए ने दिया। इनमें से किस अधिकार से पीएम को आपत्ति है? और क्यों?
एक दिन पहले ही शुक्रवार को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस युवाओं के लिए अलग घोषणपत्र ‘भर्ती विधान’ जारी किया। इस मौके पर राहुल गांधी ने कहा हिंदुस्तान को जो मोदी सरकार ने विजन दिया था आज वो फेल हो गया है, हिंदुस्तान को विजन कांग्रेस पार्टी ही दे सकती है बीजेपी का विजन देश का विजन नहीं हो सकता। भारत में एक नई विजन के तहत काम करने की जरूरत है, उत्तरप्रदेश इसका इंतजार कर रहा है।
राहुल गांधी ने कहा युपी में पिछले 5 सालों में 16 लाख युवाओं ने रोजगार खोया है। हर दिन 880 युवा रोजगार खो रहे हैं।
राजनीति
दिल्ली की हवा साफ करने के मिशन में किसी तरह की ढिलाई बर्दाश्त नहीं : पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा

नई दिल्ली, 22 दिसंबर : मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में दिल्ली सरकार राजधानी में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए बहु-स्तरीय रणनीति पर तेज़ी से काम कर रही है। बीते चार दिनों से लागू ग्रैप-4 के सख़्त प्रावधानों के सकारात्मक असर अब ज़मीन पर दिखने लगे हैं और हवा की गुणवत्ता में सुधार दर्ज किया जा रहा है।
पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि “नो पीयूसी, नो फ्यूल” नियम लागू होने के बाद अब तक 2 लाख से ज्यादा वाहनों की पीयूसी जांच हुई है और सर्टिफिकेट्स दिए गए। साथ ही 10,000 वाहन मानकों पर खरे नहीं उतर सके। उन्होंने कहा कि यह इस बात का साफ संकेत है कि सख्त प्रवर्तन सही दिशा में असर दिखा रहा है।
माननीय मंत्री ने यह भी जानकारी दी कि सभी पीयूसी केंद्रों को आधुनिक और उन्नत मशीनों से अपग्रेड किया जा रहा है, ताकि जांच में देरी न हो और नतीजे सही रहें। इसके साथ ही पीयूसी व्यवस्था को और भरोसेमंद बनाने के लिए थर्ड-पार्टी जांच प्रणाली लागू की जा रही है। परिवहन विभाग की तकनीकी टीमें लगातार मौके पर निगरानी कर रही हैं ताकि किसी तरह की गड़बड़ी न हो।
आज से दिल्ली भर में प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों के खिलाफ अभियान और तेज कर दिया गया है। जो भी औद्योगिक इकाई वायु प्रदूषण के नियमों का उल्लंघन करती पाई जाएगी, उसे तुरंत सील किया जाएगा। 31 दिसंबर तक ओईसीएम सर्टिफिकेशन के लिए आवेदन न करने वाले उद्योगों पर भी सख्त कार्रवाई होगी।
एमसीडी और डीपीसीसी मिलकर शहर में चल रहे अवैध और अनधिकृत औद्योगिक यूनिट्स की पहचान कर रहे हैं। ऐसे सभी यूनिट्स बंद किए जाएंगे। मंत्री ने कहा, “दिल्ली सरकार 100 प्रतिशत अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।”
श्री सिरसा ने बताया कि धूल नियंत्रण के लिए सड़कों पर दिन-रात सफाई और पानी का छिड़काव किया जा रहा है। साथ ही लैंडफिल साइट्स पर रोजाना करीब 35,000 मीट्रिक टन कचरे की वैज्ञानिक तरीके से बायो-माइनिंग की जा रही है, ताकि पुराने कचरे के पहाड़ खत्म हों और धूल से होने वाला प्रदूषण घटे।
माननीय मंत्री ने शहर के जलाशयों को पुनर्जीवित करने की दिशा में हो रही प्रगति की भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य है कि जो जलाशय वर्षों से खत्म या अतिक्रमण का शिकार हो चुके हैं, उनमें से कम से कम 50 प्रतिशत को आने वाले दिनों में उनके मूल स्वरूप में वापस लाया जाए। ये जलाशय धूल को कम करने और शहर के पर्यावरण को बेहतर बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं।”
वर्क-फ्रॉम-होम निर्देशों को लेकर मंत्री ने साफ कहा कि ग्रैप-4 के तहत 50 प्रतिशत वर्क-फ्रॉम-होम का पालन न करने वाली निजी कंपनियों पर कार्रवाई होगी। सुविधा जरूरी है, लेकिन लोगों की सेहत से समझौता नहीं किया जा सकता।
