राजनीति
बिहार चुनाव को प्रवासी मजदूरों के वोट करेंगे प्रभावित
बिहार में कोरोना संक्रमण काल में अन्य राज्यों से बड़ी संख्या में लोग वापस अपने घर लौटे हैं। माना जा रहा है कि इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में ये प्रवासी मजदूर अहम भूमिका में होंगे। यही कारण राज्य के सभी राजनीतिक दल इन प्रवासी मजूदरों को लुभाने में जुटे हैं।
सरकारी आंकडों की मानें तो कोरोना काल और लॉकडाउन के दौरान बिहार में अबतक करीब 25 लाख प्रवासी लौट चुके हैं। इनमें करीब 15 लाख से अधिक क्वारंटीन सेंटरों में रह चुके हैं। इनके अतिरिक्त बिहार में पैदल, बस और अन्य साधनों से भी वापस अपने गांव लौटे हैं।
इसमें से कई लोग ऐसे भी बताए जाते हैं कि जिनका यहां के मतदाता सूची में नाम नहीं हैं तथा इनमें कई ऐसे भी लोग हैं, हाल के दिनों में 18 वर्ष की आयु पूरी किए हैं।
बिहार निर्वाचन आयोग पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि प्रवासी मजदूरों के नाम मतदाता सूची में डालने के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा। ऐसे में तय माना जा रहा है कि बिहार में मतदाताओं की संख्या कम से कम 15 लाख बढ़ेगी। बिहार में फिलहाल 7 करोड़ 18 लाख मतदाता हैं।
पिछले विधानसभा चुनाव के परिणाम को देखें तो जीत-हार का अंतर औसतन 30 हजार वोटों का रहा था। ऐसे में तय माना जा रहा है कि इस साल के अंत में होने वाले संभावित विधानसभा चुनाव में इन प्रवासी मजदूरों का वोट महत्वपूर्ण होगा। ऐसा नहीं कि प्रवासी मजदूर किसी खास इलाकों में पहुंचे है। ये प्रवासी मजदूर करीब सभी विधानसभा क्षेत्रों में पहुंचे हैें।
उल्लेखनीय है कि बिहार के सभी राजनीतिक दल प्रवासी मजूदरों को साधने में जुटे हैं। यही कारण है कि सभी दल उनके सबसे अधिक शुभचिंतक साबित करने में लगे हैं। बिहार में सत्तारूढ़ दल जहां प्रवासी मजदूरों को हर सुविधा देने का दावा कर रही है, वहीं विपक्ष सरकार पर प्रवासी मजदूरों को लेकर निशाना साध रही है।
बिहार के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के मंत्री नीरज कुमार कहते हैं कि कोरोना संक्रमण की वर्तमान स्थिति को लेकर लगातार समीक्षा की जा रही है और सरकार द्वारा सभी आवश्यक कार्रवाई की जा रही है।
उन्होंने कहा, “कोरोना संक्रमण से बचाव एवं लॉकडाउन पीरियड को ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा लोगों को अनेक प्रकार से राहत पहुंचाई जा रही है। लोगों को राहत प्रदान करने में अभी तक 8,538 करोड़ रूपये से अधिक की राशि व्यय हुई है। इसके अलावा प्राकृतिक आपदा से किसानों की जो फसल क्षति हुई है, उसके लिए 730 करोड़ रूपये स्वीकृत किये गये हैं। कोरोना उन्मूलन कोष का गठन किया गया है। इसमें करीब 180 करोड़ रूपये का प्रावधान कोविड संक्रमण से निपटने के उपायों एवं स्वास्थ्य संबंधी उपकरणों एवं दवाओं की खरीद के लिए किया गया है।”
इधर, विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव प्रवासी मजदूरों को लेकर सरकार पर निशाना साधते रहे हैं। राजद का कहना है कि राज्य और केंद्र सरकार ने प्रवासी मजदूरों के लिए कोई उपाय नहीं किया और उन्हें भगवान भरोसे छोड़ दिया।
महाराष्ट्र
मुंबई में एयर पॉल्यूशन पर कंट्रोल और इंडेक्स में सुधार, म्युनिसिपल कमिश्नर की गाइडलाइंस का सख्ती से पालन करने के निर्देश जारी