एएनपीआर कैमरों में तकनीकी खामियों की खबरों पर प्रतिक्रिया देते हुए माननीय मंत्री ने कहा कि परिवहन विभाग इस मुद्दे को देख रहा है। उन्होंने पिछली सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि जिन योजनाओं को उन्होंने संभाला, वहां भी लापरवाही रही। हमने सोचा था कि कम से कम ये कैमरे तो ठीक होंगे, लेकिन यहां भी शिकायतें सामने आ रही हैं।
सिरसा ने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री पर तीखा हमला करते हुए कहा कि जो लोग दस साल तक दिल्ली पर राज कर गए और प्रदूषण, बदइंतजामी और भ्रष्टाचार छोड़ गए, वे अब सिर्फ़ पोलिटिकल टूरिस्ट जैसे फोटो खिंचवाने और कार्यक्रमों में दिखने के लिए आते हैं। उन्होंने कहा, “ऐसे लोगों को दिल्ली के पर्यावरण पर बोलने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।”
अंत में पर्यावरण मंत्री ने दिल्ली के नागरिकों और अधिकारियों का सहयोग के लिए धन्यवाद दिया और आगे भी साथ देने की अपील की। उन्होंने कहा, “सरकार पूरी दृढ़ता से आगे बढ़ रही है। मिलकर हम दिल्ली को और साफ, सुरक्षित और स्वस्थ बना सकते हैं।”
राजनीति
योगी सरकार ने विधानसभा में प्रस्तुत किया 24,496.98 करोड़ का अनुपूरक बजट

लखनऊ, 22 दिसंबर : योगी सरकार ने सोमवार को विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 24,496.98 करोड़ रुपए का अनुपूरक बजट प्रस्तुत किया। वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बजट पेश करते हुए कहा कि यह अनुपूरक बजट प्रदेश में विकास की निरंतरता बनाए रखने, आवश्यक क्षेत्रों में अतिरिक्त संसाधन उपलब्ध कराने और बदलती जरूरतों के अनुरूप योजनाओं को गति देने के उद्देश्य से लाया गया है।
वित्त मंत्री ने बताया कि वर्ष 2025-26 के लिए प्रदेश का मूल बजट 8,08,736.06 करोड़ रुपए का था, जबकि प्रस्तुत अनुपूरक बजट मूल बजट के अनुपात में 3.03 प्रतिशत है। अनुपूरक बजट को मिलाकर वित्तीय वर्ष 2025-26 का कुल बजट अब 8,33,233.04 करोड़ का हो गया है। यह बजट विकासात्मक प्राथमिकताओं को और अधिक सुदृढ़ करने पर केंद्रित है।
प्रस्तुत अनुपूरक बजट में राजस्व व्यय के रूप में 18,369.30 करोड़ रुपए और पूंजीगत व्यय के रूप में 6,127.68 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। सरकार का उद्देश्य राजस्व आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ-साथ पूंजीगत निवेश को बढ़ाकर आधारभूत ढांचे को मजबूत करना है।
वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि अनुपूरक बजट में प्रदेश की आर्थिक प्रगति और जनकल्याण से जुड़े प्रमुख क्षेत्रों को प्राथमिकता दी गई है। इसके अंतर्गत औद्योगिक विकास के लिए 4,874 करोड़ रुपए, पावर सेक्टर के लिए 4,521 करोड़ रुपए, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के लिए 3,500 करोड़ रुपए, नगर विकास के लिए 1,758.56 करोड़ रुपए और तकनीकी शिक्षा के लिए 639.96 करोड़ रुपए की धनराशि प्रस्तावित की गई है।
अनुपूरक बजट में सामाजिक और भविष्य उन्मुख क्षेत्रों पर भी विशेष ध्यान दिया गया है। इसके तहत, महिला एवं बाल विकास के लिए 535 करोड़ रुपए, यूपीनेडा (सौर एवं नवीकरणीय ऊर्जा) के लिए 500 करोड़ रुपए, मेडिकल एजुकेशन के लिए 423.80 करोड़ रुपए, गन्ना एवं चीनी मिल क्षेत्र के लिए 400 करोड़ रुपए की बजटीय व्यवस्था की गई है।
वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया कि योगी सरकार ने एफआरबीएम अधिनियम की सीमा का हमेशा पालन किया है और किसी भी स्तर पर वित्तीय अनुशासन से समझौता नहीं किया गया। भारत सरकार के पत्रक के अनुसार उत्तर प्रदेश की जीडीपी 31.14 लाख करोड़ रुपए आंकी गई है, जो पहले के अनुमानों से अधिक है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश आज रेवेन्यू सरप्लस स्टेट के रूप में उभर रहा है, जो राज्य की मजबूत आर्थिक स्थिति को दर्शाता है।