मुंबई: मुंबई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन मुंबई (मुंबई शहर और उपनगर) इलाके में एयर पॉल्यूशन को कंट्रोल करने के लिए कई असरदार कदम उठा रहा है। इसमें प्राइवेट प्रोजेक्ट्स के साथ-साथ सरकारी प्रोजेक्ट्स जैसे सड़क, मेट्रो वगैरह भी शामिल हैं। हवा की स्पीड भी अब बेहतर हुई है। इन बड़े कारणों से, मुंबई में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 26 नवंबर, 2025 से लगातार बेहतर हो रहा है और पिछले 48 घंटों में इसमें काफी सुधार हुआ है। म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन द्वारा जारी 28-पॉइंट गाइडलाइंस का सख्ती से पालन करने पर ज़ोर दिया जा रहा है। इसके लिए, अलग-अलग कंस्ट्रक्शन को ‘काम रोको’ नोटिस जारी किए गए हैं। मुंबई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन कमिश्नर और एडमिनिस्ट्रेटर भूषण गगरानी ने इन निर्देशों का उल्लंघन करने वाले प्राइवेट, सरकारी और गैर-सरकारी प्रोजेक्ट्स के खिलाफ कार्रवाई करने के सख्त निर्देश दिए हैं। साथ ही, मुंबई के लिए ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान स्टेज-4 (GRAP-4) अभी लागू नहीं है। हालांकि, मॉनिटरिंग के बारे में निर्देश दिए गए हैं, यह भी उन्होंने साफ किया। मुंबई में एयर पॉल्यूशन को कंट्रोल करने के लिए, मुंबई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन कमिश्नर और एडमिनिस्ट्रेटर भूषण गगरानी के निर्देशों के अनुसार, एडिशनल म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन कमिश्नर (सिटी) डॉ. अश्विनी जोशी के गाइडेंस में कई कदम उठाए जा रहे हैं।
म्युनिसिपल कमिश्नर और एडमिनिस्ट्रेटर भूषण गगरानी ने कहा कि बृहन्मुंबई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन मुंबई (मुंबई शहर और उपनगर) इलाके में एयर पॉल्यूशन को कंट्रोल करने के लिए असरदार कदम उठा रहा है। इनमें बेकरी और श्मशान घाटों को साफ फ्यूल में बदलना, धूल को कंट्रोल करने के लिए मिस्टिंग मशीन की मदद से स्प्रे करना, सड़कों को पानी से धोना और खास सफाई अभियान चलाना और नागरिकों में जागरूकता पैदा करना जैसे कई कदम शामिल हैं। 15 अक्टूबर, 2024 को, मुंबई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन ने एयर पॉल्यूशन को कंट्रोल करने के लिए 28 पॉइंट्स को कवर करते हुए पूरी गाइडलाइंस जारी की हैं। इन निर्देशों का सख्ती से पालन सुनिश्चित करने के लिए, म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन ने सभी एडमिनिस्ट्रेटिव डिवीज़न (वार्ड) लेवल पर कुल 94 फ्लाइंग स्क्वॉड तैनात किए हैं। इन टीमों ने प्राइवेट प्रोजेक्ट्स के साथ-साथ सड़क, मेट्रो आदि जैसे सरकारी प्रोजेक्ट्स का भी इंस्पेक्शन किया और निर्देशों का उल्लंघन करने वालों को नोटिस जारी किए। टीम कंस्ट्रक्शन साइट पर सेंसर-बेस्ड एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) मेज़रमेंट प्लांट के काम करने का इंस्पेक्शन भी कर रही है। गगरानी ने यह भी बताया कि मुंबई पोर्ट अथॉरिटी एरिया में आग जलाने पर रोक लगाने के प्रपोज़ल को संबंधित अधिकारियों से पॉज़िटिव रिस्पॉन्स मिल रहा है। मुंबई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के उठाए गए अलग-अलग कदमों की वजह से, 26 नवंबर, 2025 से मुंबई में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) में लगातार सुधार हो रहा है। इसके अलावा, 28 नवंबर, 2025 से पहले हवा की स्पीड 3 से 4 kmph थी और हवा में नमी थी। हालांकि, अब इसमें सुधार हुआ है और हवा की स्पीड 10 से 18 kmph तक पहुंच गई है। नतीजतन, एयर क्वालिटी इंडेक्स में सुधार हो रहा है। गगरानी ने अपील की है कि मुंबई में एयर पॉल्यूशन को कंट्रोल करने के लिए म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन द्वारा जारी गाइडलाइंस को सभी प्राइवेट, सरकारी और गैर-सरकारी प्रोजेक्ट्स द्वारा सख्ती से लागू किया जाना चाहिए, बेकरी को जल्द से जल्द साफ फ्यूल में बदला जाना चाहिए, और नागरिक खुले में कचरा जलाने से बचें और म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन की कोशिशों में सहयोग करें।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
एक दिन में पाकिस्तान और ईरान से निकाले गए 4000 अफगान रिफ्यूजी

काबुल, 1 दिसंबर: 4000 से ज्यादा अफगान शरणार्थियों को ईरान और पाकिस्तान ने एक ही दिन में चलता कर दिया। इन्हें जबरदस्ती देश से निकाला गया और इसकी जानकारी तालिबान के हवाले से अफगान मीडिया ने दी।
पझवोक अफगान न्यूज ने अपनी रिपोर्ट में तालिबान के उप प्रवक्ता हमदुल्ला फितरत के एक्स पोस्ट का जिक्र किया। फितरत ने सोशल प्लेटफॉर्म पर प्रवासी मुद्दों को सुलझाने के लिए गठित उच्चायुक्त की रिपोर्ट शेयर की, जिसमें रविवार को 4,834 सदस्यों वाले 1,053 परिवारों के अफगानिस्तान लौटने का जिक्र था।
पोस्ट के मुताबिक, रिफ्यूजी नंगरहार में तोरखम क्रॉसिंग, हेरात में इस्लाम कला क्रॉसिंग, निमरोज में पुल-ए-अब्रेशम, कंधार में स्पिन बोल्डक और हेलमंद में बहरामचा के जरिए अफगानिस्तान में दाखिल हुए।
फितरत ने कहा कि 6,566 सदस्यों वाले 1,160 परिवारों को उनके अपने इलाकों में ले जाया गया, जबकि 780 परिवारों को मानवीय मदद दी गई। इसके अलावा, अफगानिस्तान लौटने वाले अफगान रिफ्यूजी को 827 सिम कार्ड दिए गए।
हमदुल्ला फितरत ने कहा कि शनिवार को पाकिस्तान और ईरान से 1,188 परिवारों (जिनमें 6,553 लोग शामिल थे) को जबरदस्ती अफगानिस्तान वापस भेज दिया गया।
पिछले हफ्ते, अफगान मीडिया ने बताया कि इस्लामाबाद पुलिस ने पाकिस्तान की राजधानी स्थित अर्जेंटीना पार्क में रात भर छापा मारा। कई अफगान शरणार्थियों और महिला एक्टिविस्ट्स को पहले पीटा गया, फिर उन्हें हिरासत में लिया गया।
अफगान मीडिया आउटलेट अमू टीवी ने सूत्रों के हवाले से बताया कि पुलिस ने रात में पूर्व सूचना के बगैर पार्क को घेर लिया और लगभग 200 अफगान परिवारों और एक्टिविस्ट्स के लगाए तंबू निकाल फेंके और उन्हें जबरदस्ती हटा दिया। सभी लगभग चार महीने से वहां रह रहे थे।
वीडियो संदेश में, एक प्रवासी ने कहा, “वे आए, सबको इकट्ठा किया, सारे टेंट हटा दिए और हमें गाड़ियों में भर दिया। कुछ बच्चे घायल हैं। हमें नहीं पता कि वे हमें कहां ले जा रहे हैं।”
एक और समाजसेवी, जिसकी आंख और माथे पर चोट थी, ने कहा कि पुलिस ने उसे पीटा। अमू टीवी ने उसके हवाले से कहा, “मैं अफगान हूं, और क्योंकि मैं एक महिला हूं, इसलिए यहां महिला अधिकारों और मानवाधिकार के लिए हूं। “
अफगान रिफ्यूजी और सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा कि पुलिस ने लगभग 400 निर्बल परिवारों को जबरदस्ती अफगानिस्तान भेजने की धमकी दी। अधिकार समूहों ने इन कार्रवाइयों पर फिक्र जताते हुए कहा कि यह कार्रवाई शरणार्थी संरक्षण के अंतरराष्ट्रीय मानकों का उल्लंघन है।
मानवाधिकार समूहों के कार्यकर्ताओं ने अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार समूहों और मीडिया से अफगान शरणार्थियों के लिए आवाज उठाने की अपील की और इस मुद्दे पर लगातार चुप्पी को खतरनाक बताया। कहा, इस खामोशी का मतलब साफ है कि हम “उन लोगों का साथ छोड़ रहे हैं जिनका एकमात्र हथियार इंसाफ के लिए अपनी आवाज उठाना है। “