उन्होंने कहा कि जब किसी वित्तीय वर्ष में स्वीकृत धनराशि व्यय की वास्तविक आवश्यकताओं के लिए अपर्याप्त हो जाती है, तब अनुपूरक अनुदान की मांग विधानमंडल के समक्ष प्रस्तुत की जाती है। कई बार नई मदों पर व्यय की आवश्यकता होती है या योजनाओं में महत्वपूर्ण परिवर्तन के कारण विधानमंडल की स्वीकृति अनिवार्य हो जाती है।
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महाराष्ट्र स्थानीय निकाय चुनाव के नतीजों ने शिंदे पर सवाल उठाने वाले का मुंह बंद किया : मनीषा कायंदे

मुंबई, 22 दिसंबर : शिवसेना नेता मनीषा कायंदे ने महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनाव में महायुति को मिली जीत का श्रेय राज्य के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे को दिया। उन्होंने कहा कि पहली बार इस स्थानीय चुनाव में शिवसेना उतरी और शानदार प्रदर्शन करते हुए अपनी कुशलता का परिचय दिया।
मनीषा कायंदे ने सोमवार को आईएएनएस से बातचीत में कहा कि स्थानीय निकाय चुनाव में जीत का श्रेय जमीनी स्तर पर काम करने वाले सभी शिवसैनिकों को भी जाता है। इस दिशा में हमारी पार्टी ने शानदार काम किया है। इसके लिए शिवसेना की तारीफ की जानी चाहिए।
उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनाव में शिवसेना को मिली जीत ने यह साबित कर दिया है कि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व और कुशलता में किसी भी प्रकार का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता है। पिछले कुछ दिनों से एकनाथ शिंदे की कार्यशैली पर लोग सवाल उठा रहे थे। लेकिन, महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनाव में जिस तरह की जीत शिवसेना ने हासिल की है, वो सराहनीय है। इस जीत ने एकनाथ शिंदे पर सवाल उठाने वालों का मुंह बंद कर दिया।
उन्होंने महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनावों में विपक्षी दलों के प्रदर्शन पर कहा कि आज की तारीख में विपक्ष की प्रासंगिकता पूरी तरह खत्म हो चुकी है। इन लोगों ने जमीनी स्तर पर उतरकर चुनाव प्रचार नहीं किया, प्रचार में इन लोगों के साथ कोई भी खड़ा नहीं दिखा। प्रदेश की जनता इन लोगों से क्या ही उम्मीद करेगी। विपक्षी दलों की दुर्गति का आलम यह है कि इनका पूरा नैरेटिव खत्म हो चुका है। पहले इन लोगों ने ईवीएम का जिक्र किया, फिर वोट चोरी का जिक्र किया। विपक्ष ने अपनी तरफ से जनता को गुमराह करने के कई प्रयास किए। इनको यह समझना होगा कि घर में बैठे-बैठे चुनाव नहीं लड़े जाते हैं। अगर आपको चुनाव लड़ना है, तो इसके लिए जमीन पर उतरना होगा।
शिवसेना नेता ने बताया कि महाविकास अघाड़ी स्वार्थ के दम पर बनाया गया गठबंधन था। ये लोग एक-दूसरे के साथ स्वार्थ की वजह के चलते जुड़े थे। इन्हें प्रदेश की जनता से कोई सरोकार नहीं था। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की ही स्थिति देख लीजिए। जब संसद का सत्र शुरू होता है, तो राहुल गांधी विदेश में जाकर बैठ जाते हैं। ऐसी स्थिति में लोग इनसे क्या उम्मीद कर सकते हैं।
उन्होंने राज ठाकरे की राजनीतिक कुशलता को लेकर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि राज ठाकरे लगातार राजनीति के नाम पर पारिवारिक मुलाकात कर रहे हैं, जिससे किसी भी प्रकार का कोई फायदा नहीं हुआ। इन्हें लगता है कि इस तरह की मुलाकात से किसी भी प्रकार का फायदा होगा, तो यह इनकी गलतफहमी है।
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