राष्ट्रीय समाचार
अब सीबीआई करेगी पूरे देश में डिजिटल अरेस्ट मामलों की जांच, सुप्रीम कोर्ट ने दिए निर्देश

SUPRIM COURT
नई दिल्ली, 1 दिसंबर: देशभर में तेजी से बढ़ते डिजिटल अरेस्ट से जुड़े मामलों पर गंभीर चिंता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा कदम उठाया है। कोर्ट ने कहा कि डिजिटल अरेस्ट स्कैम की जांच अब सीबीआई करेगी। यह जांच अन्य किसी स्कैम से अलग और प्राथमिकता के आधार पर की जाएगी।
मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) सूर्यकांत की अगुवाई वाली बेंच ने सीबीआई को मामलों की विस्तृत जांच का निर्देश दिया। साथ ही एजेंसी को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (पीसीए) के तहत बैंकरों की भूमिका की जांच करने की पूरी आजादी भी दी है, खासकर उन मामलों में जहां डिजिटल अरेस्ट स्कैम को अंजाम देने के लिए बैंक अकाउंट खोले गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने डिजिटल अरेस्ट पर स्वतः संज्ञान लेकर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को भी पक्षकार बनाया है। कोर्ट ने आरबीआई से पूछा कि देश में ऐसे बैंक खातों की पहचान कर अपराध की कमाई को फ्रीज करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग कब लागू की जाएगी? बेंच ने कहा कि यह तकनीक लाखों लोगों को ठगने वाले डिजिटल अरेस्ट गिरोहों पर रोक लगाने में अहम भूमिका निभा सकती है।
कोर्ट ने साफ कहा कि आईटी इंटरमीडियरी रूल्स 2021 के तहत सभी अथॉरिटीज सीबीआई को पूरा सहयोग देंगी। जिन राज्यों ने अभी तक सीबीआई को मंजूरी नहीं दी है, उन्हें भी आईटी एक्ट 2021 से जुड़े मामलों की जांच के लिए अनुमति देने का निर्देश दिया गया है ताकि सीबीआई पूरे देश में बड़े स्तर पर कार्रवाई कर सके।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जरूरत पड़ने पर सीबीआई इंटरपोल की मदद भी ले सकती है। डिजिटल अरेस्ट स्कैम में फर्जी या एक ही पहचान पर कई सिम कार्ड जारी करने के मामलों को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम विभाग को निर्देश दिया है कि वह एक विस्तृत प्रस्ताव दाखिल करे। इसका उद्देश्य टेलीकॉम कंपनियों को सख्त दिशानिर्देश जारी करना है ताकि सिम कार्ड का दुरुपयोग रोका जा सके और अपराधियों पर लगाम कसी जा सके।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी राज्य सरकारें तुरंत साइबर क्राइम सेंटर स्थापित करें। अगर किसी राज्य को इस प्रक्रिया में कोई दिक्कत आती है तो वह सीधे सुप्रीम कोर्ट को सूचित करे।
कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि आईटी नियमों के तहत, राज्यों की पुलिस साइबर अपराध मामलों में जब्त किए गए सभी मोबाइल फोन और डिजिटल डिवाइस का डाटा सुरक्षित रूप से संरक्षित करे।
सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आदेश दिया है कि आईटी एक्ट 2021 के तहत दर्ज हर एफआईआर को सीबीआई को सौंप दिया जाए ताकि एक केंद्रीकृत और मजबूत जांच हो सके।
सीजेआई सूर्यकांत ने कहा कि कोर्ट द्वारा संज्ञान लेने के बाद बड़ी संख्या में पीड़ित सामने आए, जिनमें से अधिकतर सीनियर सिटिजन्स हैं। उन्हें विभिन्न तरीकों से धमकाकर, डराकर और ऑनलाइन गिरफ्तार दिखाकर ठगा गया।
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